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केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर नहीं हुआ कोई फैसला, सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं
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दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई, लेकिन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिना कोई आदेश दिए उठ गई।इस मामले में कोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं जारी किया गया और सुनवाई 9 मई या अगले हफ्ते में पूरी होगी।केजरीवाल ने कोर्ट में अंतरिम जमानत देने की मांग की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए 3 मई को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा था कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है।

आज सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलीलें सुनने के बाद 2ः30 बजे सीएम केजरीवाल पर फैसला सुनाने की बात कही थी। मगर आखिरी समय में सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिना फैसला सुनाए ही उठ गई। अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत आज खत्म हो गई थी और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अंतरिम जमानत की अर्जी डाली थी। वहीं सीएम की रिहाई के खिलाफ ईडी के वकील ने भी कई दलीलें पेश की, जिसके बाद कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची है।

मामले की सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट को बताया कि अरविंद केजरीवाल साल 2022 में गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान 7 स्टार ग्रैंड हयात होटल में ठहरे थे और होटल के बिल का भुगतान चनप्रीत सिंह द्वारा किया गया था। चनप्रीत सिंह पर आरोप है कि गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए उन्हें ही कथित तौर पर फंड मिला था। ईडी के वकील एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि 'यह राजनीति से प्रेरित मामला नहीं है। हम इस मामले में हो रही राजनीति को लेकर चिंतित नहीं हैं, लेकिन हमारी चिंता सबूतों को लेकर है। शुरुआत में अरविंद केजरीवाल पर हमारा फोकस नहीं था और न ही ईडी केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई का विचार कर रही थी, लेकिन जैसे जैसे जांच आगे बढ़ी तो केजरीवाल की भूमिका साफ हो गई।'

जमानत पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि लोकसभा चुनाव चल रहा है। यह एक असाधारण मामला है। केजरीवाल चुने हुए मुख्यमंत्री हैं। वह किसी अन्य मामले में शामिल नहीं हैं। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि कृपया मामले को पूरा सुनें। हम क्या उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। वह एक मुख्यमंत्री हैं और प्रचार करना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कैंपेन से कोई नुकसान नहीं है। एसजी ने कहा कि अगर एक किसान को अपने खेत की देखभाल करनी है और एक किराना दुकान के मालिक को अपनी दुकान पर जाना है तो एक मुख्यमंत्री को आम आदमी से अलग कैसे माना जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक लोगों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं, सिर्फ अंतरिम जमानत पर दलील रखिए. ये लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक कार्यकारी को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हमने फैसला सुरक्षित रखा तो उसे सुनाना भी पड़ेगा। यदि हम फिर से याचिका स्वीकार करने का निर्णय लेते हैं तो चुनाव प्रचार का यह दौर चला जाएगा।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर अदालत हमें अंतरिम जमानत का जवाब देने के लिए कहती है तो इस अदालत को उनकी भूमिका पर सुनवाई करनी चाहिए। अगर वह प्रचार नहीं करेंगे तो आसमान नहीं गिर जाएगा। सिर्फ इसलिए कि उनके पास समय खत्म हो रहा है। एसजी ने कहा कि हम राजधानी के सीएम के साथ काम कर रहे हैं और वह 6 महीने तक समन से बचते रहे हैं। कृपया कोई अपवाद न बनाएं, क्योंकि यह एक वास्तविक आम आदमी को हतोत्साहित करेगा।

अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीएम को जमानत देने की तरफ इशारा किया था। कोर्ट ने सीएम केजरीवाल के वकील से पूछा कि जमानत मिलने के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय का कोई काम नहीं करेंगे। इसपर सीएम के वकील ने हलफनामा दायर करके कोर्ट की शर्त पूरी करने की गारंटी दी थी। ऐसे में कोर्ट ने 2ः30 बजे फैसला सुनाने की बात कही। मगर अब सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिना फैसला सुनाए ही उठ गई। सीएम की याचिका पर अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत पर एससी में चल रही सुनवाई




दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दी जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट आज इस बात पर विचार कर रहा है. अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश हुए एएसजी एसवी राजू ने दलीलें रखीं. एएसजी राजू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मनीष सिसोदिया की जमानत रद्द होने के बाद 1100 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है. इस पर जस्टिस खन्ना ने पूछा कि अपराध की आय 100 करोड़ थी.. यह 2-3 सालों में 1100 करोड़ कैसे हो गई. यह रिटर्न की एक अभूतपूर्व दर होगी.

