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रतन टाटा का एनडी तिवारी को सम्मान: 25 मिनट तक हाथ थामे रहे, एक यादगार पल

किस्सा देहरादून का है. साल था 2010-11. उत्तराखंड सरकार ने मशहूर उद्योगपति रहे रतन टाटा को सम्मानित करने का निर्णय लिया. रमेश पोखरियाल निशंक राज्य के मुख्यमंत्री थे. इस प्रोग्राम का सरकारी स्तर खूब प्रचार भी किया गया और तय तिथि पर रतन टाटा देहरादून आए.

सभागार खचाखच भरा हुआ था. शहर ही नहीं राज्य के अनेक महत्वपूर्ण लोग बुलाए गए थे. नेता, अफसर, समाजसेवी, एक से एक चुने हुए लोगों को सरकार ने बुला रखा था. अगली पंक्ति में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के सीएम रहे पंडित नारायण दत्त तिवारी भी बैठे थे. मंच पर सरकार ने उनके लिए जगह नहीं बनाई थी. सीएम निशंक ने रतन टाटा का स्वागत एयरपोर्ट पर किया और वे एक ही गाड़ी में बैठकर सभागार तक पहुंचे. तत्कालीन राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने रतन टाटा का सभागार के मुख्य द्वार पर स्वागत किया.

रतन टाटा, मारग्रेट अल्वा और निशंक एक साथ सभागार में पहुंचे. ये लोग जैसे ही सभागार में पहुंचे और धीरे-धीरे मंच की ओर आगे बढ़े, सभागार तालियों से गूंज उठा. सब लोग खड़े होकर उस महान विभूति का स्वागत कर रहे थे. इसमें नारायण दत्त तिवारी भी थे. मंच पर पहुंचने से पहले रतन टाटा की नजर अगली ही पंक्ति में बैठे तिवारी पर पड़ी तो वे रुक गए. उन्होंने तिवारी का दोनों हाथ अपने हाथों में लिया और करीब 20-25 मिनट तक दोनों ही लोग खड़े-खड़े बात करते रहे.

कैमरे तब तक उन्हीं पर फोकस किए हुए थे. सीएम निशंक, गवर्नर अल्वा भी चाहकर भी मंच पर नहीं जा पा रहे थे. दोनों ही लोग रतन टाटा के साथ ही खड़े रहे.

खड़े रह गए राज्यपाल और मुख्यमंत्री

प्रोग्राम तय समय से देर हो रहा था. आगे का शेड्यूल बिगड़ने की संभावना को देखते हुए सीएम ने टाटा से मंच की ओर बढ़ने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने लगभग अनसुना कर दिया और तिवारी से बातचीत में मशगूल रहे. चूंकि टाटा, तिवारी, निशंक और मारग्रेट अल्वा खड़े रहे तो सभागार में मौजूद ज्यादातर लोग भी खड़े ही रहे. अगली सुबह यह खबर अखबारों की सुर्खियां बनी.

प्रोटोकॉल तोड़कर रिश्तों को दी तवज्जो

एनडी तिवारी कांग्रेस सरकार में उद्योग, वित्त समेत अनेक मंत्रालयों में लंबे समय तक कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके थे. उत्तर प्रदेश के सीएम के रूप में भी उनका प्रभाव था ही. 20-25 मिनट की इस मुलाकात में दोनों ही हस्तियों के रिश्तों में गर्माहट की जानकारी साफ-साफ देखी गयी. यह तब और महत्वपूर्ण हो जाता है, जब एनडी तिवारी के पास कोई भी पद नहीं था. वे अनेक विवादों से गुजर रहे थे.

आंध्र प्रदेश के गवर्नर के रूप में उन पर आरोप लगे तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. फिर उनकी पत्नी और बेटे को लेकर भी मामला कोर्ट में चल रहा था. इसके बावजूद रतन टाटा का प्रोटोकाल तोड़कर इतना समय खड़े रहना और उनसे बातचीत में खो जाने को रिश्ते में प्रगाढ़ता का पक्का सुबूत माना जा सकता है.

