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पेटीएम पर आरबीआई का “डंडा” आम लोगों पर क्या होगा असर?

#how_paytm_ban_rbi_order_affect_users 

क्या आप भी जेब में पर्स लेकर घूमने के बजाय डीजिटल पेमेंट करने में ज्यादा सुविधा महसूस करते हैं। दरअससर आज हमारे देश में हर दूसरा शख्स ऐसी ही सोच रखता है। डिजिटल मोड के इस दौरा मे एक नाम तेजी से उभरा Paytm, जिसने भारतीय लोगों को डिजिटल लेनदेन का चस्का लगाया। डिजिटल पेमेंट सर्विस की दुनिया की बेताज बादशाह कही जाने वाली कंपनी पेटीएम पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कई तरह के बैन लगा दिए हैं।

आरबीआई ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल या बैंक) को तुरंत नए ग्राहकों को नहीं जोड़ने का निर्देश हाल ही में दिया था। इतना ही नहीं, आरबीआई सर्कुलर के अनुसार, 29 फरवरी, 2024 के बाद पेटीम पेमेंट्स बैंक से किसी भी ग्राहक के खाते, प्रीपेड कार्ड, वॉलेट, फास्टैग, एनसीएमसी कार्ड आदि में जमा, लेनदेन, टॉप-अप या निकासी की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

30 करोड़ पेटीएम यूजर्स पर होगा असर

आरबीआई के आदेश का असर बड़े तबके पर पड़ सकता है क्योंकि पेटीएम के पास डिजिटल पेमेंट बाज़ार का 16-17 फ़ीसदी हिस्सा है और जानकारों के मुताबिक करोड़ों लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं।ऐसे में बड़ा सवाल है कि आम लोगों पर इसका क्या असर होगा।कंपनी का दावा है कि उसके पास 300 मिलियन यानी 30 करोड़ से अधिक वॉलेट यूजर्स हैं। वहीं पेटीएम पेमेंट्स बैंक में 30 मिलियन यानी 3 करोड़ ग्राहकों ने बैंक खाता खोल रखा है। इसका आसान मतलब यह होता है कि इसका सीधा असर 30 करोड़ पेटीएम यूजर्स पर पड़ने वाला है।

पेटीएम बैंक क्या है

आरबीआई के फ़ैसले का क्या असर होगा ये समझने के लिए पहले ये जानना ज़रूरी है कि पेटीएम बैंक है क्या और ये आम बैंक से कैसे अलग है। पेटीएम पेमेंट बैंक में केवल पैसे जमा किए जा सकते हैं, उनके पास कर्ज़ देने का अधिकार नहीं है। ये डेबिट कार्ड तो जारी कर सकते हैं लेकिन क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए किसी लेंडर रेगुलेटर के साथ डील करनी पड़ेगी। यानी ये एक ऐसा बैंक अकाउंट है जिसमें पैसे रखे जा सकते हैं, आम तौर पर मर्चेंट्स को जो भुगतान मिलता है वो उनके पेटीएम पेमेंट अकाउंट में जाता है और फिर उनके बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर होते हैं। इसके बदले में पेटीएम अपने ग्राहकों को क्रेडिट प्वाइंट देता है। पेटीएम की पेरेंट कंपनी का नाम है वन97 कंम्यूनिकेशंस और इसी कंपनी के पास प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट यानी पीपीआई लाइसेंस है जिसे साल 2017 में पेटीएम पेमेंट बैंक शुरू करने के लिए इस्तेमाल किया गया।

पेटीएम वॉलेट और यूपीआई इस्तेमाल करने वाले का क्या होगा?

