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जम्मू-कश्मीर को वापस से राज्य का दर्जा मिलेगा, पीएम मोदी ने किया वादा

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जम्मू-कश्मीर में चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में पहली चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों के उत्साह की तारीफ की। साथ ही पीएम मोदी ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में कहा, हमने देश की संसद में कहा है कि जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा दिलाएंगे। भाजपा ही इसे पूरा करेगी। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि 25 सितंबर को वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। वहीं, उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी पर जमकर प्रहार किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को श्रीनगर में अपनी पहली चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय जम्हूरियत का त्यौहार चल रहा है। लोग इतनी बड़ी तादाद में घर से वोट करने के लिए निकले। सभी ने खुले मन से वोट भी दिया। कई सीटों पर वोटिंग के रिकॉर्ड टूट गए। आप लोगों ने एक नया इतिहास रचा है। एक नया इतिहास जम्मू कश्मीर के लोगों ने रचा है। उन्होंने आगे कहा कि कल ही यहां 7 जिलों में पहले दौर की वोटिंग हुई। पहली बार दहशतगर्दी के साए के बिना ये वोटिंग हुई। हम सभी के लिए यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग वोटिंग के लिए अपने घरों से बाहर निकले।

बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले जब जम्मू-कश्मीर आया था तो कहा था कि यहां की बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार हैं। तब से दिल्ली से लेकर कश्मीर तक ये लोग बोखलाए हुए हैं। तीन खानदानों को लगता है कि इनपर कोई कैसे सवाल उठा सकता है। इन्हें लगता है जैसे तैसे कुर्सी पर कब्जा करना और लोगों को लूटना इनका पैदायशी हक है। जम्मू कश्मीर की आवाम को जायज हक से अलग रखना ही इनका सियासी एजेंडा रहा है। इन्होंने जम्मू कश्मीर को केवल डर और अराजकता ही दी है। पीएम मोदी ने कहा कि इन तीन खानदानों के राज में जम्मू कश्मीर के नौजवानों ने जो भोगा है जो तकलीफ सही वो अक्सर बाहर नहीं पाती है।

बच्चों का भविष्य बर्बाद किया गया- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि आज वादी में जो नौजवान 30 साल का है उनमें से कई पढ़ाई लिखाई से महरूम रह गए। बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें 10वीं-12वीं या कॉलेज पहुंचने में देश के बाकी बच्चों से देर लगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के तीन खानदान फेल हुए है। इन्होंने दशकों तक नफरत का सामान बेचा। कश्मीर में जो स्कूल जलाए गए वो आग भी इनके नफरत के बाजार में बिकती थी। इन्होंने नए स्कूल नहीं बनाए लेकिन स्कूल को आग के हवाले करने वालों को शह देते थे। जो स्कूल कॉलेज बच गए वहां भी कई महीनों तक पढाई नहीं हो पाती थी। हमारे नौजवान पढ़ाई से दूर थे और ये तीन खानदान उनके हाथों में पत्थर थमा कर महफूज रहते थे। इन्होंने अपने फायदे के लिए हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है।

बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर को टेरर से आजाद कराना। साजिश करने वालों को हराना, यहां के नौजवानों को यहीं नौकरी का अवसर दिलाना ये मोदी का वादा है। हमारी एक और पीढ़ी-नस्ल को इन तीन खानदानों के हाथों में तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी इमानदारी से जुटा हूं। देखिए पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज आराम से चल रहे हैं, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब और लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती। आज यहां नए स्कूल-कॉलेज, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़ें लिखें आगे बढ़ें और यहीं पर उनके लिए मौके मिले।

एक और पीढ़ी बर्बाद होने नहीं दूं- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को टेरर से, दहशतगर्दी से आजाद कराना, जम्मू-कश्मीर के खिलाफ साजिश करने वाली हर ताकत को हराना, यहां के नौजवानों को, यहीं पर रोजगार के मौके दिलाना है. ये मोदी का इरादा है, मोदी का वादा है। अमन की बहाली की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारी एक और पीढ़ी को मैं इन 3 खानदानों के हाथों तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी ईमानदारी से जुटा हूं। बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं, बल्कि पेन और किताबे हैं, लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती हैं। आज यहां नए स्कूल, नए कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी ये बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़े-लिखें और ज्यादा काबिल बनें, उनके लिए यहीं पर नए मौके बने।

