/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png StreetBuzz आज 3 मई का इतिहास : आज जाने भारत की पहली फिल्म से लेकर दादा साहब फाल्के तक का सफर Delhincr
आज 3 मई का इतिहास : आज जाने भारत की पहली फिल्म से लेकर दादा साहब फाल्के तक का सफर

नयी दिल्ली : भारत की पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' 3 मई 1913 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म को बनाने में दादा साहेब फाल्के को जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, उसकी आज कल्पना करना भी मु्श्किल है.

फिल्म के निर्माण में दादा साहेब फाल्के की पत्नी सरस्वती बाई का भी अतुलनीय योगदान रहा. जब पैसे कम पड़े तो उन्होंने अपने जेवरात बेच दिए. फिल्म की शूटिंग के दौरान सरस्वती बाई अकेले 500 लोगों का खाना बनाती थीं. इतना ही नहीं, कास्ट के कपड़े भी वो खुद धोती थीं. 

कई बार तो सीन के वक्त वो सफेद शीट लेकर घंटों खड़े रहती थीं. बहरहाल 15 हजार रुपये की लागत और 6 महीने 27 दिन के अथक प्रयास के बाद 'राजा हरिश्चंद्र' की शूटिंग पूरी हुई और 21 अप्रैल 1913 को बॉम्बे के ओलंपिया थियेटर में कुछ खास लोगों के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई. ये वो लोग थे जिन्हें फिल्मों की अच्छी समझ थी. इस स्क्रीनिंग में मिली प्रशंसा के बाद दादा साहेब ने फिल्म को आम लोगों के सामने लाने का फैसला किया.

3 मई 1913 वो ऐतिहासिक दिन था, जब बॉम्बे के कॉरोनेशन सिनेमाहॉल में भारत की पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' रिलीज की गई. फिल्म सुपरहिट साबित हुई और इसके साथ ही ये तारीख और दादा साहेब फाल्के का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.

प्रमोद महाजन ने कहा था अलविदा

अटल आडवाणी के बेहद करीबी और बीजेपी के कद्दावर नेता प्रमोद महाजन ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहा था. उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन ने ही किसी बात पर बहस के बाद प्रमोद महाजन को 3 गोलियां मारी थी, जिससे उनकी मौत हो गई.बात अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने की हो या लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा की, महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन की हो या शाइनिंग इंडिया का मंत्र देने की, प्रमोद महाजन के जिक्र के बिना अधूरी ही रहती है. एक समय अटल-आडवाणी के करीबी रहे प्रमोद महाजन उस समय पार्टी की सेकंड लाइन के प्रमुख नेता थे.

राम आंदोलन में निभाई थी भूमिका

जब देश में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ने लगा था. तब आडवाणी का भी इरादा पदयात्रा निकालने का था. लेकिन प्रमोद महाजन ने उन्हें राय दी कि पदयात्रा में समय ज्यादा लगेगा, ज्यादा जगह भी कवर नहीं होगी. पदयात्रा के बजाय रथयात्रा निकालिए. आडवाणी को ये आइडिया जम गया. प्रमोद ने मेटाडोर को रथ में बदला, नाम दिया- रामरथ। आडवाणी की रथयात्रा में प्रमोद की भी बड़ी भूमिका थी.1996 में वाजपेयी सत्ता में आए. प्रमोद अपना पहला लोकसभा चुनाव जीते. उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया. सरकार केवल 13 दिन ही टिकी. 1998 में बीजेपी फिर सत्ता में आई, पर महाजन हार गए. उन्हें राज्यसभा भेजा गया. सूचना-प्रसारण मंत्री रहे और टेलीकॉम पॉलिसी में कई सुधार किए. हालांकि उन पर वित्तीय गड़बड़ियों और रिलायंस को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लगते रहे.

1971 युद्ध के हीरो का हुआ था निधन

1971 की फाइट के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म 1916 में पाकिस्तान में हुआ था. सन 1938 में उन्हें सेना में कमीशन मिला. सन 1964 में जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की जिम्मेदारी सौंपी गई. 1973 में जनरल अरोड़ा सेना से रिटायर हो गए. उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने साहसिक फैसलों के लिए जाना जाता है. इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ. पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने अपनी पूरी सेना के सामने समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए. उनके सामने थे लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा. 1971 युद्ध के हीरो. आज ही के दिन 2005 में उनका निधन हो गया.

