सरायकेला : भीषण पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं सिंहभूम कॉलेज चांडिल के साढ़े छह हजार विद्यार्थी
सरायकेला : एक तरफ केंद्र सरकार द्वारा लोगों को जलसंकट से मुक्ति दिलाने हेतु जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल योजन का शुभारंभ किया है।
पूरे देश में व्यापक रूप से इस योजना पर काम चल रहा है। इधर झारखंड राज्य के सरायकेला खरसावां जिला क्षेत्र के चांडिल अनुमंडल में स्थित सिंहभूम कॉलेज चांडिल के साढ़े छह हजार विद्यार्थी पेयजल के लिए तरस रहे हैं।
वर्तमान समय में स्नातक प्रथम एवं द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा चल रही है। परीक्षार्थियों को महाविद्यालय आना जरूरी है। पश्चिमी गरम हवा के लू से परिक्षार्थी ऐसे ही परेशान हैं। इधर एक तो करेला दूजा नीम मुहावरे को चरितार्थ कर रही है जानलेवा गरमी में बढ़ती प्यास।
परीक्षार्थियों का चिलचिलाती धूप एवं लू की चपेट में शरीर जल रहा है और प्यास में गला सुख रहा है।
एक अनार साढ़े छह हजार बीमार कहावत को चरितार्थ कर रही है चांडिल अनुमंडल के एक मात्र स्नातकोत्तर महाविद्याल सिंहभूम कॉलेज चांडिल। अर्थात् एक चापानल में आश्रित है महाविद्याल के साढ़े छह हजार से अधिक विद्यार्थी एवं कॉलेज कर्मी। असहनीय गर्मी में विद्यार्थी एवं कॉलेज कर्मी पेयजल के लिए तरस रहे हैं।
चार साल पहले समाजसेवी सह आजसू नेता हरेलाल महतो द्वारा निजी स्तर से महाविद्यालय परिसर में एक जलमीनार का निर्माण कराया गया था। जिसका जलस्तर नीचे जाने के कारण अब उस जलमीनार से पानी निकलना बंद हो गया है। बताया गया कि उसके बाद सरकारी विभाग द्वारा एक जलमीनार एवं चांडिल निवासी समाजसेवी आशीष कुंडु द्वारा एक चापाकल का निर्माण कराया गया था।
जलस्तर नीचे जाने के कारण जलमीनार सुख चुका है जिससे पानी निकलना बंद हो गया है। चापानल से पानी निकलता है लेकिन काफी कम मात्रा में। दोपहर के बाद उसमें भी पानी नहीं निकलता है। विद्यार्थी एवं परीक्षार्थी प्यास से व्याकुल होकर पेयजल के लिए इधर उधर भटकते हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि सिंहभूम कॉलेज चांडिल के समस्याओं के समाधान पर सांसद, विधायक, जिला परिषद सदस्य आदि जनप्रतिनिधि कभी ध्यान नहीं दिया।
जनप्रतिनिधियों के नाम से विद्यार्थियों में आक्रोश है। विद्यार्थियों का कहना है कि चुनाव के समय बढ़े बढ़े झूठे वादे करते हुए ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में वोट मांगने के लिए आते हैं और चुनाव जीतने के बाद सांसद व विधायक का जनसमस्या समाधान से कोई सरोकार नहीं।राज्य सरकार द्वारा कोरोड़ी रुपया से लागत बनने जा रहा जलमिनार हाथी की दांत बने हुए हैं। जिसका लूट हो रहा है। चुनाव में नेता मंत्री बड़े बड़े वायदे करके चले जाते हैं और देखते ही पांच बर्ष बीत जाता है, और नेता के मुद्दा बनकर रह जाते हैं।
Apr 23 2024, 19:11