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अग्निपथ योजना में हो सकता है बड़ा बदलाव, क्या दबाव में है केंद्र सरकार?

#agnipathschemecentralgovtplanningtochange

केंद्र सरकार की बहुचर्चित अग्निपथ योजना को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है। सरकारी कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम का तोहफा देने के बाद मोदी सरकार की ओर से अग्निपथ योजना में भी बड़ा बदलाव करने की खबर सामने आ रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा से लोगों की नाराजगी का बड़ा कारण अग्निपथ योजना भी थी। बीजेपी के नुकसान का इसे भी एक बड़ा कारण माना जा रहा था। जिसको लेकर केन्द्र सरकार ने अब काम शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार योजना में बदलाव का विचार कर रही है, जिसके तहत सेना में अग्निवीरों की संख्या बढ़ाने, उनके पात्रता और वेतन को लेकर भी फैसला लिया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने अग्निपथ भर्ती योजना में बदलाव करने की योजना बनाई है। इस बदलाव में सेना में अग्निवीरों को स्थाई तौर से रखने का हिस्सा बढ़ाया सकता है। इसके साथ ही वेतन और योग्यता की शर्तों में भी बदलाव किया जा सकता है। इन बदलावों का मकसद अग्निपथ योजना के पूरे ढांचे और लाभों में सुधार करना है। जिसकी विपक्ष आलोचना कर रहा है। सेना में भर्ती होने के इच्छुक लोगों का एक बड़ा तबका भी इस योजना के खिलाफ है।

क्या-क्या हो सकते हैं बदलाव?

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, जमीन पर लड़ाकू ताकत बनाए रखने के लिए एक चौथाई बहुत कम संख्या है। सेना ने सिफारिश की है कि चार साल के अंत में अग्निवीरों का प्रतिशत बढ़कर लगभग 50 फीसद हो जाना चाहिए।अभी केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही प्रारंभिक सेवा अवधि के बाद रखा जाता है, जबकि सैन्य विशेषज्ञ यह संख्या अपर्याप्त मानते हैं। इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का विचार है। हालांकि अभी तक इसको लेकर कोई ऑफिशियल ऐलान नहीं किया गया है।

क्या है अग्निपथ योजना?

अग्निपथ योजना को जून 2022 में लागू किया गया था। इसके तहत सेना के तीनों अंगों में साढ़े 17 साल से 23 साल के युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाता है।इन्हें अग्रिवीर कहा जाता है। 4 साल बाद इनमें से 25 प्रतिशत को स्थायी, जबकि बाकी 75 प्रतिशत को सेवा मुक्त कर दिया जाता है।अग्रिवीरों का वेतन नियमित भर्ती किए जवानों की तुलना में कम होता है और इन्हें पेंशन नहीं मिलेगी।

अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सीबीआई द्वारा आबकारी नीति मामले में उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली के सीएम द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू की।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के खिलाफ महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की, जिसमें अब रद्द हो चुके आबकारी नीति मामले में जमानत मांगी गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उनकी न्यायिक हिरासत 11 सितंबर तक बढ़ा दी। केजरीवाल दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा गया था।

क्या हैं सीबीआई के आरोप?

• सीबीआई ने 30 जुलाई को अपना चौथा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें केजरीवाल, सत्येंद्र जैन, अमित अरोड़ा, विनोद चौहान, आशीष माथुर और पी. सरथ रेड्डी को मामले में आरोपी बनाया गया।

•सीबीआई की चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल इस मामले में मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं और उनका साउथ ग्रुप से संबंध है, जिसमें के. कविता, राघव मगुंटा, अरुण पिल्लई, बुचीबाबू गोरंटला, पी. सरथ रेड्डी, अभिषेक बोइनपल्ली और बेनॉय बाबू शामिल हैं।

• 55 वर्षीय आप नेता को पहली बार 21 मार्च को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी ने गिरफ्तार किया था, उसके तुरंत बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को काफी हद तक बाधित कर दिया और केंद्र सरकार और आप के बीच चल रहे संघर्ष को और तेज कर दिया।

• इसके बाद उन्हें 26 जून को दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट में सीबीआई ने हिरासत में ले लिया और बाद में 29 जून को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

•हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के कारण वे तिहाड़ जेल में हैं।

कोलकाता अपराध के बाद रेनोवेशन को लेकर संदीप घोष पर उठ रहे सवाल, भाजपा ने वायरल 'पत्र' की ओर किया इशारा


कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष ने सेमिनार हॉल के पास जीर्णोद्धार का आदेश दिया था, जहां एक डॉक्टर का बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, ऐसा गुरुवार को बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया। उन्होंने कथित तौर पर संदीप घोष द्वारा हस्ताक्षरित एक कथित पत्र भी साझा किया, जिसके कारण जघन्य हत्या के एक दिन बाद जीर्णोद्धार कार्य शुरू हुआ।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व निदेशक संदीप घोष द्वारा हस्ताक्षरित यह आदेश 10 अगस्त को जारी किया गया था, जो पीड़िता की मौत के ठीक एक दिन बाद था। अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ के बारे में सहकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के आरोपों के बावजूद, पुलिस आयुक्त ने इससे इनकार किया," उन्होंने एक्स पर लिखा। हालांकि इसकी पुस्टी हम नहीं कर सकते हैं।

कोलकाता के पीडब्ल्यूडी के कई विभागों के कार्यकारी इंजीनियरों को संदीप घोष द्वारा लिखे गए ज्ञापन में कहा गया है कि अस्पताल के अधिकारी संलग्न शौचालयों की मरम्मत करना चाहते थे। कथित पत्र में लिखा है, "मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि आरजीकेएमसीएंडएच, कोलकाता के विभिन्न विभागों में ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों के कमरे और अलग से जुड़े शौचालयों में कमियां हैं। आपसे अनुरोध है कि आरजीकेएमसीएंडएच के रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग के अनुसार तुरंत आवश्यक कार्रवाई करें। इस मुद्दे पर पहले ही चर्चा हो चुकी है और आज पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव और पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सा शिक्षा निदेशक के साथ बैठक में इसका समाधान हो चुका है।"

पुनर्निर्माण कार्य के प्रकाश में आने के बाद, भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्ष ने आरोप लगाया कि अपराध स्थल पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया जा रहा था। हत्या के बाद संदीप घोष की भूमिका तब सवालों के घेरे में आई जब पीड़ित के परिवार ने खुलासा किया कि अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि महिला ने आत्महत्या की है। पीड़िता के पिता ने कहा कि उन्हें पीड़िता का शव देखने के लिए तीन घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा।

सर्वोच्च न्यायालय ने हत्या से संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने में देरी के बारे में भी बंगाल सरकार से सवाल किया था। घटना को हुए 1 महीना होने जा रहा है और अभी तक घटना लेकर कोई निर्णायक फैसला नहीं आया है।

इस घटना देश भर डॉक्टरों ने हड़ताल किये और इंसाफ गुहार लगाई।

शिमला में अवैध निर्माण पर बवाल, सड़कों पर उतरे लोग, जानें क्या है पूरा मामला?

#shimla_sanjauli_masjid_controversy

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में कथित रूप से अवैध मस्जिद को लेकर बवाल छिड़ गया है। शिमला के संजौली में बनी अवैध मस्जिद से जुड़ा तनाव बढ़ता ही जा रहा है। शिमला के चौड़ा मैदान में हिंदू संगठनों के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर न केवल स्थानीय लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया, बल्कि कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के बीच भी तीखी बयानबाज़ी शुरू हो गई है। संजौली में जहां पर मस्जिद बनी है, वहां आसपास के इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

संजौली में बाजार के ठीक साथ में यह मस्जिद बनाई गई है। इसके दो मंजिलें अवैध है। ऐसे में इन्हें तोड़ने की मांग की जा रही है। बीते रविवार को यहां पर प्रदर्शन हुआ था और अब मामले ने तूल पकड़ा है। ऐसे में सरकार ने किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए संजौली में 5 किमी के दायरे में पुलिस बल की तैनाती की है। अतिरिक्त बटालियन शिमला पुलिस के एसपी की तरफ से मांगी गई थी।