देश-दुनिया में 3 मई को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है-

2019: ओडिशा में तूफान ‘फानी’ का कहर. 33 लोगों की मौत हुई. चेतावनी के बाद सरकार ने हजारों लोगों को सुरक्षित निकाला.

2008: पाकिस्तानी जेल में सजा काट रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की फांसी टली.

1993: संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की.

1913: पहली भारतीय फीचर फिल्म राजा हरिश्चन्द्र प्रदर्शित हुई.

1845: चीन के कैंटन में थियेटर में आग लगने से 1600 लोगों की मौत हुई.

कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद दो लड़कियों की हुई थी मौत, अब 3 साल बाद सीरम इंस्टीट्यूट पर केस करेंगे माता-पिता

नयी दिल्ली : जुलाई 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद जिन दो लड़कियों की मौत हो गई थी, उनके माता-पिता ने अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मूड बना लिया है. 

ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवारों ने कहा कि वो अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ अदालत जाएंगे और केस दर्ज करवाएंगे.

ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवार अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट केस करेंगे.

ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवार अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट केस करेंगे.

अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं हो सकती हैं,शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई को दिये निर्देश

 नई दिल्ली। अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं हो सकती हैं। शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई से इसके लिए तैयारी करने को कहा है। हालांकि सेमेस्टर सिस्टम शुरू करने की योजना नहीं है। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अधिकारी साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने को लेकर अगले महीने स्कूलों के प्राचार्यों के साथ परामर्श करेंगे।

सीबीएसई फिलहाल तौर तरीके पर काम कर रहा है कि स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के शेड्यूल को प्रभावित किए बिना एक और परीक्षा को समायोजित करने के लिए अकादमिक कैलेंडर में किस तरह बदलाव किया जाए। सूत्र ने कहा, 2025-26 शैक्षणिक सत्र से बोर्ड परीक्षाओं के दो संस्करण आयोजित करने का विचार किया जा रहा है, लेकिन तौर-तरीकों पर अभी भी काम करने की जरूरत है।

हालांकि, सेमेस्टर सिस्टम को लागू करने की कोई योजना नहीं है।पिछले साल शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के अनुसार बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास प्रदर्शन सुधारने के लिए पर्याप्त समय और अवसर हो।

फिल्म अभिनेता सलमान के घर के बाहर हुई फायरिंग में पुलिस की बड़ी कार्रवाई, लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी


बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग मामले की जांच तेजी से चल रही है। इस मामले में शुक्रवार को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया। 14 अप्रैल की सुबह विक्की गुप्ता और सागर पाल ने बांद्रा स्थित गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर फायरिंग की थी।

लॉरेंस के छोटे भाई ने ही फायरिंग की जिम्मेदारी

अनमोल बिश्नोई ने फायरिंग की जिम्मेदारी ली थी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच में उसके शामिल होने की पुष्टि हुई है। वह कनाडा में रहता है। अनमोल ने हमले की खुद के शामिल होने की जानकारी फेसबुक पर दी थी। हालांकि पोस्ट पर आइपी एड्रेस पुर्तगाल था। इस मामले में अनमोल और लॉरेंस को आरोपी के रूप में नामजद किया गया।

बता दें लॉरेंस बिश्नोई गुजरात के साबरमती जेल में बंद है। पुलिस गैंगस्टर को कस्टडी में ले सकती है। उस पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) लगा सकती है। फायरिंग मामले में आरोपी विक्की व सागर को हथियार मुहैया कराने में शामिल सोनू कुमार, सुभाष चंदर बिश्नोई और अनुज थापन को पंजाब से गिरफ्तार किया जा चुका है। सोनू और अनुज को पुलिस ने शुक्रवार को अदालत में पेश किया है। उन्हें 30 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है।

अलवर आश्रम में शिष्या से दुष्कर्म के अपराध में आजीवन सजा काट रहे फलाहारी बाबा को 15 दिन के लिये मिला नियमित पैरोल


जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने अलवर स्थित आश्रम में शिष्या के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फलाहारी बाबा को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य उर्फ फलाहारी की पैरोल याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने गत 29 जनवरी की पैरोल कमेटी के आदेश को भी रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने अभियुक्त बाबा को पैरोल नहीं देने की सिफारिश की थी. 

