/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz सितंबर में अमेरिका जाएंगे नेता विपक्ष राहुल गांधी ! पिछले विदेशी दौरों पर हो चुका है विवाद India
सितंबर में अमेरिका जाएंगे नेता विपक्ष राहुल गांधी ! पिछले विदेशी दौरों पर हो चुका है विवाद

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सितंबर में अमेरिका जाने की संभावना है, जहां वे भारतीय प्रवासियों, छात्रों और अमेरिकी सांसदों से मुलाकात कर सकते हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी सितंबर के दूसरे सप्ताह में अमेरिका के लिए रवाना हो सकते हैं और वहां 8 से 9 दिनों तक रह सकते हैं। उनका यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार का दौर चरम पर है।

उल्लेखनीय है कि, 2014 से 2024 तक लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद खाली रहा था, क्योंकि उस समय कोई भी विपक्षी दल इस पद के लिए पर्याप्त सांसदों की संख्या नहीं जुटा पाया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की सीटों की संख्या 99 पहुंचने के बाद, 25 जून, 2024 को राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया। अब नेता विपक्ष बनने के बाद ये उनका पहला विदेशी दौरा होने जा रहा है। लेकिन इससे पहले बीते 10 सालों में राहुल, जब जब विदेश गए हैं, वहां दिए गए उनके बयानों से भारत में जमकर सियासी बवाल मचा है। 

राहुल गांधी के विदेश दौरे और विवाद

बता दें कि, राहुल गांधी का चुनावी मौसम के दौरान या ऐसे समय जब उनकी पार्टी को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, जनता को बताए बिना 'गुप्त' छुट्टियों पर जाने का इतिहास रहा है। वे विदेश किसलिए जाते हैं, वहां जाकर वे किससे मिलते हैं ? ये तमाम बातें मीडिया में भी नहीं आती। बाद में उनकी मुलाकातों की तस्वीरें जब सोशल मीडिया के जरिए सामने आती हैं, तब उनपर बवाल होता है, क्योंकि अधिकतर समय कोई न कोई भारत विरोधी शख्स उनके साथ नज़र आ ही जाता है। 

अप्रैल 2022 में, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा पार्टी में शामिल होने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद, राहुल गांधी अचानक गायब हो गए थे। रिपोर्टों में बताया गया था कि गांधी 10 दिनों से अधिक समय तक लापता रहे और उनसे संपर्क नहीं हो सका, जिससे पार्टी को संकट के दौरान अकेले ही कार्रवाई करनी पड़ी। इससे पहले दिसंबर 2021 में, वायनाड के सांसद 2022 में होने वाले 5 राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अभियान और रैलियों से पहले इटली की निजी यात्रा पर निकल गए थे। जिसके कारण पार्टी को पंजाब में राहुल गांधी की पहले से निर्धारित रैली को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 

दिवाली 2021 से ठीक पहले, राहुल गांधी फिर से बिना किसी सूचना के लापता हो गए थे, कथित तौर पर लंदन चले गए थे। उसी वर्ष 5 नवंबर को, यह बताया गया कि गांधी 'लंबी छुट्टी' पर थे। यहाँ तक कि, संसद में बोलने न देने का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी, संसद में शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक पहले अचानक विदेश निकल गए थे और लगभग एक महीने बाद लौटे। उस वक्त भाजपा ने राहुल गांधी पर कटाक्ष किया था और उनकी लंदन यात्रा पर सवाल उठाए थे। सितंबर 2021 में, जब पंजाब में कांग्रेस पार्टी अमरिंदर सिंह के इस्तीफे से संकट का सामना कर रही थी, तब गांधी परिवार शिमला में छुट्टियां मना रहा था।

दिसंबर 2020 में राहुल गांधी अपनी पार्टी के 136वें स्थापना दिवस का कार्यक्रम छोड़कर इटली निकल लिए थे। उनकी पार्टी के नेता एक स्पष्टीकरण पर सहमत नहीं हो सके और आगे चलकर खुद को मीडिया के सवालों का निशाना बना गए। अक्टूबर 2019 में, हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से 15 दिन पहले, राहुल गांधी कथित तौर पर बैंकॉक के लिए रवाना हो गए थे। उसी साल जून में, संसदीय चुनावों की मतगणना से पहले, राहुल गांधी UPA अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुए और छुट्टी मनाने के लिए लंदन चले गए।