विपक्ष ने भी माना योगदान

उत्तराखंड के सीएम बनने पर उन्होंने अपने पुराने रिश्तों का इस्तेमाल करके राज्य में उद्योगों की शुरुआत करवाई. आज उद्योग से जुड़ी जितनी भी बड़ी इकाइयां इस राज्य में हैं, उसमें तिवारी के योगदान को विपक्षी भी मानते हैं. उनके पहले और बाद में जितने भी सीएम हुए किसी का देश में वह प्रभाव नहीं रहा है, जो तिवारी का था. आज जब रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कहा तो बरबस यह आँखों देखी मुझे भी याद आ गई क्योंकि मैं तिवारी के साथ ही बैठा था.

इस मौके पर रतन टाटा ने अपने भाषण में भी एनडी तिवारी को भरपूर सम्मान दिया. खुले मंच से उन्होंने सरकारी लाल फ़ीताशाही को विकास में सबसे बड़ा रोड़ा कहा. करप्शन से जुड़े कुछ किस्से भी सुनाए. इस तरह मंच से लेकर मंच के नीचे तक बिना किसी पद पर रहे एनडी तिवारी ने महफ़िल लूट ली और लोग उनके बारे में कई दिन तक चर्चा करते रहे.

अगर टाटा केवल मिलते और मंच पर चले जाते तो शायद वह घटना रेखांकित नहीं हो पाती लेकिन 20-25 मिनट तक हाथ में हाथ पकड़ना रिश्तों की मजबूती का स्पष्ट उदाहरण था. और यह भी कि दोनों ही लोग एक-दूसरे का समुचित सम्मान भी करते देखे गए. आज इस तरह के रिश्तों में गिरावट देखी जा रही है. टाटा का एनडी तिवारी के प्रति उठाया गया कदम उनके बड़प्पन, सदाशयी, विनम्र होने का पक्का सुबूत था.

महाराष्ट्र सरकार की बड़ी घोषणा: OBC में शामिल होंगी ये 15 जातियां,देखे सूची


महाराष्ट्र में मनोज जरांगे मराठा को अन्य पिछड़े वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच बुधवार को राज्य की शिंदे सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. शिंदे सरकार ने महाराष्ट्र में 15 जातियों को ओबीसी की सूची के लिए अनुशंसित किया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी की सूची में नई जातियों को शामिल करने की सिफारिश की है. इसलिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा अनुशंसित जातियों को ओबीसी में शामिल करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से जातियों की सूची केंद्र सरकार को सौंप दी गई है. इन सभी 15 जातियों की आबादी करीब 10 लाख है.

इन’ जातियों को ओबीसी में शामिल किया जाएगा

बड़गुजर

सूर्यवंसी गूजर

गूजर को ले लो

रेव गूजर

रेवा गुजर

पोवार, भोयर, पवार

कॉफी की दुकान

मुन्नार कापेवार

मुन्नार को काट दो

तेलंगाना

तेलंगी

पेंटर रेड्डी

इंतज़ार

लोढ़ा लोढ़ा लोधी

डंगरी

चुनाव में महायुति को मिल सकता है फायदा

आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से राज्य की 15 जातियों को ओबीसी में शामिल करने की सिफारिश की है. अगर इन 15 जातियों को राज्य में ओबीसी कोटे में आरक्षण मिलता है तो इसका सीधा फायदा आगामी चुनाव में महायुति को मिलने की संभावना है. क्योंकि राज्य में इन 15 जाति के नागरिकों की आबादी 10 लाख है. इसलिए 10 लाख वोटों की संख्या महागठबंधन के लिए फायदेमंद हो सकता है.

इस बीच सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि गुरुवार को राज्य कैबिनेट की बैठक प्रस्तावित है. इस बैठक में कैबिनेट की ओर से एक और बड़ा फैसला लिया जा सकता है. इससे आरक्षण का लाभ पाने वाले ओबीसी, मराठा और अन्य समुदायों को काफी फायदा होगा. सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि गुरुवार की सुबह ग्यारह बजे सह्याद्रि गेस्टहाउस में कैबिनेट बैठक होनी है.