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त सात साल से जेल में बंद है. ऐसे में वह पैरोल नियमों के तहत पैरोल लेने का अधिकारी है. इसके अलावा जेल में उसका आचरण भी संतोषजनक मिला है. इसलिए उसे पैरोल पर रिहा किया जाना उचित है.

याचिका में अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सात साल से अधिक की अवधि से जेल में बंद है. ऐसे में वह 20 दिन के प्रथम नियमित पैरोल का अधिकारी है, लेकिन पुलिस अधीक्षक की विपरीत रिपोर्ट के चलते पैरोल कमेटी ने उसके पैरोल आवेदन को निरस्त कर दिया, जबकि याचिकाकर्ता को लेकर केन्द्रीय कारागार के जेल अधीक्षक और सामाजिक न्याय विभाग की रिपोर्ट संतोषजनक है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ रिपोर्ट दी है. 

इसके अलावा वह गंभीर अपराध में सजा काट रहा है. यदि उसे पैरोल पर रिहा किया गया तो समाज और पीड़िता पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

2018 में हुई थी सजा : 

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त याचिकाकर्ता को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट ने सितंबर 2017 को एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि अभियुक्त ने सात अगस्त, 2017 को अलवर स्थित आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म किया था. मामले में 26 सितंबर, 2018 को एडीजे कोर्ट ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला, महिला की सम्पति पर पति का कोई हक नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 25 लाख रुपये लौटाने का दिया निर्देश

नई दिल्ली। विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पति का पत्नी के 'स्त्रीधन' (महिला की संपत्ति) पर कोई नियंत्रण नहीं होता। 

10 साल से अधिक पुराने इस मुकदमे में अपने हक की लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला के मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ में हुई। कोर्ट ने पत्नी के 'स्त्रीधन' पर पति का नियंत्रण होने के मामले में अहम टिप्पणी की।

अदालत ने क्या कहा?

अदालत ने कहा कि संकट के समय पति पत्नी के स्त्रीधन का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन संपत्ति लौटाना उसका नैतिक दायित्व है। अदालत ने एक महिला के खोए हुए सोने के बदले 25 लाख रुपये लौटाने का निर्देश देते हुए अपने फैसले में यह अहम बात कही। इस मामले में महिला ने दावा किया कि शादी के समय उसके परिवार ने उसे 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे। साथ ही शादी के बाद उनके पिता ने उनके पति को दो लाख रुपये का चेक दिया था।

महिला ने क्या कहा?

महिला के अनुसार, शादी की पहली रात उसके पति ने सभी गहने अपने कब्जे में ले लिए। गहनों को सुरक्षित रूप से सहेजने के नाम पर उसने गहने अपनी मां को दे दिए। महिला के आरोप के अनुसार, पति और उसकी सास ने अपनी पुराने कर्जों का निपटारा करने के लिए उसके गहनों का दुरुपयोग किया। मामला अदालत में पहुंचने के बाद फैमिली कोर्ट ने 2011 में पारित फैसले में महिला के आरोपों को सही पाया।

स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहींः SC

कोर्ट ने पति और उसकी मां से उक्त दुरुपयोग से हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया। बाद में मामला केरल हाई कोर्ट पहुंचा। यहां कोर्ट ने पारिवारिक अदालत से मिली राहत को आंशिक रूप से खारिज कर कहा कि महिला पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित करने में असफल रही। हालांकि, मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने कहा कि स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं है।

पति का नहीं है इस पर कोई नियंत्रण

पति के पास मालिक के रूप में ऐसी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। कोर्ट ने साफ किया कि किसी महिला को शादी से पहले, शादी के समय या विदाई के समय या उसके बाद उपहार में दी गई संपत्तियां स्त्रीधन संपत्तियां हैं। यह महिला की पूर्ण संपत्ति है। उसे अपनी खुशी के अनुसार इनका निपटान करने का पूरा अधिकार है। पति का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।

यौन शोषण मामले में ब्रजभूषण सिंह के फिर से जांच की याचिका को दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने किया खारिज,7 मई को फैसला सुनाया जाएगा

दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के यौन शोषण आरोप के मामले में सांसद बृजभूषण शरण सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने इस मामले की फिर से जांच की मांग की थी.

 एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने उनके खिलाफ आरोप के मामले पर 7 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

दरअसल, 18 अप्रैल को कोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुनाने वाला था, लेकिन 18 अप्रैल को ही बृजभूषण शरण सिंह की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि 7 सितंबर 2022 को घटना वाले दिन वह भारत में नहीं थे. 

इस तथ्य की उन्होंने दिल्ली पुलिस से जांच कराने का आदेश देने की मांग की थी. इसपर शुक्रवार को कोर्ट का यह फैसला आया.

बता दें कि कोर्ट ने चार अप्रैल को आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. 27 फरवरी को दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया था कि अगर हम चाहते तो आरोपियों के खिलाफ छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर सकते थे, लेकिन इससे ट्रायल में देरी होती. इसका विरोध करते हुए बृजभूषण भूषण शरण सिंह के वकील ने कहा था कि अगर आरोपों में निरंतरता नहीं है, तो अलग-अलग आरोपों में एक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती.

बृजभूषण शरण सिंह की ओर से इस मामले में आरोप मुक्त करने की मांग की गई थी. उनकी तरफ से कहा गया था कि अपराध की सूचना देने में काफी देरी की गई. साथ ही शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है.

 शिकायतकर्ता की ओर से टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में हुई घटना का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है. ऐसे में मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी से इजाजत लेनी होती है.

बता दें कि 23 जनवरी को महिला पहलवानों की ओर से ओवरसाइट कमेटी के गठन और उसकी जांच पर सवाल उठाया गया था. महिला पहलावानों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ओवरसाइट कमेटी का गठन प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट (पॉश) के प्रावधानों के अनुरुप नहीं किया गया था. 

ओवरसाइट कमेटी आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी नहीं है. ऐसे में ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का पर्याप्त आधार है.

दूरदर्शन की बंगला शाखा की एंकर हीटवेव की खबर पढ़ते वक्त गर्मी से हुई बेहोश,लाइव वीडियो वायरल


नई दिल्ली : भारत के कई हिस्से लू की चपेट में हैं और कई इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. भीषण गर्मी के बीच, एक टीवी एंकर लाइव प्रसारण के दौरान हीटवेव अपडेट पढ़ते समय बेहोश हो गईं. उनका रक्तचाप अचानक कम हो गया।

दूरदर्शन की कोलकाता शाखा की एंकर लोपामुद्रा सिन्हा को गर्मी की खबर पढ़ते समय बेहोश होते हुए धीरे-धीरे बोलते हुए सुना जा सकता है।

लोपामुद्रा सिन्हा ने अपने फेसबुक पेज पर साझा किए गए एक वीडियो में कहा, "टेलीप्रॉम्प्टर धुंधला पड़ गया और मैं बेहोश हो गई... मैं अपनी कुर्सी पर गिर गई." लोपामुद्रा सिन्हा ने कहा कि वह "अत्यधिक गर्मी के कारण और रक्तचाप अचानक कम हो जाने के कारण बेहोश हो गईं". एंकर ने यह भी कहा कि कूलिंग सिस्टम में कुछ खराबी के कारण स्टूडियो के अंदर अत्यधिक गर्मी थी.