बता दें कि, नवंबर 2019 में, भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी से उनकी विदेश यात्राओं पर विशेष सुरक्षा समूह (SPF) कर्मियों को अपने साथ नहीं ले जाने के फैसले के बारे में सवाल किया था। राजनाथ सिंह ने कहा था कि, 'पिछले दो वर्षों में, राहुल गांधी छह विदेशी यात्राओं पर 72 दिनों के लिए बाहर गए थे। लेकिन उन्होंने SPG का सुरक्षा कवर नहीं लिया। उन्होंने SPG कवर क्यों नहीं लिया? हम जानना चाहते हैं कि राहुल गांधी SPG सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद विदेशी दौरों पर एसपीजी को साथ न ले जाकर क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।'

इस तरह का जानबूझकर उठाया गया कदम कथित तौर पर SPG अधिनियम का उल्लंघन है। भारत और विदेश दोनों में सुरक्षा नियमों के बार-बार उल्लंघन के मद्देनजर, 2019 में उनकी SPG सुरक्षा रद्द कर दी गई और उन्हें Z CRPF सुरक्षा कवर प्रदान किया गया था।

उल्लेखनीय है कि, राहुल गांधी 2023 में भी 10 दिवसीय अमेरिका दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने नेशनल प्रेस क्लब, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और 'थिंक टैंक' के साथ कथित तौर पर भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर चर्चा की थी। हडसन इंस्टीट्यूट ने इन "थिंक टैंक" के साथ गहन बातचीत में राहुल गांधी की तस्वीरें ट्वीट कीं थीं। हडसन इंस्टीट्यूट में हुए इस कार्यक्रम में ''सुनीता विश्वनाथ'' राहुल गांधी के साथ बैठी नज़र आईं थीं। अब गौर कीजिए कि, सुनीता विश्वनाथ HfHR की सह-संस्थापक हैं, जिन्होंने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम कॉउन्सिल (IAMC) के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक पत्र पर हस्ताक्षर भी किए हैं।

इन्फो-वॉरफेयर और साइ-वॉर की जांच OSINT डिसइन्फो लैब ने एक जांच की थी, जिसमें खुलासा हुआ था कि सुनिया विश्वनाथ का 'हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR)' 'हिंदू बनाम हिंदुत्व' की भ्रामक कहानी को बढ़ावा दे रहा था। इसी संगठन को 'डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' (वैश्विक हिंदुत्व को ख़त्म करना) कार्यक्रम का समर्थन करते हुए भी देखा गया था। डिसइन्फो लैब के अनुसार, HfHR का गठन वर्ष 2019 में इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) और ऑर्गनाइजेशन फॉर माइनॉरिटीज ऑफ इंडिया (OFMI) नामक दो इस्लामवादी वकालत समूहों द्वारा किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि तीनों संगठनों ने अलायंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी (AJA) नामक एक और संगठन बनाया था।

एक रिपोर्ट के अनुसार, एलायंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी (AJA) 22 सितंबर, 2019 को पीएम मोदी की ह्यूस्टन यात्रा के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व करने में सबसे आगे था। डिसइन्फो लैब के मुताबिक, हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR) की सह-संस्थापक सुनीता विश्वनाथ 'वीमेन फॉर अफगान वुमेन' नाम से एक संगठन भी चलाती हैं, जिसे (जॉर्ज) सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। बता दें कि, अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस पर मीडिया और 'सिविल सोसाइटी' के माध्यम से एक खतरनाक भारत विरोधी साजिश को गढ़ने के गंभीर आरोप हैं। 

सितंबर 2023 में राहुल गांधी को भारत विरोधी इतालवी वामपंथी राजनेता फैबियो मासिमो कास्टाल्डो के साथ देखा गया था। फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल द्वारा एक्स पोस्ट की दूसरी तस्वीर में सबसे दाईं ओर लाल टाई पहने हुए व्यक्ति नज़र आए थे। फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो का यूरोप में पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की संपत्ति - परवेज़ इकबाल लोसर के साथ संबंध - राहुल गांधी के यूरोपीय संसद का दौरा करने के इरादे को संदेह के घेरे में लाता है। इसलिए, फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो और उसके कथित ISI मित्र परवेज़ इकबाल लोसर के बारे में अधिक जानना आवश्यक है।