जम्मू-कश्मीर में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स बोले

पीएम मोदी ने कहा, मैं सिर्फ बीते 5 साल का हिसाब आपको देता हूं। यहां करीब 50 हजार बच्चे ऐसे थे, जिनका स्कूल छूट गया था। जिनकी पढ़ाई छूट गई थी, उन बच्चों का क्या कसूर था। मोदी ने इन 50 हजार बच्चों का फिर से स्कूल में दाखिला कराया। यहां 15 हजार स्कूलों में प्री प्राइमरी क्लासेस शुरू की गईं, इनमें आज डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। आज यहां करीब 250 स्कूलों को पीएम श्री स्कूल्स में अपग्रेड किया जा रहा है। यहां अनेक डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज बने हैं।

राज्य में रोजगार के अवसरों पर क्या कहा

यहां मेडिकल की करीब 1100 नई सीटें जोड़ी गई हैं। नर्सिंग में 1500, पैरामेडिकल में 1600 से ज्यादा नई सीटें जोड़ी गई हैं। जम्मू-कश्मीर का नौजवान मजबूर नहीं रहा, वो मोदी सरकार में मजबूत हो रहा है। भाजपा ने भी नौजवानों के रोजगार के लिए बड़े ऐलान किए हैं। स्किल डेवलपमेंट हो, बिना धांधली काबिल लोगों को सरकारी नौकरी मिले, ये सारे काम भाजपा यहां पूरे करके दिखाएगी।

श्रीनगर में नरेंद्र मोदी ने 'तीन परिवारों' पर हमला बोला, युवाओं के हाथों में पत्थर थमाने का लगाया आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी पर आरोप लगाया कि वे 'जम्मू-कश्मीर के युवाओं के हाथों में पत्थर थमा रहे हैं' और राजनीतिक लाभ के लिए उनका भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। श्रीनगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कसम खाई कि वे 'जम्मू-कश्मीर के तीन परिवारों' को पूर्ववर्ती राज्य की एक और पीढ़ी को बर्बाद नहीं करने देंगे।

"हमारे युवा स्कूल-कॉलेजों के बाहर पढ़ाई से दूर थे और ये तीन परिवार (कांग्रेस, एनसी और पीडीपी) उनके हाथों में पत्थर थमाकर खुश थे। इन लोगों ने अपने फायदे के लिए हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के खिलाफ साजिश रचने वाली हर ताकत को हराना होगा। यहां के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना मोदी का इरादा है, मोदी का वादा है," पीएम मोदी ने कहा।

भाजपा का दावा है कि तीनों पार्टियां - कांग्रेस, एनसी और पीडीपी - वंशवाद की राजनीति करती हैं।

"मैं इन तीन परिवारों के हाथों अपनी एक और पीढ़ी को बर्बाद नहीं होने दूंगा। इसलिए मैं यहां शांति बहाल करने के लिए ईमानदारी से काम कर रहा हूं। आज पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज सुचारू रूप से चल रहे हैं। बच्चों के हाथों में कलम, किताबें और लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की कोई खबर नहीं है, बल्कि नए स्कूल, नए कॉलेज, एम्स, मेडिकल कॉलेज और आईआईटी बनने की खबरें हैं।" उन्होंने कहा कि तीनों परिवार सोचते हैं कि किसी भी तरह से सत्ता हथियाना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। उन्होंने उन पर जम्मू-कश्मीर में भय और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया। "उनका राजनीतिक एजेंडा जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके वैध अधिकारों से वंचित करना रहा है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को केवल भय और अराजकता दी है, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर इन तीन परिवारों की गिरफ्त में नहीं रहेगा...अब यहां का हमारा युवा उन्हें चुनौती दे रहा है। जिन युवाओं को उन्होंने आगे नहीं बढ़ने दिया, वे उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इन तीन परिवारों के शासन में जम्मू-कश्मीर के युवाओं ने जो पीड़ा झेली है, वह अक्सर सामने नहीं आ पाती है।

पीएम मोदी ने दावा किया कि केंद्र शासित प्रदेश के युवा शिक्षा और रोजगार से वंचित हैं।

उन्होंने कहा, "ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि जम्मू-कश्मीर के हमारे युवा असफल रहे, बल्कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के तीन परिवार असफल रहे।"

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 10 साल के बड़े अंतराल के बाद हो रहे हैं। पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को हुआ था और अन्य दो दौर 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। मतगणना 8 अक्टूबर को होगी।