जस्टिस खन्ना की इस टिप्पणी पर एएसजी राजू ने कहा कि 590 करोड़ थोक व्यापारी का मुनाफा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतर लगभग 338 करोड़ था और यह पूरी चीज अपराध की आय नहीं हो सकती. इसके बाद ईडी की ओर से एएसजी राजू ने कहा कि जब हमने जांच शुरू की तो हमारी जांच सीधे तौर पर उनके (अरविंद केजरीवाल) खिलाफ नहीं थी. जांच के दौरान उनकी भूमिका सामने आई. इसीलिए शुरुआत में उनके बारे में एक भी सवाल नहीं पूछा गया. जांच उन पर केंद्रित नहीं थी. मामले में दोनों ओर से जिरह और सुनवाई जारी है।
तानाशाह कौन ? वायरल हुआ पीएम मोदी और सीएम ममता का एक जैसा वीडियो, दो गुटों में बंट गया सोशल मीडिया










सोशल मीडिया पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का वीडियो साझा करने पर एक पूर्व ट्विटर यूज़र को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देने वाला कोलकाता पुलिस का ट्वीट हटा दिया गया है। पुलिस के ट्वीट के बाद कई यूजर्स ने इसे शेयर किया और वीडियो शेयर न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि बंगाल पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। हालांकि, ट्वीट वायरल होते ही कोलकाता पुलिस ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन, इसी बीच एक दिलचस्प घटनाक्रम हुआ। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी ठीक वैसा ही एक वीडियो सामने आया, जैसा सीएम ममता बनर्जी का था।

वीडियो देखने के बाद पीएम मोदी ने न सिर्फ इसे अपने अकाउंट से शेयर किया बल्कि इसे मनोरंजक, सोशल मीडिया यूजर्स को प्रभावित करने वाला और क्रिएटिविटी को प्रोत्साहित करने वाला भी बताया। पीएम मोदी और बंगाल पुलिस की प्रतिक्रियाओं में इस विरोधाभास ने एक नई बहस छेड़ दी कि, असली तानाशाह कौन है? लोग कह रहे हैं कि, ममता बनर्जी द्वारा पीएम मोदी पर तानाशाह होने के लगाए गए आरोप उनके संबंधित राज्यों में ऐसे वीडियो की प्रतिक्रिया को देखते हुए पाखंडी नज़र आते हैं। दरअसल, ममता बनर्जी का वीडियो शेयर करने वाले यूज़र को टैग करते हुए कोलकाता पुलिस ने कहा था कि, आप फ़ौरन अपनी पहचान उजागर करें, नाम और एड्रेस के साथ, आप पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। वहीं, पीएम मोदी ने इस क्रिएटिविटी की तारीफ की, और कहा कि, मुझे भी खुद को नाचते देखकर अच्छा लगा.   


इसके बाद सोशल मीडिया पर एक जोरदार बहस छिड़ गई, जिसमें पीएम मोदी की तुलना की गई, जो ऐसे वीडियो को मजाकिया मानते हैं और उन्हें साझा करते हैं, जबकि ममता सरकार, जो उन्हें कानून और व्यवस्था के लिए खतरा मानती है, और महत्वपूर्ण ट्वीट हटा देती है। दरअसल, पीएम मोदी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने ऊपर लगे तानाशाही के आरोपों पर बात की. उन्होंने कहा कि जहां कुछ लोग उनकी और उनके परिवार की रोजाना आलोचना करते हैं, वहीं जब वे जवाब देते हैं तो उन्हें तानाशाह करार दिया जाता है। उन्होंने यह निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण का सुझाव दिया कि 100 पॉइंट बनाकर एक वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाए, फिर बताया जाए कि, कांग्रेस और भाजपा में से कौन तानाशाही में लगा हुआ है।


इसके अलावा, पीएम मोदी ने मुस्लिम समुदाय के बीच भाजपा के खिलाफ नफरत पैदा करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने मुसलमानों को भाजपा कार्यालयों में जाने और उनके कामकाज का निरीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया। पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी समाज को डर में नहीं रहना चाहिए, बंधुआ मजदूर की तरह नहीं रहना चाहिए।  उन्होंने मुस्लिम समुदाय से निराधार धमकियों से नहीं डरने का आग्रह किया। पीएम मोदी के खिलाफ तानाशाही के आरोपों के विपरीत, ऐसा प्रतीत होता है कि जो लोग उनका विरोध करते हैं वे तानाशाही प्रथाओं का सहारा ले रहे हैं, असहमति को दबा रहे हैं और आलोचकों के खिलाफ हिंसा का सहारा ले रहे हैं।