बता दें कि, फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो यूरोपीय संसद के पूर्व सदस्य हैं। इतालवी वामपंथी राजनेता परवेज़ इक़बाल लॉसर के मित्र हैं, जो पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की यूरोप संपत्ति हैं। लॉसर कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी प्रचार करने और यूरोप में भारत के हितों के खिलाफ पैरवी करने का काम कर रहा है। फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो की पुरानी एक्स पोस्टों में से एक इसका सबूत मौजूद है। राहुल गांधी ने अपनी सितंबर यात्रा के दौरान एमईपी पियरे लारौटुरो से भी मुलाकात की थी। 

मणिपुर मुद्दे पर जुलाई में यूरोपीय संघ की संसद में पारित भारत विरोधी प्रस्ताव के पीछे एमईपी पियरे लारौटुरोउ प्रमुख शख्सियतों में से एक थे। एक लंबे सोशल मीडिया शेखी बघारते हुए, पियरे लारौटुरो ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि यूरोपीय संघ का प्रस्ताव विशेष रूप से पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा को लक्षित करने के लिए था। यूरोपीय संसद में समाजवादियों और डेमोक्रेट्स के प्रगतिशील गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले पियरे लारौटुरो ने 'भारत, मणिपुर में स्थिति' शीर्षक वाले प्रस्ताव को पेश करने का नेतृत्व किया था।

वहीं, अलविना अलमेत्सा, जिनसे राहुल गांधी ने ब्रुसेल्स में मुलाकात की थी, वह भी उन एमईपी में से एक थीं जो इस प्रस्ताव के पीछे थे। अलमेत्सा यूरोप में मुखर भारत विरोधी प्रचारक रहे हैं। इस साल जनवरी में, उन्होंने ISI से जुड़े संगठन 'द लंदन स्टोरी' द्वारा आयोजित प्रशांत भूषण और शाहरुख आलम के साथ एक चर्चा में भाग लिया था। जुलाई 2023 में, यूरोपीय संघ के पूर्ण सत्र में बोलते हुए, अलमेत्सा ने कहा कि स्थिति की 'निगरानी' करने और शांतिपूर्ण समाधान लाने के लिए बाहरी पर्यवेक्षकों को मणिपुर में अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि भारत में मानवाधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति खराब हो रही है और उन्होंने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आह्वान किया।

अलविना अलमेत्सा भारत के खिलाफ अपने अभियान, कॉलम लिखने, पैरवी करने और यूरोपीय संघ में भारतीय हितों के खिलाफ अभियान चलाने में लगातार लगी हुई हैं। जनवरी 2021 में, उन्होंने ईयू ऑब्जर्वर में एक लेख लिखकर भारत में 'मानवाधिकार' की स्थिति में हस्तक्षेप के लिए ईयू के समर्थन का आह्वान किया। अपनी भारत-केंद्रित बातचीत और कथा में, अलमेत्सा तीस्ता सीतलवाड से लेकर संजीव भट्ट और स्टेन स्वामी तक सभी भारत विरोधी आवाज़ों को बढ़ावा देने या समर्थन करने के लिए प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही है।

पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया लेकिन यहां मना गणतंत्र दिवस, चौंकाने वाली है वजह, अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

देशभर में जब स्वतंत्रता दिवस की धूम थी, तब बिहार के गोपालगंज जिले में एक प्रशासनिक गलती ने लोगों को चौंका दिया। गोपालगंज के सिधवलिया प्रखंड में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने का निमंत्रण पत्र वायरल हो रहा है। इस पत्र को देखकर लोग दंग हैं, क्योंकि उसमें 15 अगस्त के कार्यक्रम के लिए आमंत्रण तो था, मगर उसे गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का बताया गया। वही इस निमंत्रण पत्र में 15 अगस्त की तारीख दी गई थी, मगर कार्यक्रम को 26 जनवरी के रूप में वर्णित किया गया। इस गलती ने सोशल मीडिया पर जमकर सुर्खियां बटोरीं तथा लोग प्रशासन की इस लापरवाही पर तंज कस रहे हैं। यह पत्र सिधवलिया प्रखंड के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा तैयार किया गया था, जिसे सार्वजनिक रूप से जारी किया गया। इस गलती ने सरकारी अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आमतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों को भी स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस के बीच का अंतर पता होता है। ऐसे में जब उच्च पदों पर बैठे अफसरों से यह गलती होती है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। लोगों का मानना है कि किसी ने निमंत्रण पत्र को सही से पढ़ने और जांचने की आवश्यकता नहीं समझी, जिससे यह हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हुई। अब सवाल यह है कि इस प्रशासनिक चूक के लिए जिम्मेदार कौन है और क्या इस पर कोई कार्रवाई होगी?
विपक्ष के नेताओं को जेल में डाला जा रहा है', बोले मनीष सिसोदिया, मुझे सरकार में शामिल होने की कोई जल्दी नहीं

राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शराब घोटाले में 17 महीने पश्चात् जेल से बाहर आने पर पहला इंटरव्यू दिया है. उन्होंने कहा कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि शराब घोटाले में जेल जाना पडे़गा. सिसोदिया ने अपने एक इंटरव्यू के चलते कहा कि विपक्ष के नेताओं को जेल में डाला जा रहा है. हमें तोड़ने का प्रयास किया गया. राजनीति में एक दूसरे पर आरोप लगाना आम है. किन्तु मुझे लगता है कि किसी भी शख्स को जेल भेजने या उसे गिरफ्तार करने का कोई ना कोई कारण होता है. सरकार में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे फिलहाल सरकार में शामिल होने की जल्दी नहीं है. सिसोदिया ने 17 महीने की जेल के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि इस के चलते उनकी खुद से दोस्ती हो गई थी। शराब घोटाले की वजह से आम आदमी पार्टी की फजीहत होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में पार्टी की प्रतिष्ठा बढ़ी है, क्योंकि लोग देख रहे हैं कि पार्टी इतने दबाव के बावजूद डटी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि शराब घोटाले से जुड़े मामले को उन्होंने नहीं बल्कि उनकी पार्टी ने लड़ा है। उनकी पत्नी हर वक़्त उनके साथ खड़ी रही। सिसोदिया ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की धमकी मिलने पर पार्टियां और सरकारें टूट जाती हैं, लेकिन उनकी पार्टी और सरकार डटे रहे और काम करते रहे। दिल्ली में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन के मुद्दे पर सिसोदिया ने कहा कि गठबंधन वक़्त के मुताबिक तय होते हैं तथा वे दिल्ली और लोकसभा चुनाव को अलग-अलग मानते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले भाजपा की तानाशाही से लड़ना होगा। वर्तमान में विपक्षी नेताओं को जेल में डाला जा रहा है तथा प्रवर्तन निदेशालय छोटे व्यापारियों को परेशान कर रही है। इस तानाशाही के खिलाफ खड़ा होना आवश्यक है। सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी को किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं माना जा सकता और यदि पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए, तो अरविंद केजरीवाल 24 घंटे में जेल से बाहर आ सकते हैं। मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को जमानत मिली थी, और वे 17 महीने की जेल के बाद बाहर आए हैं।
विपक्ष के नेताओं को जेल में डाला जा रहा है', बोले मनीष सिसोदिया, मुझे सरकार में शामिल होने की कोई जल्दी नहीं

राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शराब घोटाले में 17 महीने पश्चात् जेल से बाहर आने पर पहला इंटरव्यू दिया है. उन्होंने कहा कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि शराब घोटाले में जेल जाना पडे़गा. सिसोदिया ने अपने एक इंटरव्यू के चलते कहा कि विपक्ष के नेताओं को जेल में डाला जा रहा है. हमें तोड़ने का प्रयास किया गया. राजनीति में एक दूसरे पर आरोप लगाना आम है. किन्तु मुझे लगता है कि किसी भी शख्स को जेल भेजने या उसे गिरफ्तार करने का कोई ना कोई कारण होता है. सरकार में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे फिलहाल सरकार में शामिल होने की जल्दी नहीं है. सिसोदिया ने 17 महीने की जेल के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि इस के चलते उनकी खुद से दोस्ती हो गई थी। शराब घोटाले की वजह से आम आदमी पार्टी की फजीहत होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में पार्टी की प्रतिष्ठा बढ़ी है, क्योंकि लोग देख रहे हैं कि पार्टी इतने दबाव के बावजूद डटी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि शराब घोटाले से जुड़े मामले को उन्होंने नहीं बल्कि उनकी पार्टी ने लड़ा है। उनकी पत्नी हर वक़्त उनके साथ खड़ी रही। सिसोदिया ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की धमकी मिलने पर पार्टियां और सरकारें टूट जाती हैं, लेकिन उनकी पार्टी और सरकार डटे रहे और काम करते रहे। दिल्ली में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन के मुद्दे पर सिसोदिया ने कहा कि गठबंधन वक़्त के मुताबिक तय होते हैं तथा वे दिल्ली और लोकसभा चुनाव को अलग-अलग मानते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले भाजपा की तानाशाही से लड़ना होगा। वर्तमान में विपक्षी नेताओं को जेल में डाला जा रहा है तथा प्रवर्तन निदेशालय छोटे व्यापारियों को परेशान कर रही है। इस तानाशाही के खिलाफ खड़ा होना आवश्यक है। सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी को किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं माना जा सकता और यदि पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए, तो अरविंद केजरीवाल 24 घंटे में जेल से बाहर आ सकते हैं। मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को जमानत मिली थी, और वे 17 महीने की जेल के बाद बाहर आए हैं।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक और ऊंची छलांग, इसरो ने आपदा का अलर्ट देने वाली सैटलाइट की लॉन्च*
#isro_earth_observation_satellite_eos_08_lifts_off_from_sriharikota

भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और ऊंची छलांग लगाई है। इसरो ने आज सुबह श्रीहरिकोटा से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी-डी3) की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान को सफलता से लॉन्च किया। इस सफल लॉन्च के साथ ही इसरो ने दुनिया के छोटे उपग्रहों को स्पेस में भेजने के बाजार में कदम रख दिया है। सरो ने आपदा का अलर्ट देने वाली यह सैटलाइट लॉन्च की है।इस सैटलाइट को आग और ज्वालामुखी तक की जानकारी जुटाने के लिए खास तरीके से तैयार किया गया है। श्रीहरिकोटा से शुक्रवार सुबह 9.17 बजे एसएसएलवी-डी3-ईओएस 08 मिशन को लॉन्च किया गया। ये एसएसएलवी की तीसरी और आखिरी फ्लाइट है। एसएसएलवी-डी3-ईओएस 08 रॉकेट अपने साथ एक सैटेलाइट लेकर गया जो धरती की निगरानी के लिए बना है।इसरो के मुताबिक, मिशन का मेन मकसद एक माइक्रोसैटेलाइट का डिजाइन और विकास करना था. साथ ही माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ कम्पैटिबल पेलोड उपकरणों को बनाना और भविष्य के ऑपरेशनल सैटेलाइट्स के लिए नई तकनीकों को शामिल करना भी मिशन के उद्देश्यों में से है। अर्थ ऑब्जरवेशन सैटलाइट (ईओएस-08) एक ऐसी सैटलाइट है जो पृथ्वी की निगरानी करेगा और साथ ही किसी भी तरह की आपदा की चेतवानी पहले से ही देगा, जिससे किसी भी आपदा का सामना करने में मदद मिलेगी। इसके तहत भूमि की सतह, जीवमंडल, ठोस पृथ्वी, वायुमंडल और महासागरों का निगाह रखी जाएगी। इससे दुनिया में कहीं भी बाढ़, ज्वालामुखी, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पता लगाने में मदद मिलेगी। जानकारी के मुताबिक इस सैटलाइट का वजन लगभग 175.5 किलोग्राम है। इसमें तीन पेलोड हैं। एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), दूसरा ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और तीसरा एसआईसी यूवी डोसिमीटर है।
ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या मामले में गरमाई बंगाल की सियासत, ‘वाम' और 'राम’ तक पहुंचा मामला

#mamata_banerjee_blame_ram_bam_for_rg_kar_hospital_vandalism 

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। वहीं, रेप मर्डर मामले में सियासत जोरों पर है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज पर हमले को बीजेपी और लेफ्ट से जोड़ दिया है। ममता बनर्जी ने इस मामले से जुड़े प्रदर्शन का दोष 'राम'-'वाम' पर मढ़ दिया है।

पश्च‍िम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुरुवार को राजभवन पहुंचीं। लेकिन चाय पार्टी के बाद उन्‍होंने बीजेपी और वामपंथी दलों पर जमकर निशाना साधा। ममता बनर्जी ने कहा कि बुधवार रात को आरजी कर में जो क्षति हुई है जिन्होंने यह तांडव किया है वे आरजी कर के छात्र आंदोलन से जुड़े नहीं हैं। वे बाहर के लोग हैं, मैंने जितनी वीडियो देखी है, उसमें किसी के हाथ में राष्ट्रीय ध्वज हैं। वे बीजेपी के लोग हैं, और कुछ लोगों के हाथ में सफेद लाल झंडे हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि तांडव वाम और राम ने यह किया है।

