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आम आदमी पार्टी के 5 पार्षद बीजेपी में हुए शामिल

दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) बड़ा झटका लगा है. रविवार को आम आदमी पार्टी के 5 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए. जिन पांच पार्षदों ने बीजेपी ज्वाइन की है उसमें राम चंद्र बवाना, पवन सहरावत बवाना, मंजू निर्मल, सुगंधा बिधूड़ी और ममता पवन शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी के जिन पांच पार्षदों ने पाला बदला है उसमें राम चंद्र वार्ड नंबर 28, पवन सेहरावत वार्ड नंबर 30, मंजू निर्मल वार्ड नंबर 180, सुगंधा बिधूड़ी वार्ड नंबर 178 और ममता पवन वार्ड नंबर 177 के पार्षद हैं. इन पार्षदों के पाल बदलने के बाद अब सत्ताधारी पार्टी के सामने बाकी पार्षदों को एकजुट करके रखने की चुनौती पैदा हो गई है.

पांच पार्षदों के पार्टी छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि देश में डर का माहौल है, जिसे जाना है वो जाएगा. कौन किस वजह से पार्टी से जाने का फैसला किया है इसके बारे में तो मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन देश में डर का माहौल है. इस वक्त दिल्ली के अंदर जो माहौल है. बीजेपी के सामने बड़े-बड़े अफसर नतमस्तक हैं तो उनके सामने छोटे-छोटे पार्षद क्या हैं.

वहीं, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ये जो पांच पार्षद भाजपा में शामिल हुए हैं वे आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार और काम न करने के रवैये से तंग आ चुके हैं. इन सभी की एक ही राय है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी सबको साथ लेकर चल रहे हैं, उसी तरह से वे भी दिल्ली में अपने लोगों के लिए ऐसा ही काम करना चाहते हैं. हम सभी पार्षदों का स्वागत करते हैं.

गृह मंत्री अमित शाह ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का किया उद्घाटन

गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को रायपुर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का वर्चुअल उद्घाटन किया, साथ ही बैठक में भी शामिल हुए. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी मौजूद रहे.

इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, मोदी सरकार ने भारत को नशामुक्त बनाने का संकल्प लिया हुआ है और इस के लिए बहुत काम हो रहा है. उन्होंने आगे कहा, यह एक वैश्विक समस्या है, 

इस लड़ाई को शिद्दत और जुनून के साथ लड़ना होगा. इस मौके पर उन्होंने कहा हमने लक्ष्य रखा है कि देश में हर राज्य में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बनाया जाए स्थापना की जाए.

नशे का पैसा नक्सलवाद में होता है इस्तेमाल”

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का उद्घाटन करने के बाद अमित शाह ने कहा, दुनिया के कई देश नशे के खिलाफ लड़ाई हार चुके हैं. उन्होंने आगे कहा, नारकोटिक्स से कमाया हुआ पैसा आतंकवाद और नक्सलवाद में इस्तेमाल होता है. नारकोटिक्स से अर्जित किया हुआ धन देश को बर्बाद करने में लगा है.

अमित शाह ने सामने रखे आंकड़े

अमित शाह ने नारकोटिक्स ऑफिस की जानकारी देते हुए कहा, नशे की रोकथाम के लिए यह प्रभावी कदम उठाया गया है और 5000 वर्ग फीट में रायपुर में नारकोटिक्स का ऑफिस फैला हुआ है. साथ ही उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, ड्रग ट्रैफिकिंग का ट्रेंड बदल रहा है, सिंथेटिक ड्रग का इस्तेमाल बढ़ रहा है ये काफी खतरनाक है.

अमित शाह ने बताया कैसे बढ़ रहा नशा

गृह मंत्री ने बताया, छत्तीसगढ़ में गांजे की तस्करी एक बहुत बड़ी चुनौती है. छत्तीसगढ़ में गांजे की राष्ट्रीय खपत का अनुपात दोगुना है. जांच एजेसियों को साइंटिफिक अप्रोच ले जाने की जरूरत है. नशे का तंत्र नष्ट होना चाहिए, पूरी चेन को समाप्त करना होगा. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नशे पुनर्वास केन्द्रों का बराबर अपग्रेडेशन होना चाहिए.