वहीं यह मामला विधानसभा में भी उठा. कांग्रेस के ही मंत्री ने इस मस्जिद को तोड़ने की मांग उठाई। कांग्रेस सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद को तोड़ने की मांग उठाई और बाहर से आने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों पर नजर रखने की भी मांग उठाई और उन्होंने यहां तक कह दिया कि कोई बांग्लादेशी रोहंगिया, पाकिस्तान या कोई आतंकवादी भी बे रोक टोक आ जाएगा। पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि यह किसी धार्मिक स्थल का मामला नहीं है। यह वैध और अवैध निर्माण का मामला है। 2010 में इसका निर्माण शुरू हुआ। यहां पर पहले दुकान हुआ करती थी। इस मामले में कई बार नोटिस दिए गए लेकिन यहां पर जो निर्माण हुआ वह 6750 स्क्वायर फुट तक पहुंच गया। यह जमीन हिमाचल प्रदेश सरकार की है। सरकार की जमीन पर कोई इस तरह निर्माण नहीं कर सकता।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी इस मसले पर बयान दिया है। सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में सभी धर्मों का सम्मान होता है। उन्होंने मस्जिद के विरोध में उतरी भीड़ को लेकर कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं है। सीएम ने कहा कि इस मामले में संविधान के हिसाब से कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसे सांप्रदायिक नजरिए से देखने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने मस्जिद को अवैध तरीके से बनाने के सवाल पर कहा कि अगर अवैध पाई गई तो कार्रवाई होगी।

महाराष्ट्र के इन 8 गांवों में स्थापित हैं स्वयंभू 'अष्टविनायक' गणपति, गणेशोत्सव पर पूजा का है विशेष महत्व

गणेशोत्सव हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को होगी और गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024 को होगा। इस दौरान, घरों, मंदिरों और पूजा पंडालों में गणेश जी की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। देशभर में इस त्योहार का उत्साह और खुशी का माहौल रहता है, खासकर महाराष्ट्र में, जहां इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

इस पर्व पर विशेष रूप से अष्टविनायक मंदिरों की यात्रा की जाती है, जहां भगवान गणेश के आठ स्वरूप प्रतिष्ठित हैं। ये मंदिर स्वयंभू माने जाते हैं, यानी यहां भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्वंय प्रकट हुई हैं। गणेश चतुर्थी के अवसर पर इन मंदिरों की यात्रा विशेष महत्व रखती है। यहां प्रमुख अष्टविनायक मंदिरों की जानकारी दी गई है:

विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर:

पुणे-नासिक रोड पर स्थित इस मंदिर का विशेष महत्व है। भक्त यहां आकर अपने दुखों का निवारण प्राप्त करते हैं। यह मंदिर लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर है।

बल्लालेश्वर मंदिर:

रायगढ़ के पाली गांव में स्थित यह मंदिर भगवान गणेश के परम भक्त बल्लाल के नाम पर प्रसिद्ध है। भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

वरदविनायक मंदिर:

रायगढ़ के कोल्हापुर में स्थित इस मंदिर में एक नंददीप है, जो कई वर्षों से प्रज्वलित है। भक्त यहां आकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

मयूरेश्वर मंदिर:

पुणे के मोरगांव में स्थित इस मंदिर में चार द्वार हैं, जो चार युगों का प्रतीक माने जाते हैं। गणपति बप्पा यहां बैठी मुद्रा में हैं, और उनकी पूजा करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर:

पुणे से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में गणेश जी की तीन फीट ऊंची प्रतिमा है। इस मंदिर का मानना है कि यहां मांगी गई मन्नत पूरी होती है।

महागणपति मंदिर:

राजणगांव में स्थित इस मंदिर का मुख्य द्वार आकर्षक है। भक्त यहां आकर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गिरिजात्मल अष्टविनायक:

लेण्याद्री गांव में स्थित इस मंदिर में 18 गुफाएं हैं, जिसमें से आठवीं गुफा में गणेश जी विराजमान हैं। यह मंदिर पुणे से लगभग 90 किलोमीटर दूर है और भक्त यहां आकर गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

चिंतामणी मंदिर:

इस मंदिर में जाकर भक्त अपनी चिंताओं और समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। अगर आपकी कोई समस्या है, तो आप यहां दर्शन कर सकते हैं और समाधान की प्राप्ति की आशा कर सकते हैं।

गणेशोत्सव के अवसर पर इन अष्टविनायक मंदिरों की यात्रा विशेष रूप से पुणे और उसके आस-पास के क्षेत्र में धार्मिक महत्व रखती है।

गणेश चतुर्थी के दौरान 10 दिन रखें इन बातों का ध्यान तो मिलेगा पूजा का विशेष लाभ

गणेश उत्सव विशेष रूप से महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि अब यह पूरे देश में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 12:08 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर को दोपहर 2:05 बजे तक रहेगी। इस अवधि में गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाना शुभ रहेगा।