अनुच्छेद 370 पर उमर अब्‍दुल्‍ला-कांग्रेस गठबंधन के साथ पाकिस्तान, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि उनका देश जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस गठबंधन के रुख से सहमत है।जियो न्यूज पर बातचीत में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A बहाल करने के लिए पाकिस्तान और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन एक साथ हैं।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव की चर्चा पाकिस्तान में भी है। बुधवार को जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान हुआ। मतदान के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इस बीच पाकिस्तान के एक टीवी कार्यक्रम में वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ शामिल हुए। इस दौरान एंकर ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल किया और कहा कि 'जम्मू कश्मीर चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35ए जब लागू किया गया था तो उस वक्त केंद्र में कांग्रेस क पंडित नेहरू और जम्मू कश्मीर में शेख अब्दुल्ला सत्ता में थे। अब एक बार फिर दोनों साथ आए हैं और दोनों ने कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35ए लागू करने का वादा किया है।' इसे लेकर ख्वाजा आसिफ की प्रतिक्रिया मांगी गई। जिस पर ख्वाजा आसिफ ने कहा कि 'अगर ऐसा होता है तो बहुत अच्छा होगा और हम आर्टिकल 370 और 35ए पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों के रुख के साथ हैं।'

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन में हैं। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस अनुच्छेद 370 को लेकर बिल्कुल चुप है। अपने घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र नहीं किया है। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने से जुड़ी बात कही है। हालांकि कांग्रेस के साथ गठबंधन के साथी फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का जोर-शोर से वादा कर रही है। इसे लेकर बीजेपी की ओर से लगातार कांग्रेस गठबंधन पर निशाना साधा जा रहा है। अब, ख्वाजा आसिफ के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर क बार फिर हमला बोला है।

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा है कि कांग्रेस हमेशा देशविरोधियों के साथ रही है। पाकिस्तान 370 पर कांग्रेस-एनसी के रुख का समर्थन कर रहा है। मालवीय ने कहा कि ऐसा कैसे कि पन्नू से लेकर पाकिस्तान तक, राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस, हमेशा भारत के हितों के प्रतिकूल लोगों के पक्ष में दिखाई देती है?

खरगे के पीएम मोदी को लिखे खत पर जेपी नड्डा का जवाब, राहुल से लेकर पूरी कांग्रेस को लपेटा

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भाजपा और कांग्रेस के बीच चिट्ठी के जरिए आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर शुरू हो गया है। पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख राहुल गांधी के खिलाफ की जा रहीं विवादित टिप्पणियों पर नाराजगी जताई थी। अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खरगे को पत्र के जरिए पलटवार किया है।

खरगे की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखे पत्र के जवाब में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पत्र लिखा है। अपने पत्र में नड्डा ने कहा है कि राहुल ने बार-बार पीएम मोदी का अपमान किया है। यहां तक सोनिया गांधी ने पीएम मोदी के लिए ‘मौत का सौदागर’ शब्द का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने पिछले 10 सालों में पीएम मोदी को 110 से अधिक गालियां दी हैं।

नड्डा ने अपने जवाब में कहा, आपकी ओर से भेजे गए पत्र में जिस तरीके से राहुल गांधी को लेकर बात की गई है, इसीलिए मैं उसी से अपनी बात शुरू करूंगा। जिस व्यक्ति का इतिहास ही देश के पीएम समेत पूरी ओबीसी समुदाय को चोर कहकर गाली देने का रहा हो, पीएम के लिए अत्यंत अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने का रहा हो। जिसने संसद में प्रधानमंत्री को डंडे से पीटने की बात कही हो, जिसकी धृष्ट मानसिकता से पूरा देश वाकिफ हो, उन राहुल गांधी को सही ठहराने की कोशिश आप किस मजबूरी के तहत कर रहे हैं।

अपने जवाबी खत में जेपी नड्डा ने लिखा, मल्लिकार्जुन खरगे जी, आपने राजनीतिक मजबूरीवश जनता द्वारा बार-बार नकारे गए अपने फेल्ड प्रोडक्ट को एक बार फिर से पॉलिश कर बाजार में उतारने के प्रयास में जो पत्र देश के प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है, उस पत्र को पढ़ कर मुझे लगा कि आपके द्वारा कही गई बातें यथार्थ और सत्य से कोसों दूर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पत्र में आप राहुल गांधी सहित अपने नेताओं की करतूतों को या तो भूल गए हैं या उसे जानबूझ कर नजरअंदाज किया है, इसलिए मुझे लगा कि उन बातों को विस्तार से आपके संज्ञान में लाना जरूरी है।

जेपी नड्डा ने लिखा, 'ये राहुल गांधी की माताजी सोनिया गांधी ही थी न खरगे जी, जिन्होंने मोदी जी के लिए 'मौत का सौदागर' जैसे अत्यंत असभ्य अपशब्दों का प्रयोग किया था? इन सभी दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बयानों का तो आप और आपकी पार्टी के नेता महिमामंडन करते रहे! क्यों तब राजनीतिक शुचिता की बातें कांग्रेस भूल गई थी? जब राहुल गांधी ने सरेआम 'मोदी की छवि को खराब कर देंगे' वाली बात कही थी तो राजनीतिक मर्यादा को किसने खंड-खंड किया था खड़गे जी?

बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने खरगे को याद दिलाया कि ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’, नीच, ‘कमीना, कभी मौत का सौदागर’, ‘जहरीला सांप’, बिच्छू’, ‘चूहा’, ‘रावण’, ‘भस्मासुर’, ‘नालायक’, कुत्ते की मौत मरेगा’, ‘मोदी को जमीन में गाड़ देंगे, ‘राक्षस’, ‘दुष्ट’, ‘कातिल’, ‘हिंदू जिन्ना’, जनरल डायर, ‘मोतियाबिंद का मरीज’, ‘जेबकतरा’, ‘गंदी नाली’, ‘काला अंग्रेज’, ‘कायर’, ‘औरंगजेब का आधुनिक अवतार’, ‘दुर्योधन’, हिंदू आतंकवादी, गदहा, नामर्द’, ‘चौकीदार चोर है, ‘तुगलक’, ‘मोदी की बोटी-बोटी काट देंगे, ‘साला मोदी’,नमक हराम’, ‘गंवार और ‘निकम्मा’ जैसे शब्द का इस्तेमाल हुए. नड्डा ने यह भी कहा पीएम मोदी के माता-पिता को भी नहीं छोड़ा गया, उनका भी अपमान किया गया।

उन्होंने लिखा, कांग्रेस नेताओं ने तो पीएम मोदी के माता-पिता को भी नहीं छोड़ा, उनका भी अपमान किया गया। आजाद भारत के इतिहास में किसी भी जननेता का अपमान कभी नहीं किया गया, जितना आपकी पार्टी के नेताओं ने देश के प्रधानमंत्री का किया। इतना ही नहीं, आपकी पार्टी के जिन नेताओं ने देश के प्रधानमंत्री को जितनी बड़ी गाली दी, उसे कांग्रेस में उतने बड़े-बड़े पद दे दिए गए। अगर मैं ऐसे उदाहरण गिनाने लग जाऊं, तो आपको भी पता है कि उसके लिए अलग से किताब लिखनी पड़ेगी। क्या ऐसे बयानों और हरकतों ने देश को शर्मसार नहीं किया, राजनीतिक मर्यादा को तार- तार नहीं किया? आप इसे कैसे भूल गए खड़गे जी?

अपने 3 पेज लंबे जवाब में नड्डा ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर जमकर निशाना साधा। पत्र के अंत में राहुल गांधी की ‘मोहब्बत की दुकान’ का जिक्र करते हुए कहा, “स्वार्थ सत्ता में डुबी कांग्रेस पार्टी की कथित ‘मोहब्बत की दुकान’ में जो प्रोडक्ट बेचा जा रहा है, वह जातिवाद का जहर है, वैमनस्यता का बीज है, राष्ट्रविरोध का मसाला है और देश को तोड़ने का हथौड़ा है। उम्मीद है कि आपको, आपकी पार्टी और आपके नेता को उनके प्रश्नों के जवाब मिल गए होंगे।

एक देश, एक चुनावः बिल पास कैसे कराएगी मोदी सरकार, संविधान में करने होंगे 2 संशोधन?

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देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन) करवाने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा। चूंकि, वन नेशन, वन इलेक्‍शन के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की मंशा है, इसलिए यह मामला पेंचीदा हो जाता है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन करने पड़ेंगे, जिसके लिए इसे संसद में बिल के तौर पर पेश करना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार को लोकसभा और राज्यसभा से इसे पास कराना होगा। इतना ही नहीं, संसद से पास होने के बाद इस बिल को 15 राज्यों की विधानसभा से भी पास कराना होगा। ये सब होने के बाद राष्ट्रपति इस बिल पर मुहर लगाएंगे।सवाल यह है कि क्या यह इतनी आसानी से लागू हो जाएगा?