नशे के फैलने के लिए न्यू एज चैलेंज 

का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा, जैसे क्रिप्टो, ई कामर्स ड्रोन के जरिए डेलिवरी, टेली हेल्थ सेवा, मोबाइल ऐप ऐसी चुनौतियां हैं जो हाल की दिनों में उपजी हैं उनपर काबू पाने के लिए प्रभावी रणनीति बननी चाहिए.

छत्तीसगढ़ बनेगा विकसित राज्य”

अमित शाह ने बताया,छत्तीसगढ़ में नशे का इस्तेमाल 1.45 है जोकि राष्ट्रीय औसत से अधिक है, 22000 करोड़ के ड्रग्स सीज किए गए है. साथ ही उन्होंने कहा, जो लक्ष्य तय किए गए हैं उसका रिव्यू भी किया जाना है. फाइनेंशियल ट्रेंड और फंडिंग का सोर्स बड़ा चैलेंज है, कुछ ही सालों में जैसे छत्तीसगढ़ सरकार काम कर रही है, ये एक विकसित राज्य बनेगा. नशामुक्त भारत में छत्तीसगढ़ अपना प्रमुख योगदान करेगा, नशीले पदार्थों का उपयोगकर्ता विक्टिम है और व्यापार करने वाला अपराधी.

कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल,भगवान कृष्ण ने आखिर क्यों तोड़ दी थी अपनी पसंदीदा बांसुरी,जाने

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार दुनियाभर में बड़े धूम-धाम से मनाते हैं. 26 अगस्त 2024 को इस बार जन्माष्टमी मनाई जा रही है. इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. जब भी भगवान कृष्ण की छवि सामने आती है तो उनके हाथ में बांसुरी जरूर होती है. कहा जाता है कि कृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय थी और जब भी वे बांसुरी बजाते थे तो गोपियां उस आकर्षण में खिंची चली आती थीं. सभी कृष्ण की बांसुरी की धुन के दीवाने हो जाते थे. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब कृष्ण ने अपनी सबसे प्रिय बांसुरी तोड़कर फेंक दी थी. बता रहे हैं कि आखिर वो कौन सी बात थी जो कृष्ण को ये कदम उठाना पड़ा था.

क्या है कहानी

राधा और कृष्ण का प्यार दुनियाभर में मशहूर है. आज भी कृष्ण से पहले राधा का नाम लिया जाता है. राधे-कृष्ण के प्रेम की मिसाल दी जाती है. भले ही कृष्ण और राधा ने कभी शादी नहीं की लेकिन उनके मन में राधा के लिए जो स्थान, प्यार और सम्मान था वो और किसी के लिए नहीं था. ये भाव ताउम्र रहा. कहा ये भी जाता है कि कृष्ण सिर्फ राधा रानी के लिए ही बांसुरी बजाते थे. राधा को भी कृष्ण की बांसुरी सुनना बहुत अच्छा लगता था और वे बांसुरी की मधुर धुन से कृष्ण की ओर खिंची चली आती थीं.

जब राधा को छोड़कर मथुरा चले गए

भगवान कृष्ण और राधा एक-दूसरे के लिए बने थे और हमेशा साथ रहते थे. लेकिन वक्त की अपनी मांग होती है. एक समय ऐसा भी आया जब अपने दायित्वों की पूर्ति के लिए कृष्ण भगवान को वृंदावन छोड़कर मथुरा जाना पड़ा. वे राधा से दूर चले गए. जाते-जाते राधा ने कृष्ण भगवान से ये वचन मांगा था कि जब उनका अंतिम समय आएगा तब कृष्ण उन्हें एक बार दर्शन जरूर देंगे. कृष्ण ने भी राधा की इस बात को स्वीकार कर लिया था. वे राधा से दूर तो हो गए थे लेकिन हमेशा अपने साथ बांसुरी रखते थे.

