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कांग्रेस विधायक मामन खान की बढ़ी मुश्किल, नूंह हिंसा केस में पुलिस ने UAPA की धारा जोड़ी

नई दिल्लीएनसीआर: 31 जुलाई को नूंह में जलाभिषेक यात्रा के दौरान हुई हिंसा में शामिल आरोपितों को उकसाने के आरोपित फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक तथा अन्य आरोपितों पर कड़ा शिकंजा कसने की तैयारी हो चुकी है। घटना के आठ माह बाद पुलिस ने मामन तथा अन्य के विरुद्ध गैर कानूनी गतिविधियां निषेध कानून (यूएपीए) की धारा जोड़ी है।

जमानत के लिए फिर जाना पड़ सकता है अदालत

इसके बाद जमानत पर चल रहे मामन को एक बार फिर से जमानत के लिए अदालत जाना पड़ेगा। दो अप्रैल को अदालत में सुनवाई होगी। जिसमें दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद अदालत फैसला लेगी। एसआइटी ने ठोस सबूत दिए तो जमानत मिलने की संभावना नहीं है। अदालत पेशी के दौरान मामन को गिरफ्तार करने के आदेश देकर आगे की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को दे सकती है।

प्रदेश सरकार अधिसूचना जारी करने के बाद जांच एनआईए से कराने की सिफारिश करेगी। पहले से दर्ज चार एफआइआर में पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधियां निषेध कानून (यूएपीए) की धारा जोड़ी है। जिससे आरोपितों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। इस धारा के जुड़ने से नूंह हिंसा का मामला एक बार फिर चर्चाओं में है। हिंसा को लेकर पुलिस ने गुरुग्राम पुलिस के दो गृहरक्षी (होमगार्ड) व एक बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या सहित साइबर थाने में आगजनी को लेकर तीन एफआइआर दर्ज की थी।

पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार हुए थे मामन खान

एक बड़कली चौक पर हुई हिंसा को लेकर नगीना थाने में एफआइआर नंबर 149 दर्ज की गई थी। जिसमें मामन पर हिंसा करने वाले आरोपितों को उकसाने का आरोप लगा। 15 अप्रैल 2023 को एसआइटी ने गिरफ्तार किया था। एक माह तक न्यायिक हिरासत में रहने पर विधायक को जमानत मिली थी। नूंह में हुई हिंसा में छह लोगों की हत्या हुई थी सौ से अधिक वाहनों को आग लगा दी गई थी। हिंसा के बाद स्थिति सामान्य करने के लिए एक माह तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था।

नई धारा जोड़ने को लेकर पुलिस की ओर कोई भी अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं । वहीं मामन खान के अधिवक्ता ताहिर खान ने कहा एसआइटी ने फिर से जांच कर रिपोर्ट बना यूएपीए की धारा लगाई है। हमने केस के स्टेटस रिपोर्ट से पता चला है। एसआईटी की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई। दो अप्रैल को रिपोर्ट को लेकर बहस होगी। हमें उम्मीद है कि अदालत सबूत को देख आगे फैसला लेगी। एसआइटी पहले की जांच में सबूत नहीं दे पाई थी। यूएपीए की धारा आतंकी गतिविधियों पर लगाई जाती है। जबकि इस दंगे का आतंकियों से जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं है।

30 से अधिक आरोपितों पर लगी यूएपीए

इन तीनों ही मामलों में 30 से अधिक आरोपित हैं। ओसामा, तौकीफ, मुस्लिम सहित छह न्यायिक हिरासत में हैं। वहीं अन्य पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं। तीनों मामलों की आगामी सुनवाई आगामी 20 मार्च और 22 अप्रैल को होनी है।