हाल की घटनाएं, जिनमें उद्धव ठाकरे का कार्टून साझा करने पर एक पूर्व नौसेना अधिकारी पर हमला होना और सोनिया गांधी के बारे में बोले जाने पर पुलिस ने एक पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया था, और हाल में ये ममता बनर्जी की आलोचना से जुड़ा मामला है, जिसमे पुलिस ने यूज़र को कार्रवाई की चेतावनी दी थी। ये उदाहरण, असहमति की आवाजों के प्रति असहिष्णुता को उजागर करते हैं। तानाशाही का सही अर्थ समझने के लिए, आपातकाल जैसे ऐतिहासिक उदाहरणों को देखने की जरूरत है, जब सत्ता बनाए रखने और विपक्ष को दबाने के लिए मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था।
वोटिंग के बीच बड़ा खेला, भाजपा को लगा तगड़ा झटका, इस दिग्गज ने छोड़ा कमल का साथ





लोकसभा चुनाव के तहत तीसरे चरण का मतदान शुरू हो चुका है। मगर इसी बीच हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका लगा है। हरियाणा भाजपा सरकार के पूर्व सिंचाई मंत्री नरेंद्र शर्मा ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह की मौजूदगी में उन्होंने ‘आप’ से हाथ मिला लिया है।
मतदान केंद्र पहुंचते ही PM मोदी ने सबसे पहले इस शख्स के छुए पैर, भावुक हुए लोग, पीएम ने मीडिया से भी कहा, अपनी सेहत का रखें ध्यान








देश की 11 राज्यों की 93 सीटों पर आज यानी मंगलवार को लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इसमें गुजरात की 25 सीटें भी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद में वोट डाला. पीएम मोदी सुबह सात बजे मतदान शुरू होने के कुछ ही देर बाद अहमदाबाद शहर के रानिप इलाके में स्थित निशान पब्लिक स्कूल में बनाए गए मतदान केंद्र पर पहुंचे और अपना वोट डाला. पीएम मोदी जब मतदान केंद्र पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले एक बुजुर्ग शख्स का पैर छुआ. कौन है वो शख्स, आइए जानते हैं.

वोटिंग सेंटर पर अमित शाह के अलावा पीएम मोदी के बड़े भाई सोमाभाई मोदी मौजूद थे. मतदान केंद्र पर पहुंचते ही पीएम मोदी ने उनका पैर छुआ. सोमभाई पीएम मोदी के सबसे बड़े भाई हैं. वह हेल्थ डिपार्टमेंट में कार्यरत थे और अब रिटायर हो चुके हैं. सोमाभाई के बाद अमृतभाई मोदी हैं. इनके बाद नंबर आता है पीएम मोदी का. पीएम मोदी प्रह्रलाद और पंकज से बड़े हैं.


पीएम मोदी इससे पहले 2022 गुजरात विधानसभा चुनाव में जब वोट डाले थे तब भी उन्होंने सोमाभाई से मुलाकात की थी. पीएम मोदी के बाद उन्होंने भी वोट डाला था. तब मीडिया से बात करते हुए सोमाभाई भावुक हो गए थे. उन्होंने कहा था कि मैंने पीएम मोदी से कहा कि आप देश के लिए बहुत मेहनत करते हैं, मैं इतना कहना चाहूंगा कि उनको परिश्रम करते देखना अच्छा लगता है.

वोट डालने के बाद पीएम मोदी ने मीडिया से बात की. उन्होंने कहा, ‘आज तीसरे चरण का मतदान है. हमारे देश में ‘दान’ का बहुत महत्व है और उसी भावना से देशवासियों को ज्यादा से ज्यादा वोट करना चाहिए. 4 चरण की वोटिंग बाकी है. यह एकमात्र स्थान है जहां मैं नियमित रूप से मतदान करता हूं और अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.