मराठा को ओबीसी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं जरांगे

बता दें कि मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल की मांग है कि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे से आरक्षण मिले. अपनी मांगों को लेकर मनोज जारांगे बार-बार आक्रामक नजर आ रहे हैं. मनोज जरांगे ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो आगामी विधानसभा चुनाव में महायुति को हार का सामना करना पड़ेगा. एक तरफ जहां मनोज जरांगे मराठों को ओबीसी से आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं. वहीं राज्य सरकार ने ओबीसी को लेकर बड़ा फैसला लिया है.

कोलकाता में लेडी डॉक्टर की हत्या मामले में सीबीआई ने आरोपी संजय रॉय के खिलाफ पेश किए 11 सबूत

आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप एंड हत्या मामले में सीबीआई ने आरोपी संजय रॉय के खिलाफ चार्जशीट दायर की है. सियालदह कोर्ट में दायर चार्जशीट में सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को मुख्य आरोपी बनाया गया है और उसके खिलाफ सीबीआई ने कोर्ट में 11 सबूत पेश किये. साथ ही संजय रॉय के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज किये गये हैं, कोर्ट में यदि वो साबित होते हैं, तो उसके लिए आजावीन कारावास या फांसी की सजा से बचना मुश्लिक होगा

बता दें कि नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर का शव मिला था. पोस्टमार्टम के बाद इसकी पुष्टि हुई थी कि लेडी डॉक्टर की रेप कर हत्या की गई है. कोलकाता पुलिस ने सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया था. बाद में पूरे मामले की जांच सीबीआई ने शुरू की थी और वारदात के 58 दिनों के बाद मंगलवार को सियालदह कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की.

चार्जशीट में पीड़िता को V नाम दिया गया

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पीड़िता को V नाम दिया है. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक संजय रॉय के खिलाफ जो पुख्ता सबूत मिले है उनमें ये प्रमुख हैं:

1,8 और 9 अगस्त की रात को संजय रॉय का अस्पताल और सीन और क्राइम पर मौजूद होना है जो कि सीसीटीवी फुटेज से साफ है.

2,संजय रॉय की आरजी कर अस्पताल में 8 और 9 अगस्त की रात को मोबाइल लोकेशन से भी उसकी उपस्थिति साबित होती है.

3,आरोपी का डीएनए पोस्टमॉर्टम के दौरान मृतिका V की डेड बॉडी से मिलना.

4,मृतका V के खून के धब्बे आरोपी के जीन्स और फुटवियर से मिलना.

5,आरोपी संजय रॉय के बाल मौकाए वारदात से बरामद होने उसके वारदात में शामिल होना साबित करता है.

6,सीन ऑफ क्राइम से ब्लूटूथ ईयरफोन का मिलना जो कि आरोपी के मोबाइल फोन के साथ पेयर था ये बात सीएफएसएल की रिपोर्ट से साफ हो चुकी है. चार्जशीट में ये भी लिखा है कि 8 और 9 अगस्त की रात आरोपी सीन और क्राइम की तरफ गर्दन में ब्लूटूथ पहने नजर आ रहा है लेकिन सीन ऑफ क्राइम से वापिस जाते वक्त उसके गले मे ये ब्लूटूथ नही था।

7,संजय रॉय की मेडिकल जांच की रिपोर्ट से साफ है कि शरीर पर चोट 24 से 48 घन्टे पुरानी है, ये चोट मृतिका V से रेप और हत्या के दौरान आरोपी को लग सकती है.

8,आरोपी के शरीर पर चोट तेज धक्के के चलते लगी है, शरीर पर ब्लंट फोर्स इंजरी है और शरीर पर विरोध करने के निशान भी है.

9,संजय रॉय की मेडिकल जांच से साफ है कि वो नपुंसक नही है.

10,पीड़िता V के अंडर गारमेंट के लास्टिक और कपड़े के बीच का धागा घिसा होने से साफ है कि उसे जबरन घसीटने की भी कोशिश हुई.

11,कोलकाता की सीएफएसएल रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता V की कुर्ती का कमर का हिस्सा सुकड़ा हुआ था जो अचानक और जबरन ऊपर खींचने के दौरान हुआ.