मुहूर्त: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। यह पूजा दोपहर के समय करना सबसे अच्छा होता है। एक बार स्थापना करने के बाद मूर्ति को इधर-उधर नहीं हिलाना चाहिए।

स्थापना की दिशा: गणपति की मूर्ति को पूर्व या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करना चाहिए। इस दिशा में स्थापना करने से बप्पा 10 दिन तक घर में वास करते हैं।

घर में स्थापना के नियम: अगर आप गणपति जी को घर में स्थापित कर रहे हैं, तो 10 दिन तक प्रतिदिन सुबह और शाम उन्हें भोग लगाएं और आरती करें। मूर्ति के पास अंधेरा न होने दें और घर को सूना न छोड़ें।

पूजा सामग्री: गणपति को सिंदूर, दूर्वा और मोदक चढ़ाएं। पूजा में केतकी के फूल और तुलसी का इस्तेमाल न करें। बासी या मुरझाए हुए फूल भी पूजा में शामिल न करें।

पूजा के वस्त्र: गणेश जी के प्रिय रंग लाल और पीले हैं। पूजा के दौरान इन रंगों के कपड़े पहनें। काले रंग के कपड़े पहनने से पूजा का फल नहीं मिलता है।

10 दिन तक की सावधानियाँ: गणेश उत्सव के दौरान मांस और मदिरा का सेवन न करें। तामसिक भोजन से दूर रहें। व्रति ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन की शुद्धता बनाए रखें। किसी को अपशब्द न बोलें और विवाद से बचें।

गणेश उत्सव के दौरान इन नियमों का पालन करके आप अपने घर में सुख और समृद्धि को आमंत्रित कर सकते हैं।

क्या खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध? शांति वार्ता को लेकर पुतिन का बड़ा बयान, जानें क्यों लिया भारत का नाम

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रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से लगातार लड़ाई जारी है। दोनों देशों का इस जंग में जानमाल का भारी नुकसान हो चुका है। पिछले कुछ दिनों से दोनों तरफ से हमले और तेज हो गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग कब खत्म होगी? इसी बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नर्म पड़के दिख रहे हैं। दरअसर, पुतिन ने यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है।उन्होंने कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के लिए भारत, चीन और ब्राजील मध्यस्थता कर सकते हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने कहा कि युद्ध के पहले सप्ताह में इस्तांबुल में वार्ता के दौरान रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच हुआ एक प्रारंभिक समझौता, जो कभी लागू नहीं हुआ, वार्ता के लिए आधार बन सकता है। पुतिन ने कहा कि चीन, भारत और ब्राजील यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने ये बातें ईस्टर्न इकॉमिक फोरम में कही।

पुतिन ने हालांकि इस दौरान यूक्रेन पर गुस्सा भी दिखाया और कहा कि यूक्रेनी सेना की कुर्स्क में घुसपैठ का उद्देश्य डोनबास में रूसी बढ़त को धीमा करना था लेकिन वह इसमें फेल रहा क्योंकि इसके लिए कीव ने बाकी मोर्चे पर अपनी सेना को कमजोर कर लिया।

बता दें कि पुतिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में युद्धग्रस्त यूक्रेन और इससे पहले रूस का दौरा किया था।पीएम मोदी की ये दोनों यात्राएं काफी महत्वपूर्ण थीं और वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय थी।रूस और यूक्रेन की यात्रा के दौरान भारत की ओर से भी ये कहा गया था कि वह शांति की किसी भी पहल में भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। कई बार रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की कोशिश की गई है, लेकिन पुतिन के इन शांति वार्ताओं में शामिल न होने के चलते इन बैठकों का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पाया। अब खुद पुतिन ने संकेत दिए हैं कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं। रूसी राष्ट्रपति की ओर से भी मध्यस्थ के लिए जिन तीन देशों पर भरोसा जताया गया है, उनमें चीन और ब्राजील के साथ भारत का नाम है।

कंधार हाईजैकः क्या आतंकियों के निशाने पर थे बालासाहेब? जानें पूरी घटना के बारे में