यह है यूएपीए एक्ट

संसद ने 1967 में गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) को बनाया था। हालांकि, 2004, 2008, 2012 और 2019 में इस कानून में बदलाव किए गए। लेकिन 2019 के संशोधन में इसमें कठोर प्रविधान जोड़े गए थे, इसे आतंकवाद के खिलाफ, देश की एकजुटता और अखंडता को मजबूती देने वाला कानून बताया गया। 2019 के संशोधनों में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कानून के तहत सरकार किसी संगठन या संस्थाओं को ही नहीं बल्कि किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकी घोषित कर सकती है।

इसमें जमानत मिलना बड़ा ही कठिन होता है। ऐसे में आरोपित आसानी से कानून की गिरफ्त से छूट नहीं पाते हैं। कानून के तहत किसी भी आरोपित की संपत्ति एनआइए जब्त की जा सकती है। दोष सिद्ध होने पर दोषी को फांसी की सजा तक हो सकती है।

आईपीएल 2024 के शेड्यूल किया गया तैयार पहला मैच चेन्नई और बेंगलुरु के बीच खेला जाएगा


 नई दिल्ली।आईपीएल 2024 का शेड्यूल आ गया है। टूर्नामेंट का पहला मैच चेन्नई सुपर किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के बीच होगा। यह मुकाबला चेन्नई में खेला जाएगा। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए 21 दिनों का शेड्यूल जारी किया गया है।

कब खेला जाएगा आईपीएल 2024 का फाइनल मैच?

IPL 2024 का ओपनिंग मुकाबला CSK और RCB के बीच 22 मार्च को होगा। टूर्नामेंट का फाइनल 26 मई को खेले जाने की संभावना है। यह टी20 विश्व कप के शुरू होने से सिर्फ पांच दिन पहले खेला जाएगा, जो 1 जून से वेस्टइंडीज और अमेरिका में खेला जाएगा।

67 दिनों तक चलेगा टूर्नामेंट

74 मुकाबले खेले जाएंगे। इस बार मैच 67 दिनों तक होंगे। लोकसभा के कारण आईपीएल के शेड्यूल को हफ्ते तक बढ़ाया गया है। 2009 में पूरा टूर्नामेंट और 2014 में पहले 20 मैच लोकसभा चुनाव के कारण बाहर हुए थे। इस बार बीसीसीआई सारा टूर्नामेंट देश में ही कराना चाहती है। इसी वजह से वे सुरक्षा और अन्य चीजों को देखते हुए चुनाव की तिथि का इंतजार कर रही है।दिल्ली कैपिटल्स ऐसी टीम होगी जो अपने मुकाबले दिल्ली में नहीं खेल पाएगी। उनके मैच विशाखापत्तनम के एसीए वीडीसीए स्टेडियम में खेले जाएंगे। बता दें महिला प्रीमियर लीग के आखिरी दौर के मैच सहित फाइनल 17 मार्च को खेला जाएगा। जिसकी वजह से यहां पर कोई मुकाबला नहीं रखा है।

एक साल बाद एमएस धोनी की वापसी

आईपीएल 2024 के आगाज में एमएस धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स का मुकाबला आरसीबी से चेन्नई के चेपॉक मैदान में होगा। इस मैच का फैंस को इंतजार है क्योंकि धोनी एक साल बाद फिर से मैदान में खेलते नजर आएंगे। बता दें महेंद्र सिंह धोनी को पिछले साल ही घुटने की सर्जरी से गुजरना पड़ा था। तब से उन्होंने कोई पेशेवर क्रिकेट नहीं खेला है।

हार्दिक पंड्या की मुंबई इंडियंस में वापसी

हार्दिक पंड्या की मुंबई इंडियंस में वापसी दिखेगी। दो सीजन में गुजरात टाइटंस की कप्तानी करने के बाद इस साल MI की कप्तानी करते दिखेंगे। ऋषभ पंत भी दिसंबर 2022 में कार एक्सीडेंट के बाद क्रिकेट के मैदान में वापसी करते दिखेंगे।

CBI ने दिल्ली शराब घोटाले पर सीलबंद लिफाफे में जांच का पर विस्तृत रिपोर्ट की है दाखिल

