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भारतीय नौसेना ने 35 सोमाली समुद्री लुटेरे को किया गिरफ्तार, 3 महीने पहले जहाज को किया था हाईजैक


नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने लाल सागर के पूर्व में 100 दिनों के समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के बाद शनिवार को 35 सोमाली समुद्री लुटेरों को भारत लाकर मुंबई पुलिस को सौंप दिया है। 

सोमालिया समुद्री डाकुओं द्वारा अपहरण किए गए मालवाहक जहाज से भारतीय नौसेना ने 35 डाकुओं को गिरफ्तार किया है।

एमवी रुएन मालवाहक जहाज को 14 दिसंबर, 2023 को सोमालियाई समुद्री डाकुओं द्वारा अपहरण कर लिया गया था। जहाज का जब अपहरण किया गया तो वह भारतीय तट से लगभग 1,400 समुद्री मील (2,600 किलोमीटर) दूर था।

 जिसके बाद अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर क्षेत्र में सबसे बड़ी राष्ट्रीय सेना ने सोमाली तट से अपहरण के तीन महीने बाद पिछले सप्ताह मालवाहक जहाज रुएन से समुद्री डाकुओं को गिरफ्तार कर लिया और मुंबई पुलिस को सौंप दिया।

यमन के ईरानी समर्थित हूती आतंकवादियों द्वारा लाल सागर में हमलों से शिपिंग की रक्षा करने पर पश्चिमी बलों के फोकस का लाभ उठाते हुए समुद्री लुटेरों ने नवंबर से अब तक 20 से अधिक अपहरण किए हैं या प्रयास किए हैं, जिससे बीमा और सुरक्षा लागत बढ़ गई है और वैश्विक शिपिंग कंपनियों के लिए संकट बढ़ गया है।

भारत की नौसेना ने कहा कि हमास के खिलाफ इजरायल के युद्ध के दौरान गाजा में फलिस्तीनियों के साथ एकजुटता का दावा करने वाले हूती आतंकवादियों के हमलों और समुद्री डकैती में वृद्धि के साथ, नवंबर के बाद से क्षेत्र के माध्यम से वाणिज्यिक यातायात आधा हो गया है, क्योंकि जहाज दक्षिणी अफ्रीका के आसपास लंबा रास्ता अपनाते हैं।

भारतीय कमांडो द्वारा पकड़े गए समुद्री डाकुओं के खिलाफ समुद्री डकैती रोधी अधिनियम 2022 के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस प्रावधान के तहत आजीवन कारावास की सजा का भी सामना करना पड़ सकता है। यह कानून नौसेना को खुले समुद्र में समुद्री डाकुओं को पकड़ने और गिरफ्तार करने में सक्षम बनाता है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने ऑपरेशन के 100वें दिन के अवसर पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सोमालियाई समुद्री डाकु अन्य जहाजों पर हमले करने के लिए रुएन को अपने "मदर शिप" के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे। वहीं, कमांडो ने चालक दल के सभी 17 सदस्यों को बचा लिया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश को लेकर किए जा रहे दावे को बताया हास्यापद


नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश को लेकर बार-बार किए जा रहे दावे को हस्यास्पद करार देते हुए खारिज कर दिया। साथ ही ड्रैगन को खरी-खरी भी सुना दी। जयशंकर ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का स्वाभाविक हिस्सा है।

इन दिनों जयशंकर तीन दिवसीय सिंगापुर दौरे पर हैं और उन्होंने एक कार्यक्रम में अरुणाचल मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है। मेरा मतलब है कि चीन ने अपने दावे को दोहराया है और यह नया मुद्दा नहीं है। ये दावे शुरू से ही हास्यास्पद रहे हैं और अभी भी हास्यास्पद ही बने हुए हैं।

एस जयशंकर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के प्रतिष्ठित दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान (आईएसएएस) में आयोजित एक कार्यक्रम में व्याख्यान देने पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने सवालों के जवाब में चीन को लेकर ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हम इस मुद्दे पर बहुत स्पष्ट, बहुत सुसंगत रहे हैं। आप जानते हैं कि यह कुछ ऐसा है, जो होने वाली सीमा चर्चा का हिस्सा होगा।"