#ic_814_the_kandahar_hijack_balasaheb_thackeray_the_target_of_terrorist

साल 1999 के कंधार प्लेन हाईजैक की घटना पर 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' सीरीज आई है। 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' सीरीज के बाद कंधार हाइजैक एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।विवाद विमान को हाइजैक करने वाले अपहरणकर्ताओं के नाम से जुड़ा है। जिन पांच आतंकवादियों ने प्लेन हाईजैक किया था वो सभी मुस्लिम थे। जिनका नाम इब्राहिम अख्तर, शाहिद अख्तर, सन्नी अहमद, ज़हूर मिस्त्री और शाकिर थे। लेकिन इस वेब सीरीज में इन आतंकवादियों के बदले हुए नाम भोला और शंकर रखे गए हैं। इसी पर विवाद छिड़ गया। विवाद बढ़ने पर भारत सरकार ने नेटफ्लिक्स की कंटेंट प्रमुख मोनिका शेरगिल को तलब किया। इसके बाद मोनिका शेरगिल ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू से मुलाकात की। बैठक के बाद नेटफ्लिक्स बयान जारी करके सीरीज में बदलावों की भी जानकारी दी।

सिरीज के रिलीज के बाद वो जख्म फिर हरे हो गए हैं, जिन पर वक्त ने मरहम लगा दिया था। पन्ने दर पन्ने फिर खोले जा रहे हैं। सबकुछ एक बार फिर दोहराया जा रहा है। इसी क्रम में इंडियन एक्सप्रेस ने महाराष्ट्र के रिटायर्ड डीजीपी डी शिवानंदन की किताब ‘ब्रह्मास्त्र’ के हवाले से पब्लिश किया है कि हेमंत करकरे को मिली हिंट से पुलिस को होटल में करंसी एक्सचेंज को लेकर शक हुआ। मामले में कुछ गिरफ्तारियां की गईं तो पूरा मामला खुल गया। डी. शिवानंदन ने ही इस ऑपरेशन को लीड कर रहे थे।

एक्सप्रेस में प्रकाशित किताब के अंश के मुताबिक- '24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 को नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट से उड़ान भरने के 30 मिनट बाद ही हाई जैक कर लिया गया था। अधिकारियों को अपहरण की जानकारी मिलते ही पूरे देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था। उस दौरान मैं मुंबई पुलिस में संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात था और मुंबई क्राइम ब्रांच का चीफ था। मुझे मेरे बॉस और मुंबई पुलिस कमिश्नर आर एच मेंडोंका ने इस घटना के बारे में बताया और पूरी क्राइम ब्रांच को हाई अलर्ट पर रखने के लिए कहा। हम सभी लोग सांस रोककर घटनाओं पर नजर रख रहे थे।'

घटना के बाद मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच काफी ऐक्टिव हो गई थी। पुलिस ने छापेमारी के बाद आतंकियों को जहां से गिरफ्तार किया गया, वहां से शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के घर 'मातोश्री' का नक्शा भी बरामद किया था। अपनी किताब में वह कहते हैं- ‘छापेमारी इतनी सटीकता से की गई कि आतंकवादियों को प्रतिक्रिया करने का एक पल भी नहीं मिला। पूरी टीम ने उन पर ऐसे हमला किया जैसे बाज अपने शिकार को पकड़ता है और कुछ ही समय में आतंकवादियों को काबू में करके गिरफ्तार कर लिया गया।’

किताब के मुताबिक, जिस पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया, उनकी पहचान रफीक मोहम्मद (उम्र 34), अब्दुल लतीफ अदानी पटेल (उम्र 34), मुस्ताक अहमद आजमी (उम्र 45), मोहम्मद आसिफ उर्फ बबलू (उम्र 25), गोपाल सिंह बहादुर मान (उम्र 38) के रूप में हुई. कमरे से दो एके-56 असॉल्ट राइफल, पांच हैंड ग्रेनेड, एंटी टैंक टीएनटी रॉकेट लॉन्चर, गोले और तीन डेटोनेटर और विस्फोटक, छह पिस्तौल, गोला-बारूद का विशाल भंडार और 1,72,000 रुपये नकद सहित हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा बरामद किया गया। ऐसा लग रहा था जैसे आतंकवादियों ने मुंबई में एक बड़ा आतंकी हमला करने की योजना बनाई थी।

किताब में प्रकाशित अंश के मुताबित, 'अपहरण के अगले ही दिन क्रिसमस का दिन था, 25 दिसंबर, मैं क्रॉफर्ड मार्केट में मुंबई पुलिस मुख्यालय में स्थित अपने कार्यालय में था, जब सुबह करीब 11 बजे एक अनजान गेस्ट मेरे पास आया। यह महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे थे, जो उस समय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के मुंबई कार्यालय में तैनात थे। मुझे तुरंत पता चल गया कि यह कोई खास मुलाकात थी। हेमंत करकरे ने मुझे बताया कि रॉ ने एक फोन नंबर हासिल किया है जो मुंबई में है और पाकिस्तान में एक फोन नंबर के साथ लगातार संपर्क में है। इसके बाद टीमें बनाने के बाद काम शुरू हो गई।

मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर रखा गया। 28 दिसंबर 1999 को शाम 6 बजे के आसपास एक उम्मीद दिखाई दी। टीम ने मुंबई के रहने वाले कॉलर ने पाकिस्तान में अपने हैंडलर को फोन करके बताया कि उसके पास नकदी खत्म हो रही है और उसे तत्काल पैसे की जरूरत है। कॉल करने वाला पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी था। जैश के आतंकवादी ने मुंबई में अपने साथी को बताया कि उन्होंने एक लाख रुपये का इंतजाम कर लिया है, जिसे हवाला के जरिए भेजा जाएगा। पुलिस को बशीरबाग इलाके का पता चल गया, जहां आतंकी छिपे थे।

फ्लाइट IC-814 एक एयरबस 300 विमान था। 24 दिसंबर 1999 को यह फ्लाइट काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली थी। शाम करीब चार बजे तक सभी यात्री विमान में बैठ चुके थे। शाम 4.39 तक यह विमान भारतीय एयरस्पेस में पहुंच गया था। 15 मार्च, 2000 को संसद में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री अजित कुमार पांजा ने संसद में बयान देकर विमान अपहरण घटना के सभी पहलुओं को सदन के समक्ष रखा था। बयान के अनुसार, 24 दिसंबर को शाम 04:53 बजे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को अपहृत कर लिया गया। यह विमान 24 दिसंबर को काठमांडू से दिल्ली जाने वाला था। 04:56 बजे एयर ट्रैफिक कंट्रोल, (ATC) दिल्ली को अपहरण की पहली सूचना मिली।

आईफोन को टक्कर देने आ रहा है दुनिया का पहला ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन, इस दिन होगा लॉन्च, जानिए कीमत


एपल आईफोन 16 सीरीज का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है. 9 सितंबर को आईफोन 16 मॉडल्स से पर्दा उठ जाएगा. उम्मीद है कि नए आईफोन फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस के लिहाज से बेहतर होंगे. लेकिन जैसे ही एपल इन आईफोन को लॉन्च करेगी, उसके अगले दिन हुआवे दुनिया का पहला ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन सामने लाएगी. हुआवे के ट्राई-फोल्ड फोन का नाम Huawei Mate XT हो सकता है. हुआवे एक चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी और सोशल मीडिया पर ट्राई-फोल्ड फोन को लेकर तेजी से चर्चा चल रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन को हुआवे के एक बड़े अधिकारी के हाथों में देखा गया है. हुआवे की Mate सीरीज का यह सबसे नया स्मार्टफोन होगा. एपल ने अभी तक फोल्डेबल फोन सेगमेंट में एंट्री नहीं ली है, लेकिन हुआवे के अलावा सैमसंग और गूगल जैसी टॉप टेक कंपनियां फोल्डेबल फोन की बिक्री करती हैं. चाइनीज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर हुआवे कंज्यूमर बिजनेस ग्रुप के सीईओ रिचर्ड यू ने एक पोस्ट में कंफर्म किया कि पहले ट्राई-फोल्ड स्मार्टफोन को Huawei Mate XT के नाम से जाना जाएगा. इनके मुताबिक, यह पांच साल की लगातार मेहनत और साइंस फिक्शन को रियलिटी में बदलने का नतीजा है. हुआवे मेट एक्सटी को चीन में 10 सितंबर 2024 को भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे लॉन्च किया जाएगा. कंपनी की अपकमिंग सेरेमनी में इस स्मार्टफोन की घोषणा होगी. इस फोन के अलावा कंपनी HarmonyOS स्मार्ट ड्राइविंग प्रोडक्ट्स को लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, हुआवे मेट एक्सटी को रिचर्ड यू के हाथों में देखा गया है. ट्रिपल फोल्डेबल फोन होने के नाते स्क्रीन के तीन सेक्शन मिल सकते हैं. इनमें दो इनवार्ड स्क्रीन, जबकि एक आउटवार्ड स्क्रीन होने की उम्मीद है. इन सभी को डुअल-हिंज टेक्नोलॉजी के जरिए एक साथ जोड़ा जाएगा. इनर स्क्रीन साइज 10 इंच हो सकता है, जिसमें फ्रंट कैमरा के लिए होल-पंच कटआउट मिलने की संभावना है. अपकमिंग फोल्डेबल फोन में रिंग डिजाइन के साथ गोल कैमरा मॉड्यूल मिल सकता है. नए ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन को Kirin 9 सीरीज चिपसेट की सपोर्ट के सथ लॉन्च किया जा सकता है. ऐसी रूमर है कि इस चिपसेट का इस्तेमाल हुआवे मेट 70 सीरीज के लिए भी हो सकता है. हुआवे ट्राई-फोल्ड सबसे महंगा फोल्डेबल स्मार्टफोन हो सकता है. इसका मुकाबला Samsung Galaxy Z Fold 6 के टॉप वेरिएंट होने की संभावना है. ऐसा माना जा रहा है की दुनिया के पहले ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन की संभावित कीमत 29,000 युआन यानी करीब 3.35 लाख रुपये हो सकती है.
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एपल आईफोन 16 सीरीज का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है. 9 सितंबर को आईफोन 16 मॉडल्स से पर्दा उठ जाएगा. उम्मीद है कि नए आईफोन फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस के लिहाज से बेहतर होंगे. लेकिन जैसे ही एपल इन आईफोन को लॉन्च करेगी, उसके अगले दिन हुआवे दुनिया का पहला ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन सामने लाएगी. हुआवे के ट्राई-फोल्ड फोन का नाम Huawei Mate XT हो सकता है. हुआवे एक चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी और सोशल मीडिया पर ट्राई-फोल्ड फोन को लेकर तेजी से चर्चा चल रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन को हुआवे के एक बड़े अधिकारी के हाथों में देखा गया है. हुआवे की Mate सीरीज का यह सबसे नया स्मार्टफोन होगा. एपल ने अभी तक फोल्डेबल फोन सेगमेंट में एंट्री नहीं ली है, लेकिन हुआवे के अलावा सैमसंग और गूगल जैसी टॉप टेक कंपनियां फोल्डेबल फोन की बिक्री करती हैं.