नई दिल्ली: गुरुवार को दिल्ली शराब नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल की. 5 फरवरी 2024 को अदालत ने सीबीआई को इस मामले में विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने आरोपी व्यक्तियों के वकील के साथ रिपोर्ट साझा करने से इनकार कर दिया. विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

आज सुनवाई के दौरान, वकीलों ने सीलबंद कवर में रिपोर्ट दाखिल करने पर आपत्ति जताई. जिस पर कोर्ट ने कहा कि ये स्टेटस रिपोर्ट गोपनीय है और इसके परीक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती है. वहीं, वकील ने कहा कि उन्हें जांच की स्थिति जानने और रिपोर्ट देने का अधिकार है. हालांकि, अदालत ने वकील से दो कार्य दिवसों के भीतर अपने आवेदन दाखिल करने को कहा.

इस बीच अदालत ने आरोपी को सीबीआई द्वारा साझा किए गए ईमेल तक पहुंचने के लिए एक जांच अधिकारी या साइबर विशेषज्ञ की सहायता लेने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने मनीष सिसोदिया की पेरोल कस्टडी की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि मामले में जांच जारी है, जो अहम मोड़ पर है.

वहीं, कुछ संदिग्ध लोगों के खिलाफ भी जांच की जा रही है. जिन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है उनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है. इस पर सिसोदिया के वकील ने कहा कि इस मामले मे स्टेटस रिपोर्ट अधूरी है और इसमें कुछ स्पष्ट नहीं है, जिस पर कोर्ट ने सीबीआई को जांच की विस्तृत रिपोर्ट सीलबंद कवर में कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया था.

बता दें, मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने 15 दिसंबर 2022 को पहले चार्जशीट पर संज्ञान लिया था और आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की कई अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए थे.

राहुल गांधी की न्याय यात्रा के दौरान एक पत्रकार के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता द्वारा हुई दु‌र्व्यवहार पर प्रेस संगठन ने जतायी नाराजगी,

नई दिल्ली। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान एक पत्रकार के साथ दु‌र्व्यवहार पर प्रेस संगठनों ने गहरी चिंता जताई है। द इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्रेस की आजादी को लोकतंत्र का अहम हिस्सा बताते हुए राजनीतिक दलों से ऐसी स्थिति से बचने की अपील की है।

इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी ने नेताओं को दी नसीहत


रायबरेली में एक चैनल के पत्रकार के साथ हुए दु‌र्व्यहार पर गहरी चिंता जताते हुए इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के अध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा कि वे किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों के साथ मारपीट करने की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि नेताओं को भी किसी पत्रकार के खिलाफ अपशब्द बोलने से बचना जरूरी है, जो कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसाने का काम करता हो।

पत्रकारों की सुरक्षा सर्वोपरि: एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया


इसी तरह से एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी पत्रकारों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताया। गिल्ड ने भी नेताओं को चुनाव के दौरान तनाव वाले माहौल में बोलते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी, जिससे किसी भी व्यक्ति को किसी भी रूप में नुकसान न हो। उसके अनुसार, लोकतंत्र के लिए पत्रकारों को निर्भय होकर निष्पक्ष खबर देने की आजादी सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।

क्या है मामला?


गौरतलब है कि रायबरेली में राहुल गांधी ने सरकार पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए मीडिया पर भी सवाल खड़ा कर दिया। पत्रकार ने जब इस पर सवाल उठाया तो कार्यकर्ताओं ने उसके साथ दु‌र्व्यवहार किया।

भाजपा में शामिल होने के अटकलों पर कांग्रेस नेता कमलनाथ ने लगाया विराम,राजीव गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की बैठक में वर्चुअली हुए शामिल

 भाजपा में शामिल होने की अटकलों को विराम देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तैयारियों से जुड़ी एक बैठक में मंगलवार को वर्चुअली जुड़े।उन्होंने यात्रा की तैयारियों की जानकारी ली और कहा मैं इसमें शामिल रहूंगा।

