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क्यों केरल में नहीं मनाई जाती दिवाली? जानें इसके पीछे की मान्यताएं


दिवाली नजदीक है और भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में रहने वाले भारतीयों में इसको लेकर उत्सुकता चरम पर है. इन सबसे बीच भारत के ही एक राज्य केरल में दीपावली पर वैसा उत्साह नहीं नजर आ रहा।

यहां हल्के-फुल्के अंदाज में दिवाली मनाई जाती है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है?

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि केरल में दिवाली इसलिए नहीं मनाई जाती है, क्योंकि यहां हिंदुओं की संख्या दूसरे धर्मों के लोगों के मुकाबले कम है. हालांकि, सोशल मीडिया पर इसको लेकर बवाल मचा तो मीडिया हाउस ने अपना वीडियो वापस ले लिया था. 

असल में केरल एक बहुसंस्कृतियों वाला राज्य है और 2011 की जनगणना के अनुसार केरल की कुल जनसंख्या में 54.73 फीसद हिंदू हैं. 26.56 प्रतिशत मुस्लिम और 18.38 फीसद ईसाई हैं. ऐसे में यह कहना गलत है कि हिंदुओं की संख्या कम होने के कारण केरल में दिवाली मनाई जाती है.

ओणम धूमधाम से मनाया जाता

वास्तव में उत्तर भारत की तरह केरल में धूमधाम से दिवाली नहीं मनाई जाती, बल्कि हिंदुओं के दूसरे त्योहार ओणम और विष्णु वहां अधिक उत्साह के साथ मनते हैं. इसी तरह से क्रिसमस और ईद भी उत्साहपूर्वक मनाई जाती है. इन सभी त्योहारों में पूरी आबादी हिस्सा लेती है. फिर भी केरल ने अब की उत्तर भारतीय त्योहारों को अपना लिया है. 

हालांकि, इनमें कुछ न कुछ बदलाव दिखाई देता है. राज्य में उत्तर भारतीयों की मौजूदगी और हिंदी फिल्मों के प्रभाव के कारण अब कॉलेजों में होली खूब मनाई जाती है.

नरकासुर वध का प्रतीक

ऐसे में दिवाली धूमधाम से न मनाने के कई कारण हैं. उत्तर भारत में दीपावली राम के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. वहीं, केरल में भगवान कृष्ण लोगों के प्रिय हैं. केरल में मान्यता है कि भगवान कृष्ण के नरकासुर वध का प्रतीक है दीपावली.

पौधों की रोपाई का समय

केरल में दिवाली त्योहार के कम उत्साह से मनाने का एक और कारण है कृषि का पैटर्न. उत्तर भारत में दिवाली फसलों की कटाई के बाद मनाई जाती है. वहीं, ट्रॉपिकल क्लाइमेट और मानसून की वापसी का केरल के कृषि सीजन पर असर पड़ता है. केरल की नगदी फसलों नारियल और मसालों आदि का सीजन उत्तर भारत में गेहूं की फसल के सीजन से अलग होता है. उत्तर भारत में जहां दिवाली मानसून के खात्मे और सर्दी की शुरुआत में मनाई जाती है, वहीं केरल में यह समय नॉर्थ-ईस्ट मानसून के शुरुआत का होता है. ओणम मनाने के बाद यहां अगस्त-सितंबर में किसान नई फसलों के पौधे रोपते हैं. ऐसे में दिवाली धूमधाम से नहीं मना पाते.

तमिलनाडु और कर्नाटक में ये हैं मान्यताएं

दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में दिवाली की बात करें तो वहां भी इसे थोड़ा अलग तरीके से मनाया जाता है. तमिलनाडु में दीपावली को नरक चतुर्दशी पर्व के रूप में मनाया जाता है. यहां केरल जैसी ही मान्यता है कि यह भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध करने का प्रतीक है. वहीं, कर्नाटक में दिवाली को बाली चतुर्दशी के रूप में मनाने की मान्यता है. यह भगवान विष्णु द्वारा राक्षस बाली के वध का प्रतीक है।

जयपुर एयरपोर्ट पर सोने की तस्करी का एक चौंकाने वाला मामला आया सामने,प्राइवेट पार्ट में एक किलो सोना ला रहा था शख्स,एयरपोर्ट अफसरों ने पकड़ा।


नयी दिल्ली : जयपुर एयरपोर्ट पर सोने की तस्करी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां अबू धाबी से आए एक व्यक्ति ने अपने प्राइवेट पार्ट में एक किलो से अधिक सोना छिपा रखा था. कस्टम अधिकारियों को इसकी जानकारी पहले ही हो गई थी.