वन नेशन वन इलेक्शन पर कोविंद समिति के प्रस्ताव को बुधवार को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी। प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद सरकार अब संसद में विधेयक लाएगी और वहीं पर उसका असली टेस्ट होगा। बिल को संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा से पास कराने में सरकार को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन लोकसभा में लड़ाई मुश्किल दिख रही है। निचले सदन में जब बिल पर वोटिंग की बारी आएगी तो सरकार विपक्षी दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है। केन्द्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है।

क्या है संसद में नंबर गेम?

लोकसभा चुनाव-2024 के बाद 271 सांसदों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया। इसमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। लोकसभा में एनडीए के आंकड़े की बात करें तो ये 293 है। जब ये बिल लोकसभा में पेश होगा और वोटिंग की बारी आएगी तो उसे पास कराने के लिए सरकार को 362 वोट या दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगर वाईएसआरसीपी, बीजेडी और गैर-एनडीए दलों का साथ मिल जाता है तो भी 362 का आंकड़ा छूने की संभावना नहीं है। बीजेपी को 69 सांसदों की जरूरत पड़ेगी जो उसके साथ खड़े रहें।हालांकि ये स्थिति तब होगी जब वोटिंग के दौरान लोकसभा में फुल स्ट्रेंथ रहती है। लेकिन 439 सांसद (अगर 100 सांसद उपस्थित नहीं रहते हैं) ही वोटिंग के दौरान लोकसभा में रहते हैं तो 293 वोटों की जरूरत होगी। ये संख्या एनडीए के पास है। इसका मतलब है कि अगर विपक्षी पार्टियों के सभी सांसद वोटिंग के दौरान लोकसभा में मौजूद रहते हैं तो संविधान संशोधन बिल गिर जाएगा।

एक देश एक चुनाव का 15 दलों ने किया विरोध

बता दें कि कोविंद समिति ने कुल 62 राजनीतिक दलों से एक राष्ट्र एक चुनाव पर राय मांगी थी, जिनमें से 47 ने अपने जवाब भेजे, जबकि 15 ने जवाब नहीं दिया। 47 राजनीतिक पार्टियों में से 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारियों का समर्थन किया, जबकि 15 दल विरोध में रहे। जिन 32 पार्टियों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया उसमें ज्यादातर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां हैं और या तो उनका उसके प्रति नरम रुख रहा है। नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी जो मोदी सरकार 2.0 में साथ खड़ी रहती थी उसका रुख भी अब बदल गया है। वहीं, जिन 15 पार्टियों ने पैनल की सिफारिशों का विरोध किया उसमें कांग्रेस, सपा, आप जैसी पार्टियां हैं।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल”, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू का बड़ा आरोप

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने चौंकाने वाला दावा किया है। इसके साथ ही उन्होंने नए विवाद को जन्म दे दिया है। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने वाईएसआरसीपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि पहले की सरकार में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी इस्तेमाल होती थी।नायडू ने यह दावा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक दल की एक बैठक को संबोधित करते हुए किया।

नायडू ने तेलुगु में कहा कि पिछले 5 सालों में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने तिरुमला की पवित्रता को कलंकित किया है। उन्होंने ‘अन्नदानम’ (मुफ्त भोजन) की गुणवत्ता से समझौता किया और घी के बजाय पशुओं की चर्बी का उपयोग करके पवित्र तिरुमला लड्डू को भी दूषित कर दिया। इस खुलासे ने चिंता पैदा कर दी है। हालांकि, अब हम शुद्ध घी का इस्तेमाल कर रहे हैं।हम टीटीडी की पवित्रता की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं।”

सीएम नायडू के आरोपों पर वाईएसआर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने पलटवार किया है। उन्होंने नायडू पर तिरुमाला मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। रेड्डी ने तेलुगु में एक्स पर लिखा, “चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। तिरुमला प्रसाद के बारे में उनकी टिप्पणी अत्यंत दुर्भावनापूर्ण है। कोई भी व्यक्ति ऐसे शब्द नहीं बोलेगा या ऐसे आरोप नहीं लगाएगा।”

उन्होंने कहा, “यह फिर साबित हो गया है कि चंद्रबाबू नायडू राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए मैं अपने परिवार के साथ तिरुमला ‘प्रसाद’ के संबंध में भगवान के सामने शपथ लेने के लिए तैयार हूं। क्या चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के साथ भी ऐसा करने को तैयार हैं।”

जम्मू-कश्मीर में बंपर वोटिंग, लोगों ने लोकतंत्र पर जताया भरोसा, जानें कहां पड़े सबसे ज्यादा वोट