प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया से कहा, इस गर्मी में आप लोग दिन रात दौरा कर रहे हैं. आप अपनी सेहत की चिंता करें. मीडिया में कंपीटशन है. आप लोगों को समय से आगे दौड़ना पड़ता है. उन्होंने कहा कि आज तीसरे चरण का मतदान है, मैं देशवासियों को आग्रह करूंगा कि लोकतंत्र में मतदान सामान्य दान नहीं है. हमारे देश में दान का एक महत्व है. देशवासी ज्यादा से ज्यादा मतदान करें. यही जगह है जहां मैं रेगुलर मतदान करता हूं. मैं कल रात को आंध्र से आया हूं. अभी गुजरता में हूं. मध्य प्रदेश जाना है. तेलंगाना भी जाना है.
मुसलमानों को पूरा आरक्षण मिलना चाहिए...पढ़िए, वोटिंग के बीच किस नेता ने खेल दिया ये बड़ा दांव







बिहार में तीसरे चरण की वोटिंग के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने आरक्षण की बात कहकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को आरक्षण मिलना चाहिए. लालू यादव ने कहा, 'वोट हमारे तरफ जा रहा है .. बीजेपी वाले डर गए है कि लोगों को सिर्फ भड़का रहे हैं. बीजेपी वाले संविधान को खत्म करना चाहते हैं. जनता समझ गई है बीजेपी को .. आरक्षण तो मिलना चाहिए मुसलमानों को पूरा.'

लालू यादव ने कहा, 'बहुत अच्छा वोटिंग हो रही है. हर तरफ बड़ी-बड़ी लाइनें लगी हुई हैं. हमारे पक्ष में सारा वोटिंग हो रहा है.  बीजेपी वाले भड़का रहे हैं क्योंकि वो डर गए हैं. आरक्षण का प्रावधान है... वो तो लोकतंत्र और संविधान को खत्म करना चाहते हैं. ये बात जनता समझ चुकी है.' लालू प्रसाद यादव के बयान के बीच मुस्लिम आरक्षण को लेकर लोजपा नेता चिराग पासवान का भी बयान सामने आया है, उन्होंने कहा, 'लोग कहते हैं कि पीएम मोदी मुद्दे की बात नहीं करते हैं, यह भी तो मुद्दे की बात नहीं करते हैं. हर चीज में हिंदू-मुस्लिम आरक्षण खत्म हो जाएगा, संविधान खत्म होने की बात करते हैं. किसने बोला आरक्षण खत्म हो जाएगा, संविधान खत्म हो जाएगा, किसने बोला कि लोकतंत्र खतरे में है. जिन लोगों ने सही मायने में देश में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की, वह लोग लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं.यह लोगों को डराकर वोट हासिल करना चाहते हैं 2015 में भी इसी तरह से आरक्षण खत्म करने की बात कह कर हो-हल्ला मचाया था, एक तरफा चुनाव कर लिया था. मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं, वह संविधान को खत्म करने का प्रयास करेंगे'



आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए  कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों पर धर्म के आधार पर आरक्षण देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अन्य वंचित समूहों को मिलने वाले आरक्षण को धर्म के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने देंगे.

उन्होंने दावा किया कि जब तेलंगाना की 26 जातियां ओबीसी स्टेटस की मांग कर रही हैं, कांग्रेस ने इनकी मांग पर गौर नहीं किया और रातोरात मुस्लिमों को ओबीसी कैटेगरी में शामिल कर दिया. पीएम मोदी ने तल्ख अंदाज में कहा- कांग्रेस वाले सुन लें, उनके चट्ट-बट्टे सुन लें, उनकी पूरी जमात सुन ले कि जब तक मोदी जिंदा है, दलितों का, एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण धर्म के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने दूंगा.



पीएम मोदी और बीजेपी पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समाज से संवाद की रणनीति पर चल रहे थे. 'स्नेह यात्रा', 'न दूरी है न खाई है, मोदी हमारा भाई है' जैसे अभियानों के जरिए बीजेपी मुस्लिम वर्ग के बीच अपनी सियासी जमीन तैयार करने की कवायद में थी. चुनाव प्रचार जैसे-जैसे परवान चढ़ता गया, बीजेपी और पीएम मोदी ने अपनी रणनीति बदल ली. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि पीएम मोदी खुलकर मुस्लिम आरक्षण के विरोध में क्यों उतर आए? इसके पीछे बीजेपी की रणनीति जातिगत जनगणना और आरक्षण विरोधी ठहराने की विपक्षी कोशिशों की धार कुंद करने की है.
दोपहर एक बजे तक देशभर में 40 फीसदी वोटिंग, बंगाल में सबसे ज्यादा, तो महाराष्ट्र में सबसे कम मतदान