जब तक हमारी पुलिस जांच कर रही थी, कुछ लीक नहीं हुआ-ममता

ममता बनर्जी ने आगे कहा, हमने सारे दस्तावेज दे दिए हैं, जो भी लीक हो रहा है, जब तक हमारी पुलिस जांच कर रही थी, तब तक कुछ भी लीक नहीं हुआ। ममता बनर्जी ने कहा कि अब केस हमारे हाथ में नहीं हैं, सीबीआई के हाथ में है। आपको कुछ बोलना है तो सीबीआई को बोलें, हमें कोई आपत्ति नहीं हैं। मेरी और बंगाल के लोगों की संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ हैं। यह बहुत बड़ा अपराध है, इसकी एकमात्र सजा फांसी है, अगर अपराधी को फांसी होगी तभी लोगों को इससे सबक मिलेगा लेकिन किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए।

ममता ने की पुलिस की सराहना

ममता बनर्जी ने कहा कि कल पुलिस पर भी आक्रमण हुआ। पुलिस के लोगों पर बहुत आक्रमण हुआ लेकिन मैं उन्हें साधुवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने धीरज नहीं खोया। उन्होंने शांति के लिए किसी को चोट नहीं पहुंचाई।

बंगाल में आज खूब होगा बवाल! ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या के विरोध में टीएमसी-भाजपा का विरोध प्रदर्शन, डॉक्टर्स भी सड़कों पर

#kolkata_doctor_rape_murder_case_opposition_left_doctors_protest 

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के विरोध में देशभर में डॉक्टर अपने अपने तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसी शहर में काली पट्टी बांधकर काम हो रहा है तो कहीं ओपीडी बंद है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 17 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस दौरान केवल इमर्जेंसी में काम होगा। ओपीडी सेवाएं ठप रहेंगी। इससे पहले आज यानी 16 अगस्त को बंगाल में खूब “बवाल” होने वाला है। इसके साथ ही आज पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा का विरोध प्रदर्शन होगा। 

आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में बंगाल में राजनीति तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इस मामले को लेकर आज प्रदर्शन करने वाली हैं। एक तरफ जहां सीएम ममता बनर्जी दोषी को फांसी की सजा की मांग को लेकर रैली निकालेंगी। ममता बनर्जी इस घटना के विरोध में आज शाम 4 बजे मौलाली से धरमतला तक विरोध रैली आयोजित करेंगी। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा भी राज्य के हर जिले में विरोध प्रदर्शन करेगी। कोलकाता में मुख्यमंत्री आवास तक कैंडल मार्च निकाला जाएगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ऐसे में सीएम ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए।

सबूत मिटाने की आरोप

बंगाल बीजेपी का कहना है कि अस्पताल में सबूत मिटाने के लिए तोड़फोड़ की गई। यहां बहन बेटियां सुरक्षित नहीं है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि आरजी कर अस्पताल में सीएपीएफ फोर्स की तैनाती की जाए ताकि सबूतों से छोड़छाड़ न हो सके।

देशभर के डॉक्टर्स सड़कों पर

वहीं, घटना के बाद देशभर के डॉक्टर्स लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस में डॉक्टरों की वैसे तो बहुतेरे मांग है लेकिन सबसे पहली और अहम मांग यही है कि पीड़िता को न्याय मिले। सभी अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। मृतक डॉक्टर के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और इस मामले में जल्द से जल्द न्याय हो। डॉक्टर्स सरकार से सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट की भी मांग कर रहे हैं।

आईएमए ने 17 अगस्त को 24 घंटे के बंद का ऐलान किया

ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के आंदोलन के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी 24 घंटे के बंद का ऐलान किया है। आईएमए का यह बंद 17 अगस्त की सुबह 6:00 से 18 अगस्त की सुबह 6:00 बजे तक चलेगा। साथ ही देश के कई मेडिकल एसोसिएशन भी आईएमए के बंद में शामिल होने का ऐलान किया है। इसमें दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन भी शामिल है। डीएमए के एक अधिकारी ने बाताया कि अगर इसका स्थाई समाधान नहीं खोजा गया तो, मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोग सड़कों उतर आएंगे।

बंगाल में आज खूब होगा बवाल! ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या के विरोध में टीएमसी-भाजपा का विरोध प्रदर्शन, डॉक्टर्स भी सड़कों पर