जब यह व्यक्ति एयरपोर्ट पर पहुंचा, तो उसे कस्टम अधिकारियों ने रोक लिया. एक्स-रे स्कैन के बाद यह पुष्टि हुई कि उसके शरीर के अंदर सोने के कैप्सूल छिपे हुए हैं.

जानकारी के अनुसार, राजस्थान के ब्यावर जिले के सरगांव गांव का रहने वाला महेंद्र खान अबू धाबी से जयपुर की एतिहाद एयरवेज़ की फ्लाइट से पहुंचा था. कस्टम अधिकारियों को सूचना मिल चुकी थी कि महेंद्र खान प्राइवेट पार्ट में सोना छिपाकर ला रहा है।

मामी से एकतरफा प्यार में पागल भांजा पेड़ पर चढ़ा दी सुसाइड की धमकी, कई घंटे चला हाई वोल्टेज ड्रामा


कहते हैं प्यार में लोग इतने अंधे हो जाते हैं, कि ऊंच, नीच कुछ नजर नहीं आता. कुछ ऐसा ही मामला जिले में सामने आया है. सुखपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत मिढ्ढा में युवक युवक अपनी ही रिश्तेदार से एकतरफा प्यार करने लगा. 

युवक पेड़ पर चढ़ गया और शादी करवाने की जिद करने लगा. शादी नहीं कराने पर पेड़ से कूदने की धमकी देने लगा. काफी देर तक हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा है. सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह युवक को नीचे उतारा.

जानकारी के अनुसार मिढ्ढा निवासी अजय राजभर अपनी सगी मामी से एक तरफा प्यार हो गया है. अजय मामी से शादी न होने पर पहले फांसी लगाने लगा. किसी तरह परिजनों के समझाने पर माना तो शनिवार की सुबह मिढ्ढा आरके आईटीआई स्कूल के पीछे बाबा बॉसपाली के स्थान स्थित विशाल बरगद के पेड़ पर चढ़ गया. 

इसके बाद जोर जोर से चिल्लाते हुए मामी से शादी नहीं होने पर जान देने की बात करने लगा. जिससे भीड़ इकठ्ठा हो गयी. पहले तो परिजन व ग्रामीण काफी समझाने का प्रयास किया.लेकिन जब नहीं माना तो घटना की सुचना पूलिस को दी गयी. 

खबर मिलते ही पुलिस व अग्निश्मन की गाड़ी मौके पर पहुंची. पुलिस ने भी युवक को नीचे उतरने के लिए काफी मान मनौवल किया. लेकिन वह मामी से विवाह करने सिवा कोई बात सुनने को तैयार नहीं था. 

थाना अध्यक्ष सुखपुरा योगेंद्र प्रसाद सिंह, चैकी इंचार्ज अखिलेश सिंह ने के घंटो समझाने बुझाने के बाद अज किसी तरह रोते हुए नीचे, उतरा तब जाकर लोगों ने राहत की सास ली. पेड़ से उतरने के बाद पुलिस उसे अपने साथ सुखपुरा थाने पर लेकर चली गयी. क्षेत्र में इस समय इस घटना की चर्चा जोरो पर हैं।

आज का इतिहास:आज ही के दिन हुआ था भारत के राष्ट्रपति केआर नारायणन का जन्म

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 27 अक्टूबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

1920 में आज ही के दिन भारत के राष्ट्रपति केआर नारायण का जन्म हुआ था।

27 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1952 में 27 अक्टूबर के दिन ही फिल्‍म जगत के साथ-साथ भजनों से खास पहचान बनाने वाली अनुराधा पौडवाल का जन्‍म हुआ था। 