भारत के लिए चुनौती

एक अन्य सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि "आज भारत के लिए चुनौती है कि वह दो उभरती शक्तियों के बीच स्थायी संतुलन कैसे बनाए, जो पड़ोसी भी हैं और जिनका एक इतिहास और आबादी है, जो उन्हें बाकी दुनिया से अलग करती है। जिनके पास क्षमताएं भी हैं। यह एक बहुत ही जटिल चुनौती है।"

जयशंकर ने मई 2020 में पैंगोंग झील के पास सीमा पर हुए चीन के साथ हिंसक झड़प के बारे में कहा कि "2020 में चीन ने जब सीमा पर कुछ करने का फैसला किया, तो यह भारत के लिए बड़े आश्चर्य के रूप में था, क्योंकि यह दोनों देशों की ओर से किए गए समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन था"।

द्विपक्षीय संबंधों में खटास

इस गतिरोध का परिणाम यह हुआ कि व्यापार को छोड़कर सभी मोर्चों पर भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध लगभग बंद हो गए हैं। भारत, चीन की आर्मी पर देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को हटाने के लिए दबाव डाल रहा है और उसका कहना है कि जब तक सीमाओं की स्थिति असामान्य बनी रहेगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली नहीं हो सकती है।

रामलीला मैदान में किसान महापंचायत, जुटेंगे देशभर के किसान, कड़ी शर्तों के साथ मिली इजाजत

नई दिल्ली: अपनी मांगों को लेकर किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. इसी कड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 14 मार्च को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में 'किसान महापंचायत' करने का ऐलान किया है. मोर्चा ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने ‘किसान मजदूर महापंचायत’ आयोजित करने की अनुमति दे दी है. महापंचायत में मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ लड़ाई तेज करने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा. वहीं, दिल्ली पुलिस ने कहा है कि कड़ी शर्तों के साथ रामलीला मैदान में महापंचायत की इजाजत दी गई है.

मोर्चा ने दावा किया है कि महापंचायत में उत्तर प्रदेश, पंजाब हरियाणा सहित देश के विभिन्न राज्यों से किसान और मजदूर शामिल होंगे. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि एमएसपी गारंटी कानून एक बड़ा मुद्दा है. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट, भूमि अधिग्रहण, बिजली आदि के मुद्दे हैं. ऐसा नहीं है कि देश में एमएसपी गारंटी कानून लागू होता है तो किसानों की समस्या का समाधान हो जाएगा. 

पटवारी से लेकर अधिकारी तक किसानों के खिलाफ काम करते हैं. संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर 14 मार्च 2024 को दिल्ली में बड़ी महापंचायत होगी. एक दिन का प्रोग्राम है. सरकार से अपनी बात कह कर आएंगे. जगह-जगह आंदोलन करने पड़ेंगे. जरूरी नहीं की बड़ा आंदोलन हो तब ही किसान इकट्ठा हो. किसानों की वैचारिक लड़ाई है. 

जो किसान अपने खेत में बैठा हुआ है वह भी वैचारिक रूप से दिल्ली से जुड़ा है.

गांव-गांव जाकर किसानों को दे रहे न्यौताः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने गांव-गांव जाकर दिल्ली में आयोजित होने वाली किसान मजदूर महापंचायत को सफल बनाने के लिए जनसंपर्क किया. यूनियन के गाजियाबाद जिला अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह का कहना है यूनियन के पदाधिकारी गांव में जाकर किसानों से महापंचायत में शामिल होने के लिए जनसंपर्क कर रहे हैं. बड़ी संख्या में किसान गाजियाबाद से दिल्ली में होने वाली महापंचायत में पहुंचेंगे. किसान ट्रैक्टर से नहीं बल्कि गाड़ियों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से दिल्ली जाएंगे. जिले में किस किसी एक स्थान पर एकत्रित होंगे जहां से सब एक साथ दिल्ली के लिए रवाना होंगे.

