ब्रिटिश अफसर का साया आज भी शिमला की बरोग सुरंग में मंडराता है!, जानें क्या है इनकी इतिहास
शिमला की खूबसूरती यकीनन मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इसे हिल स्टेशनों की रानी कहा जाता है। शिमला में देखने के लिए कई चीजें हैं, जिनमें से एक है ट्रेन की सवारी, जो पहाड़ों की कई सुरंगों से होकर गुजरती है। सबसे लंबी सुरंगों में से एक शिमला-कालका मार्ग पर है जो एक सीधी सुरंग है, जिसे पार करने में करीबन 2 मिनट का समय लगता है। सुरंग से बाहर निकलते ही आप बरोग रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे। ये हिल स्टेशन अपने भूतिया किस्सों के लिए जाना जाता है। जी हां, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सुरंग को बनाने वाले इंजीनयर की यहां मौत हो गई, जिसके बाद कई असामान्य घटनाएं यहां देखी जाती हैं। चलिए आपको इस सुरंग से जुड़ी इस भूतिया कहानी के बारे में बताते हैं।
शिमला के बरोग गांव के बारे में -
बरोग एक छोटा सा गांव है, जो हिमाचल प्रदेश में कालका-शिमला राजमार्ग पर पड़ता है। हालांकि ये जगह अंग्रेजों के जमाने में हुई एक अजीब घटना की वजह से आज डरावनी कहानी के साथ लोगों के बीच फैली हुई है। ये कहानी पूर्व ब्रिटिश इंजीनियर, कर्नल बरोग की है, जिनके नाम पर कालका-शिमला रेलवे की सबसे लंबी सुरंग का नाम रखा गया है।
कर्नल को सुरंग बनाने का दिया गया था काम -
ऐसा कहा जाता है कि, इस सुरंग को बनने की जिम्मेदारी कर्नल बरोग को सौंपी गई थी। सुरंग को बनने के लिए कर्नल ने सबसे पहले पहाड़ का इंस्पेक्शन कर दो छोर पर मार्क लगाए और मजदूरों को दोनों छोरों से सुरंग खोदने के आर्डर दे दिए। उनका अंदाजा था कि खुदाई करते-करते दोनों सुरंगे बीच में आकर मिल जाएंगी। लेकिन उनका गलत था और ऐसा नहीं हो पाया।
कैसे खुद को मारी गोली -
कर्नल की ये गलती ब्रिटिश सरकार को रास नहीं आई और उन्होंने उसे नौकरी से निकाल दिया। साथ ही, पैसे की बर्बादी करने पर उन्होंने उस पर 1 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया। अपने ऊपर लगे जुर्माने और इल्जामों को लेकर बरोग परेशान रहने लगा और एक दिन सुबह अपने कुत्ते के साथ टहलने के लिए निकल पड़ा। सुरंग के नजदीक जाते ही उसने खुद को गोली मार ली।
इसे पूरा किया गया एक और इंजीनियर से -
कर्नल बड़ोग की मौत के बाद 1900 में सुरंग पर एचएस हर्लिंग्टन ने फिर से काम शुरू किया और 1903 में सुरंग पूरी तरह कर दी गई। ब्रिटिश सरकार ने इंजीनियर के नाम से ही सुरंग का नाम बरोग सुरंग रख दिया। ऐसा कहा जाता है कि एचएस हर्लिंगटन भी इस सुरंग को बना नहीं पा रहे थे। आखिर में चायल के रहने वाले बाबा भलकू ने इस काम को पूरा करवाया। बाबा भलकू ने इस लाइन पर कई अन्य सुरंगें खोदने में ब्रिटिश सरकार की मदद की थी।
होती हैं कई असामान्य घटनाएं -
ऐसा कहा जाता है कि कर्नल बरोग आज भी सुरंग के आसपास घूमता है। लोगों ने उसकी आत्मा आज को बात करते हुए देखा है। कई स्थानीय लोगों ने यहां पूजा-पाठ भी करवाया है, लेकिन इंजीनियर की आत्मा तब भी दिखाई देती है। लोगों ने उसके चिल्लाने की आवाजें भी सुनी हैं।
डिस्क्लेमर: ये लेख सामान्य जानकारियों के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है। यहां बताई गई चीजों की हम पुष्टि नहीं करते हैं।
Nov 03 2024, 19:33