क्यों तोड़ दी बांसुरी

वचन के मुताबिक जब राधा का अंतिम समय आया तो उन्होंने कृष्ण से मिलना चाहा. कृष्ण उस समय द्वारका नगरी बसा चुके थे और द्वारकाधीश थे. उन्होंने अपना वर्षों पुराना वचन निभाया और वे राधा रानी से मिले. ये इस लोक में राधा संग उनकी अंतिम मुलाकात थी. वादे के मुताबिक कृष्ण ने राधा रानी के सामने बांसुरी भी बजाई. बांसुरी की मधुर धुन सुन राधा ने कृष्ण के कंधे पर सिर रखा और धुन सुनते-सुनते ही अपने प्राण त्याग दिए. ये दर्द कृष्ण बर्दाश्त न कर सके और उन्होंने विरह में बांसुरी तोड़ कर झाड़ियों में फेंक दी. इसके बाद कृष्ण ने ये निश्चय किया कि वे कभी बांसुरी नहीं बजाएंगे और उन्होंने फिर कभी बांसुरी नहीं बजाई.

पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पहुंचे पंजाब,बीजेपी पर हमला करते हुए कही ये बात

आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पंजाब पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा, जब जेल में था तो पंजाब के लोगों को बहुत याद करता था, पंजाब की टीम को एक्शन में देखकर खुश भी होता था, यह लोग पंजाब में बहुत काम कर रहे हैं. मनीष सिसोदिया ने कहा, मुझे खुशी है ऊपर वाले ने मुझे बाहर निकाला और अरविंद केजरीवाल भी जल्द बाहर आएगें.

मनीष सिसोदिया सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के दरवाजे पर माथा टेकने रविवार को पंजाब पहुंचे हैं, जहां वो पहले माथा टेकेंगे और फिर लोगों से मुलाकात करेंगे.

बीजेपी पर किया हमला

एयरपोर्ट पर उतर कर मनीष सिसोदिया ने बातचीत की और बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, मैं जब जेल में था तो ऊपर वाले से दुआ करता था कि जिस तरह से बीजेपी साजिश रच रही है, उसमें दो ही चीजें काम आएंगी. पहली, भगवन की कृपा और दूसरा देश का संविधान. उन्होंने आगे कहा, देश के संविधान की ताकत की बदौलत इनकी साजिश नाकाम हुई और मैं बाहर आया.

माथा टेकने पहुंचे पंजाब

मनीष सिसोदिया ने बताया कि वो पंजाब सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के दरवाजे पर माथा टेकने आए हैं. उन्होंने कहा, जेल से ही मैंने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब को प्रणाम किया था और अरदास की थी कि मैं बाहर आकर दर्शन करने आऊंगा. मेरी यह इच्छा अब पूरी हो गई है, इसीलिए मैं माथा टेकने आया हूं.

केजरीवाल भी जल्द बाहर आएंगे”

मनीष सिसोदिया ने कहा, पंजाब की सरकार सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में शानदार काम कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द अरविंद केजरीवाल भी जेल से बाहर आएंगे फिर वह इकट्ठे होकर देश के लोगों के लिए काम करेंगे. हालांकि जम्मू और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पूछे गए सवाल का जवाब देने से मनीष सिसोदिया बचते हुए नजर आए. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पिछले 17 महीने से कथित शराब घोटाले के चलते जेल में बंद थे, जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी और वो 9 अगस्त को जेल से बाहर आए.

अगर कोई महिलाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर अश्लील या भद्दा कमेंट या पोस्ट करते हैं तो हो जाएँ सावधान, हो सकती हैं सजा

भारत में सभी के पास फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन इस्तेमाल करने का अधिकार होता है. यह अधिकार संविधान ने सबको दिया है. लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं होता कि आप फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की आड़ में किसी को भी कुछ भी कह दें. सोशल मीडिया लोगों की जिंदगी में हावी हुआ है. तब से लोग किसी को भी कुछ भी बिना किसी अकाउंटेबिलिटी के कह देते हैं.