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जम्मू कश्मीर में जहां 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा के लिए वोटिंग हो रही है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के फर्स्ट फेज में आज 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर बंपर वोटिंग हुई। जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के विधानसभा चुनाव में लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। जिस जम्मू कश्मीर में चुनाव का नाम सुनते ही लोग डर जाते थे, घरों से नहीं निकलते थे। उसी नए जम्मू कश्मीर में सुबह से ही वोटरों की लंबी-लंबी कतारें देखी गई।

जम्‍मू-कश्‍मीर की जनता ने एक बार फिर से देश की लोकतांत्रिक सिस्‍टम पर पुरजोर तरीके से भरोसा जताया है। घाटी में बंपर वोटिंग ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि लोग लोकतंत्र के साथ हैं ना कि पाकिस्‍तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के। आतंकवादियों, अलगाववादियों और पत्‍थरबाजों के गढ़ के तौर पर कुख्‍यात शोपियां में भी बुलेट पर बैलट भारी पड़ रहा है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में शाम 5 बजे तक 58.19 प्रतिशत मतदान हुआ है।सबसे ज्यादा 77.23 फीसदी वोटिंग किश्तवाड़ जिले में तो सबसे कम पुलवामा जिले में 43.87 फीसदी दर्ज की गई। किश्तवाड़ जिले की इंद्रवल सीट पर 80% से ज्यादा वोटिंग हुई है।

पहले चरण की किन 24 सीटों पर कितना मतदान हुआ?

सीट जिला मतदान (शाम 5 बजे तक)

त्राल पुलवामा 40.58

अनंतनाग अनंतनाग 41.58

पांपोर पुलवामा 42.67

राजपोरा पुलवामा 45.78

अनंतनाग पश्चिम अनंतनाग 45.93

पुलवामा पुलवामा 46.22

जैनापोरा शोपियां 52.64

शंगस-अनंतनाग पूर्व अनंतनाग 52.94

शोपियां शोपियां 54.72

देवसर कुलगाम 54.73

श्रीगुफवारा-बिजबिहाड़ा अनंतनाग 56.02

डूरू अनंतनाग 57.9

कोकेरनाग (ST) अनंतनाग 58

कुलगाम कुलगाम 59.58

भद्रवाह डोडा 65.27

डी.एच. पोरा कुलगाम 65.27

रामबन रामबन 67.34

पहलगाम अनंतनाग 67.86

बनिहाल रामबन 68

डोडा डोडा 70.21

डोडा पश्चिम डोडा 74.14

किश्तवाड़ किश्तवाड़ 75.04

पाडर-नागसेनी किश्तवाड़ 76.8

इंद्रवल किश्तवाड़ 80.06

क्या आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं, क्यों कहा जा रहा कठपुतली मुख्यमंत्री?

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दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बनने जा रही है। अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सीएम पद से इस्तीफा दिया और आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। जल्द ही आतिशी दिल्ली के सीएम पद की शपथ लेंगी। केजरीवाल की जगह आतिशी के सीएम चुने जाने पर सवाल उठ रहे हैं। आतिशी को डमी सीएम या कठपुतली सीएम कहा जा रहा है।

आतिशी आज दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभाग देख रही हैं। बावजूद इस तरह के सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि विधायक दल की बैठक में पार्टी का नेता और दिल्ली का अगला सीएम चुने जाने के बाद आतिशी ने अपने पहले ही बयान में कहा कि दिल्ली का सीएम सीएम एक ही है, उसका नाम अरविंद केजरीवाल है।

दिल्ली की नई सीएम के इस बयान पर बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने भी तंज कसा। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने आतिशी को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आतिशी को बधाई देती हूं। उनकी पार्टी ने उन्हें अगला मुख्यमंत्री चुना है। मगर, उनके बयानों से निराश हूं। उन्होंने कहा है कि दिल्ली में सिर्फ एक ही मुख्यमंत्री है, अरविंद केजरीवाल। क्या इसका मतलब ये है कि आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा, मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं? क्या केजरीवाल बिना किसी जिम्मेदारी के सत्ता का आनंद लेंगे?