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुना से बैठक में वर्चुअली जुड़े और कहा कि पिछले दिनों जो कोहरा छाया हुआ था, वह कमल नाथ ने बैठक में शामिल होकर साफ कर दिया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय स्थित वॉर रूम में हुई बैठक में पार्टी विधायकों के अलावा विभिन्न समितियों के सदस्य शामिल हुए। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा वर्चुअली जुड़े। पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह ने यात्रा मार्ग और व्यवस्थाओं की जानकारी दी।

राहुल गांधी की यात्रा राजस्थान के धौलपुर से दो मार्च को मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगी। वर्चुअली बैठक से जुड़े कमल नाथ ने यात्रा के मार्ग, ठहरने के स्थान, भोजन और परिवहन व्यवस्था की जानकारी लेकर कहा कि मैं भी इसमें शामिल रहूंगा। प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह ने सभी पदाधिकारियों से कहा कि यात्रा मार्ग में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो, यात्रा को सफल और प्रभावी बनाने के लिए एक-एक कार्यकर्ता पूरी ताकत के साथ काम करे।

वहीं, प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि यात्रा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें। संगठन के सभी पदाधिकारी, मोर्चा संगठनों, विभागों, प्रकोष्ठों के सभी पदाधिकारी इस यात्रा में पूरी ताकत के साथ सहभागिता करें। बैठक में कमल नाथ समर्थक सहित अधिकतर विधायक उपस्थित थे।छिंदवाड़ा के विधायक भी इसमें वर्चुअली शामिल हुए।

14 करोड़ किसानों में महज़ पौने दो करोड़ किसान ही उठा पाते हैं MSP का लाभ,लाभ लेने में पंजाब-हरियाणा की किसान आगे, बिहार पीछे

नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों के लिए जारी आंदोलन के बीच सच्चाई यह भी है कि देश में करीब 14 करोड़ किसानों में से दो करोड़ से भी कम किसानों को ही इसका लाभ मिल पाता है। बाकी किसानों के पास इतनी जमीन ही नहीं है कि वह खाने से ज्यादा उपजा सके और सरकारी एजेंसियों को बेच सके। 

केंद्र सरकार एमएसपी पर खरीदारी के लिए खरीफ फसलों की प्रत्येक वर्ष जुलाई-अगस्त और रबी के लिए फरवरी-मार्च में प्रक्रिया शुरू करती है।

पिछले वर्ष 14 करोड़ में सिर्फ 1.6 करोड़ किसान ही एमएसपी पर बेच पाए खाद्यान्न

एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी के लिए सभी अधिसूचित फसलों की खरीद 2014-15 में कुल 761.40 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 1062.69 लाख टन हो गई है, जिससे लगभग 1.6 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं। इसी अवधि के दौरान एमएसपी पर सभी खाद्यान्नों की खरीद पर कुल खर्च 1.06 लाख करोड़ से बढ़कर 2.28 लाख करोड़ हो गया। यह आंकड़ा बताता है कि करीब 12 करोड़ से ज्यादा किसान इतना अनाज नहीं उपजा पाते हैं कि उन्हें सरकारी एजेंसियों की जरूरत पड़े। एमएसपी के लाभ का आकलन किसानों की संख्या के आधार पर किया जा सकता है। सरकार का अनुमान है कि देश में तीनों श्रेणियों (लघु, सीमांत एवं बड़े) को मिलाकर लगभग 14 करोड़ किसान परिवार हैं।

एमएसपी के सबसे ज्यादा लाभार्थी पंजाब और हरियाणा के किसान हैं

नाबार्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार किसान परिवारों की संख्या देश के कुल परिवारों की लगभग आधी है। 11 करोड़ से अधिक परिवार तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के ही लाभार्थी हैं। इसका अर्थ हुआ कि करोड़ों की संख्या में वैसे किसान भी हैं, जो इस सम्मान के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में एमएसपी पर फसलें बेचने वाले किसान परिवारों की संख्या से साफ हो जाता है कि इनकी संख्या 12 से 14 प्रतिशत से अधिक नहीं है। इसमें भी एमएसपी के सबसे ज्यादा लाभार्थी पंजाब और हरियाणा के किसान हैं। अब सबसे ज्यादा आंदोलित किसानों के संदर्भ में भी देखना दिलचस्प होगा।

