भाजपा की अंदरूनी राजनीति के शिकार चम्पई क्या अपने वजूद भाजपा में बचा पाएंगे..?
पीएम मोदी के झारखंड दौरा में सुर्खियां बटोरने वाले चम्पई को परिवर्तन रैली के पोस्टर से किया गया गायब,शुरू हो गयी सियासी चर्चा
झारखंड डेस्क
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी में पार्टी के अंदर राजनीति शुरू हो गयी है।हर किसी को अपनी पोजीशन और वर्चस्व की चिंता है।यह चिंता नही है कि कैसे अपने विरोधी को मात दें,और सत्ता में वापस आएं। तभी तो कुछ दिन पूर्व हीं झारखंड से बगाबत कर भाजपा में आये चम्पई सोरेन की तस्बीर बीजेपी के पोस्टर से गायब हो गया ।
जमशेदपुर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली में सुर्खियां बटोरने वाले चंपई से बीजेपी के कुछ नेताओं की इतनी चिंता बढ़ गयी कि परिवर्तन रैली को लेकर जारी पोस्टर से उनका तस्बीर ही गायब कर दिया।
दरअसल, चुनाव से पहले परिवर्तन यात्रा निकाल रही है. यात्रा का मकसद हेमंत सोरेन को सत्ता से हटाना है. पार्टी ने इसी यात्रा को लेकर जो पोस्टर जारी किया है, उससे चंपई गायब हैं. पोस्टर से चंपई के गायब होने को लेकर स्थानीय बीजेपी नेताओं चुप्पी साध ली है.
पोस्टर में बाउरी-मुंडा को तो मिली जगह पर कोल्हान टाइगर चंपई गायब
दरअसल भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन यात्रा होने जा रहा है जिसको लेकर एक पोस्टर जारी किया गया है। इस पोस्टर में कुल 5 नेताओं को जगह दी गई है। इनमें झारखंड के 3 और राष्ट्रीय स्तर के 2 नेता शामिल हैं। राष्ट्रीय कोटे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा को पोस्टर में जगह मिली है, जबकि झारखंड से प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा और नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी की तस्वीर है।
पोस्टर के सबसे नीचे बीजेपी के चुनावी स्लोगन - न सहेंगे, न कहेंगे…बदल के रहेंग!
को भी जगह दी गई है। हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी का प्रमुख चेहरा चंपई सोरेन पोस्टर से पूरी तरह गायब हैं।
चंपई के पोस्टर से गायब होने की चर्चा क्यों?
दरअसल झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी परिवर्तन यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा को गृह मंत्री अमित शाह हरी झंडी दिखाएंगे। यह यात्रा झारखंड के 200 प्रखंडों से होकर गुजरेगी। बीजेपी इसके जरिए हेमंत सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करेगी।
चूकिं चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नेता थे, जो हाल ही में बीजेपी में आए हैं। चंपई के जरिए बीजेपी कोल्हान और संथाल परगना को साधना चाहती है. जमशेदपुर की रैली में प्रधानमंत्री के भाषण के केंद्र में चंपई ही थे।जबकि आदिवासियों के बीच ना तो आज के दिन में बाबू लाल मरांडी सर्वमान्य नेता हैं और नहीं अर्जुन मुंडा।
ऐसे हालत में चंपई के करीबी झामुमो समर्थकों के बीच उन्हें फिर से मुख्यमंत्री लिए प्रमोट कर रहे थे, लेकिन अब जिस तरह से उन्हें बीजीपे के पोस्टर से गायब किया गया है, उससे ‘कोल्हान टाइगर’ का सियासी समीकरण खराब हो गया है।
चम्पई को पोस्टर से गायब करने के पीछे क्या है मकसद
बीजेपी के पोस्टर से चंपई सोरेन के गायब करने के पीछे जो सियासी दाव माना जा रहा हैं उसका कारण है दो महीने बाद होने वाला झारखंड का विधानसभा चुनाव। कहा जा रहा है कि चंपई को पोस्टर से गायब कर बीजेपी ने दो संदेश दे दिया है। पहला, संदेश यह कि बीजेपी में बाबू लाल मरांडी ही नेता हैं और पार्टी उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। झारखंड परिवर्तन यात्रा को बाबू लाल मरांडी ही लीड कर रहे हैं। मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी हैं।हालांकि, बीजेपी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा किसी को भी घोषित नहीं करेगी।
दूसरा, भविष्य में चंपई को अगर कोई बड़ी भूमिका मिलती भी है तो वह झारखंड से बाहर का होगा। पहले भी इस बात की चर्चा झारखंड के सियासी गलियारों में रही है। कहा जाता है कि चंपई अगर बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें केंद्रीय स्तर पर बीजेपी कोई जिम्मेदारी दे सकती है।
कितने मज़बूत है झारखंड की राजनीति में चंपई ..?
झारखंड आंदोलन के जरिए राजनीति में आए चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता माने जाते थे। चंपई 5 बार सरायकेला सीट से विधायक चुने जा चुके हैं। झामुमो में रहते हुए उनके पास कोल्हान की जिम्मेदारी भी थी। चंपई को झामुमो के भीतर कोल्हान का टाइगर भी कहा जाता था।
कोल्हान मंडल में विधानसभा की कुल 14 सीटें आती हैं। 2019 के चुनाव में इन 14 सीटों में से 13 पर झामुमो और कांग्रेस को जीत मिली थी। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी।
शिबू सोरेन, अर्जुन मुंडा और हेमंत सरकार में मंत्री रहे चंपई सोरेन फरवरी 2024 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने। उस वक्त हेमंत सोरेन जमीन घोटाले के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्त में थे।
हेमंत जब जेल से बाहर आए तो उन्होंने चंपई से सीएम की कुर्सी ले ली, जिसके बाद एक सियासी उलटफेर में चंपई बीजेपी में चले गए।
Sep 20 2024, 17:36