बांसुरी स्वराज के साथ ही आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी आतिशी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा किदिल्ली की नई मुख्यमंत्री चुनी गईं आतिशी कठपुतली होंगी। दिल्ली के लिए बहुत दुखद दिन है। जिनके परिवार ने आतंकी अफजल गुरु को फांसी की सजा से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी, वो मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं।स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि आतिशी के माता-पिता ने देश के राष्ट्रपति को कई बार दया याचिका भेजी थी। इसमें कहा था कि अफजल गुरु को फांसी न दी जाए। वह निर्दोष है। वो राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। आतिशी मुख्यमंत्री बनेंगी लेकिन सभी जानते हैं कि वह कठपुतली मुख्यमंत्री होंगी।

इससे पहले भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने इसे लेकर कहा कि आम आदमी पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह महिलाओं को कठपुतली समझती है क्योंकि सौरभ भारद्वाज कह रहे थे कि नया मुख्यमंत्री कठपुतली होगा। दिल्ली की जनता इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक कठपुतली/अस्थायी व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्हें अपनी पार्टी पर भरोसा नहीं है। इसलिए वह किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जो पार्टी में उनसे कमजोर हो।

वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल के अपनी कुर्सी आतिशी को सौंपने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तंज कसा। उन्होंने अपने एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, 'दिल्ली को राबड़ी देवी मुबारक हो'। जीतन राम मांझी का ये पोस्ट कई मायने में काफी कुछ कहता है। जीतन राम मांझी की ओर से ये बात इसलिए कही गई क्योंकि जब लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने जेल भेजा तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सत्ता सौंप कर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। कहा जाता है पर्दे के पीछे से लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के जरिए बिहार की सत्ता चलाई। सियासी गलियारे में ऑफ द रिकॉर्ड राबड़ी देवी की चर्चा एक डमी मुख्यमंत्री के रूप में होती है। यानी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहीं ना कहीं आतिशी को एक डमी मुख्यमंत्री बताने की कोशिश कर रहे थे।

क्या आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं, क्यों कहा जा रहा कठपुतली मुख्यमंत्री?*
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दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी बनने जा रही है। अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को सीएम पद से इस्तीफा दिया और आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। जल्द ही आतिशी दिल्ली के सीएम पद की शपथ लेंगी। केजरीवाल की जगह आतिशी के सीएम चुने जाने पर सवाल उठ रहे हैं। आतिशी को डमी सीएम या कठपुतली सीएम कहा जा रहा है। आतिशी आज दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभाग देख रही हैं। बावजूद इस तरह के सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि विधायक दल की बैठक में पार्टी का नेता और दिल्ली का अगला सीएम चुने जाने के बाद आतिशी ने अपने पहले ही बयान में कहा कि दिल्ली का सीएम सीएम एक ही है, उसका नाम अरविंद केजरीवाल है। दिल्ली की नई सीएम के इस बयान पर बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने भी तंज कसा। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने आतिशी को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आतिशी को बधाई देती हूं। उनकी पार्टी ने उन्हें अगला मुख्यमंत्री चुना है। मगर, उनके बयानों से निराश हूं। उन्होंने कहा है कि दिल्ली में सिर्फ एक ही मुख्यमंत्री है, अरविंद केजरीवाल। क्या इसका मतलब ये है कि आतिशी को सिर्फ पद मिलेगा, मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियां नहीं? क्या केजरीवाल बिना किसी जिम्मेदारी के सत्ता का आनंद लेंगे? बांसुरी स्वराज के साथ ही आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी आतिशी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा किदिल्ली की नई मुख्यमंत्री चुनी गईं आतिशी कठपुतली होंगी। दिल्ली के लिए बहुत दुखद दिन है। जिनके परिवार ने आतंकी अफजल गुरु को फांसी की सजा से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी, वो मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं।स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि आतिशी के माता-पिता ने देश के राष्ट्रपति को कई बार दया याचिका भेजी थी। इसमें कहा था कि अफजल गुरु को फांसी न दी जाए। वह निर्दोष है। वो राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। आतिशी मुख्यमंत्री बनेंगी लेकिन सभी जानते हैं कि वह कठपुतली मुख्यमंत्री होंगी। इससे पहले भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने इसे लेकर कहा कि आम आदमी पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह महिलाओं को कठपुतली समझती है क्योंकि सौरभ भारद्वाज कह रहे थे कि नया मुख्यमंत्री कठपुतली होगा। दिल्ली की जनता इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक कठपुतली/अस्थायी व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्हें अपनी पार्टी पर भरोसा नहीं है। इसलिए वह किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं जो पार्टी में उनसे कमजोर हो। वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल के अपनी कुर्सी आतिशी को सौंपने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तंज कसा। उन्होंने अपने एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, 'दिल्ली को राबड़ी देवी मुबारक हो'। जीतन राम मांझी का ये पोस्ट कई मायने में काफी कुछ कहता है। जीतन राम मांझी की ओर से ये बात इसलिए कही गई क्योंकि जब लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने जेल भेजा तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सत्ता सौंप कर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। कहा जाता है पर्दे के पीछे से लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के जरिए बिहार की सत्ता चलाई। सियासी गलियारे में ऑफ द रिकॉर्ड राबड़ी देवी की चर्चा एक डमी मुख्यमंत्री के रूप में होती है। यानी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहीं ना कहीं आतिशी को एक डमी मुख्यमंत्री बताने की कोशिश कर रहे थे।
भारत ने क्यों जारी किया पाकिस्तान को नोटिस, क्या सिंधु जल संधि से लग हो रहे दोनों देश?