#lok_sabha_elections_2024_phase_3_voting

लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में आज 11 राज्यों की 93 सीटों पर मतदान जारी है।मतदान का समय सुबह 7:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है।हालांकि, कुछ लोकसभा सीटों पर मतदान शाम 4 बजे खत्म हो जाएगा।देश में दोपहर एक बजे तक 39.92 फीसदी मतदान हुआ है।

किस राज्य में कितना मतदान (प्रतिशत में)

असम - 45.88

यूपी- 38.12

कर्नाटक- 41.59

गुजरात- 37.83

गोवा- 49.04

छत्तीसगढ़- 46.14

दादरा और नगर हवेली व दमन-दीव- 39.94

पश्चिम बंगाल- 49.27

बिहार- 36.69

एमपी- 44.67

महाराष्ट्र-31.55

कांग्रेस छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हुईं राधिका खेड़ा, एक्टर शेखर सुमन ने भी थामा “कमल”

#former_congress_spokesperson_radhika_kheda_joins_bjp

कांग्रेस छोड़ने के बाद राधिका खेड़ा भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई हैं। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग के बीच मंगलवार को कांग्रेस की पूर्व नेता और प्रवक्ता राधिका खेड़ा भाजपा में शामिल हुई। वहीं राधिका खेड़ा के साथ एक्टर शेखर समुन ने भी दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में भाजपा की सदस्यता ली।खेड़ा ने दो दिन पहले कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था।राधिका खेड़ा ने अपने साथ छत्तीसगढ़ में दुर्व्यवहार करने और साजिश रचने का आरोप लगाया था। 

नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में दोनों ही नेताओं को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कराई गई। इस अवसर पर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस की पूर्व नेता राधिका खेड़ा ने कहा कि रामभक्त होने के नाते रामलला के दर्शन करने पर कौशल्या माता की धरती पर मेरे साथ दुर्व्यवहार किया गया। खेड़ा ने कहा कि मुझे भाजपा सरकार, मोदी सरकार का संरक्षण नहीं मिला था। आज की कांग्रेस महात्मा गांधी की कांग्रेस नहीं है, यह राम विरोधी, हिंदू विरोधी कांग्रेस है। 

बता दें कि कांग्रेस पर चौंकाने वाले आरोप लगाने के एक दिन बाद राधिका खेड़ा बीजेपी में शामिल हुई है।खेड़ा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्खा ने उन्हें शराब ऑफर किया था और नशे की हालत में 5-6 पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया था।जब उन्होंने इसके बारे में पार्टी के शीर्ष नेताओं को जानकारी दी, तब आरोपी नेताओं के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और जयराम रमेश तक सबको इस आपत्तिजनक घटना के बारे में बताया गया, लेकिन आरोपी नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद हताश होकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया। 

वहीं, बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी दफ्तर में पत्रकारों से बात करते हुए शेखर सुमन ने कहा- ‘कल तक मुझे खुद मालूम नही था कि मैं आज यहां बैठुंगा। मैं सकारात्मक सोच के साथ आया हूं। जो राम ने सोचा है वह करना है। मेरे दिमाग में सिर्फ देश का खयाल है। मोदी जी के सानिध्य में देश विकास कर रहा है उस प्रवाह में शामिल होना हर हिंदुस्तानी का फर्ज है।’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया गठबंधन के नेताओं को लिखा पत्र, मतदान डेटा को लेकर चुनाव आयोग पर लगाया गंभीर आरोप

#mallikarjun_kharge_write_letter_to_india_alliance_leaders

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी नेताओं को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में खरगे ने चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदान आंकड़ों पर सवाल उठाया है। खरगे ने मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में हुए फेरबदल पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि 'यह अंतिम नतीजों में फेरबदल करने की कोशिश हो सकती है।'खरगे ने अपने पत्र में इंडिया गठबंधन के नेताओं से आग्रह किया कि वे चुनाव आयोग की धांधलियों के खिलाफ आवाज उठाएं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा 'इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के तौर पर यह हमारा साझा प्रयास होना चाहिए कि हम लोकतंत्र की रक्षा करें और चुनाव आयोग की निष्पक्षता को बचाएं।' कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि 'हम सभी जानते हैं कि पहले दो चरणों में मतदान के रुझानों को देखते हुए पीएम मोदी और भाजपा परेशान है। पूरा देश जानता है कि यह तानाशाही सरकार सत्ता के नशे में चूर है और अपनी कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।' 