29 फरवरी तक पेटीएम की सभी सर्विस सामान्य रूप से ही काम करेंगी। इसके बाद पेटीएम वॉलेट और यूपीआई सेवा का इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए कुछ बदलाव होंगे। सबसे अहम ये कि अगर आपके वॉलेट में पहले से पैसे हैं तो आप उसे दूसरी जगह ट्रांसफ़र कर सकते हैं लेकिन वॉलेट में कोई भी राशि डिपॉज़िट नहीं की जा सकती। हालांकि, अगर आपने पेटीएम अकाउंट को किसी थर्ड पार्टी बैंक से जोड़ रखा है तो आपका पेटीएम काम करता रहेगा और यूपीआई पेमेंट का भी इस्तेमाल करते रहेंगे। थर्ड पार्टी या एक्सटर्नल बैंक का मतलब है कि आप पेटीएम पर अगर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एचडीएफ़सी बैंक या पंजाब नेशनल बैंक सहित किसी भी मान्यता प्राप्त बैंक के अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए कुछ भी नहीं बदलने वाला है। लेकिन अगर आप पेटीएम बैंक से लिंक वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। 29 फ़रवरी के बाद से ना तो बैंक अकाउंट में और ना तो वॉलेट में कोई क्रेटिड लिया जा सकेगा।

दुकानदार पेटीएम के जरिए पेमेंट रिसीवकर सकेंगे?

जो दुकानदार अपने पेटीएम पेमेंट्स बैंक अकाउंट में पैसा रिसीव करते हैं, वे पेमेंट रिसीव नहीं कर पाएंगे। इसकी वजह यह है कि उनके अकाउंट्स में क्रेडिट की अनुमति नहीं है, लेकिन कई व्यापारियों या कंपनियों के पास दूसरी कंपनियों के क्यूआर स्टिकर्स हैं जिनके जरिए वे डिजिटल पेमेंट्स स्वीकार कर सकते हैं।

मुंबई में 6 जगह रखे गए बम, पुलिस कंट्रोल रूम को आया धमकी भरा मैसेज, मचा हड़कंप

#mumbai_police_received_a_threatening_message 

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब पुलिस को एक धमकी भरा संदेश मिला।मुंबई ट्रैफिक पुलिस कंट्रोल रूम को एक अज्ञात व्यक्ति ने धमकी भरा संदेश भेजा गया। जिसमें कहा गया है कि पूरे मुंबई में छह स्थानों पर बम रखे गए हैं। मैसेज के बाद मुंबई पुलिस और अन्य एजेंसियां सतर्क हैं। संदेश भेजने वाले का पता लगाने के प्रयास जारी हैं।

मुंबई ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, उनके हेल्पलाइन नंबर के वाट्सऐप नंबर पर ये मेसेज आया था। इस मैसेज में में लिखा था कि मुंबई में 6 जगह बम रखे हुए हैं, जोकि किसी भी वक्त ब्लास्ट हो सकते हैं। इस मैसेज के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गईं और संवेदनशील जगहों पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया। लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला है। इसके साथ ही पुलिस मैसेज करने वाले का भी पता लगा रही है।

पहले भी आ चुके हैं ऐसे कॉल

ये पहली बार नहीं है, इससे पहले भी मुंबई पुलिस को ऐसे कॉल आ चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में मुंबई पुलिस को ऐसे ही कॉल आए थे। वहीं पिछले साल अगस्त में मुंबई पुलिस के कंट्रोल रूम को कॉल करके एक शख्स ने जानकारी दी कि मुंबई की एक लोकल ट्रेन में बम ब्लास्ट होने वाला है। शख्स ने मुंबई पुलिस को बताया था कि ट्रेन में बम हैं। हालांकि, पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर लिया है। आरोपी का नाम अशोक मुखिया था, वह बिहार के सीतामढ़ी जिले का रहनेवाला था। अशोक ने शराब के नशे में कॉल किया है।

आज भी ईडी के सामने पेश नहीं होंगे दिल्ली सीएम, 5वें समन की भी अनदेखी, बोले-गिरफ्तार करके सरकार गिराना है मकसद