कोलकाता में लेडी डॉक्टर की हत्या के बाद से जूनियर डॉक्टर्स आमरण अनशन पर, सीनियर डॉक्टर्स दे रहे सामूहिक इस्तीफा, जानें

कोलकाता में लेडी डॉक्टर की हत्या के मामले में न्याय की मांग पर जूनियर डॉक्टर्स आमरण अनशन कर रहे हैं, तो सीनियर डॉक्टर्स लगातार सामूहिक इस्तीफा दे रहे हैं. आरजी कर, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के बाद इस बार नेशनल मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों ने भी ‘सामूहिक इस्तीफा’ दे दिया. नेशनल मेडिकल के 34 वरिष्ठ डॉक्टरों ने बुधवार को ‘सामूहिक त्याग पत्र’ पर हस्ताक्षर किए. इसके साथ ही इससे पहले आरजी मेडिकल कॉलेज के 106 सीनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे चुके हैं. इस्तीफे देने वाले डॉक्टर्स अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों की मांगों का समर्थन किया है.

कोलकाता के कई अन्य अस्पताल के कई सीनियर डॉक्टर्स पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. एनआरएस मेडिकल कॉलेज की ओर से सरकार को चेतावनी दी गई है. 24 घंटे के अंदर कार्रवाई नहीं होने पर वहां के सीनियर डॉक्टरों ने भी इस्तीफा देने की बात कही है. सागरदत्ता मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी यही फैसला लेने जा रहे हैं.

कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों ने मंगलवार को ‘सार्वजनिक इस्तीफे’ की चेतावनी दी थी. बुधवार को वहां के 75 वरिष्ठ डॉक्टरों ने इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर दिये. उसके बाद नेशनल मेडिकल के वरिष्ठ डॉक्टर भी उस राह पर चल पड़े. बुधवार को कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज से 35 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया.

जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा

सियालदह स्थित एनआरएस मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों की ओर से एक बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया कि हम एनआरएस मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टर मरीजों की सेवा के लिए अब तक कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात में यह काम काफी मुश्किल होता जा रहा है. हम आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों की सभी जायज मांगों का समर्थन करते हैं. वे आरजी कर मामले में न्याय के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ लोग भूख हड़ताल पर हैं.

उन्होंने कहा कि हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए. हम भूख हड़ताल करने वालों की शारीरिक स्थिति को लेकर चिंतित हैं. दिन-ब-दिन शारीरिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. हम चाहते हैं कि सरकार उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे और मांगों को शीघ्र स्वीकार करे.

आरजी कर के 106 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

बुधवार को आरजी कर अस्पताल के 106 वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा दे दिया. धीरे-धीरे वह आंच कोलकाता की सीमा से बाहर जिलों तक भी फैल रही है. नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज में बुधवार को कम से कम 50 वरिष्ठ डॉक्टरों ने ‘सामूहिक इस्तीफा’ दे दिया है. मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टरों के इस्तीफे की तैयारी चल रही है.

लुधियाना में बच्ची से रेप कर आरोपी ने तीसरी मंजिल से फेंका, कंबल से लिप्टी मिली: पुलिस ने शुरू की जांच

पंजाब के लुधियाना में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. एक आरोपी ने चार साल की बच्ची से रेप कर उसे तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया. इससे बच्ची की मौक पर ही मौत हो गई. इस भयानक वारदात बच्ची के परिवार वालों का रो रो कर बुरा हाल है. मामले की जांच के लिए पुलिस मौके पर ही पहुंची, हालांकि तब तक आरोपी क्राइम सीन से फरार हो गया था.

घटना के बाद से पूरे मोहल्ले में डर का माहौल बना हुआ है. इस घटना को मंगलवार दोपहर के समय शेरपुर के रंजीत नगर की फौजी कॉलोनी में अंजाम दिया गया. यहां कॉलोनी में घर के बाहर एक बच्ची खेल रही थी, जिसे आरोपी ने अपनी हवस का शिकार बना लिया. आरोपी बच्ची को अपने कमरे में ले गया था और व वारदात के बाद बच्ची को तीसरी मंजिल पर ले गया. फिर वहां से आरोपी ने बच्ची को नीचे फेंक दिया.