चौधरी राकेश टिकैत के नेतृत्व में महापंचायतः "चौधरी राकेश टिकैत के नेतृत्व में पदाधिकारी और कार्यकर्ता गांव-गांव से दिल्ली पहुंचने की तैयारी में दिन रात जुटे हैं. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अपने मुद्दों पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करेंगे. एक दिवसीय किसान मजदूर महापंचायत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक का किसान अपनी समस्याओं को लेकर बड़ी संख्या में ट्रेन, बस, कार आदि निजी वाहनों से महापंचायत में पहुंच रहे हैं. ट्रैक्टर से पहुंचने में दूर दराज से पहुंचने में असुविधा होती हैं.

केरल सरकार द्वारा कर्ज लेने की अनुमति का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट,केंद्र ने 5000 करोड़ की ढ़ी अनुमति, केरल ने कहा 10,000 करोड़ रुपये की है जरूरत

 नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह वित्तीय मुद्दों का सामना कर रहे केरल सरकार को बेहद खास और असाधारण उपाय के तौर पर कुछ शर्तों के साथ 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की अनुमति देने को तैयार है। 

लेकिन केरल सरकार ने 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की छूट को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि उसे कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की जरूरत है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने यह छूट देने का प्रस्ताव रखा। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से संसाधनों की कमी से निपटने के लिए केरल को 31 मार्च तक एकमुश्त राहत पैकेज देने पर विचार करने के लिए कहा था। 

केंद्र सरकार ने केरल को बाजार से उधारी जुटाने पर रोक लगा दी है। इस फैसले को केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है।

केरल ने केंद्र द्वारा उधार लेने की सीमा निर्धारित करने को राज्य के वित्त को विनियमित करने के अपने विशेष, स्वायत्त और पूर्ण अधिकार में हस्तक्षेप बताया है। 

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण ने कहा, 'न्यायालय के सुझाव पर गौर करते हुए केंद्र एक बहुत ही विशेष और असाधारण उपाय के रूप में केरल को वित्त वर्ष के अंत में पेंशन, वेतन और अन्य प्रतिबद्ध खर्चों के भुगतान की देनदारी को पूरा करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की उधारी को शर्तों के अधीन सहमति देने को तैयार है।'

केरल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने असहमति जताते हुए कहा, 'ऐसा कर पाना हमारे लिए कुछ हद तक मुश्किल है। 5,000 करोड़ रुपये से बात नहीं बन पाएगी। न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपये की जरूरत है।

भाजपा ने बंचितो को लाभ और सम्मान देने के लिए हरसंभव कोशिश किया,भाजपा यह प्रयास जारी रखेगी-पीएम मोदी

 नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सबसे ज्यादा फायदा एससी, एसटी और ओबीसी जैसे वंचित वर्गों के लोगों को मिला है।वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 'पीएम-सूरज' (प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान और रोजगार आधारित जनकल्याण) राष्ट्रीय पोर्टल की शुरुआत के मौके पर बोल रहे थे। 

दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द और जनजातीय समाज से आने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के चयन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वंचित तबके के लोगों को शीर्ष पदों तक पहुंचाने के लिए भाजपा के प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने कहा,विपक्षी दलों ने कोविन्द और मुर्मु की हार सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कोशिश की थी।

PM मोदी ने क्या कुछ कहा?

विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से पूछा कि कोई कैसे कह सकता है कि मेरा कोई परिवार नहीं है। जबकि मेरे पास आप जैसे भाई और बहन हैं? कार्यक्रम में शामिल लोगों में वंचित समूहों के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शौचालय और रसोई गैस जैसी उनकी सरकार की योजनाओं से समाज के वंचित तबके को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। गरीबों के लिए सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी एससी, एसटी, ओबीसी हैं। पीएम-सूरज राष्ट्रीय पोर्टल का उद्देश्य अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों और स्वच्छता श्रमिकों सहित देशभर में पात्र व्यक्तियों को ऋण सहायता प्रदान करना है। 

इस पहल का उद्देश्य समाज के सबसे वंचित वर्गों का उत्थान करना है। मोदी ने कहा,पिछली सरकार में लाखों-करोड़ रुपये के घोटाले किए गए। हमारी सरकार ये पैसा दलितों व वंचितों के कल्याण और देश के निर्माण के लिए खर्च कर रही है।