#delhi_cm_arvind_kejriwal_reply_ed_summons_in_excise_policy_case 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज यानी 2 फरवरी को भी ईडी के सामने पेश नहीं होंगे। आम आदमी पार्टी ने लिखित बयान जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि अरविंद केजरीवाल आज भी ईडी दफ्तर पूछताछ में शामिल होने नहीं जाएंगे। दिल्ली शराब कांड में केजरीवाल इससे पहले भी चार समन की अनदेखी कर चुके हैं।

आम आदमी पार्टी ने कहा कि ईडी का समन गैर कानूनी है। कानूनी रूप से सही समन की तामील की जाएगी। उसने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मकसद सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार करना है और गिरफ्तार करके दिल्ली की सरकार गिराना चाहते हैं। इसे हम बिल्कुल होने नहीं देंगे।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में चल रही जांच में पूछताछ के लिए आज अरविंद केजरीवाल को बुलाया था। ईडी ने बीते बुधवार को पांचवां समन भेजकर केजरीवाल को पूछताछ में शामिल होने को कहा था।

कब- कब भेजा समन

ईडी ने दिल्ली के अरविंद केजरीवाल को इससे पहले 17 जनवरी , 3 जनवरी, 21 दिसंबर और 2 नवंबर को समन भेजा था लेकिन केजरीवाल एक बार फिर ईडी के दफ्तर नहीं पहुंचे थे। ऐसे में इस बार वो ईडी के दफ्तर जाएंगे या नहीं इस पर संशय बना हुआ है। ईडी ने जब अरविंद केजरीवाल को चौथी बार समन भेजकर पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया था तो उस वक्त भी वो ईडी के दफ्तर नहीं गए। दरअसल अरविंद केजरीवाल उस वक्त गोवा के दौरे पर गए थे

क्या है शराब नीति घोटाला

शराब नीति घोटाला दिल्ली सरकार द्वारा 2021 में लागू की गई नई आबकारी नीति से संबंधित है। इस नीति के तहत दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री का ठेका निजी कंपनियों को दे दिया था। आरोप है कि इस नीति में कई अनियमितताएं की गईं और शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।इस घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी कर रही है। सीबीआई ने इस मामले में मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, दिनेश अरोड़ा, विजय नायर, समीर महेंद्रू और अभिषेक बोइनपल्ली सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया है।

लद्दाख से चीनी सैनिकों और भारतीय चरवाहों के नोंक-झोंक वाले वीडियो पर विदेश मंत्रालय का बयान, जानें क्या कहा

#ladakh_chinese_army_viral_video_issue_randhir_jaiswal_mea_statements

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हुआ, जिसमें भारत के “जाबांज” चरवाहे चीनी सैनिकों से “दो-दो हाथ” करने पर आमादा थे।दरअसल, लद्दाख में लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल के पास चीनी सैनिकों और चरवाहों का एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें भारतीय चरवाहों को चीनी सैनिकों से झगड़ते देखा गया था। विदेश मंत्रालय की तरफ से भी एक बयान सामने आया है।

इस मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हमने भी ऐसा एक वीडियो देखा है। इस मसले पर संबंधित एजेंसियां इसका जवाब दे सकेंगी। लेकिन इतना साफ है कि दोनों देशों के लोगों को अपने चारागाह वाले क्षेत्रों के बारे में जानकारी है। लेकिन अगर नियंत्रण रेखा पर ऐसी खटपट होती है तो हम बातचीत के लिए तय प्लेटफॉर्म पर उसकी चर्चा करेंगे और उसे सुलझाने की कोशिश करेंगे।

लेह-लद्दाख के सुदूर पर्वतीय इलाके से एक वीडियो सामने आया था। इस वीडियो में देका जा सकता है कि चीन की पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने भारतीय चरवाहों को रोकने की कोशिश की। निहत्‍थे चरवाहकों ने साहस का परिचय देते हुए हथियारों से लैस चीनी सेना के जवानों से मुकाबला किया। चरवाहों ने चीनी सेना की बख्‍तरबंद गाड़ियों पर पत्‍थरबाजी भी की। और उन्हें याद दिलाई की ये जमीन उनकी है। भारतीय चरवाहों और चीनी सेना के जवानों के बीच झगड़े का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है।