लोपामुद्रा सिन्हा ने बांग्ला में कहा कि गुरुवार सुबह प्रसारण से पहले वह अस्वस्थ और प्यासी महसूस कर रही थीं. उन्होंने कहा, "मैं कभी भी अपने साथ पानी की बोतल नहीं रखती. चाहे पंद्रह मिनट का प्रसारण हो या आधे घंटे का. मुझे अपने 21 साल के करियर में प्रसारण के दौरान कभी भी पानी पीने की जरूरत महसूस नहीं हुई, लेकिन इस बार प्रसारण समाप्त होने से 15 मिनट पहले मुझे प्यास लगी।उस समय टीवी पर मेरे चेहरे की जगह नहीं विजुअल्स चल रहे थे तो मैंने फ़्लोर मैनेजर को इशारा किया और पानी की बोतल मांगी।

लोपामुद्रा सिन्हा ने आगे कहा कि उन्हें पानी पीने का मौका नहीं मिल रहा था क्योंकि बिना किसी बाइट्स के केवल सामान्य न्यूज ही चल रही थीं. बुलेटिन के अंत में, एक बाइट आई और मैंने इस अवसर का उपयोग पानी पीने के लिए किया. पानी पीने के थोड़ी देर बाद मैं बेहोश हो गईं. मेरी आवाज अस्पष्ट होने लगी.

ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को प्रभावित करने वाली चल रही लू इस महीने की दूसरी लू है. पहले हीटवेव ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात के कुछ हिस्सों को झुलसा दिया. शनिवार को कुछ स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से सात से आठ डिग्री अधिक दर्ज किया गया.पश्चिम बंगाल के मिदनापुर और बांकुरा में क्रमश: 44.5 डिग्री सेल्सियस और 44.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।

इतिहास में आज: 21 अप्रैल के ही दिन भारत में पड़ी थी मुगल शासन की नींव

नई दिल्ली : 1526 में वह 21 अप्रैल का ही दिन था, जब काबुल के शासक जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर और दिल्ली की सल्तनत के सम्राट इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई हुई।

इस लड़ाई में बाबर ने जहां तोपों का इस्तेमाल किया वहीं लोदी ने हाथियों की परंपरागत ताकत के दम पर जंग लड़ी, लेकिन बाबर की सेना संख्या में कम होने के बावजूद लोदी की सेना पर भारी पड़ी। इस लड़ाई में लोदी मारा गया और भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी।

इतिहास के पन्नों में 21 अप्रैल

6 दिनों में ही रक्तवाहिकाएँ 18 साल की उम्र जैसी हो जाएँगी! बस रोज सुबह खाली पेट यह करना है

अपनी नसें साफ करो! यह रास्ता है

1451 : लोदी वंश का संस्थापक बहलोल खां लोदी दिल्ली का शासक बना।

1526 : मुगल शासक बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी मारा गया और भारत में मुगल शासन की नींव पड़ी।

1895 : अमेरिका में विकसित पहले फिल्म प्रोजेक्टर ‘पैनटॉप्टिकॉन’ का प्रदर्शन किया गया।

1926 : इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का जन्म। उनका पूरा नाम एलिजाबेथ एलेक्जेंद्रा मेरी है और वह सबसे लंबे समय तक इंग्लैंड पर शासन करने का रिकार्ड बना चुकी हैं।

1938 : सारे जहां से अच्‍छा हिंदोस्‍ता हमारा… के रचयिता मशहूर शायर मोहम्मद इकबाल का पाकिस्तान के लाहौर में निधन।

1941 : यूनान ने नाजी जर्मनी के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

1945 : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ की सेना ने जर्मनी के बर्लिन शहर के कुछ बाहरी इलाक़ों पर कब्जा कर लिया। इसे हिटलर के खिलाफ एक बड़ी जीत माना गया।

1960 : ब्रासीलिया शहर को ब्राजील की राजधानी बनाया गया।

1975 : दक्षिण विएतनाम के राष्ट्रपति थिऊ ने इस्तीफ़ा दिया। टेलीविजन और रेडियो पर अपने संबोधन में उन्होंने अमेरिका को खरी खरी सुनाई।

1987: श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में बम धमाके में 100 से ज्यादा लोगों की मौत। कार में रखे विस्फोटक में धमाके का आरोप लिट्टे पर लगा। घटना में 300 लोग घायल भी हुए।

1989 : चीन के थ्येनआन मन चौराहे पर छात्रों का विशाल प्रदर्शन।

1996 : भारतीय वायु सेना के अधिकारी संजय थापर को पैराशूट के जरिए उत्तरी धुव्र पर उतारा गया।

