फूड सरप्लस” राज्य बना उत्तर प्रदेशःशाही
कुमारगंज अयोध्या।आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधानकर्ताओं की 63वीं अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला दूसरे दिन भी जारी रही। कार्यक्रम में कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शिरकत किया।
किसानों और कृषि उद्योगों के प्रतिनीधियों के साथ संवाद भी किया। कृषि मंत्री ने विभिन्न राज्यों से पहुंचे 15 प्रगतिशील किसानों को अपने हाथों सम्मानित किया। इस मौके पर कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न एवं पुष्प गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया।कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 100 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं और जौ की खेती हो रही है। उन्होंने उत्पादन को और अधिक बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि अगर हम गेहूं की उत्पादकता को बढ़ा दें तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
मंत्री शाही ने कहा कि किसानों को गुणवत्तायुक्त एवं नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के एक “फूड सरप्लस” राज्य बन चुका है जिसमें किसानों का भागीरथी योगदान है। किसानों को केंद्र एवं राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अनाज की कमी नहीं है और अन्न के भंडार भरे हुए तो यह किसान भाईयों एवं वैज्ञानिकों की ही देन है।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ टी. आर. शर्मा ने कहा कि कृषि मंत्री किसानों की समस्याओं को लेकर हमेशा तत्पर रहते हैं।
किसानों की जरूरत के अनुसार अनुसंधान पर जोर रहता है। उन्होंने बताया कि बढ़ती हुई जनसंख्या व बदलते तापमान आदि चुनौतियों का समाधान करने एवं खाद्य सुरक्षा को सुनश्चित करने के लिए वैश्विक स्तर पर साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। इस दौरान सिम्मिट (मैक्सिको) के वैज्ञानिक प्रो. अरुण जोशी और इकार्डा (मोरक्को) के वैज्ञानिक डा. शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि वैश्विक स्तर पर खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए वातावरण अनुकूलित गेहूं की प्रजातियों को विकसित करना होगा। वहीं दूसरी तरफ कार्यशाला में कोर्नेल विश्वविद्यालय (अमेरिका) से पहुंची वैज्ञानिक डा. मारिसेलिस ने गेहूं को बीमारियों से बचाने के लिए वैश्विक सहयोग पर जोर दिया।
कहा कि डिवास सिस्टम के जरिए वैज्ञानिक गेहूं में होने वाली बीमारी का शुरुआती दौर में ही पता लगाकर समस्या का समाधान कर सकते हैं, जिससे कि किसी बड़े नुकसान से बचा जा सके। उन्होंने महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए देशभर से आई महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया। सिम्मिट के वैज्ञानिक डा. डेविड हॉडसन ने मार्पल एप्लीकेशन के प्रयोग से गेहूं में होने वाले रतुवा रोग के प्रभेदों की पहचान करने के बारे में बताया।
इस मौके पर डा. रतन तिवारी की अध्यक्षता में सोसाइटी फॉर एडवांसमेंट ऑफ व्हीट एंड बारले रिसर्च की समान्य निकाय की बैठक हुई। जिसका संचालन डा. चारुलता शर्मा ने किया। बैठक में डा. एन.एस बैंस द्वारा वी.एस माथुर मेमोरियल व्याख्यान प्रस्तुत किया गया साथ ही उत्कृष्ट कार्य करने वाले वैज्ञानिकों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया बैठक के दौरान फसल सुधार,फसल सुरक्षा, गुणवत्ता व मूलभूत विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, जौ नेटवर्क की अगले वर्ष के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत की गई। करनाल संस्थान के मीडिया प्रभारी डा. अनिल खिप्पल ने बताया कि कार्यशाला के अंतिम दिन आने वाले सीजन में पूरे भारतवर्ष में गेहूं एवं जौ की आगामी गतिविधियों पर चर्चा होगी। धन्यवाद ज्ञापन निदेशक डा. रतन तिवारी ने किया। इस मौके पर विभिन्न संस्थानों से आए निदेशक, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं किसान मौजूद रहे।
Sep 12 2024, 18:30