सेवानिवृत्त स्वास्थ्यकर्मी उपेंद्र ने टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी सेवा का संकल्प लिया
गोरखपुर। चौबीस वर्ष तक टीबी नियंत्रण व टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़ कर सेवा देने के पश्चात वरिष्ठ प्रयोगशाला प्राविधिक ने तीन टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी मदद करने का फैसला लिया है। इसी कड़ी में जिला क्षय रोग केंद्र में उन्होंने एक विवाहिता, एक युवती और एक टीबी पीड़ित विद्यार्थी को सोमवार को गोद लिया । वरिष्ठ प्रयोगशाला प्रावधिक उपेंद्र कुमार राय ने तीनों मरीजों को पोषण पोटली दी और हरसंभव आवश्यक सहयोग करने का आश्वासन भी दिया है । जिला क्षय रोग उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि जिले में इस समय 1175 निक्षय मित्र 3069 टीबी रोगियों को गोद लेकर उनकी मदद कर रहे हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि निक्षय मित्र उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी टीबी मरीज को गोद लेकर पोषण पोटली के जरिये, मरीज को मानसिक संबल देकर और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से मरीज को जोड़ कर उनका मददगार बनता है। कोई भी व्यक्ति या स्वयंसेवी संस्था व संगठन टीबी मरीजों को गोद ले सकते हैं। मरीज को गोद लेने वाले निक्षय मित्र को हर माह टीबी मरीज को फल, सोयाबिन, मूंगफली, चना, गुड़ आदि पोषक तत्वों को पोटली देनी है और उसका कुशलक्षेम पूछते रहना होता है। इससे मरीज का मनोबल बढ़ता है और उसकी दवा बीच में नहीं बंद हो पाती। नियमित दवा और पौष्टिक खानपान के सेवन से टीबी मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।
निक्षय मित्र बने उपेंद्र कुमार राय ने बताया कि उन्होंने सेवानिवृत्ति के पहले ही सोच लिया था कि सेवानिवृत्ति के बाद जीवन की दूसरी पारी में भी मरीजों की मदद करते रहेंगे। जिन तीन मरीजों को गोद लिया है उसमें एक लड़की की मां ठेला लगा कर जीवन यापन करती हैं, जबकि दूसरी विवाहिता के पति श्रमिक हैं। तीसरा युवक भी कमजोर आर्थिक वर्ग का है और किसी प्रकार अध्ययन कार्य जारी रखे है। ऐसे मरीजों को गोद लेने के लिए समाज के सभी वर्गों से लोगों को आगे आना चाहिए।
इस अवसर पर डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, टीबी एचआईवी समन्वयक राजेश, एसटीएस गोबिंद, मयंक और टीबी चैंपियन चंद्र प्रकाश भी मौजूद रहे ।
आशा की मदद से मिली सूचना
टीबी का इलाज करवा रही 18 वर्षीय युवती और 24 वर्षीय महिला ने बताया कि दोनों लोग गोरखपुर शहर के ट्रांसपोर्टनगर के रहने वाले हैं। जिला क्षय रोग केंद्र से उन्हें दवा और इलाज की अच्छी सुविधा मिल रही है। युवती को खाते में 3000 रुपये भी मिले हैं, जबकि महिला का विवरण जमा कराया गया और उसे भी निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण के लिए पैसे मिलेंगे। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता ने उन्हें सूचना दी थी कि जिला क्षय रोग केंद्र पर उन्हें गोद लिया जाएगा और पोषक सामग्री मिलेगी। वहीं, 23 वर्षीय युवक ने बताया कि वह इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर हुए थे लेकिन वहां बीमारी की पहचान के बाद बाकी की दवा जिला क्षय रोग केंद्र से ही चल रही है। एक्स्ट्रा पल्मनरी टीबी के इन तीनों मरीजों को दवा से काफी लाभ मिला है और उनके गले का दर्द ठीक हुआ है।
जिले में टीबी की स्थिति
ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीज
314
ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीज 8198
टीबी नोटिफिकेशन की मासिक प्रगति-शत फीसदी
उपचार सफलता दर (2023) 91 प्रतिशत
Jul 27 2024, 23:49