खरगे ने कहा, ‘मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि हमें सामूहिक रूप से, एकजुट होकर और स्पष्ट रुख के साथ ऐसी विसंगतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, क्योंकि हमारा एकमात्र उद्देश्य एक जीवंत लोकतंत्र की संस्कृति और संविधान की रक्षा करना है।’

बता दें कि देश में पहले और दूसरे चरण के लिए लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। दोनों चरणों के चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग की ओर से अंतिम डेटा जारी करने में देर हुई थी। कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग द्वारा मतदान डेटा जारी करने में देरी पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्षी दलों के नेताओं को पत्र लिखकर इसके खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया है।

एक साल बाद भी “सुलग” रहा मणिपुर, देशभर की यात्रा कर रहे पीएम मोदी ने क्यों इस हिंसाग्रस्त राज्य से बनाई दूरी?

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मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे हो गए। पिछले साल 3 मई को शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके है। वहीं, 58 हजार से अधिक बेघर लोग राहत शिविरों में तकलीफों में रह रहें है। हिंसा के एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी-ज़ोमी जनजाति के बीच तनाव जारी है। कुकी बहुल जिलों हों या मैतेई बहुल, सड़कों पर हथियारबंद लोग नजर आ जाएंगे। पूरा राज्य दो हिस्सों में बंटा नजर आ रहा है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर सरकार ने कहा था कि इस हिंसा से जुड़े 5,995 मामले दर्ज हुए और 6,745 लोगों को हिरासत में लिया है। मणिपुर हिंसा से जुड़े 11 गंभीर मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

मणिपुर में पिछले एक साल से छिटपुट हिंसा की घटनाए जारी है। के इतिहास में यह दुर्लभ है कि किसी राज्य में एक साल तक नागरिक संघर्ष जारी रहे और आग बुझाने के लिए केंद्र द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाया जाए।हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कई दौरे की बैठकें की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल ही में असम ट्रिब्यून को दिए गए इंटरव्यू में कहा, राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ 15 से अधिक बैठकें की। 

हालांकि, इतने बैठकों के बाद भी सरकार इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला नहीं निकाल सकी हैं। यही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंते रहे, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। ना ही इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। हालांकि, हिंसा के बीच 19 जुलाई, 2023 को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया था। इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका "हृदय पीड़ा से भरा हुआ है।" पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद पीएम ने तीन महीने की चुप्पी तोड़ी

पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी। ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे। अगस्त में विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से मजबूर किए जाने के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर तीन महीने की चुप्पी तोड़ी, और केवल राज्य की समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया। और कहा कि उनकी सरकार जल्द ही शांति बहाल करेगी।

देशभर में भूमे पीएम पर नहीं ली मणिपुर की सुध

बता दें कि हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। वहीं, सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं। पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की। छह मई को उन्होंने बेंगलुरु में रोड शो किया। मई, 2023 से अप्रैल, 2024 के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएँ की, जिनमें सबसे ज़्यादा 24 बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे। औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने 22 बार मध्य प्रदेश का और 17 बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया। इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया लेकिन मणिपुर नहीं गए। उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है। पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना। प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है और वहाँ मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था।

मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों की अनदेखी का आरोप

ऐसे में विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार पर मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों को अनदेखा करने का आरोप लगाती आ रही है। अभी 3 मई को मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने मणिपुर जैसे खूबसूरत राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मणिपुर ठीक एक साल पहले 3 मई, 2023 को जलना शुरू हुआ था। उदासीन मोदी सरकार और अयोग्य भाजपा राज्य सरकार के क्रूर संयोजन ने राज्य को वस्तुतः दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि "पश्चातापहीन" प्रधानमंत्री ने मणिपुर में कदम नहीं रखा है क्योंकि यह "उनकी रैंक की अक्षमता और पूर्ण उदासीनता" को उजागर करेगा। “मणिपुर के सभी समुदायों के लोग अब जानते हैं कि भाजपा ने उनके जीवन को कैसे दयनीय बना दिया है। खड़गे ने ट्वीट किया, पूर्वोत्तर के लोग अब जानते हैं कि तथाकथित विकास के बारे में मोदी सरकार के बेशर्म ढोल ने क्षेत्र में मानवता की आवाज को दबा दिया। भारत के लोग अब जानते हैं कि पीएम मोदी और उनकी सरकार को मणिपुर में नष्ट हुई अनगिनत जिंदगियों के प्रति रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है।