उन्होंने कहा कि अब तक वंचित वर्ग से जुड़े एक लाख लाभार्थियों के खातों में 720 करोड़ रुपये की सहायता राशि सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजी गई है। पहले की सरकारों में ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता था कि इधर बटन दबाया और उधर पैसे गरीबों के बैंक खातों में पहुंच गए, लेकिन यह मोदी की सरकार है, गरीबों का पैसा सीधे उनके खातों में पहुंचता है।

इस दौरान उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि मुद्रा योजना के तहत एससी, एसटी व ओबीसी समेत गरीब लोगों को लगभग 30 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है।

'एक बड़े अवसर का साक्षी बन रहा देश'

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दलित, पिछड़े और वंचित समाज के कल्याण की दिशा में देश एक और बड़े अवसर का साक्षी बन रहा है। उन्होंने कहा,जब वंचितों को वरीयता देने की भावना हो, तो कैसे काम होता है, वह इस आयोजन में दिखाई दे रहा है।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान मशीनी स्वच्छता व्यवस्था के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई (नमस्ते) योजना के अंतर्गत सफाई मित्रों (सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों) को आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड और पीपीई किट भी वितरित कीं। कार्यक्रम में विभिन्न सरकारी योजनाओं के वंचित समूहों के लगभग तीन लाख लाभार्थी देशभर के 500 से अधिक जिलों से शामिल हुए।

'तारक मेहता का उलटा चश्मा' की बबीता (36) और टप्पू (27) ने की सगाई..?

 टुकुर-टुकुर ताकतें रह गये जेठालाल, दोनों की लव स्टोरी ने मचाया तहलका

नयी दिल्ली : तारक मेहता का उलटा चश्मा' की बबीता और टप्पू ने सगाई कर ली है। मुनमुन दत्ता और राज अनादकट की लव स्टोरी काफी अनोखी है। दोनों में लगभग 9 साल का एज गैप है।

जहां मुनमुन दत्ता 36 साल की हैं और राज 27 साल के हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों ने अपनी फैमिली की प्रेजेंस में सगाई कर ली है। राज ने दिसंबर 2022 में से विदा ले ली, वो इस हिट सीरियल में जेठालाल के बेटे का रोल कर रहे थे। वैसे सीरियल में बबीता पर जेठा को क्रश है। ऐसे में रिएल लाइफ में आए इस ट्विस्ट से फैंस काफी हैरान हैं।

मुनमुन दत्ता ने परिवार के सामने की सगाई

एक्टर्स के एक करीबी ने जानकारी दी कि मुनमुन और राज ने मुंबई के बाहर एक सिंपल से समारोह में सगाई कर ली। "अभी कुछ दिन पहले ही सगाई हुई थी। जाहिर तौर पर दोनों ने वडोदरा (गुजरात) में एक-दूसरे को अंगूठियां पहनाईं। मुनमुन और राज के परिवारों ने उनके रिश्ते को स्वीकार कर लिया है और वे भी सगाई में मौजूद थे।"

राज अनादकट ने डेटिंग को दिया शादी का मोड़

सामने आई अपडेट के मुताबिक, "राज के तारक मेहता का उल्टा चश्मा में शामिल होने के बाद से दोनों डेटिंग कर रहे हैं। सेट पर सभी को इसके बारे में पता था। दरअसल, कुछ लोगों को यकीन था कि मुनमुन और राज आखिरकार शादी कर लेंगे।

 इसलिए, यह चौंकाने वाली बात नहीं है कि वे अब सगाई कर रहे हैं।''

2021 में मुनमुन दत्ता और राज ने डेटिंग को किया था रिपीट

मुनमुन दत्ता और राज अनादकट के कथित रूप से डेटिंग की खबर सबसे पहले TOI ने सितंबर 2021 में दी थी। TOI की रिपोर्ट में कहा गया है कि तारक मेहता का उल्टा चश्मा टीम के प्रत्येक सदस्य को दोनों के रिश्ते के बारे में पता था। हालांकि, मुनमुन ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और अपने सोशल मीडिया हैंडल पर खारिज किया था।

धरोहर: अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया भर में जाने वाले ताजमहल क्या किसी हिन्दू राजा का जमीन कब्जा कर बनाया गया.....?

