चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार अभ्यारण में नहीं दिखते अब खूंखार जंगली जानवर, चीता-बाघ के दर्शन दुर्लभ
श्रीप्रकाश यादव
चंदौली । जनपद के दक्षिणी भूभाग पर मौजूद मनोरम चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार अभ्यारण्य में वन्यजीवों की भरमार है। जिले में 9 हजार 600 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तारित वन्य जीव विहार में हरियाली का सघन नजारा देखा जा सकता है। प्रकृति के अनमोल नजारे को नजदीक से देखने के लिए लगभग एक लाख की संख्या में सैलानी हर वर्ष यहाँ पहुंचते हैं। बारिश व जाड़े के दिनों में यहां पर्यटकों की तादाद खूब रहती है।
आपको बता दें कि वर्ष 1957 में स्थापित विंध्य पर्वत माला व चंद्रप्रभा नदी के पास का यह भूखंड वन्यजीवों, पक्षियों व सरीसृप प्रजातियों के जीवों के लिए बेहद अनुकूल साबित होता रहा है। वन्य जीव अभ्यारण्य की स्थापना के बाद यहां गुजरात व राजस्थान के जंगली जानवरों शेर व बाघ को छोड़ा गया था। ये जानवर करीब ढाई दशक तक अभ्यारण्य की रौनक बढ़ाते रहे, लेकिन शिकार के चलते बाघ व अन्य प्रजातियों के हिंसक जानवर यहां से पलायन कर गए। नतीजा यह हुआ कि चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार में अब बाघ, शेर, हाथी नहीं रह गए हैं। बड़ी संख्या में अब भी वन्यजीवों का विचरण इस क्षेत्र में आम बात है।
यहाँ पर तेंदुआ, भालू, चिकारा, चीतल, चौसिंहा, सांभर, लकड़बग्घा, लोमड़ी, जंगली सूअर, जंगली बिल्ली, साही, खरगोश, बंदर, लंगूर, नीलगाय आदि पाए जाते हैं। पक्षी में मोर, चौखाड़ा, जंगली मुर्गा, घोड़ा, चीतर, काला चीतर, लवा बटेर, चील, ब्राह्मी चील, नील कंठ उल्लू, बया, कठफोरवा, कोयल, मैना, तोता, बुलबुल आदि पक्षी पाए जाते हैं। वृक्ष में शीशम, कठ सागौन, सागौन, तेंदू, पलास, बांस, महुआ, बबूल सहित अन्य वृक्षों की यहा भरमार है l
इस संबंध में चंद्रप्रभा के वन क्षेत्र अधिकारी योगेश कुमार सिंह ने बताया कि चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार में पल बढ़ रहे वन्य जीव की सुरक्षा को लेकर विभाग पूरी तरह संजीदा है। वन्य जीव का शिकार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होती रहती है। चंद्राप्रभा सेंचुरी एरिया वन्य जीव के लिए अनुकूल है।धीरे धीरे इस इलाके में अब पर्यटन बढ़ने लगा है। लोग छुट्टी के दिनों व त्योहारी सीजन में चंद्रप्रभा के देवदरी, राजदरी और औरवाटांड घूमने आया करते हैं।
Nov 03 2024, 19:43