आसपास के लोगों ने गिरते देखा

आरोपी ने बच्ची को जब अर्धनग्न हालात में ऊपर से फेंका तो आसपास के लोगों ने उसे गिरते हुए देख लिया. इसके बाद मौहल्ले में हड़कंप मच गया. आनन फानन में तुरंत वहां कई लोग इकट्ठा हो गए. मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि बच्ची को एक कंबल से लिपटी हुई थी. उन्हें जोर से गिरने की आवाज आई तो वो बाहर आए. उस समय बच्ची कंबल में लिपटी हुई थी और उसका काफी खून बह गया था. मोहल्ले के लोगों ने बताया कि बच्ची अर्धनग्न हालत में थी और उसके गुप्तागों से खून भी बह रहा था.

आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस

मौके पर पहुंते लोगों ने तुरंत दोषी को तलाशने की कोशिश की मगर आरोपी वारदात के बाद मौके से फरार होने में कामयाब हो गया. फिलहाल अभी तक आरोपी का पता नहीं चल पाया है कि वो कहां है. प्रारंभिक जांच में पता चला कि उक्त आरोपी करीब डेढ़ महीने पहले वहां मौजूद क्वार्टरों में रहने के लिए आया था.

इस क्वाटर में कुल 120 से ज्यादा कमरे हैं, जिसमें 400 से ज्यादा लोग रहते हैं. उक्त दोषी भी इसी क्वाटर में रहता था. बताया जा रहा है कि आरोपी किसी प्राइवेट फैक्ट्री में काम करता था. फिलहाल पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी हुई है. आरोपी के नाम और बाकी की जानकारी के लिए पुलिस लगातार छानबीन कर रही है.

नवरात्रि के आठवें दिन कल, जानें महागौरी माता की पूजा की शुभ तिथि और मुहूर्त

हिन्दू धर्म में नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी माता की पूजा का महत्व है. महागौरी माता नवदुर्गाओं में से आठवीं देवी मानी जाती है. इनकी पूजा करने से लोगों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की विशेष पूजा का विधान है. महागौरी माता भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं. शिव और शक्ति का मिलन ही संपूर्णता है. यह माना जाता है कि महागौरी माता की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और माता की कृपा से व्यक्ति को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है. इसके अलावा कुंवारी कन्याएं महागौरी माता की पूजा करके मनचाहा वर प्राप्त कर सकती हैं

शुभ तिथि और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 11 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन महागौरी माता की पूजा के लिए शुभ समय सुबह 6 बजकर 20 मिनट से सुबह 7 बजकर 47 मिनट रहेगा. अमृत काल में सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.

मां महागौरी पूजा विधि

नवरात्रि का आठवें दिन पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें.

पूजा से पहले घर को साफ-सुथरा कर लें और एक चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें.

मंदिर को फूलों और दीपक से सजाएं और माता को धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, चंदन, रोली, अक्षत आदि अर्पित करें.

महागौरी माता को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें.

पूजा के अंत में आरती करें और व्रत कथा का पाठ करें.

पूजा खत्म होने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को प्रसाद और दान अवश्य दें.

माता महागौरी पूजा का महत्व

माता महागौरी का स्वरूप दुर्गा माता के नौ रूपों में अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा की जाती है. महागौरी माता पार्वती का दिव्य रूप मानी जाती हैं, जिनका रंग बहुत गौर है. उनके सफेद वस्त्र और आभूषण के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा जाता है. उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से एक में अभय मुद्रा और दूसरे में त्रिशूल है. उनके बाएं हाथ में डमरू और वर मुद्रा है. उनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. महागौरी को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा में उनका ध्यान करते हैं. महागौरी के मंत्र का उच्चारण भी शुभ माना जाता है. इस दिन देवी महागौरी की पूजा करके लोग उनकी कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं.