स्थापत्य कला का बेजोड़ इस अदभुत धरोहर का इतिहास जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर को.....!

आगरा :ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. सभी जानते हैं कि शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था. लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि ताजमहल की जमीन के मालिक कौन थे?

 शाहजहां ने इस जमीन को कैसे हासिल किया था?

ताजमहल करीब 60 बीघा जमीन पर बना हुआ है. इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर कई बार विवाद खड़ा हुआ है. 

ताजमहल करीब 60 बीघा जमीन पर बना हुआ है. इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर कई बार विवाद खड़ा हुआ है.

उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में बना ताजमहल एक विश्‍व धरोहर मकबरा है. इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में 17वीं सदी में बनवाया था. ताज महल 1983 में युनेस्को विश्‍व धरोहर स्थल की सूची में शामिल हुआ था.

 ताजमहल को बनाने में करीब 22 साल लग गए थे. दुनियाभर के पर्यटक इसकी खूबसूरती के कारण इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं. हालांकि, बीच-बीच में इसकी जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद खड़े होते रहते हैं. कुछ तथ्‍य कहते हैं कि ये जमीन आमेर के एक समुदाय की थी, जिसे शाहजहां ने खरीदा था. वहीं, जयपुर राजघराना दावा करता है कि ताजमहल की जमीन उनके पुरखों की है, जिसे मुगल बादशाह ने जबरन कब्‍जाया था.

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक, ताजमहल की जमीन राजस्‍थान में आमेर के कछवाहों की जायदाद थी. शाहजहां ने इस पर ताजमहल बनवाने के लिए कछवाहों से खरीदा था. इसके बदलने मुगल बादशाह ने कछवाहों को चार हवेलियां दी थीं. हालांकि, मुआवजे के तौर पर दी गई हवेलियों के बारे में ज्‍यादा जानकारी नहीं मिलती है. 

फिर भी दरबारी इतिहासकार हामिद लाहौरी ने बादशाहनामा और फरमान जैसे अपने कामों में ताजमहल के लिए कछवाहों से जमीन खरीदे जाने का जिक्र किया है. बता दें कि ताजमहल करीब 60 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है. इसका निर्माण कार्य 22 साल के काम के बाद 1648 में पूरा हुआ था.

दरबारी इतिहासकार हामिद लाहौरी के मुताबिक, शाहजहां ने कछवाहों से जमीन खरीदकर मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था.

जमीन विवाद में सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की एंट्री

बीजेपी सांसद सुब्रमणयम स्वामी ने 2017 में कहा था कि उनके पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, मुगल सम्राट शाहजहां ने जयपुर के राजाओं की जमीन हड़पकर उस पर ताजमहल बनवाया था. उन्‍होंने बताया था कि शाहजहां ने जयपुर के राजा-महाराजाओं को उस जमीन को बेचने पर मजबूर कर दिया था, जिस पर ताजमहल खड़ा है. यही नहीं, मुआवजे के तौर पर उन्हें कुछ गांव दिए गए थे, जिनकी कीमत ताजमहल की जमीन से बहुत कम थी. उन्होंने ये दावा भी किया था कि दस्तावेजों के मुताबिक, प्रॉपर्टी पर एक मंदिर भी था. हालांकि, इसके सबूत नहीं हैं कि ताजमहल मंदिर को तोड़कर बनाया गया था.

जयपुर राजघराने ने किया जमीन पर दावा

राजसमंद से बीजेपी सांसद और जयपुर राजघराने की सदस्‍य दीया कुमारी ने 2022 में दावा किया कि आगरा का ताजमहल जयपुर राजपरिवार की जमीन पर बना हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने जयपुर राजघराने की जमीन पर जबरन कब्जा किया था. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट आदेश दे तो वह दस्तावेज भी मुहैया करा देंगी. राजघराने के पोथी खाने में जमीन के मालिकाना हक से जुड़ सभी दस्तावेज मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि सच्‍चाई सामने लाने के लिए ताजमहल के बंद कमरों को खोला जाना चाहिए. 

हालांकि, उन्‍होंने ये भी कहा कि ताजमहल को गिरवाने की कोई मंशा नहीं है. बस वह सच को सामने लाना चाहती हैं.

