गणपति उत्सव : भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना के साथ विसर्जन की विधि भी अहम, जानिए बप्पा की विदाई का शुभ मुहूर्त और विसर्जन की विधि
हर वर्ष गणपति उत्सव भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है तथा 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्त गणपति बप्पा को अपने घरों और पंडालों में बड़े श्रद्धा के साथ स्थापित करते हैं। पूरे देश में विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, और तेलंगाना जैसे राज्यों में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त सुबह और शाम को गणपति जी की आरती और पूजा करते हैं और उन्हें उनके पसंदीदा पकवानों का भोग लगाते हैं। इनमें विशेष रूप से मोदक, लड्डू और विभिन्न मिठाइयाँ शामिल होती हैं, जिन्हें गणपति बप्पा अत्यंत प्रिय मानते हैं।
अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन की परंपरा
गणपति उत्सव के दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहा जाता है, गणपति की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं। विसर्जन की प्रक्रिया को विशेष विधि-विधान के साथ किया जाता है। बप्पा को ढोल-नगाड़ों के साथ, भक्तजन नाचते-गाते हुए उनके विसर्जन स्थल (जैसे तालाब, नदी, या समुद्र) तक ले जाते हैं। विसर्जन का अर्थ गणपति बप्पा को उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर भेजना होता है, जहाँ से वे अगले साल फिर से अपने भक्तों के पास आते हैं।
विसर्जन के समय भक्त गणपति जी से अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने की कामना करते हैं। विसर्जन के दौरान विशेषकर महिलाएँ और बच्चे भी शामिल होते हैं और 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' के जयकारे लगाते हैं।
गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है। इस दिन गणपति विसर्जन के कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे, जिनमें भक्त गणपति को विदा कर सकते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन के तीन प्रमुख मुहूर्त हैं:
पहला मुहूर्त: सुबह 9:10 बजे से दोपहर 1:47 बजे तक।
दूसरा मुहूर्त: अपराह्न 3:18 बजे से शाम 5:50 बजे तक।
तीसरा मुहूर्त: रात 7:51 बजे से रात 9:19 बजे तक।
इन शुभ मुहूर्तों में भक्तजन अपने गणपति बप्पा का विसर्जन कर सकते हैं, जिससे उन्हें भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त हो और उनका जीवन सफल और समृद्ध हो।
गणपति विसर्जन की विधि
गणपति विसर्जन की प्रक्रिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी उनकी स्थापना। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए।
आसन की तैयारी: सबसे पहले एक लकड़ी का आसन तैयार करें, उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और गंगाजल का छिड़काव करें।
प्रतिमा की स्थापना: इसके बाद गणपति बप्पा की प्रतिमा को आसन पर स्थापित करें। मूर्ति को नया पीला वस्त्र पहनाएं और माथे पर कुमकुम का तिलक लगाएं।
पूजन सामग्री: गणपति जी को फूल, अक्षत, और मोदक अर्पित करें। मोदक भगवान गणेश को अति प्रिय है, इसलिए इसे अवश्य अर्पित करें।
आरती और प्रार्थना: फिर पूरे परिवार के साथ गणपति जी की आरती करें। विसर्जन से पहले गणपति जी से हुई किसी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।
विसर्जन की प्रार्थना: आरती के बाद, भगवान गणेश से अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद की कामना करते हुए प्रतिमा का विसर्जन करें।
विसर्जन के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखना भी आवश्यक है। आजकल पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी या पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों का विसर्जन पर जोर दिया जाता है, ताकि जल स्रोत प्रदूषित न हों। कई स्थानों पर कृत्रिम तालाबों की व्यवस्था की जाती है, जिससे प्राकृतिक जल स्रोतों पर विपरीत प्रभाव न पड़े। भक्त भी अब अधिक जागरूक हो रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं।
Sep 16 2024, 14:42