1966 में आज ही के दिन भारत के शतरंज खिलाड़ी दूसरे ग्रैंड मास्टर दिब्येन्दु बरुआ का जन्म हुआ था।

2004 में आज ही के दिन चीन ने विशालकाय क्रेन का निर्माण किया था।

1997 में 27 अक्टूबर के दिन ही एडिनबर्ग (स्काटलैंड) में राष्ट्रकुल शिखर सम्मेलन पूरा हुआ था।

1982 में आज ही के दिन चीन ने अपनी जनसंख्या एक अरब से अधिक होने की घोषणा की थी।

1968 में 27 अक्टूबर को ही मेक्सिको सिटी में 19वें ओलंपिक खेलों का समापन हुआ था।

1947 में आज ही के दिन जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में जम्मू कश्मीर के विलय को स्वीकार कर लिया था।

1924 में 27 अक्टूबर को ही उज़्बेक एसएसआर सोवियत संघ में मिला था।

1920 में आज ही के दिन लीग ऑफ नेशन का मुख्यालय जिनेवा स्थानांतरित किया गया था।

1910 में 27 अक्टूबर को ही रूस और चीन के साथ कई वर्षों के युद्ध के बाद जापान को इन दोनों देशों पर विजय मिली थी।

1905 में आज ही के दिन नार्वे स्वीडन से अपना गठजोड़ समाप्त करके स्वतंत्र हो गया था।

1810 में 27 अक्टूबर को ही अमेरिका ने स्पेन के पूर्व उपनिवेश पश्चिमी फ्लोरिडा को अपने अधिकार में लिया था।

1806 में आज ही के दिन फ्रांस की सेना बर्लिन में घुसी थी।

27 अक्टूबर का इतिहास को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1966 में आज ही के दिन भारत के शतरंज खिलाड़ी दूसरे ग्रैंड मास्टर दिब्येन्दु बरुआ का जन्म हुआ था।

1952 में 27 अक्टूबर को ही अनुराधा पौडवाल का जन्‍म हुआ था।

1920 में आज ही के दिन भारत के राष्ट्रपति के. आर. नारायणन का जन्म हुआ था।

1811 में 27 अक्टूबर के दिन ही सिलाई मशीन का आविष्कारक आइजैक मेरिट सिंगर का जन्म हुआ था।

27 अक्टूबर को हुए निधन

1605 में आज ही के दिन मुगल साम्राज्य के तीसरे शासक अकबर का फतेहपुर सीकरी में निधन हुआ था।

1907 में 27 अक्टूबर को ही भारतीय स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मबांधव उपाध्याय का निधन हुआ था।

1982 में आज ही के दिन गांधी जी के निजी सचिव प्यारे लाल का निधन हुआ था।

1987 में 27 अक्टूबर को ही मशहूर भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी विजय मर्चेन्ट का निधन हुआ था।

1999 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार डॉ. नगेन्द्र का निधन हुआ था।

आज का इतिहास:1934 में महात्मा गांधी के संरक्षण में हुई थी अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 26 अक्टूबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। 1934 में आज ही के दिन महात्मा गांधी के संरक्षण में अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना की गई थी। 

1947 में 26 अक्टूबर के दिन ही राजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर काे भारत में विलय करने पर सहमति दी थी।

26 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि चांद पर कदम रखने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन 1969 में मुंबई आए थे।

1999 में आज ही के दिन उच्चतम न्यायालय ने आजीवन कारावास की अवधि 14 वर्ष तय की थी।

2006 में आज ही के दिन इस्रायल में एक मंत्री ने भारत से बराक सौदे पर जांच की मांग की थी।

2005 में 26 अक्टूबर के दिन ही वर्ष 2006 को भारत-चीन मैत्री वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया गया था।

2001 में आज ही के दिन जापान ने भारत और पाकिस्तान के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की थी।

1999 में 26 अक्टूबर के दिन ही उच्चतम न्यायालय ने आजीवन कारावास की अवधि 14 वर्ष तय की थी।

