विश्लेषण:झारखंड में इंडी गठबंधन का पांच साल,जानिए आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए कितना सही है रिपोर्ट कार्ड..?(भाग -2)
 विनोद आनंद )
वैसे झारखंड में झामुमो के नेतृत्व बाली मौजूदा सरकार दूसरी सरकार है जिसे पूर्ण जनादेश जनता ने दी और पांच साल का समय पूरा करने जा रही है।इसके पूर्व भाजपा की रघुवर दास के नेतृत्व में पांच साल सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। अगर सरकार के कार्यों और उसके नीतियों के आधार पर उसके पांच साल के कार्यकाल का विश्लेषण करें और उसके आधार पर जनता इस सरकार के बारे में क्या धरना रखती है इसे समझने के लिए सरकार की सफलता और विफलता का आकलन जरूरी है।
पिछले अंक में हमने सरकार के सफल नीति और कार्यक्रमो का चर्चा किया था जिसके आधार पर जनता ने पूरी तरह सरकार को स्वीकार नही किया तो अस्वीकार भी नही किया।जिसका इफेक्ट लोकसभा चुनाव में देखने को मिला।अब विधानसभा चुनाव में सरकार के पास क्या चुनोती है और कितने क्षेत्र में सरकार विफल रही इसका चर्चा कर रहे हैं
सरकार की विफलता
झारखंड सरकार कई क्षेत्रों में सफल रही तो कई मामलों में सरकार को विफलता भी हाथ लगी जिसके कारण सरकार पर विपक्ष द्वारा अगुंली उठाये जाते रहे हैं।आज विपक्ष झारखण्ड़ सरकार की इन्ही कमियों को लेकर घेरने का प्रयास कर रही है।कुछ दिनों में राज्य में मौजूदा सरकार कई ऐसे विवादों से घिरी जिसके कारण सरकार की बदनामी हुई है।जिससे उबड़ने में सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
भष्ट्राचार के आरोप और ईडी की कार्रवाई।
झारखंड के हेमन्त सोरेन सरकार के लिए यह सबसे दुखद और संकट पूर्ण पल रहा जब ईडी ने कई कार्रवाई कर भ्रष्ट्राचार के मामले उजागर किये।इस घटना से पूरा देश सकते में आ गया।संतालपरगना में 1000 करोड़ का खनन घोटाला,में कई अधिकारी, खनन माफिया के साथ ही मुख्यमंत्री के करीबी उनके विधायक प्रतिनिधि की गिरफ्तारी से सरकार और खासकर हेमन्त सोरेन पर भी अंगुली उठने लगी।
उसके बाद मनरेगा घोटाला में आईएएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी हुई उनके करीबी के पास से 19 करोड़ से अधिक नगद बरामद हुआ। इसके बाद इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई। फिर राज्य के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी और उसके 100 करोड़ से अधिक सम्पति का अटैचमेंट,आईएएस छविरंजन की जमीन घोटाले में गिरफ्तारी कथित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की भी इस मामले में संलिप्ता को लेकर हुई गिरफ्तारी,और अब राज्य के एक मंत्री आलमगीर के करीबी के यहां से लगभग 35 करोड़ की कैश बरामद के बाद टेंडर घोटाला का उजागर होना इसमें मंत्री सहित कई अधिकारियों की गिरफ्तारी होना। यह सब ऐसे मामले सामने आए जिससे सरकार की छवि देश भर में खराब हुई।
जनता का सोच भी बदला
स्वभाविक तौर पर इसका असर आने वाले विंधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। भाजपा भी जनता के बीच इसी मुद्दे को लेकर जाएगी। ठीक है लोकसभा चुनाव में इन सारे परिस्थितियों के वाबजूद भी इंडी गटबंधन ने पिछले चुनाव से इस बार थोड़ा बेहतर किया। लेकिन आगामी विंधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति होगी यह नही कहा जा सकता है। इस लिए के काम काज और राज्य में हुए कई मामले के उजागर होने से सरकार की छवि पर असर पड़ा है जिससे भाजपा को गठबंधन सरकार के बिरुद्ध एक बड़ा एजेंडा मिल गया है.
योजनाएं तो बनी धरातल पर नहीं उतरी
झारखण्ड सरकार की कई योजनाए जनता के हित में बनी लेकिन अधिकारीयों की इक्षाशक्ति का अभाव और नौकरशाह से लेकर कर्मचारियों को भ्रस्ट आचरण ने सरकार की अच्छी योजनाओं को विफल कर दिया.
आज राज्य में सरकार जनता का द्वारा एक अच्छा पहल था लेकिन इस योजनाओं से आम जनता का जीवन स्तर नहीं सुधर पाया इसी तरह अबुआ आवास योजना , बृद्धा पेंशन, सोचालय योजना समेत कई योजनाएँ है जो अधिकारीयों और कर्मचारियों के लापरवाही के कारण विफल है.
सरकार नहीं दे सकी युवाओं को रोजगार
जिस समय झामुमो ने सत्ता ग्रहण किया उस समय युवाओं से वादा किया था की युवांओं को रोजगार दिया जायेगा लेकिन सत्ता मे आने के बाद सरकार इस मोर्चा पर भी विफल रही. आज राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 3 लाख स्वीकृत पद रिक्त है सरकार उस पद पर भी बहाल नहीं कर पायी. नोटिफिक्शन कुछ पदों के लिए निकला तो उस में विवाद हो गया.परीक्षाएं स्थगित हुई और बहाली रुक गयी.
सरकार यहाँ कोई ऐसी नीति भी नहीं बना पायी ताकि किसी बडी कंपनी को यहाँ निवेश के लिए प्रोत्साहित कर सके. सरकार ने एक नीति बनायीं की यहहाँ के उद्योग में स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, लेकिन इसके लिए युवाओं में कौशल डेवलोपमेन्ट के दिशा में ठोस नीति नहीं बना पायी
दूसरी तरफ स्थानीय नीति का पेंच और उसमें उलझ कर ठोस नीति में भी विफलता हाथ लगी जबकि रघुबर दास की सरकार ने उतरखण्ड और छत्तीसगढ के नीति का अनुसरण कर 1985.से यहाँ निवास कर रहे लोगों को आधार बनाकर जो नीति बनायीं सरकार अपने राजनीती एजेंडा के तहत उसे भी पलटने का प्रयास किया इन सब कारणों से यहाँ सरकारी न्युक्तियाँ टलती रही.
गठबंधन सरकार के कार्यकाल में लोहा, कोयला बालू तस्करी बढ़ा
मौजुदा सरकार के कार्यकाल में राज्य में बालू तस्करी कोयला तस्करी और अन्य खनीज संपादओं का दोहन होता रहा.इसको लेकर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी हमलावार रहे.यहाँ तक इन सब में सत्ताधारी दल के लोगों पर अंगुली उठती रही. प्रशासन भी सवालों के घेरे में रहे लेकिन पुरे प्रकारण में सरकार चुप रही. कठोर कदम उठाये जाने के बजाय सरकार की चुपी ने इस मामले में सरकार पर अंगुली उठाने का अवसर अपने विरोधी को दिया. इनसब का असर भी सरकार के छवि पर पड़ा.
इन सब के बीच अगले विधान सभा चुनाव में इन सब परिस्थियों से कितना असर पड़ेगा यह तो उसने वाला समय बताएगा फिलहाल अगले विधान सभा में महागठबंधन या इंडिया गठबंधन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
Jun 14 2024, 15:25