बता दें कि पूर्वी लद्दाख के गलवान इलाके में 16 जून 2020 को भारत और चीनी सैनिकों के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ था। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे। इसके बाद से इस इलाके में तनाव की स्थिति बनी रहती है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित, जानें क्या है मामला

#supreme_court_reserves_verdict_on_minority_status_of_amu 

भारत के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर 57 साल पुराने विवाद मामले की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बेंच इस मामले में बीते आठ दिनों से लगातार सुनवाई कर रही थी। इस दौरान अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनीं।जल्दी ही इस मामले पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जे बी पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा भी शामिल हैं। 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को अल्पसंख्यक दर्जा देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमाम दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि किसी भी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान को राष्ट्र के ढांचे को प्रतिबिंबित करना चाहिए। एएमयू में 70 से 80 फीसदी मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं और वे आरक्षण के बगैर वहां पढ़ रहे हैं। मेहता ने कहा, 'मैं धर्म के नजरिए से बात नहीं कर रहा हूं। यह बहुत ही गंभीर मामला है। संविधान में जिस संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है, उसे राष्ट्रीय ढांचे को प्रतिबिंबित करना चाहिए। प्रवेश में आरक्षण के बिना यह स्थिति है।' मेहता ने कहा है कि एक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान को केंद्रीय शिक्षण संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 (2012 में संशोधित) की धारा 3 के तहत आरक्षण नीति लागू करने की आवश्यकता नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि किसी अल्पसंख्यक संस्थान के राष्ट्रीय महत्व का संस्थान होने में कुछ गलत नहीं है।

बता दें कि मुसलमानों में शिक्षा की कमी को देखते हुए सुधारवादी नेता सर सैय्यद अहमद ख़ान ने 1877 में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज (एमएओ कॉलेज) की स्थापना की थी। एमएओ कॉलेज और मुस्लिम यूनिवर्सिटी एसोसिएशन को एएमयू में लाने के लिए द अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक्ट 1920 (एएमयू एक्ट) पास किया गया। 1951 में एएमयू एक्ट में संशोधन किया गया और इसमें मुसलमानों के लिए धार्मिक शिक्षा को बाध्यकारी बनाने और यूनिवर्सिटी कोर्ट में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व के मैन्डेट को हटा दिया गया। इस एक्ट में 1965 में एक बार फिर संशोधन किया गया और कोर्ट की शक्तियों को कार्यपालिका के साथ साथ दूसरे निकायों के बीच बाँट दिया गया, जिसमें गवर्निंग बॉडी के लिए सदस्यों के नामांकन की ज़िम्मेदारी राष्ट्रपति को दी गई।

इस विवाद की शुरुआत 1967 में हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने एस अज़ीज़ बाशा बनाम भारत सरकार मामले में एएमयू एक्ट में 1951 और 1965 में हुए संशोधन की समीक्षा की। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि चूंकि एएमयू की स्थापना मुसलमानों ने की है इसके कामकाज के संचालन का हक़ उनके पास होना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने संविधान में किए गए संशोधनों को बरकरार रखा। बेंच ने कहा कि न तो अल्पसंख्यक मुसलमानों ने इसकी स्थापना की है और न ही वो इसका प्रबंधन करते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस एक्ट को केंद्रीय क़ानून के ज़रिए लागू किया गया था। कोर्ट के इस फ़ैसले को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके बाद 1981 में एएमयू एक्ट में एक और संशोधन किया गया, इसमें इसके अल्पसंख्यक दर्जे पर मुहर लगाई गई।