सौ प्रतिशत किसान एमएसपी का लाभ नहीं उठाते हैं

पंजाब में निबंधित किसानों की कुल संख्या 15 लाख 30 हजार है। पिछले वर्ष सात लाख 85 हजार 313 किसानों ने ही एमएसपी पर धान बेचा था। इसी तरह गेहूं बेचने वाले किसानों की संख्या भी मात्र सात लाख 82 हजार 715 है। जाहिर है कि इनमें लाखों वैसे किसान भी होंगे, जिन्होंने धान और गेहूं दोनों की बिक्री की होगी। मतलब साफ है कि वहां भी सौ प्रतिशत किसान एमएसपी का लाभ नहीं उठाते हैं। बड़ी संख्या में छोटे किसान भी हैं, जो अपनी जरूरत भर अनाज ही उपजा पाते हैं।

बिहार में केवल धान-गेहूं की ही एमएसपी पर होती है खरीदारी

यह स्थिति उस शीर्ष राज्य की है, जहां एमएसपी पर सबसे ज्यादा खरीदारी होती है। सरकार की अधिसूचित फसलों में 14 खरीफ, छह रबी एवं दो अन्य फसलें हैं। पिछले वर्ष दो और फसलों को शामिल किया गया है। दूसरा पक्ष यह भी है कि कोई भी राज्य इन सभी फसलों की खरीदारी नहीं करता है। बिहार में धान-गेहूं के अतिरिक्त अन्य किसी फसल की एमएसपी पर खरीदारी नहीं हो पाती है। गेहूं की खरीद भी न्यूनतम होती है। मक्के की खरीद की शुरुआत तो हुई है, लेकिन उस अनुपात में नहीं, जबकि बिहार मक्का के उत्पादन के मामले में अग्रणी राज्यों में आता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सिर पर मैला ढोने और सीवर की हाथ से सफाई करने के मामले पर केंद्र और दिल्ली सरकार को भेजा नोटिस

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने मैला ढोने और सीवर की हाथ से सफाई करने से रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. मंगलवार को कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने आठ हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी.

याचिका सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने वाले कल्लू ने दायर किया है. उनके वकील पवन रेले ने कहा कि वर्तमान कानून मैला ढोने और सीवर की हाथ से सफाई करने के अमानवीय काम को रोकने में विफल रहा है. प्रोहिबिशन ऑफ इम्प्लायमेंट ऐज मैन्युअल स्कैवेंजर्स एंड देयर रिहैबिलिटेशन एक्ट और उसके कुछ प्रावधानों को हटाने की मांग की गई है.

याचिका में कहा गया है कि इस कानून के कुछ प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 17, 21 और 23 का उल्लंघन है. याचिका में मैला ढोने और सीवर की हाथ से सफाई करने वालों के परिवारों के पुनर्वास की मांग की गई है. कहा गया है कि मानव मल एकत्र करने, उसका निस्तारण करने के काम में जुड़े लोगों और उनके परिवारों के पुनर्वास की जरूरत है.

याचिकाकर्ता खुद दशकों से सीवरेज में जा रहे मानव मल के निस्तारण का काम करता है. उसके भाई की 2017 में दिल्ली के लाजपत नगर में सीवर की सफाई के दौरान मौत हो गई थी. याचिका में कहा गया है कि भारतीय संविधान में हर व्यक्ति की गरिमा को प्राथमिकता दी गई है, लेकिन सफाई के काम की आड़ में मैला ढोने और सीवर की हाथ से सफाई करने का काम खुलेआम कराया जा रहा है.

