भारत बंद में शामिल है कौन कौन से संगठन और क्या है इनकी प्रमुख मांग, डिटेल में जानिए...
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे के भारत बंद का आह्वान किया है। यह बंद बुधवार, 21 अगस्त 2024 को किया गया है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस (NACDAOR) नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दलित और आदिवासी समुदायों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) आरक्षण में 'कोटा के भीतर कोटा' बनाने का फैसला दिया है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारें SC/ST श्रेणियों के भीतर उप-श्रेणियां बना सकती हैं, ताकि सबसे जरूरतमंद को आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके। इस फैसले के अनुसार, राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे आरक्षण के लिए अपनी विधानसभाओं में कानून बना सकें। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया, जो कि 2004 के एक पुराने फैसले को पलटता है।
इस फैसले के बाद देशभर में विरोध की लहर दौड़ गई है। विरोध करने वाले संगठनों का मानना है कि यह फैसला आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है। वे कहते हैं कि इससे सामाजिक न्याय की धारणा कमजोर होगी और आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विरोधियों का तर्क है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के लिए आरक्षण दिया गया था, और इसे समाप्त करने की कोशिशें सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
भारत बंद का आह्वान इसलिए किया गया है ताकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी जा सके और इसे वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव डाला जा सके। NACDAOR ने सभी दलित, आदिवासी और OBC समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे इस शांतिपूर्ण आंदोलन में हिस्सा लें और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें।
भारत बंद के दौरान संगठनों की प्रमुख मांगें
सरकारी नौकरियों में SC/ST/OBC कर्मचारियों का जातिगत डेटा जारी किया जाए।
न्यायिक अधिकारियों और जजों की नियुक्ति के लिए भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की जाए, ताकि इन वर्गों का हायर ज्यूडिशियरी में 50% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
केंद्र और राज्य सरकार के विभागों में बैकलॉग रिक्तियों को भरा जाए।
निजी क्षेत्र में भी सकारात्मक कार्रवाई की नीतियां लागू की जाएं।
संसद में एक नया अधिनियम पारित कर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि आरक्षण प्रावधानों को न्यायिक हस्तक्षेप से सुरक्षा मिल सके।
भारत बंद को विभिन्न दलित और आदिवासी संगठनों के साथ ही कई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है। इनमें बहुजन समाज पार्टी (BSP), भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम), भारत आदिवासी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) जैसे संगठन शामिल हैं। कांग्रेस ने भी इस बंद का समर्थन किया है।
बंद के दौरान आवश्यक सेवाएं जैसे हॉस्पिटल, एंबुलेंस और इमरजेंसी सेवाएं सामान्य रूप से चालू रहेंगी। सरकारी दफ्तर, स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप और बैंक भी खुले रह सकते हैं। हालांकि, मांस और शराब की दुकानों पर बंद का असर पड़ सकता है।
बंद के दौरान राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में व्यापक असर देखने को मिल सकता है। कई जगहों पर स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है और पुलिस-प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। भारत बंद के जरिए दलित और आदिवासी संगठन अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आरक्षण के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
Aug 21 2024, 13:32