इस मंत्र का करें जाप

“ॐ देवी महागौर्यै नमः”

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।

या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माता महागौरी कथा

देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती अपनी तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं. बाद में माता केवल वायु पीकर ही तप करना आरंभ कर दिया था. तपस्या से माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ है और इससे उनका नाम महागौरी पड़ा. माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा. जिस समय माता पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं. मां गौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं.

ऐसा है मां का स्वरूप

देवीभागवत पुराण के अनुसार, महागौरी का वर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के ही हैं. मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है, जो भगवान शिव का भी वाहन है. मां का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है. महागौरी के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतिक डमरू है. डमरू धारण करने के कारण मां को शिवा के नाम से भी जाना जाता है. मां का नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में हैं और मां शांत मुद्रा में दृष्टिगत है. देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं कि-

सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।

मां महागौरी अपने भक्तों के लिए अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. यह धन वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं. सांसारिक रूप में इनका स्वरूप बहुत ही उज्जवल कोमल, श्वेतवर्ण और श्वेत वस्त्रधारी है. देवी महागौरी को गायन-संगीत प्रिय है और यह सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार हैं. इन दिन कन्या पूजन का भी विधान है. कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं, लेकिन अष्ठमी के दिन कन्या पूजना करना श्रेष्ठ रहता है. कन्याओं की संख्या 9 हो, तो अति उत्तम है, नहीं तो दो कन्याओं के साथ भी पूजा की जा सकती है. अष्टमी तिथि के दिन माता को नारियल का भोग लगाने की परंपरा है. भोग लगाने के बाद नारियल प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है.

व्रत का महत्व

शिवपुराण के अनुसार, महागौरी को आठ साल की उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास होने लगा था. उन्होंने इसी उम्र से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या भी शुरू कर दी थी. इसलिए अष्टमी तिथि को महागौरी के पूजन का विधान है. इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करना विशेष फलदायी होता है. जो लोग 9 दिन का व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और आठवें दिन का व्रत कर पूरे 9 दिन का फल प्राप्त कर सकते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र को दी 7,600 करोड़ की सौगात, 10 मेडिकल कॉलेजों का किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज महाराष्ट्र को 7,600 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बुधवार को 10 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन भी किया है. इस दौरान नागपुर एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण और विस्तार, शिरडी एयरपोर्ट के लिए एक टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्टर से जुड़े इन दो अहम प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास भी किया गया है.

विकास परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज महाराष्ट्र विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि मैं इन सभी विकास कार्यों के लिए महाराष्ट्र के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.

मराठी को मिला अभिजात भाषा का दर्जा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही हमारी सरकार ने मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिया है. उन्होंने कहा कि जब एक भाषा को उसका गौरव मिलता है, तब सिर्फ शब्द नहीं बल्कि पूरी पीढ़ी को नए बोल मिलते हैं. करोड़ों मराठी मानुष का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ है. महाराष्ट्र के लोगों ने जगह-जगह इसकी खुशी मनाई है. आज महाराष्ट्र के गांव-गांव से मुझे खुशी के संदेश भी भेज रहे हैं.

कांग्रेस पार्टी पर भी पीएम ने किया कटाक्ष

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कांग्रेस पार्टी पर भी जोरदार हमला किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा में किसानों, दलितों और युवाओं को गुमराह करने का पूरा प्रयास किया. लेकिन जनता ने मिलकर कांग्रेस को अंजाम सिखा दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर समाज में जातिवाद और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का फॉर्मूला हमेशा समाज को बांटने वाला रहा है.कांग्रेस आज एक जाति को दूसरी जाति से अलग करना चाहती है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री मोदी से की मुलाकात, हरियाणा चुनाव पर दी बधाई

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की और हरियाणा विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ये जीत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आम जन के विश्वास को प्रदर्शित करती है. मुख्यमंत्री ने इस दौरान प्रधानमंत्री को केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति और बाबा केदारनाथ जी का प्रसाद भी भेंट किया.मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड के विकास में निरंतर मिल रहे प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया.