चाइनीज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर हुआवे कंज्यूमर बिजनेस ग्रुप के सीईओ रिचर्ड यू ने एक पोस्ट में कंफर्म किया कि पहले ट्राई-फोल्ड स्मार्टफोन को Huawei Mate XT के नाम से जाना जाएगा. इनके मुताबिक, यह पांच साल की लगातार मेहनत और साइंस फिक्शन को रियलिटी में बदलने का नतीजा है.

हुआवे मेट एक्सटी को चीन में 10 सितंबर 2024 को भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे लॉन्च किया जाएगा. कंपनी की अपकमिंग सेरेमनी में इस स्मार्टफोन की घोषणा होगी. इस फोन के अलावा कंपनी HarmonyOS स्मार्ट ड्राइविंग प्रोडक्ट्स को लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, हुआवे मेट एक्सटी को रिचर्ड यू के हाथों में देखा गया है. ट्रिपल फोल्डेबल फोन होने के नाते स्क्रीन के तीन सेक्शन मिल सकते हैं. इनमें दो इनवार्ड स्क्रीन, जबकि एक आउटवार्ड स्क्रीन होने की उम्मीद है. इन सभी को डुअल-हिंज टेक्नोलॉजी के जरिए एक साथ जोड़ा जाएगा.

इनर स्क्रीन साइज 10 इंच हो सकता है, जिसमें फ्रंट कैमरा के लिए होल-पंच कटआउट मिलने की संभावना है. अपकमिंग फोल्डेबल फोन में रिंग डिजाइन के साथ गोल कैमरा मॉड्यूल मिल सकता है. नए ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन को Kirin 9 सीरीज चिपसेट की सपोर्ट के सथ लॉन्च किया जा सकता है. ऐसी रूमर है कि इस चिपसेट का इस्तेमाल हुआवे मेट 70 सीरीज के लिए भी हो सकता है.

हुआवे ट्राई-फोल्ड सबसे महंगा फोल्डेबल स्मार्टफोन हो सकता है. इसका मुकाबला Samsung Galaxy Z Fold 6 के टॉप वेरिएंट होने की संभावना है. ऐसा माना जा रहा है की दुनिया के पहले ट्रिपल फोल्डेबल स्मार्टफोन की संभावित कीमत 29,000 युआन यानी करीब 3.35 लाख रुपये हो सकती है.