ऋतु राज सिंह के निधन पर शोक में डूबा बॉलीवुड, वरुण धवन से मनोज बाजपेयी तक, सितारों ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली : फिल्म और टीवी एक्टर ऋतुराज सिंह का निधन हो गया है। 59 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के कारण एक्टर को जान गवानी पड़ी। एक्टर के निधन पर पूरी इंडस्ट्री शोक में डूबी हुई है।

वहीं, कई स्टार्स ऋतुराज सिंह के डेथ की खबर पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं।

ऋतुराज सिंह ने अपने एक्टिंग करियर में कई स्टारर्स के साथ काम किया। टीवी से लेकर फिल्म तक, उनका एक शानदार करियर ग्राफ रहा है। ऐसे में कई स्टार्स ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से मांगी तिहाड़ में बंद न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की मेडिकल रिपोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को समाचार पोर्टल 'न्यूजक्लिक' के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की मेडिकल रिपोर्ट सौंपने का मंगलवार को निर्देश दिया. पुरकायस्थ अभी गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को एक सप्ताह के अंदर जेल के चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट सौंपने को कहा पुरकायस्थ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल की तबियत ठीक नहीं है और न्यायालय को जेल अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगनी चाहिए, जिसके बाद शीर्ष अदालत का यह निर्देश आया.

सिब्बल ने कहा कि 'समय तेजी से बीत रहा है लेकिन मुझे कोई खबर नहीं मिल रही है. हम अभी केवल यही चाहते हैं कि न्यायालय जेल अधीक्षक से उनकी मेडिकल रिपोर्ट मांगे. वह 74 साल के हैं और बहुत मुश्किल में है.' जेल के चिकित्सा अधिकारी से रिपोर्ट मांगे जाने के सिब्बल के अनुरोध का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) राजू ने कहा कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से उपयुक्त रिपोर्ट लेंगे.

न्यायालय ने राजू की आपत्ति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि 'आपकी ओर से ऐसा बयान आना आश्चर्यजनक है. अगर आपको अपने अधिकारी पर ही भरोसा नहीं है, तो उन्हें हटा दें या उनके खिलाफ कार्रवाई करें. अगर आप इतने साहसी हैं तो कार्रवाई करें. अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें. यह आपकी और प्रशासन की अक्षमता को दर्शाता है.'

राजू ने कहा कि वह किसी अधिकारी विशेष पर आक्षेप नहीं लगा रहे हैं. न्यायालय ने एएसजी को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. मामले में अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी. 'न्यूजक्लिक' के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत खुद की गिरफ्तारी के खिलाफ अपनी याचिका न्यायालय से वापस ले ली थी.इस महीने की शुरूआत में, दिल्ली की एक अदालत ने चक्रवर्ती को चीन के पक्ष में दुष्प्रचार के लिए धन प्राप्त करने के आरोप में समाचार पोर्टल के खिलाफ दर्ज मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी थी.

गृह मंत्रालय कट्टरपंथी संगठनों से निपटने के लिए हर राज्य में खुफिया विंग बनाने की रणनीति पर कर रहा विचार

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कट्टरपंथी संगठनों से निपटने के लिए सभी राज्यों में एक समर्पित खुफिया विंग स्थापित करने की योजना शुरू की है. पुलिस विभाग के अंतर्गत आने वाले विंग में प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी, शिक्षाविद और आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ शामिल होंगे.मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को ईटीवी भारत को बताया कि राज्य पुलिस में ऐसी समर्पित विंग स्थापित करने का विचार जनवरी में जयपुर में आयोजित 58वें डीजीएसपी और आईजीएसपी सम्मेलन के दौरान रखा गया था.

अधिकारी ने कहा कि 'विंग अपनी स्थापना के साथ ही विभिन्न प्रकार के कट्टरपंथी संगठनों की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित करेगा और इन कट्टरपंथी संगठनों को उनकी गतिविधियों, प्रतिबद्धता और हिंसक और आतंकवादी कृत्यों में भागीदारी के आधार पर एक पैमाने पर वर्गीकृत करेगा.' विंग कट्टरपंथी संगठन के सभी नेताओं और महत्वपूर्ण पदाधिकारियों पर किसी अन्य कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठन के साथ उनकी निष्ठा के इतिहास सहित डोजियर विकसित करेगा.