सोशल मीडिया से महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाना कानूनन जुर्म

बॉम्बे हाई कोर्ट में 21 अगस्त को एक मामला आया. मामला महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने को लेकर जुड़ा था. सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस एएस गडकरी और नीला गोखले ने मामले को लेकर कहा कि है 'सोशल मीडिया पर लिखे गए ऐसे शब्द जो किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचा सकते हैं. तो वह आईपीसी की धारा 509 के तहत अपराध है.' जहां एक शिकायतकर्ता महिला ने एक व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 509 के तहत केस दर्ज कराया

जिसमें महिला ने आरोप लगाया था कि साउथ मुंबई की एक सोसायटी में रहने के समय वहीं एक व्यक्ति ने उस महिला के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक ईमेल लिखे थे. जिसमें महिला के कैरेक्टर पर टिप्पणी की गई थी. तो वहीं उस व्यक्ति ने ईमेल को सोसायटी के दूसरे लोगों को भी भेजा था. 

आईपीसी की धारा 509 के तहत होगी कार्रवाई

महिला के इस आप के खिलाफ व्यक्ति ने हाई कोर्ट में अपील की जहां उसने बताया कि आईपीसी की धारा 509 के तहत बोले गए शब्द अगर किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं तब कार्रवाई हो सकती है ना कि सोशल मीडिया पोस्ट या किसी ईमेल में लिखे गए. इस पर कोर्ट ने कहा आईपीसी की धारा 509 को लेकर कहा कि सोशल मीडिया हो या मेल यहां भी ऐसी बातें लिखी जाएं जो किसी महिला की गरिमा के खिलाफ है. तो वह कानूनन जुर्म ही है. 

कितनी हो सकती है सजा?

बता दें आईपीसी की धारा 509 के तहत के सोने पर व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है और उसके खिलाफ लगाए गए आप अगर साबित होते हैं. तो उसे 3 साल तक की जेल भी हो सकती है इसके साथ ही जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है. 

कोलकाता रेप केस,बार-बार बयान बदल रहा है संजय रॉय

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप कर हत्या के मामले में आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के बाद संजय रॉय ने अपना अपराध कबूल कर लिया था और उसे फांसी की सजा दी जाए. यह बात कही थी, लेकिन अब सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की है और सीबीआई ने संजय रॉय को लेकर न केवल आरजीकर अस्पताल गई और वारदात को रिक्रिएट कराया, बल्कि घंटों पूछताछ की है. साइकोलॉजिकल टेस्ट करवाये गये हैं और अब पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए भी कोर्ट से अनुमति मिल गई है.

आरोपी संजय रॉय ने भी खुद पॉलीग्राफी टेस्ट को लेकर सहमति जताई है, लेकिन जैसे-जैसे जांच और पूछताछ आगे बढ़ रही है. आरोपी संजय रॉय गिरगिट की तरह रंग बदल रहा है. गिरफ्तारी के बाद संजय रॉय ने अपराध कबूल किया था, लेकिन अब खुद को को निर्दोष बता रहा है.

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आरजी कर मामले में गिरफ्तार आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय बार-बार अपना बयान बदल रहा है. उसके बयान में काफी विसंगतियां पाई गई हैं. इससे पहले, कोलकाता पुलिस की हिरासत में रहते हुए आरोपी ने पूछताछ के दौरान अपराध कबूल कर लिया था. हालांकि, जांच सीबीआई के हाथ में जाते ही आरोपी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा है. केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक वह बार-बार अपना बयान बदल रहा है.

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान वह भ्रामक जानकारी देने की कोशिश कर रहा है. वह अस्पताल जाने के समय और कारण, सेमिनार कक्ष में जाने के समय और सेमिनार कक्ष में जाने के कारण के बारे में अलग-अलग बात कह रहा है.

पूछताछ के दौरान आरोपी ने दावा किया कि घटना वाले दिन वह सेमिनार रूम में नहीं गया था. उसने झांक कर देखा था. अगले दौर की पूछताछ में उसने बताया कि सेमिनार रूम में उसने किसी को नहीं देखा. साथ ही, उसका ब्लूटूथ हेडफोन घटनास्थल तक कैसे पहुंचा? उसने इसका कोई जवाब नहीं दिया. उसके शरीर पर खरोंच कैसे लगी? इसको लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. इस पर भी उनसे कोई सटीक जवाब नहीं दिया है. इसलिए आरोपीका पॉलीग्राफ टेस्ट सीबीआई अधिकारियों के लिए बेहद अहम है.