आज का इतिहास : आज के ही दिन हुआ था तानाशाह हिटलर का जन्म, नाम सुनते ही कांप जाते थे लोग

नई दिल्ली : दुनिया में अपनी क्रूरता और तानाशाह के लिए मशहूर एडोल्‍फ हिटलर का जन्‍म आज 20 अप्रैल को साल 1889 में हुआ था। हिटलर ने जर्मनी पर राज किया, लेकिन उसका जन्‍म ऑस्‍ट्र‍िया में हुआ था। 

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस खुंखार तानाशाह को कला में बेहद रुचि थी और वह इसी में पढाई भी करना चाहता था। उसे ड्रॉइंग बनाने का शौक था। ऐसा कहा जाता है कि हिटलर जितना जालिम दिल था, वह अय्याशी भी उतनी ही करता था। लेकिन हिटलर को सिगरेट और शराब पसंद नहीं थे।

आज से 23 बरस पहले 20 अप्रैल के दिन अमेरिका के इतिहास में स्कूल में गोलीबारी की भीषणतम घटना हुई, जब एक हाई स्कूल में पढ़ने वाले दो छात्र अपने साथ राइफलें, पिस्तौल और विस्फोटक लेकर स्कूल में दाखिल हुए और अंधाधुंध गोलियां चलाकर अपने 12 सहपाठियों और एक शिक्षक की जान ले ली। इस दौरान 21 लोग घायल भी हुए। 20 अप्रैल 1999 को हुई इस दुखद घटना में इन दोनों ने तकरीबन 20 मिनट तक गोलियां चलाईं और बाद में खुद को भी गोली मार ली।

अधिकारियों को बाद में कैफेटेरिया से दो बम मिले। अगर उन दोनों हत्यारों ने इन बमों का इस्तेमाल किया होता तो मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा होती। इस तरह की घटनाओं के लिए बच्चों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति और घातक हथियारों की सुलभ उपलब्धता को जिम्मेदार ठहराया गया। 

देश दुनिया के इतिहास में 20 अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

1592: अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि जॉन इलियट का जन्म। 

1611: विख्यात उपन्यासकार विलियम शैक्सपियर के नाटक ‘मैकबेथ’’ का पहला ज्ञात मंचन हुआ। 

1712 : जहांदार शाह दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इस मुगल सम्राट ने 1713 तक शासन किया। वह बहादुरशाह का बड़ा पुत्र था। 

1889 : जर्मन तानाशाह अडोल्फ हिटलर का जन्म। 

1946 : संयुक्त राष्ट्र की पूर्ववर्ती संस्था लीग ऑफ नेशन्स भंग की गई। 

1953 : कोरिया और संयुक्त राष्ट्र सेना के बीच बीमार युद्ध बंदियों का आदान प्रदान हुआ। रिहा किए गए 100 संयुक्त राष्ट्र सैनिकों में ब्रिटेन के 12, अमेरिका के 30, दक्षिण कोरिया के 50 और कुछ अन्य देशों के सैनिक थे। 

1960 : एअर इंडिया ने लंदन की अपनी पहली बोइंग 707 उड़ान के साथ जेट युग में प्रवेश किया। 

1972: अपोलो 16 अंतरिक्ष यान छह घंटे तक इंजन की समस्या से प्रभावित रहने के बाद आखिरकार चंद्रमा पर उतरा। 

1974 : सत्तर के दशक में आंतरिक हिंसा से बुरी तरह प्रभावित उत्तरी आयरलैंड के संघर्ष में मरने वालों की संख्या 1000 पहुंची। 

1997: इंद्र कुमार गुजराल देश के 12वें प्रधानमंत्री बने। 

1999 : अमेरिका के डेनवर शहर के एक स्कूल में दो छात्रों ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 13 लोगों की जान ले ली। घटना में 21 अन्य लोग घायल हुए। 

2010 : मैक्सिको की खाड़ी में स्थित गहरे पानी के तेल भंडार में विस्फोट से इतिहास का सबसे बड़ा तेल रिसाव हुआ। 

2011 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह प्रक्षेपण यान 'पीएसएलवी' ने तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया। 

2020 : दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या 1,65,216 हो गई।