साल 2005 में एएमयू ने स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों में से 50 फ़ीसदी को मुसलमान छात्रों के लिए रिज़र्व किया। इसी साल डॉक्टर नरेश अग्रवाल बनाम भारत सरकार मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रिज़र्वेशन पॉलिसी को रद्द कर दिया और कहा कि 1981 का संशोधन अधिकार क्षेत्र से बाहर था। इसके बाद 2006 में भारत सरकार और यूनिवर्सिटी दोनों ने ही सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 

फिर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा दायर अपील वापस ले लेगी। इसने बाशा मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1967 के फैसले का हवाला देते हुए दावा किया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है क्योंकि यह सरकार द्वारा वित्त पोषित एक सेंट्रलल यूनिवर्सिटी है।

व्यासजी के तहखाने में पूजा के फैसले पर भड़के ओवैसी, बोले- पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन, 6 दिसंबर हो सकता है दोबारा

#asaduddin_owaisi_angry_on_varanasi_court_order_on_gyanvapi_case

वाराणसी प्रशासन ने जिला अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए गुरुवार, 1 फरवरी की सुबह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के दक्षिणी हिस्से में 'व्यास जी का तहखाना' में पूजा की अनुमति दे दी। यह कार्रवाई हाल ही में एक अदालत के आदेश के बाद हुई है, जिसमें ऐतिहासिक स्थल पर धार्मिक अनुष्ठान करने के अधिकार को बरकरार रखा गया है। कोर्ट के फैसले के बाद, 30 साल बाद एक पुजारी ने सुबह करीब 3 बजे पूजा की, उसके बाद आरती हुई।वाराणसी कोर्ट के इस फैसले से एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी खुश नहीं हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जो कोर्ट ने फैसला लिया उससे पूरे मामले को तय कर लिया गया है। यह सरासर गलत फैसला है। 6 दिसंबर इस देश में दोबारा हो सकता है।

एआईएमआईएम चीफ असदु्द्दीन ओवैसी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट के जज ने जो फैसला दिया उसने 1992 के पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं। ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज जज साहब का आखिरी दिन था। दूसरी बात यह कि उन्होंने 17 जनवरी को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को रिसीवर अपॉइंट किया था। तीसरी बात यह कि जज ने जो फैसला लिया, इससे उन्होंने पूरे केस को ही तय कर दिया। उन्होंने आगे कहा, 1993 के बाद से आप खुद कह रहे हैं कि वहां, कुछ नहीं हो रहा था। अब आपने जो हिंदू पक्ष को मस्जिद के तहखाने को दे रहे हैं। इससे आपने पूरे केस पर फैसला दे दिया। अपील के लिए 30 दिन का वक्त देना था।

वहीं, ओवैसी ने मोदी सरकार पर बोलेते हुए कहा कि जबतक यह सरकार अपनी चुप्पी नहीं तोड़ेंगे, पूजा स्थसल अधिनियम पर कायम नहीं रहेंगे तब तक यह चलता रहेगा। ओवैसी ने आगे कहा कि 6 दिसंबर इस देश में दोबारा हो सकता है।जब राम मंदिर मामले में फैसला आया था, हमने उसी वक्त कहा था कि आस्था की बुनियाद पर फैसला दिया गया है। अब आगे भी यह मामले चलते रहेंगे।

बता दें कि वाराणसी कोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद पर अहम फैसला देतेल हुए हिंदू पक्ष को व्यासजी तहखाने में पूजा का अधिकार दे दिया है। इसकी मांग हिंदू पक्ष काफी दिनों से कर रहा था। कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष व्यास जी तहखाने में नियमित पूजा कर सकते हैं। हिंदू पक्ष की ओर से लड़ रहे वकील ने कहा कि यह हमारी सबसे बड़ी जीत है। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। बता दें कि 1992 तक व्यास जी तहखाने में पूजा रोजाना होती थी। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद व्यास जी तहखाने में नियमित पूजा को बंद करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद यहां पर सालाना माता श्रृंगार गौरी की पूजा हो रही थी।

मालदीव के साथ तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर की बड़ी सलाह, बोले-भारतीय छुट्टी मनाने श्रीलंका जाएं

