3.5 लाख शिक्षकों को पटना हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, सक्षमता परीक्षा पर सुनाया ये फैसला
बिहार: पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए कहा हैं कि सक्षमता परीक्षा में फेल होने या परीक्षा न देने पर भी वे अपने पद पर बनें रहेंगें. हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य के लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत मिली हैं.
मुख्य न्यायाधीश के विनोद एवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2003 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए उसे आंशिक स्वीकृति दे दी हैं.
1. हाईकोर्ट के नई शिक्षक नियमावली के रूल 4 को निरस्त कर दिया. जिसके तहत सभी शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक हैं,रूल 4 कहता हैं कि तीन बार मौका मिलने के बावजूद जो नियोजित शिक्षक परीक्षा नहीं देते हैं या फेल कर जाते हैं, उनके बारे में सरकार की शिक्षा विभाग निर्णय लेगी लेगी. इस प्रावधान को खत्म कर दिया हैं.
2. हाईकोर्ट ने बिहार राज्य शैक्षिक संस्थान शिक्षक और कर्मचारी(शिक्षक निवारण और सपोल नियमावली 2020) के साथ 12 को भी निरस्त कर दिया हैं जिसके के तहत गठित जिला राज्य/अपीलीय प्राधिकार का लंबित वादों/ मामलों का इस नियमावली से प्रवृत्त होने की तिथि से 6 महीने के अंदर निपटारा हो जाना चाहिए इसके अतिरिक्त इस नियमावली के प्रवृत्त होने की तिथि से जिला/ राज्य अपीलीय प्राधिकार कोई भी नया बाद स्वीकार नहीं करेंगें.
राज्य एक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करेंगा, जैसा कि स्थानीय निकाय शिक्षक नियम-2020 द्वारा नियोजित शिक्षकों के लिए प्रदान किया गया हैं.
राज्य सरकार कैरियर में प्रगति के लिए भी प्रावधान करेगा तथा विभिन्न संवर्गों में प्रत्येक व्यक्ति राज्य द्वारा निर्धारित उचित शर्तों के अधीन पदोन्नति के लिए विचार किए जाने का हकदार होगा. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा ली गयी सक्षमता परीक्षा को भी सही ठहराया, जिसके तहत सक्षमता परीक्षा में उत्तीर्ण शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षक का दर्जा दिया जाएगा.
इस मामले में याचिकाकर्ताओं का पक्ष वरीय अधिवक्ता वाईकी गिरि, वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, अधिवक्ता प्रियंका सिंह, अधिवक्ता प्रिंस कुमार मिश्रा समेत अन्य ने रखा. राज्य सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पीके शाही एवं अधिवक्ता विकास कुमार ने रखा.
Apr 03 2024, 16:13