*अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से हिन्दी दिवस पर 'राष्ट्र और हिन्दी' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन*
अमेठी- अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से हिन्दी दिवस के अवसर पर अमेठी के स्थानीय डाक बंगले में 'राष्ट्र और हिन्दी' विषय पर संगोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र पर पूजा, अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ।
विषय का प्रवर्तन करते हुए अध्यक्ष अवधी साहित्य संस्थान डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि अंग्रेज तो गये जरूर किन्तु अंग्रेजियत छोड़ गये। ब्रिटिश हुकूमत में अंग्रेजी बोली जाती थी किन्तु आज पी जा रही है,जो राष्ट्रहित में नही है।यदि राष्ट्र को अस्मिता को बचाये रखना है तो हमें निज भाषा पर गर्व होना चाहिए। मुख्य अतिथि कैप्टन पी एन मिश्र ने कहा कि 14 सितम्बर 1953 को पहला हिन्दी दिवस मनाया गया, जिसका ध्येय देश की धरोहर हिन्दी भाषा को पुनर्स्थापित करना था। देश का अस्तित्व कायम रहे इसके लिए युवाओं को समझने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अम्बरीष मिश्र ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त हिन्दी दिवस पर्व मनाने का उद्देश्य पुरानी संस्कृति को वापस लाने के लिए था।आज नही तो कल हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा जरूर मिलेगा।सब्बीर अहमद सूरी ने कहा कि सागर से गहरी हमारी हिन्दी है। आजाद है मुल्क और आजाद हमारी हिन्दी है। रामेश्वर सिंह निराश ने कहा कि आज प्रशासनिक सेवाओं में अंग्रेजी को बढ़ावा दिया जाना चिंता का विषय है।आज हिन्दी विश्व की भाषा बन चुकी है। सत्येन्द्र प्रकाश शुक्ल ने कहा कि आज की नयी पीढ़ी रसोई से किचन पर आ चुकी है,जो हिन्दी के लिए शुभ नही है। कौशल किशोर मिश्र ने कहा कि सत्ताधीश हिन्दी को पीछे ढ़केलने में लगे हैं,जो राष्ट्रहित में नही है। चन्द्र प्रकाश पाण्डेय मंजुल ने कहा हिन्दी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिनु निज भाषा ज्ञान के मिटै न हिय कै सूल।इस संगोष्ठी में एस एन पाल ,जगन्निवास मिश्र, रामफल फौजी एवं विनोद कुमार की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान से हुआ।
Sep 14 2024, 19:47