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भारत सरकार ने सिंधु जल संधि में बदलाव की मांग की है। भारत सरकार ने इस संबंध में पाकिस्तान को एक नोटिस भी भेजा है। इस नोटिस में कहा गया कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सिंधु जल संधि को बरकरार रखना संभव नहीं। भारत ने इस सिंधु जल संधि में बदलाव किए जाने की भी बात कही है। यह समझौता दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे के बारे में है। भारत का कहना है कि इस समझौते के बाद से बहुत कुछ बदल गया है, इसलिए इसमें बदलाव की जरूरत है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने 30 तारीख को भारत ने सिंधु जल समझौता की समीक्षा और संशोधन की मांग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस दिया है। संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत, इसकी व्यवस्थाओं को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच बातचीत के जरिए संशोधित किया जा सकता है। भारत का कहना है कि जब यह समझौता हुआ था, तब की स्थिति अब नहीं है। देश की जनसंख्या बढ़ गई है, खेती के तरीके बदल गए हैं और हमें पानी का इस्तेमाल ऊर्जा बनाने के लिए भी करना है।

भारत ने कहा- संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत

भारत ने इस नोटिस में पाकिस्तान की ओर से लगातार जारी आतंकवादी गतिविधियों का भी जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान भारत की उदारता का अनुचित लाभ उठा रहा है, और ऐसे में इस संधि पर दोबारा से सोचने की जरूरत है।

सिंधु जल संधि क्या है?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक द्विपक्षीय समझौता है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 में कराची में हुई थी। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। संधि के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इस संधि के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों के पानी का बंटवारा होता है। इन नदियों में व्यास, रावी, सतलज, झेलम, चिनाब और सिंधु नदियां शामिल हैं। इस समझौते के अनुसार पूर्वी क्षेत्रों की नदियों व्यास, रावी और सतलज कर नियंत्रण का अधिकार भारत को मिला। भारत इन नदियों से विद्युत निर्माण, सिंचाई और जल संसाधन से जुड़ी कई योजनाओं को संचालित कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर पश्चिमी क्षेत्रों की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम पर नियंत्रण के अधिकार पाकिस्तान को दिया गया। पाकिस्तान में इन्हीं नदियों के पानी से बिजली निर्माण और सिंचाई के काम किए जाते हैं। इस संधि के कारण भारत, पाकिस्तान को कुल जल का 80.52% यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना देता है। यही कारण है कि यह दुनिया की सबसे उदार संधि कही जाती है।

पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है यह संधि?

इस संधि के टूटने से पाकिस्तान के एक बड़े भूभाग पर रेगिस्तान बनने का खतरा मंडराने लगेगा। इसके अलावा अगर इस संधि को तोड़ा जाता है तो पाकिस्तान पर बहुत बड़ा कूटनीतिक दबाव पड़ सकता है। इसके साथ ही पाकिस्तान में संचालित हो रही अरबों रुपये की विद्युत परियोजनाएं भी बंद होने की कगार पर आ जाएंगी और करोड़ों लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पाएगा।

विवाद किस बात को लेकर है?

सिंधु जल संधि में विवाद भारत की दो पनबिजली परियोजनाओं को लेकर है। दरअसल, सिंधु की सहायक नदियों पर बनने वाली 330 मेगावाट की किशनगंगा पनबिजली परियोजना का निर्माण 2007 में शुरू हुआ था। इसी बीच 2013 में चिनाब पर बनने वाले रातले पनबिजली संयंत्र की आधारशिला रखी गई थी। पाकिस्तान ने इन दो परियोजनाओं का विरोध किया और कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया है। किशनगंगा परियोजना को लेकर पाकिस्तान ने दावा किया कि इसके कारण पाकिस्तान में बहने वाले पानी रुकता है।