हर बार एक नई कहानी बता रहा है आरोपी

हालांकि जांच अधिकारियों का दावा है कि उनके पास पर्याप्त सबूत, सीसीटीवी फुटेज, आरोपियों की गतिविधियों से संबंधित विभिन्न फुटेज हैं. इन सब से यह तो साफ है कि आरोपी खुद को सीबीआई के हाथों से बचने की कोशिश कर रहा है. इसलिए जल्द से जल्द आरोपी का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने की कोशिश की जा रही है. ज्ञात हो कि आरोपी को आरजी कर की वारदात के बाद 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार किया गया था. सूत्रों के मुताबिक, हिरासत में रहते हुए उसने सारे अपराध कबूल कर लिये थे. पूछताछ के दौरान उसने जांच अधिकारियों से कहा, ‘मुझे फांसी पर लटका दो…’

यही नहीं, जब आरोपी संजय रॉय को शुक्रवार को पेश किया गया था और पॉलीग्राफ टेस्ट पर सहमति मांगी गई तो आरोपी रोने लगा था और कहने लगा था कि वह निर्दोष है. उसने कहा था कि उसने इसीलिए पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए सहमति दी है. इसके साथ ही जब उसे प्रेसिडेंसी जेल में ले जाया गया तो वह उस दौरान भी वह कई लोगों से कहा कि उसने किसी को नहीं मारा है. सीबीआई पूछताछ में भी उसने कहा कि उसने किसी को नहीं मारा है.

क्या पॉलीग्राफी टेस्ट से सच आएगा सामने?

ऐसे में सीबीआई सच जानने के लिए पॉलीग्राफी टेस्ट का सहारा ले रही है. सीबीआई के अधिकारी गिरफ्तार संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट की सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए करीब डेढ़ घंटे तक प्रेसीडेंसी जेल रहे और और पूरी प्रक्रिया की तैयारी की. सीबीआई के अधिकारी रविवार और सोमवार को संजय रॉय का पॉलीग्राफी टेस्ट कर सकते हैं.

बता दें कि यदि पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान आरोपी झूठ बोलता है तो आमतौर पर उसकी हृदय गति बढ़ जाती है, रक्तचाप बढ़ जाता है, अत्यधिक पसीना आता है, सांस लेने में कठिनाई होती है, त्वचा में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं. ये पहलू ही इस बात के निर्धारक हैं कि कोई झूठ बोल रहा है या नहीं. उसी के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि आरोपी झूठ बोल रहा है या सच बोल रहा है.

वरिष्ठ अधिकारी ने पॉलीग्राफी टेस्ट के बारे में बताया कि प्रत्येक प्रश्न को तीन बार पूछा जाता है. आरोपी ने हां और ना में जवाब दिया. यदि उत्तर तीन बार एक ही है, तो इसका मतलब है कि वह झूठ नहीं बोल रहा है और यदि उत्तर में कोई विसंगति है, तो मॉनिटर आरोपी के विभिन्न शारीरिक परिवर्तनों को दिखाता है, हालांकि अदालतें पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट पर विशेष निर्भरता नहीं रखना चाहती है, लेकिन जैसा कि होता है, मन पर नियंत्रण हमेशा नहीं रहता. इसलिए कई लोग पकड़े जाते हैं और सीबीआई पॉलीग्राफी टेस्ट से यही हासिल करना चाहती है.

मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना में छात्रों को मिल रहा है इतना लाख रुपये,जानें कैसे करें योजना में आवेदन ?

केंद्र सरकार देश के लोगों के लिए बहुत सी योजनाएं लेकर आती है. इन योजनाओं का सीधा लाभ देश के नागरिकों को होता है. तो केंद्र सरकार के साथ ही अलग-अलग राज्यों की सरकारें भी अपने राज्य के नागरिकों के लिए अलग-अलग योजनाएं लेकर आती है. जिनमें जरूरतमंदों और गरीब लोगों को लाभ दिया जाता है.

हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक नई योजना शुरू की है. मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना, इस योजना के जरिए हरियाणा सरकार अपने राज्य के छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करेगी. इसी स्कॉलरशिप में 1,11000 रुपये सीधे छात्रों के खाते में भेजे जाएंगे. किन छात्रों को मिल पाएगा इस योजना के तहत लाभ क्या है इसके लिए पात्रता चलिए आपको बताते हैं. 

अनुसूचित वर्ग के छात्रों को मिलेगा फायदा

हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने प्रदेश के अनुसूचित वर्ग के छात्रों के लिए एक नई योजना शुरू की है. इस मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना का लाभ प्रदेश में अनुसूचित वर्ग के छात्रों को दिया जाएगा. योजना के तहत सरकार की ओर से 1,11,000 रुपये की आर्थिक सहायता अनुसूचित वर्ग के छात्रों को दी जाएगी.

बता दें योजना में आवेदन देने के लिए कुछ नियम भी बनाए गए हैं. यह योजना छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता देने के लिए है. योजना के तहत जो छात्र 12वीं क्लास के एग्जाम्स में 90% से ज्यादा मार्क्स लेकर आता है. उस छात्र को 1,11,000 रुपये दिए जाएंगे. यह राशि सीधे छात्र के खाते में भेजी जाएगी.

योजना के लिए जरूरी दस्तावेज

हरियाणा की मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना के तहत अनुसूचित वर्ग के छात्रों को आवेदन करने के लिए कुछ दस्तावेज जमा करने जरूरी होंगे. इनमें 12वीं की मार्कशीट, आधार कार्ड, राशन कार्ड, परिवार पहचान पत्र, हरियाणा जाति प्रमाण पत्र, परिवार की वार्षिक इनकम का सर्टिफिकेट, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक खाता डीटेल्स और हरियाणा का निवासी प्रमाण पत्र शामिल है. 

कैसे करें योजना में आवेदन ?

मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले सरल हरियाणा की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होगा. पोर्टल पर पहले आपको रजिस्ट्रेशनकरना होगा. इसके बाद लॉगइन आईडी और पासवर्ड दर्ज करके लॉगइन कर करना होगा. इसके बाद आपको सर्च बार में जाकर 'Mukhyamantri Medhavi Chhatra Yojana' नाम लिख कर सर्च करना होगा.

फिर आपको फैमिली आईडी नंबर दर्ज करनी होगी. फिर सेंड ओटीपी के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. इसके बाद जो नंबर आपकी फैमिली आईडी में दर्ज है उस पर ओटीपी आ जाएगा वह दर्ज करना होगा. इसके बाद स्क्रीन पर आपके सामने परिवार के सदस्यों के नाम आएंगे. इनमें जिसके नाम योजना का लाभ लेना है उसे सिलेक्ट करना होगा. फार्म भरने के बाद डॉक्युमेंट्स अपलोड करके फॉर्म सबमिट कर देें. 

यूनीफाइड पेंशन स्कीम का मोदी सरकार ने किया ऐलान,जाने योजना की 10 बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को एकीकृत पेंशन योजना (यूनीफाइड पेंशन स्कीम) को मंजूरी दे दी. इस स्कीम का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित पेंशन, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन प्रदान करना है. लोकसभा चुनाव के बाद सरकारी कर्मचारियों के लिए घोषित योजनाओं में केंद्र सरकार की यह योजना बहुत ही बड़ी मानी जा रही है. इस योजना के माध्यम से केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को ने केवल लुभाने की कोशिश की है, बल्कि केंद्र सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगें पूरी की है.

आइए जानते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से घोषित यूनीफाइड पेंशन स्कीम की दस बड़ी बातें क्या हैं? जिन्हें केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद ऐलान किया है.

1,केंद्र सरकार की कैबिनेट में मंजूर की गई यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी. यूपीएस के तहत, सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में सुनिश्चित किया है.

2,नई योजना के अनुसार, सरकारी कर्मचारी 25 साल की न्यूनतम योग्यता सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में ली गई औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में पाने के पात्र होंगे. यूपीए योजना के तहतसुनिश्चित पारिवारिक पेंशन के लिए, कर्मचारी की पेंशन का 60 प्रतिशत उसके निधन से तुरंत पहले निकाला जा सकता है.