अधिकारी ने कहा कि 'नेताओं, पदाधिकारियों और सदस्यों की गतिविधियों पर भी विंग के अधिकारियों की नजर रहेगी.' उल्लेखनीय है कि कई कट्टरपंथी समूहों के पास अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने और सार्वजनिक समर्थन हासिल करने के लिए फ्रंटल संगठन हैं. अधिकारी के अनुसार, खुफिया विंग बेहतर डेटा भंडारण, पुनर्प्राप्ति और विश्लेषण के लिए डेटाबेस का एक डिजिटल भंडार बनाएगा. बनाया गया डेटाबेस सभी राज्य और केंद्रीय एजेंसियों की सभी खुफिया शाखाओं के लिए आवश्यकता के आधार पर सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा.

अधिकारी ने कहा कि 'खुफिया विंग नेताओं और पदाधिकारियों सहित उन लोगों पर कड़ी नजर रखेगी, जो पहले प्रतिबंधित संगठनों का हिस्सा थे. उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए.विडंबना यह है कि कट्टरपंथी और फ्रंटल संगठन भारत विरोधी गतिविधियों के लिए देश और विदेश में धन जुटाते हैं. एक अन्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा, 'इस फंड का अक्सर आपराधिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने, कैडर को कट्टरपंथी बनाने और हिंसक उग्रवाद को बढ़ावा देने में दुरुपयोग किया जाता है. यह फंड अक्सर हवाला लेनदेन के जरिए ट्रांसफर किया जाता है.'

भारत की प्रमुख आतंकवाद-रोधी एजेंसी (एनआईए) द्वारा की गई जांच से पता चला है कि आतंकवादी समूह या व्यक्ति कई तरीकों से लोगों को कट्टरपंथी बनाते हैं, जिसमें व्यक्तिगत बातचीत, साथियों के साथ बातचीत, संगठित सामुदायिक समूह और तेजी से ऑनलाइन शामिल हैं. इस संवाददाता से बात करते हुए एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया और इंटरनेट कट्टरपंथ प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

अधिकारी ने कहा कि 'आईएस बड़े पैमाने पर कट्टरपंथ के लिए एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और कई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे सोशल मीडिया टूल का उपयोग करता रहता है. सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी सामग्री की बाढ़ आ गई और जिहाद का आह्वान किया गया. जिहादी पत्रिकाएं, नफरत फैलाने वाले भाषण, सार्वजनिक हत्या के वीडियो, प्रशिक्षण वीडियो और जिहादी कार्रवाई करने के तरीके सोशल मीडिया का हिस्सा थे.'

गौरतलब है कि केरल पुलिस राज्य खुफिया विंग ने कमजोर युवाओं को चरम धार्मिक विचारधाराओं से कट्टरपंथ से मुक्त कराने के इरादे से एक कट्टरवाद विरोधी कार्यक्रम शुरू किया था.

कार्यक्रम इस आधार पर शुरू किया गया था कि कट्टरपंथी व्यक्ति से निपटने के लिए सबसे अच्छा व्यक्ति वह है जिसके पास विषय पर अधिकार है और जो उस व्यक्ति को धार्मिक परिसरों से रोक सकता है.

राज्य में युवाओं के बीच कट्टरपंथी विचारों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सामुदायिक नेताओं और पादरियों की भी मदद ली गई. इस कार्यक्रम के दौरान, भारतीय संविधान, शरिया और आईएसआईएस, अल-कायदा, अल नूरसा, जुंद अल अक्सा आदि सहित विभिन्न इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों के विभिन्न कट्टरपंथी प्रचार पर जागरूकता कक्षाएं आयोजित की गईं और झूठे प्रचार पर प्रति जागरूकता दी गई.