बीजेपी सांसद सुब्रमण्‍यम स्‍वामी और जयपुर राजघराने की सदस्‍य दीया कुमारी का दावा है कि शाहजहां ने ताजमहल की जमीन उनके पुरखों से जबरन कब्‍जाई थी.

ताजमहल नहीं था इमारत का पहला नाम

जब मुमताज को कब्र में दफनाया गया तो मुगल बादशाह शाहजहां ने सफेद संगमरमर से बनी इस खूबसूरत इमारत का नाम ‘रऊजा-ए-मुनव्वरा’ रखा था. हालांकि, कुछ समय बाद इसका नाम बदलकर ताजमहल किया गया. उस दौर में इसे बनाने में 3.2 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इसमें 28 अलग-अलग किस्म के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. ताजमहल को बनाने में 20,000 से ज्यादा मजदूरों ने दिनरात मेहनत की थी. शाहजहां ने इसके शिखर पर 40 हजार तोले सोने से बना 30 फीट से ज्‍यादा लंबा एक कलश रखवाया था. ये कलश 1800 तक सोने का था, लेकिन अब ये कांसे का बना हुआ है.

बीजेपी ने जारी की 72 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर, करनाल से मनोहर लाल खट्टर को मिला टिकट

 नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार को 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी। सूची में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, पीयूष गोयल और हरियाणा व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्रियों क्रमश: मनोहर लाल खट्टर और बसवराज बोम्मई सहित कई प्रमुख नेताओं के नाम शामिल हैं। 

गड़करी एक बार फिर नागपुर से चुनाव लड़ेंगे जबकि गोयल मुंबई (उत्तर) से पहली बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतरेंगे।

खट्टर को हरियाणा के करनाल से और बोम्मई को हावेरी से पार्टी का उम्मीदवाऱ घोषित किया गया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर एक बार फिर हमीरपुर से, प्रह्लाद जोशी कर्नाटक के धारवाड़ से, भगवंत खूबा महाराष्ट्र के बीदर और भारती प्रवीण पवार डिंडोरी से मैदान में होंगे। भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के दामाद सी एन मंजूनाथ को बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है जहां उनका मुकाबला कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के भाई डी के सुरेश से होगा।

पार्टी ने पूर्वी दिल्ली से गौतम गंभीर की जगह हर्ष मल्होत्रा और उत्तर पश्चिम दिल्ली से हंसराज हंस की जगह योगेंद्र चंदौलिया को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने इससे पहले, दिल्ली की पांच में से चार सीट पर मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए थे और सिर्फ मनोज तिवारी को दोबारा उत्तर पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनाया था।

हरियाणा में सीएम मनोहर लाल ने अपने पद से दिया इस्तीफा,भाजपा अपने दम पर बनाएगी सरकार


चंडीगढ़ : हरियाणा में सीएम मनोहर लाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. विधायक दल की मीटिंग में यह फैसला हुआ है. हरियाणा में अब भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने जा रही है।मनोहर लाल के अलावा, पूरी कैबिनेट ने भी इस्तीफा दे दिया है।

जानकारी के अनुसार, सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार सुबह 11 बजे भाजपा विधायक दल के साथ मीटिंग की और इसके बाद हरियाणा के राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए निकले. 

सीएम की गाड़ी में गृहमंत्री भी मौजूद थे. साथ ही मंत्री भी राज्यपाल से मुलाकात के लिए गए हैं.

दरअसल, हरियाणा सीएम आवास मनोहर लाल पहुंचे थे. 