3,इस योजना के तहत सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन के मामले में, सरकारी कर्मचारी न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर 10,000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने के पात्र होंगे. एकीकृत पेंशन योजना की शुरूआत नई पेंशन योजना (एनपीएस) में बदलाव के लिए सरकारी कर्मचारियों की व्यापक मांगों के मद्देनजर की गई है.

4,एनपीएस, जिसे 2000 के दशक की शुरुआत में लागू किया गया था, की गारंटीकृत पेंशन राशि प्रदान नहीं करने के लिए आलोचना की गई थी, जिससे कई कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद अपनी वित्तीय सुरक्षा के बारे में अनिश्चित हो गए थे.

5,कर्मचारियों की ओर से नई पेंशन योजनाओं में कुछ बदलाव की मांग की थी. इसके मद्देनजर मोदी ने कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया गया था.

6,अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस समिति ने विभिन्न संगठनों और लगभग सभी राज्यों के साथ 100 से अधिक बैठकें कीं. उसके बाद इस योजना को मंजूरी दी गयी.

7,वैष्णव ने बताया कि यूपीएस पांच प्रमुख स्तंभों पर बनाया गया है. पहला और सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ सुनिश्चित पेंशन है, जो सेवानिवृत्ति के बाद की गारंटीकृत आय के लिए सरकारी कर्मचारियों की प्राथमिक मांग को सीधे संबोधित करता है. अन्य स्तंभ, जिनमें सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन शामिल हैं, योजना द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सुरक्षा को और बढ़ाते हैं.

8,नई योजना के तहत, सेवानिवृत्त लोगों को सेवानिवृत्ति से पहले सेवा के अंतिम 12 महीनों से उनके औसत मूल वेतन का 50% पेंशन मिलेगी. यह लाभ उन लोगों के लिए बनाया गया है जिन्होंने न्यूनतम 25 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है. 25 वर्ष से कम लेकिन 10 वर्ष से अधिक की सेवा वाले कर्मचारियों के लिए, पेंशन सेवा की लंबाई के अनुपात में होगी.

9,किसी कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में, उनके परिवार को पेंशन मिलेगी जो उस पेंशन का 60 फीसदी होगी जो कर्मचारी को उनकी मृत्यु से ठीक पहले मिल रही थी. यह प्रावधान कर्मचारी के आश्रितों के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

10,यह योजना प्रति माह 10,000 रुपए की न्यूनतम पेंशन की गारंटी भी देती है, बशर्ते कर्मचारी ने कम से कम 10 वर्षों तक सेवा की हो. यह उपाय कम वेतनमान वाले कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मुद्रास्फीति और वित्तीय अनिश्चितताओं में हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल महाराष्ट्र और राजस्थान के दौरे पर,इन कार्यक्रमों में होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 अगस्त को महाराष्ट्र और राजस्थान का दौरा करेंगे। सुबह 11:15 बजे प्रधानमंत्री जलगांव में लखपति दीदी सम्मेलन में भाग लेंगे। पीआईबी के मुताबिक, प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के तहत 11 लाख नई लखपति दीदियों को सम्मानित करेंगे और उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान करेंगे। इसके अलावा, प्रधानमंत्री 2,500 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड जारी करेंगे, जिससे 4.3 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लगभग 48 लाख सदस्यों को लाभ मिलेगा। 

वह 5,000 करोड़ रुपये का बैंक ऋण भी वितरित करेंगे, जिसका लाभ 2.35 लाख एसएचजी के 25.8 लाख सदस्यों को मिलेगा। बता दें कि लखपति दीदी योजना के तहत अब तक एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जा चुका है, और सरकार ने 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।

राजस्थान हाई कोर्ट में कार्यक्रम

इसके बाद शाम करीब 4:30 बजे प्रधानमंत्री जोधपुर में राजस्थान हाई कोर्ट के प्लेटिनम जयंती समारोह के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री राजस्थान हाई कोर्ट म्यूजियम का उद्घाटन भी करेंगे। इस दौरान राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायाधीश पंकज मिथल, ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, न्यायाधीश संदीप मेहता और केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित रहेंगे। 