1980 में आज ही के दिन इजरायल के राष्ट्रपति यित्झाक नावोन मिस्र की यात्रा करने वाले पहले इजरायली राष्ट्रपति बने थे।

1976 में 26 अक्टूबर के दिन ही त्रिनिदाद एंड टोबैगो गणराज्य को ब्रिटेन से आजादी मिली थी।

1969 में आज ही के दिन चांद पर कदम रखने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन मुंबई आए थे।

1951 में 26 अक्टूबर को ही विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे।

1947 में आज ही के दिन इराक में ब्रिटिश सेना का कब्जा हटा था।

1947 में 26 अक्टूबर को ही राजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर काे भारत में विलय करने पर सहमत हुए थे।

1934 में आज ही के दिन महात्मा गांधी के संरक्षण में अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना की थी।

1905 में 26 अक्टूबर को ही नॉर्वे ने स्वीडन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।

26 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1971 में आज ही के दिन भारतीय साहित्यकार, उपन्यासकार प्रीति सिंह का जन्म हुआ था।

1924 में 26 अक्टूबर को ही भारत में नवगीत विधा के कवियों में से एक ठाकुर प्रसाद सिंह का जन्म हुआ था।

1890 में आज ही के दिन स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने वाले गणेशशंकर विद्यार्थी का जन्म हुआ था।

1886 में 26 अक्टूबर को ही उड़ीसा के प्रसिद्ध समाज सुधारक और सार्वजनिक कार्यकर्ता गोदावरीश मिश्र का जन्म हुआ था।

26 अक्टूबर को हुए निधन

1955 में आज ही के दिन प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक डी. वी. पलुस्कर का निधन हुआ था।

1981 में 26 अक्टूबर को ही भारत के प्रसिद्ध कन्नड़ कवि और साहित्यकार दत्तात्रेय रामचन्द्र बेंद्रे का निधन हुआ था।

2000 में आज ही के दिन प्रमुख क्रांतिकारी और लेखक मन्मथनाथ गुप्त का निधन हुआ था।

नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां, जानें इस दिन किसकी करें पूजा

नयी दिल्ली : नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. 

पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली पर्व के इस दूसरे दिन के पर्व को रूप चतुर्दशी और छोटी दीवाली भी कहा जाता है. परंपराओं के मुताबिक, दीपावली से पहले की जाने वाली साफ-सफाई के काम का यह आखिरी दिन होता है. इसी दिन शाम को घर के बाहर दीपक जलाने की विधिवत शुरुआत हो जाती है.

नरक चतुर्दशी पर किसकी पूजा की जाती है? 

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर नामक राक्षस का वध कर उसके कैद से करीब 16 हजार महिलाओं को मुक्त कराया था. इसलिए नरक चतुर्दशी पर खासकर भगवान श्रीकृष्ण, माता महालक्ष्मी और मृत्यु के देवता यम की पूजा होती है. हालांकि, नरक चतुर्दशी को ज्यादातर यम देवता के लिए ही दीपक जलाकर परिवार की कुशलता की कामना की जाती है. 

नरक चतुर्दशी पर घरों में यमराज की पूजा के परिणाम से सौंदर्य की प्राप्ति होती है और अकाल मृत्यु या नरक का भय नहीं रहता है. इसलिए, नरक चतुर्दशी को आयु बढ़ाने का भी दिन माना जाता है.

यम के लिए जलाते हैं दीप, क्या है पौराणिक परंपरा?

शास्त्रों के मुताबिक, नरक चतुर्दशी की शाम को यम देवता के नाम से दीपदान करने का भी विधान है. नरक चतुर्दशी की रात में घर के मुख्य द्वार से बाहर दक्षिण दिशा की ओर यम देव के नाम पर सरसों तेल का चौमुखा दीपक जरूर जलाना चाहिए. 

मान्यता है कि यम के नाम से जलाए गए मिट्टी या गोबर से बने 14 दीपक को जलाने के बाद उसकी निगरानी भी करनी चाहिए. कई जगहों पर दीपक की लौ बढ़ जाने पर उसे उठाकर घर के अंदर लाने और संभालकर पूरी रात जलाने का रिवाज भी है.

नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां

नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए. मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होने की वजह से नरक चतुर्दशी के दिन किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए. साथ ही घर की दक्षिण दिशा को भूलकर भी गंदा नहीं करना चाहिए. नरक चतुर्दशी का व्रत करने वालों का अपमान नहीं करना चाहिए. किसी के दीप को बुझाना नहीं चाहिए. इस दिन किसी को भी तेल का दान नहीं करना चाहिए. इस दिन मांसाहार करने से भी परहेज करना चाहिए. इसके अलावा, नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी अपने घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए. कितना भी जरूरी काम रहे कोशिश करना चाहिए कि घर में परिवार का कोई न कोई सदस्य जरूर रहे.

पद्मभूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत अचानक बिगड़ी, दिल्ली AIIMS के ICU में भर्ती


नयी दिल्ली : पद्मभूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत आज अचानक बिगड़ गई है, उन्हें दिल्ली एम्स के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कराया गया है. वे एक हफ्ते से दिल्ली एम्स में भर्ती हैं. 

पिछले एक सप्ताह से उनको खाने-पीने में काफी समस्याएं आ रही थी. शनिवार की सुबह उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई, जिसके बाद उनको इमराजेंसी वार्ड में लाया गया. हाल ही में उनके पति का ब्रेन हैमरेज से निधन हुआ था, जिसके बाद से वो काफी चिंतित रहती थीं. अभी उनकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में कोई स्वास्थ्य बुलेटिन जारी नहीं किया गया है. एम्स में डॉकटर्स की टीम उनके इलाज में जुटी है. 

छठ गीतों के लिए मशहूर हैं शारदा सिन्हा

आपको बता दें कि छठ के त्योहार पर शारदा सिन्हा के गाने काफी पसंद किए जाते हैं. छठ पर गाए उनके गाने काफी मशहूर हैं. उन्होंने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत 1980 में की थी. शारदा सिन्हा अब तक 62 से ज्यादा छठ गीतें गा चुकी हैं. गायिका अपने पति के निधन के बाद काफी परेशान थीं. वह हर दिन सोशल मीडिया पर अपने पति के लिए कुछ न कुछ लिखती रहती थीं.

बीमारी की खबर से प्रशंसकों में मायूसी

हाल ही में उन्होंने फेसबुक पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की और लिखा कि लाल सिंदूर बिना मांगे न सोभे... लेकिन सिन्हा साहब की मीठी यादों के सहारे मैं संगीत के सफर को जारी रखने की कोशिश करूंगी. खास तौर पर आज के दिन मैं सिन्हा साहब को अपना नमन समर्पित करती हूं. 

उनकी बीमारी की खबर सुनकर उनके प्रशंसक काफी मायूस हैं. लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि वह जल्द स्वस्थ होकर घर लौट आएं और एक बार फिर छठ में उनकी आवाज सुनाई दे।

आज का इतिहास:आज ही के दिन भारत में हुई थी आम चुनाव की शुरुआत

नयी दिल्ली : 25 अक्टूबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1964 में आज ही के दिन अवादी कारखाने में पहले स्वदेशी टैंक ‘विजयंत’ का निर्माण किया गया था।

1971 में 25 अक्टूबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में ताइवान को चीन में शामिल करने के लिए मतदान हुआ था।

2008 में आज ही के दिन सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी को 6 माह की सजा दी गई थी।

2005 में 25 अक्टूबर को ही ईराक में नए संविधान को जनमत संग्रह में बहुमत के साथ मंजूरी मिली थी।

2000 में आज ही के दिन अंतरिक्ष यान डिस्कवरी 13 दिन के अभियान के बाद वापस आया था।

1995 में 25 अक्टूबर के दिन ही तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने संयुक्त राष्ट्र के 50वें वर्षगांठ सत्र को संबोधित किया था।

1971 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में ताइवान को चीन में शामिल करने के लिए मतदान हुआ था।

1964 में 25 अक्टूबर को ही अवादी कारखाने में पहले स्वदेशी टैंक ‘विजयंत’ का निर्माण किया गया था।