इस दौरान उन्होंने कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ मीटिंग की और फिर वहां से मनोहर लाल राजभवन के लिए रवाना हुए है. यहां पर अहम बात यह है कि अनिल विज भी सीएम की गाड़ी में मौजूद थे।

विज के चेहरे में मुस्कान थी. ऐसे में संभावना है कि विज भी हरियाणा के नए सीएम हो सकते हैं. सीएम के अलावा, अन्य सभी मंत्री भी अपनी-अपनी गाड़ियों में हुए राजभवन पहुंचे थे।

सभी राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश, चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों की कीमतों की सूची तैयार हो


नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव की घोषणा को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है, जो अगले हफ्ते में कभी भी हो सकती है। फिलहाल चुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग ने चुनाव में प्रत्याशियों के खर्च पर पैनी नजर रखने से जुड़ी तैयारियां तेज कर दी हैं।

सभी राज्यों के जिला निर्वाचन अधिकारियों को राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों की कीमतों की सूची तैयार करने को कहा है। जिसमें समोसे से लेकर भोजन की थाली और हेलीकॉप्टर से लेकर डीजे, टेम्पो जैसे वाहनों की किराया दरें शामिल है।

जिलों ने चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाली चीजों की दरें निर्धारित कीं

खास बात यह है कि चुनाव आयोग ने निर्देश के बाद कुछ जिलों ने चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने चीजों की दरें निर्धारित भी कर दी हैं। आयोग के मुताबिक चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजों की दरों का निर्धारण राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के बाद ही किया जाए। साथ ही चुनाव मैदान में खड़े प्रत्येक प्रत्याशियों के खर्च की आकलन भी इन्ही दरों से किया जाए।

गाड़ियों का किराया प्रत्याशियों के खर्च में जोड़ा जाए

जैसे प्रचार में इस्तेमाल गाड़ियों का किराया सभी प्रत्याशियों के खर्च में एक सामान दरों से ही जोड़ा जाए। इससे चुनाव खर्च में पारदर्शिता बनी रहेगी। इस दौरान आयोग ने सभी जिलों को स्थानीय स्तर पर चुनावों में इस्तेमाल होने वाली चीजों को भी इस सूची में शामिल करने का सुझाव दिया है। आयोग ने इसके साथ ही जिलों में तैनात होने वाले पर्यवेक्षकों को भी इस सूची को मुहैया कराने के निर्देश दिए है।

हेलीकॉप्टर के इस्तेमाल पर 2.30 लाख रुपए जुड़ेंगे खर्च में

चुनाव आयोग के निर्देश के बाद दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर के जिला निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली करीब 280 चीजों की एक सूची जारी की है। जिसमें किसी प्रत्याशियों द्वारा हेलीकाप्टर का इस्तेमाल करने पर उसके खर्च में 2.30 लाख रुपए जोड़ा जाएगा,वहीं एक ड्रोन के इस्तेमाल पर 16 हजार रुपए चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा। खाने की एक थाली की कीमत सौ रुपए और एक समोसे की कीमत दस रुपए रखी गई है।

नामांकन के दौरान लिए जाने वाले जरूरी शपथ पत्र को लेकर किया सतर्क

चुनाव आयोग ने इस बीच सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को नामांकन के दौरान प्रत्याशियों से अनिवार्य रूप से लिए जाने वाले शपथ पत्रों को लेकर सतर्क किया है। साथ ही कहा है कि नामांकन के दौरान किसी भी प्रत्याशी से अनिवार्य रूप से उसके आपराधिक और वित्तीय ब्यौरा अनिवार्य रूप से लिया जाए।

प्रत्याशियों से एक शपथ पत्र लेने का निर्देश

साथ ही नामांकन के दौरान सभी प्रत्याशियों से एक शपथ पत्र भी लेने का निर्देश दिया है, जिसमें उनके ऊपर कोई बिजली, पानी का बिल और किराया बकाया नहीं है। गौरतलब है कि आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को नामांकन के दौरान लिए जाने वाले शपथ पत्र को लेकर तब सतर्क किया है, जब चुनाव के दौरान नामांकन पत्रों के खारिज करने के दौरान अक्सर सवाल खड़े होने लगते है। जिसमें प्रत्याशियों की ओर से जानकारी न होने का मामला भी सामने आता है।

जांच के दौरान करीब 37 नामांकन पत्र खारिज

उदाहरण के तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव में दौरान लखनऊ सीट से कुल 51 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था, लेकिन जांच के दौरान इनमें से करीब 37 नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए। इसी तरह गाजियाबाद लोकसभा सीट से भी कुल 25 लोगों ने नामांकन किए थे, जिसमें करीब 13 प्रत्याशियों के नामांकन जांच के बाद निरस्त कर दिए गए थे।