14 करोड़ किसानों में महज़ पौने दो करोड़ किसान ही उठा पाते हैं MSP का लाभ,लाभ लेने में पंजाब-हरियाणा की किसान आगे, बिहार पीछे
नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों के लिए जारी आंदोलन के बीच सच्चाई यह भी है कि देश में करीब 14 करोड़ किसानों में से दो करोड़ से भी कम किसानों को ही इसका लाभ मिल पाता है। बाकी किसानों के पास इतनी जमीन ही नहीं है कि वह खाने से ज्यादा उपजा सके और सरकारी एजेंसियों को बेच सके।
केंद्र सरकार एमएसपी पर खरीदारी के लिए खरीफ फसलों की प्रत्येक वर्ष जुलाई-अगस्त और रबी के लिए फरवरी-मार्च में प्रक्रिया शुरू करती है।
पिछले वर्ष 14 करोड़ में सिर्फ 1.6 करोड़ किसान ही एमएसपी पर बेच पाए खाद्यान्न
एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी के लिए सभी अधिसूचित फसलों की खरीद 2014-15 में कुल 761.40 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 1062.69 लाख टन हो गई है, जिससे लगभग 1.6 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं। इसी अवधि के दौरान एमएसपी पर सभी खाद्यान्नों की खरीद पर कुल खर्च 1.06 लाख करोड़ से बढ़कर 2.28 लाख करोड़ हो गया। यह आंकड़ा बताता है कि करीब 12 करोड़ से ज्यादा किसान इतना अनाज नहीं उपजा पाते हैं कि उन्हें सरकारी एजेंसियों की जरूरत पड़े। एमएसपी के लाभ का आकलन किसानों की संख्या के आधार पर किया जा सकता है। सरकार का अनुमान है कि देश में तीनों श्रेणियों (लघु, सीमांत एवं बड़े) को मिलाकर लगभग 14 करोड़ किसान परिवार हैं।
एमएसपी के सबसे ज्यादा लाभार्थी पंजाब और हरियाणा के किसान हैं
नाबार्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार किसान परिवारों की संख्या देश के कुल परिवारों की लगभग आधी है। 11 करोड़ से अधिक परिवार तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के ही लाभार्थी हैं। इसका अर्थ हुआ कि करोड़ों की संख्या में वैसे किसान भी हैं, जो इस सम्मान के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में एमएसपी पर फसलें बेचने वाले किसान परिवारों की संख्या से साफ हो जाता है कि इनकी संख्या 12 से 14 प्रतिशत से अधिक नहीं है। इसमें भी एमएसपी के सबसे ज्यादा लाभार्थी पंजाब और हरियाणा के किसान हैं। अब सबसे ज्यादा आंदोलित किसानों के संदर्भ में भी देखना दिलचस्प होगा।
सौ प्रतिशत किसान एमएसपी का लाभ नहीं उठाते हैं
पंजाब में निबंधित किसानों की कुल संख्या 15 लाख 30 हजार है। पिछले वर्ष सात लाख 85 हजार 313 किसानों ने ही एमएसपी पर धान बेचा था। इसी तरह गेहूं बेचने वाले किसानों की संख्या भी मात्र सात लाख 82 हजार 715 है। जाहिर है कि इनमें लाखों वैसे किसान भी होंगे, जिन्होंने धान और गेहूं दोनों की बिक्री की होगी। मतलब साफ है कि वहां भी सौ प्रतिशत किसान एमएसपी का लाभ नहीं उठाते हैं। बड़ी संख्या में छोटे किसान भी हैं, जो अपनी जरूरत भर अनाज ही उपजा पाते हैं।
बिहार में केवल धान-गेहूं की ही एमएसपी पर होती है खरीदारी
यह स्थिति उस शीर्ष राज्य की है, जहां एमएसपी पर सबसे ज्यादा खरीदारी होती है। सरकार की अधिसूचित फसलों में 14 खरीफ, छह रबी एवं दो अन्य फसलें हैं। पिछले वर्ष दो और फसलों को शामिल किया गया है। दूसरा पक्ष यह भी है कि कोई भी राज्य इन सभी फसलों की खरीदारी नहीं करता है। बिहार में धान-गेहूं के अतिरिक्त अन्य किसी फसल की एमएसपी पर खरीदारी नहीं हो पाती है। गेहूं की खरीद भी न्यूनतम होती है। मक्के की खरीद की शुरुआत तो हुई है, लेकिन उस अनुपात में नहीं, जबकि बिहार मक्का के उत्पादन के मामले में अग्रणी राज्यों में आता है।
Feb 21 2024, 09:39