मुख्यमंत्री धामी ने विशेषज्ञ समिति-2 द्वारा संस्तुत 21 जल परियोजना (कुल क्षमता 2123 MW) के विकास और निर्माण की अनुमति प्रदान किए जाने का अनुरोध किया है. उन्होंने तीन रोपवे परियोजनाएं (क) सोनप्रयाग-गौरीकुंड केदारनाथ (ख) गोविंद घाट-हेमकुंड साहिब और (ग) काठगोदाम-नैनीताल को राज्य सरकार की ओर से विकास और संचालन के लिए हस्तांतरित करने का भी अनुरोध किया.

देहरादून-गौचर-देहरादून हवाई सेवा के लिए अनुरोध

मुख्यमंत्री धामी ने भारत सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) के तहत देहरादून-गौचर-देहरादून और देहरादून-चिन्यालीसौंड-देहरादून की हवाई सेवा दोबारा शुरू किए जाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय को निर्देश देने का भी आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि चिन्यालीसौंड हवाई पट्टी जनपद उत्तरकाशी पर छोटे विमान संचालन की अनुमति के लिए सम्बन्धित मंत्रालय को दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया.

राष्ट्रीय राजमार्ग अधिसूचित करने का भी अनुरोध किया

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कुमाऊं एवं गढ़वाल को संयोजित करने के लिए 2 मार्गों, (क) खैरना-रानीखेत- बंगीधार-बैजरों मोटरमार्ग (256.9 किमी0) और (ख)

काठगोदाम-भीमताल लोहाघाट-पंचेश्वर मोटर मार्ग (189 किमी०) को राष्ट्रीय राजमार्ग अधिसूचित करने का भी अनुरोध किया. इसके साथ ही देहरादून रिंग रोड की अवशेष लंबाई की स्वीकृति प्रदान करने का भी अनुरोध किया.

मध्य प्रदेश सरकार से रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग: अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

देश में दशहरा पर रावण दहन किया जाता है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. लोग रावण को बुराई का प्रतीक मानकर उसके पुतने को जलाते हैं. मध्य प्रदेश में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन की परंपरा का विरोध जताया है. समाज के लोगों ने रावण को विद्वान और त्रिकालदर्शी बताते हुए प्रदेश सरकार से रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि रावण का पुतला जलाकर ब्राह्मणों को अपमानित किया जाता है.

महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के संस्थापक अध्यक्ष महेश पुजारी ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि रावण विद्वान और त्रिकालदर्शी थे.

उन्होंने द्वापर में माता सीता का हरण जरूर किया था, लेकिन उनके साथ कभी कोई गलत व्यवहार नहीं किया. उन्होंने बताया कि रावण ने राक्षस कुल का उद्धार करने के लिए माता सीता का हरण किया था, जिसके कारण ही भगवान राम के हाथों उन्होंने मुक्ति पाई.

रावण दहन करने के पीछे ब्राह्मणों को अपमान- महेश पुजारी

महेश पुजारी कहते हैं कि वर्तमान में रावण दहन करने के पीछे ब्राह्मणों को अपमानित करना प्रतीत होता है. रावण के पुतले का दहन सिर्फ दशहरे पर नहीं बल्कि पूरे सप्ताह भर होने लगा है. उनका कहना है कि रावण के पुतले का दहन करने वाले संगठन और संस्थाएं ब्राह्मण समाज का कभी भी भला नहीं कर सकते. उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से पत्र के माध्यम से मांग की है कि मध्य प्रदेश में रावण के दहन पर प्रतिबंध लगना चाहिए और अगर पुतला दहन करना ही है तो ऐसे लोगों के करें जो मां बेटियों के साथ दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर देते हैं.

अपने मन की राक्षस प्रवृत्ति को मिटाना चाहिए

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के संस्थापक अध्यक्ष महेश पुजारी ने बताया कि वर्तमान समय रावण के पुतले को जलाने का नहीं है. रावण के पुतले को जलाकर भले ही हम प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन वर्तमान में रावण को जलाने वाले और इसके जलने पर खुशियां मनाने वाले लोगों को इस दिन अपने मन की राक्षस प्रवृत्ति को मिटाना चाहिए. वह कहते हैं कि वर्तमान में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने लंकाधिपति रावण से भी ज्यादा बुरे काम किए हैं. उन्होंने कहा कि एक षड्यंत्र के तहत हमेशा ब्राह्मण कुल को बदनाम करने के लिए रावण के पुतले का दहन किया जाता है जो कि अब हमें स्वीकार नहीं है. इसीलिए हम रावण के पुतले के दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं

इन्होंने की प्रतिबंध की मांग

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी के साथ ही अध्यक्ष अर्पित पुजारी, उपाध्यक्ष मुकेश अग्निहोत्री, उपाध्यक्ष श्रीवर्धन शास्त्री, महामंत्री अजय जोशी कुंड वाला गुरु, कोषाध्यक्ष शिवम शर्मा, संगठन मंत्री जितेंद्र तिवारी, कार्यकारिणी के देवेंद्र नागर, हितेश शर्मा, रूपेश मेहता, प्रणव पंड्या, विनोद शुक्ल के साथ ही अन्य पदाधिकारियो ने भी रावण के पुतले के दहन पर रोक लगाने की मांग की है.

राजस्थान में सियासी घमासान: अशोक गहलोत ने भजन लाल शर्मा की सरकार को सर्कस बताया

कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की अपनी पार्टी के लोग राज्य में BJP की सरकार को सर्कस कह रहे हैं. गहलोत ने शर्मा की एक टिप्पणी के जवाब में यह बात कही. उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें छोटा दिखाने के लिए ऐसा नहीं कहा. मैं यह नहीं कह रहा कि यह सर्कस है. उनकी पार्टी के लोग कह रहे हैं कि यह सर्कस है.

गहलोत ने आगे कहा कि काम सर्कस की तरह चल रहा है. कोई मंत्री इस्तीफा दे रहा है. मंत्री इस्तीफा देने के बाद कैबिनेट बैठक में जाते हैं. विधायक धमकी दे रहे हैं और आप जानते हैं कि राजस्थान में क्या हालात हैं. वह बार-बार हवा में बातें करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि वो यमुना का पानी लाएंगे. ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) को नया नाम दिया गया है. कुछ नहीं होने वाला है.

सर्कस चल रहा है’

यही नहीं अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को लेकर कहा कि शर्मा के हित में अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं. क्योंकि जयपुर से दिल्ली तक किए जा रहे दौरों से उनकी सरकार के शासन के बारे में पहली धारणा अच्छी नहीं रही है. इससे पहले गहलोत ने रविवार को जोधपुर में कहा था, “राज्य में कोई सरकार नहीं है लेकिन सर्कस चल रहा है.

सीएम पर क्या कहा?

वहीं मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने सोमवार को कहा था कि अशोक गहलोत ने पूरे पांच साल तक सर्कस किया है. कभी होटल में, कभी ऐसे ही. इसलिए अब उन्हें सिर्फ सर्कस ही दिखता है. उनके साथ-साथ कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने भी अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार किया था. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘अशोक गहलोत की बातों को सुन कर एक ही कहावत याद आ रही है, ‘खुद मियां फजीहत औरों को नसीहत’

अशोक गहलोत की बातों को सुन कर एक ही कहावत याद आ रही है, ‘खुद मियां फजीहत औरों को नसीहत’। अगर पांच साल उन्होंने जनता के कामों पर ध्यान दिया होता तो आज विपक्ष में नहीं बैठना पड़ता। पूरा कार्यकाल सरकार बचाने की जोड़-तोड़ में निकाल दिया। सत्ता की कुर्सी बचाने के लिए जयपुर और जैसलमेर

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बीजेपी ने किया पलटवार

जोगाराम पटेल ने आगे कहा कि अगर पांच साल उन्होंने जनता के कामों पर ध्यान दिया होता तो आज विपक्ष में नहीं बैठना पड़ता. पूरा कार्यकाल सरकार बचाने की जोड़-तोड़ में निकाल दिया. सत्ता की कुर्सी बचाने के लिए जयपुर और जैसलमेर के होटलों में सरकार और कांग्रेस के विधायक बंद रखे गए.पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कारनामों की परतें तो उनके जमूरे आए दिन दिल्ली में जांच एजेंसियों के सामने उधेड़ रहे हैं.