1962 में आज ही के दिन अमेरिकी लेखक जॉन स्टीनबेक को साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

1951 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारत में पहले आम चुनाव की शुरुआत हुई थी।

1945 में आज ही के दिन द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में चीन ने ताइवान पर कब्जा किया था।

1924 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारत में ब्रिटिश अधिकारियों ने सुभाषचंद्र बोस को गिरफ्तार कर 2 साल के लिए जेल भेज दिया था।

1917 में आज ही के दिन बोल्शेविक (कम्युनिस्टों) व्लादिमीर इलिच लेनिन ने रूस में सत्ता कब्जा ली थी।

25 अक्टूबर को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1881 में 25 अक्टूबर के दिन ही स्पेन के ख्यातिप्राप्त चित्रकार पाब्लो पिकासो का जन्म हुआ था।

1896 में आज ही के दिन भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा लेखक मुकुंदी लाल श्रीवास्तव का जन्म हुआ था।

1912 में 25 अक्टूबर के दिन ही कर्नाटक संगीत के गायक मदुराई मणि अय्यर का जन्म हुआ था।

1938 में आज ही के दिन प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का जन्म हुआ था।

25 अक्टूबर को हुए निधन

1296 में आज ही के दिन संत ज्ञानेश्वर का निधन हुआ था।

1980 में 25 अक्टूबर के दिन ही भारतीय गीतकार और कवि साहिर लुधियानवी का निधन हुआ था।

1990 में आज ही के दिन मेघालय के पहले मुख्यमंत्री कैप्टन संगमा का निधन हुआ था।

2003 में 25 अक्टूबर के दिन ही प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक तथा समाज सुधारक पाण्डुरंग शास्त्री अठावले का निधन हुआ था।

2005 में आज ही के दिन साहित्यकार निर्मल वर्मा का निधन हुआ था।

त्वचा की समस्याओं को दूर करने के लिए इन तरीकों से करे बेसन का इस्तेमाल चमक उठेगा चेहरा और मिट जायेंगे काले निशान


डेस्क:- चेहरे की देखभाल में बेसन एक प्राकृतिक और असरदार उपाय माना जाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से चेहरे की चमक बढ़ती है और काले धब्बों व झाइयों से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ तरीके जिनसे बेसन का सही उपयोग करके चेहरे का निखार बढ़ाया जा सकता है:

1. बेसन और दही का फेस पैक

सामग्री:

1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच दही

विधि: बेसन और दही को मिलाकर पेस्ट बना लें। 

इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर हल्के हाथों से स्क्रब करते हुए गुनगुने पानी से धो लें।

फायदा: दही में लैक्टिक एसिड होता है जो त्वचा को नरम और चमकदार बनाता है।

2. बेसन और हल्दी का पैक

सामग्री:

1 बड़ा चम्मच बेसन, एक चुटकी हल्दी, गुलाब जल या कच्चा दूध

विधि: इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट तैयार करें। 

इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट तक छोड़ दें और फिर धो लें।

फायदा: हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दाग-धब्बों को कम करने में मदद करते हैं।

3. बेसन और नींबू का पैक

सामग्री: 1 बड़ा चम्मच बेसन, आधा चम्मच नींबू का रस, गुलाब जल

विधि: बेसन में नींबू का रस और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। 

इसे चेहरे पर लगाएं और 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से धो लें।

फायदा: नींबू में विटामिन C होता है जो त्वचा की रंगत को साफ करता है और चेहरे पर निखार लाता है।

4. बेसन और शहद का पैक

सामग्री:

 1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच शहद, थोड़ा सा दूध

विधि: इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर 15 मिनट तक लगाकर छोड़ दें।

सूखने के बाद हल्के हाथों से पानी से धो लें।

फायदा: शहद त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है और दूध त्वचा की चमक बढ़ाता है।

5. बेसन और संतरे के छिलके का पैक

सामग्री: 

1 बड़ा चम्मच बेसन, 1 चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर, गुलाब जल

विधि: इन सभी को मिलाकर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट बाद धो लें।