#kolkatadoctorrapemurdercaseoppositionleftdoctorsprotest 

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के विरोध में देशभर में डॉक्टर अपने अपने तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसी शहर में काली पट्टी बांधकर काम हो रहा है तो कहीं ओपीडी बंद है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 17 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस दौरान केवल इमर्जेंसी में काम होगा। ओपीडी सेवाएं ठप रहेंगी। इससे पहले आज यानी 16 अगस्त को बंगाल में खूब “बवाल” होने वाला है। इसके साथ ही आज पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा का विरोध प्रदर्शन होगा। 

आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में बंगाल में राजनीति तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इस मामले को लेकर आज प्रदर्शन करने वाली हैं। एक तरफ जहां सीएम ममता बनर्जी दोषी को फांसी की सजा की मांग को लेकर रैली निकालेंगी। ममता बनर्जी इस घटना के विरोध में आज शाम 4 बजे मौलाली से धरमतला तक विरोध रैली आयोजित करेंगी। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा भी राज्य के हर जिले में विरोध प्रदर्शन करेगी। कोलकाता में मुख्यमंत्री आवास तक कैंडल मार्च निकाला जाएगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ऐसे में सीएम ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए।

सबूत मिटाने की आरोप

बंगाल बीजेपी का कहना है कि अस्पताल में सबूत मिटाने के लिए तोड़फोड़ की गई। यहां बहन बेटियां सुरक्षित नहीं है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि आरजी कर अस्पताल में सीएपीएफ फोर्स की तैनाती की जाए ताकि सबूतों से छोड़छाड़ न हो सके।

देशभर के डॉक्टर्स सड़कों पर

वहीं, घटना के बाद देशभर के डॉक्टर्स लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस में डॉक्टरों की वैसे तो बहुतेरे मांग है लेकिन सबसे पहली और अहम मांग यही है कि पीड़िता को न्याय मिले। सभी अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। मृतक डॉक्टर के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और इस मामले में जल्द से जल्द न्याय हो। डॉक्टर्स सरकार से सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट की भी मांग कर रहे हैं।

आईएमए ने 17 अगस्त को 24 घंटे के बंद का ऐलान किया

ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के आंदोलन के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी 24 घंटे के बंद का ऐलान किया है। आईएमए का यह बंद 17 अगस्त की सुबह 6:00 से 18 अगस्त की सुबह 6:00 बजे तक चलेगा। साथ ही देश के कई मेडिकल एसोसिएशन भी आईएमए के बंद में शामिल होने का ऐलान किया है। इसमें दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन भी शामिल है। डीएमए के एक अधिकारी ने बाताया कि अगर इसका स्थाई समाधान नहीं खोजा गया तो, मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोग सड़कों उतर आएंगे।

निर्वाचन आयोग का प्रेस कॉन्फ्रेंस आज, इन राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का हो सकता है ऐलान

#election_commission_to_announce_jammu_kashmir_haraya_aassembly_election_schedule_today 

इस साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग की आज अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली है। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग आज विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान करेगा। हालांकि आज केवल जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान हो सकता है और बाकी महाराष्ट्र और झारखंड के लिए तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी।

दोपहर 3 बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। चुनाव आयोग की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए मीडिया को भेजे गए चुनाव आयोग के निमंत्रण में उन राज्यों का उल्लेख नहीं किया गया है, जिनके लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। हालांकि, सूत्र बता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। दरअसल, चुनाव आयोग ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का दौरा भी किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद ये पहला चुनाव होगा। जम्मू-कश्मीर में 2018 में सरकार भंग होने के बाद से ही चुनाव नहीं हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में चुनाव हुए थे। तब भाजपा-पीडीपी ने गठबंधन बनाया था। हालांकि, बाद में भाजपा ने इस गठबंधन से दूरी बना ली। 2018 में भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी।

हरियाणा में मौजूदा सरकार का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है। यहां आखिरी बार 2019 में चुनाव हुए थे। तब भाजपा-जजपा ने साथ आकर सरकार बनाई थी। हालांकि, इसी साल मार्च में दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया था। दूसरी तरफ भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री नियुक्त किया था।

पीएम मोदी ने लाल किले से छेड़ा नया राग, सेक्यूलर सिविल कोड का किया जिक्र, कांग्रेस बोली-अंबेडकर का अपमान