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

राजस्थान में पीएम मोदी के अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी रविवार को जोधपुर में रहेंगे, जिसको देखते हुए भी सुरक्षा के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। पुलिस प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहेगी। गुरुवार को पुलिस कमिश्नर ने जोधपुर में ड्रोन और अन्य फ्लाइंग ऑब्जेक्ट उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया। ड्रोन उड़ाने के लिए अनुमति लेना आवश्यक होगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

संदीप घोष RG Kar में भ्रष्टाचार के मामले में CBI ने दर्ज की FIR,लटक रही है गिरफ्तारी की तलवार

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में सीबीआई मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से पिछले 9 दिनों से पूछताछ कर रही है. अब सीबीआई ने उसके खिलाफ आरजीकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज की है. ऐसे में सीबीआई संदीप घोष पर लगातार शिकंजा कस रही है. सूत्रों का कहना है कि संदीप घोष के बयान में काफी विसंगतियां हैं. ऐसे में उन पर लगातार गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.

सीबीआई ने संदीप घोष के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है. सीबीआी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिसिंपल पर वित्तीय अनिमिययता का मामला दर्ज किया है.

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने एसआईटी बनाकर इसकी जांच करने को कहा था, लेकिन मेडिकल कॉलेज के ही पूर्व असिस्टेंट सुप्रीटैंडेट अख्तर अली ने पूर्व प्रिसिंपल के खिलाफ आरोप लगाए थे. उसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने आरजी कर में भ्रष्टाचार के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी कि एक यंग लॉयर ने हमें कॉलेज में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ दस्तावेज दिया था.

सीबीआई ने संदीप घोष पर कसा शिकंजा

सूत्रों के अनुसार संदीप घोष के खिलाफ एफआईआर कोलकाता के निजाम पैलेस में केंद्रीय जांच एजेंसी की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा दर्ज की गई. आरजी कर हॉस्पिटल और पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार मामले की जांच सीबीआई पहले ही अपने हाथ में ले चुकी है. राज्य सरकार की नवगठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने शनिवार सुबह मामले के दस्तावेज उन्हें सौंप दिये.

9 अगस्त की सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज से एक महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था. उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. पूरे देश में हंगामा मच गया है. इस संदर्भ में आरोप लगाया गया है कि आरजी कर अस्पताल में तीन साल से अधिक समय से वित्तीय भ्रष्टाचार चल रहा है. राज्य सरकार द्वारा 16 अगस्त को एक एसआईटी का गठन किया गया था. इसका नेतृत्व आईपीएस अधिकारी प्रणब कुमार कर रहे थे.

कोलकाता पुलिस ने सीबीआई को सौंपे दस्तावेज

कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि आरजी कर वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में राज्य पुलिस की एसआईटी पर कोई भरोसा नहीं है. उस मामले में जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की एकल पीठ ने शुक्रवार को कहा कि अगर कई एजेंसियां जांच करेंगी तो मामला अधिक जटिल और समय लेने वाला हो सकता है. इसके बाद हाई कोर्ट ने वित्तीय भ्रष्टाचार मामले की जांच सीबीआई को करने का निर्देश दिया.

अधिवक्ता तरुणज्योति तिवारी ने आरजी कर कॉलेज एवं हॉस्पिटल में मल्टीपल बेनियाम्स का सिद्धांत प्रस्तुत किया. मुर्दाघर से शवों के गायब होने के आरोपों से लेकर ‘मेडिकल कचरे’ में भ्रष्टाचार के आरोप तक सामने आए हैं. संदीप घोष की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं.

अस्पताल के पूर्व अपर अधीक्षक अख्तर अली ने उन पर उंगली उठाई थी. वह वही व्यक्ति थे जिन्होंने आरजी कर अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में ईडी और सीबीआई से जांच की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. इस बार केस को सीबीआई ने ले लिया. एसआईटी की ओर से उन्हें दस्तावेज सौंपा गया. लेकिन क्या संदीप घोष की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है. उनसे शनिवार को भी पूछताछ की जा रही है. सियालदह कोर्ट ने सीबीआई को उनका पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की इजाजत दे दी.