फायदा: संतरे के छिलके में मौजूद विटामिन C त्वचा की रंगत को निखारने में सहायक होता है और यह झाइयों को भी हल्का करता है।

निष्कर्ष*

बेसन का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को साफ, कोमल और चमकदार बना सकता है। 

इसके साथ ही, यह दाग-धब्बों को कम करने और त्वचा की रंगत को निखारने में भी सहायक है।

रेबेका सिंड्रोम: प्यार में शक का कैंसर, जो रिश्ते को कर सकता है बर्बाद


डेस्क:- रेबेका सिंड्रोम एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपने साथी के पिछले रिश्तों को लेकर असुरक्षित और जलन महसूस करता है। यह सिंड्रोम रिश्ते में उस साथी के लिए अत्यधिक असुरक्षा और शक पैदा करता है, जो अपने वर्तमान साथी के अतीत से जुड़े लोगों या अनुभवों को लेकर चिंतित रहता है। इसका नाम डाफ्ने डू मौरियर की उपन्यास रेबेका से लिया गया है, जिसमें मुख्य पात्र अपनी पति की पहली पत्नी के अतीत से जूझता है।

कैसे काम करता है रेबेका सिंड्रोम?

इस सिंड्रोम में व्यक्ति को अपने साथी के अतीत के रिश्तों या अनुभवों को लेकर असुरक्षा महसूस होती है। इसके चलते वह अपने साथी के अतीत के बारे में अत्यधिक सोचता है और उस पर लगातार ध्यान केंद्रित करता है। धीरे-धीरे यह मानसिकता इतनी गंभीर हो सकती है कि व्यक्ति अपने रिश्ते में खुश नहीं रह पाता और अपने साथी पर अविश्वास करता है।

कैसे खत्म कर देता है यह सिंड्रोम रिश्ते को?

अति-शक और अविश्वास: जब व्यक्ति अपने साथी पर लगातार शक करता है, तो रिश्ते में विश्वास की कमी हो जाती है। यह बार-बार के सवाल, जाँच और अपने साथी को दोष देना रिश्ते में दरार पैदा कर सकता है।

असुरक्षा की भावना: जब व्यक्ति को लगता है कि वह अपने साथी के अतीत से जुड़े लोगों या अनुभवों से खुद को मुकाबला नहीं कर सकता, तो यह भावना रिश्ते को कमजोर कर सकती है। इससे व्यक्ति खुद को कमतर समझने लगता है, जिससे रिश्ते में असंतुलन पैदा होता है।

मानसिक तनाव और असंतोष: रेबेका सिंड्रोम की वजह से व्यक्ति हमेशा तनाव और नकारात्मकता में रहता है। इससे उसका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और वह अपने साथी को लेकर खुश नहीं रह पाता।

रिश्ते में दूरी और दरार: इस सिंड्रोम के कारण व्यक्ति अपने साथी से दूरी बनाने लगता है। साथी के प्रति बढ़ती नकारात्मकता और कटुता रिश्ते में दूरियाँ बढ़ा देती हैं, और यह धीरे-धीरे रिश्ते के टूटने का कारण बन सकता है।

रेबेका सिंड्रोम से बचाव

खुले संवाद: अपने साथी से खुलकर अपनी भावनाओं और चिंताओं के बारे में बात करें। यह समझें कि आपका साथी वर्तमान में आपके साथ है, और उसका अतीत उसके जीवन का हिस्सा था लेकिन अब वह बीत चुका है।

विश्वास विकसित करें: रिश्ते को स्थायी और खुशहाल बनाने के लिए आपसी विश्वास आवश्यक है। खुद को और अपने साथी को विश्वास का मौका दें।

मनोवैज्ञानिक सहायता: अगर रेबेका सिंड्रोम के कारण आपकी मानसिक स्थिति खराब हो रही है, तो किसी काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से सलाह लें।

रेबेका सिंड्रोम एक गंभीर मानसिक स्थिति हो सकती है, जो किसी भी रिश्ते को प्रभावित कर सकती है। इसे समझदारी, खुले संवाद, और आपसी विश्वास के माध्यम से संभाला जा सकता है।