#pmnarendramodispeechsecualcivilcode

आजादी की 78वीं सालगिरह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से भाषण देते हुए एक बार फिर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का जिक्र किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी पर अपनी सरकार का रुख भी साफ कर दिया। हालांकि पीएम मोदी ने यूसीसी की जगह जिस नाम का इस्तेमाल किया है, वो विवाद बढ़ाने वाला है। जिसकी शुरूआत हो भी गई है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सेकुलर सिविल कोड की जरूरत बताई।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। अब कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से यह कह कर संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का घोर अपमान किया है।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दुर्भावना और विद्वेष की कोई सीमा नहीं है। आज के उनके लाल किले के भाषण में यह पूरी तरह से दिखा।' उन्होंने आरोप लगाया कि यह कहना हमारे पास अब तक 'सांप्रदायिक नागरिक संहिता' है, डॉ. अंबेडकर का घोर अपमान है, जो हिंदू पर्सनल लॉ में सुधारों के सबसे बड़े समर्थक थे। ये सुधार 1950 के दशक के मध्य तक वास्तविकता बन गए। इन सुधारों का आरएसएस और जनसंघ ने कड़ा विरोध किया था। उन्होंने 21वें विधि आयोग द्वारा 31 अगस्त, 2018 को पारिवारिक कानून के सुधार पर दिए गए परामर्श पत्र के कथन का उल्लेख किया।

देश को कम्युनल नहीं, सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत-पीएम मोदी

इससे पहले पीएम मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। जिस सिविल कोड का हम पालन कर रहे हैं, वह कम्युनल सिविल कोड है। समय की यह मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। इसके बाद ही हमें धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्ति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कई बार चर्चा की है। कई बार आदेश भी दिए हैं। मोदी ने यह भी कहा कि संविधान निर्माताओं का सपना पूरा करना हमारा दायित्व है। धर्म के आधार पर समाज को बांटने वाले कानून आधुनिक समाज स्थापित नहीं कर सकते। इसलिए इनका कोई स्थान नहीं हो सकता है।

इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, ऐसे सिविल कोड से जब हम संविधान के 75 वर्षा मना रहे हैं अब संविधान की भावना जो कहती है हमें करने के लिए, देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें कहती है करने के लिए और तब संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है और मैं चाहता हूं की इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो, हर कोई अपने विचार लेकर आए और उन कानूनों को, जो कानून देश को धर्म के आधार पर बांट दे, समाज में ऊंच-नीच का कारण बन जाए, ऐसे कानून का समाज में कोई स्थान नहीं है और इसलिए मैं तो कहूंगा और समाज की मांग है कि देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड होना चाहिए। हमने कम्यूनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सिविल कोड की तरफ जाना होगा और तब जाकर के जो भेदभाव हो रहे हैं, उससे हमें मुक्ति मिलेगी।

क्या है यूसीसी ?

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता, जिसे प्रधानमंत्री ने सेक्युलर सिविल कोड के नाम से संबोधित किया, इसका सीधा सा मतलब है देश में रहने वाले हर धर्म, जाति, संप्रदाय और वर्ग के लिए हर मुद्दे पर एक समान नियम-कानून। एक ऐसा कानून जो पूरे देश के लिए एक समान हो। इसमें सभी धर्म वालों के लिए विरासत, शादी, तलाक और गोद लेने के नियम एक ही होंगे। भारत के संविधान में भी देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की बात कही गई है। इसका अनुच्छेद-44 नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है और इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में दिए गए धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के सिद्धांत का पालन करना है। अनुच्छेद-44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाना सरकार का दायित्व है।

पहले भी एक परिवार में एक नियम की कर चुके हैं पैरवी

ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता को देश की जरूरत बताया है। पिछले साल मध्य प्रदेश में एक रैली में उन्होंने कहा था, परिवार के एक सदस्य के लिए एक नियम हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा नियम हो तो क्या वो घर चल पाएगा? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?'

यूसीसी बीजेपी सरकार का टॉप एजेंडा

बता दें कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा मोदी सरकार के टॉप एजेंडे में रहा है। बीजेपी के तीन बड़े वादों- अयोध्या में राम मंदिर बनाना, कश्मीर से 370 हटाना के साथ- साथ समान नागरिक संहिता भी शामिल रहा है. राम मंदिर और 370 का वादा पूरा हो चुका है। अब बारी समान नागरिक संहिता या कहें तो सेक्यूलर सिविल कोड लागू करने की बारी है।