#s_jaishankar_statement_to_visit_sri_lanka

भारत और मालदीव के बीच इन दिनों रिश्ते तल्ख हो गए हैं। मालदीव की एक मंत्री के भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए गए बयान के बाद दोनों देशों के बीच तनाव है। पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद उनकी शेयर की गईं तस्वीरों पर मालदीव की मंत्री मरियम शिउना ने आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। पीएम मोदी पर मालदीव की मंत्री की टिप्पणी के बाद लक्षद्वीप की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी थीं। कई चर्चित हस्तियों ने तो यहां तक कह दिया था कि लोगों को मालदीव की जगह अपने देश में मौजूद लक्षद्वीप की सुंदरता को जाकर देखना चाहिए। इस विवाद के बाद मालदीव के पर्यटन का काफी झटका लगा है।भारतीयों ने मालदीव घूमने का प्लान कैंसल करना शुरू कर दिया। मालदीव के साथ चल रहे व‍िवाद के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा दिया है। जयशंकर ने भारतीय नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे अपनी अगली छुट्टी मनाने श्रीलंका जाएं। 

जयशंकर ने आईआईएम मुंबई के एक कार्यक्रम में कहा कि श्रीलंका पिछले दिनों गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था और भारत ने खुलकर मदद की थी। भारत ने श्रीलंका को 4 अरब डॉलर से ज्‍यादा की आर्थिक सहायता की। उन्‍होंने भारतीयों से अपील की कि वे अपनी अगली छुट्टी मनाने श्रीलंका जाएं ताकि उनकी मदद हो सके। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ये भी कहा कि अगली बार जब आप छुट्टी पर जाना चाहें तो श्रीलंका जाएं और वहां जब आप स्थानीय लोगों से भारत के बारे में पूछेंगे तो जवाब सुनकर आपको गर्व होगा। एस जयशंकर का डेढ़ मिनट का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

विदेश मंत्री के बयान पर खुश हुआ श्रीलंका

जयशंकर के इस बयान की श्रीलंका में जमकर तारीफ हो रही है। कई नेताओं और चर्चित हस्तियों ने ट्वीट करके इसकी जमकर तारीफ की है।श्रीलंकाई राजनीतिक नेताओं ने श्रीलंकाई पर्यटन को बढ़ावा देने और लोगों से अपनी अगली छुट्टियों में द्वीप देश की यात्रा करने की अपील करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रशंसा की है।

मालदीव के लिए कड़ा संदेश

एक तरफ जहां श्रीलंका के लिए ये खुश होने वाली बात हैं, वहीं इसे मालदीव के लिए भी कड़ा संदेश माना जा रहा है। जहां भारतीय पर्यटकों की तादाद कम हो रही है। भारतीय मंत्री की यह टिप्पणी भारत और मालदीव के बीच हालिया राजनयिक विवाद के बाद आई है, जिसका असर पर्यटन क्षेत्र पर पड़ रहा है। मालदीव सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन हफ्ते में देश की टूरिज्म रैंकिंग में भारत पांचवें स्थान पर चला गया है। पिछले लगातार तीन साल मालदीव जाने वाले पर्यटकों में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा थी।

बजट पर बोले पीएम मोदी-यह देश के भविष्य के निर्माण का बजट, 2047 तक विकसित भारत की गारंटी

#pm_modi_said_budget_2024_for_building_the_future_of_india

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया। निर्मला सीतारमण ने लगातार छठी बार बजट पेश किया।बजट पेश होने के बाद पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया है। पीएम मोदी ने अपनी सरकार के अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए, इसे देश के भविष्य के निर्माण का बजट बताया। उन्होंने कहा कि बजट में 2047 तक विकसित भारत की गारंटी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम को इसके लिए बधाई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि बजट विकसित भारत के चार स्तंभों (युवा, गरीब, महिला और किसान) को ताकत देगा। यह देश के भविष्य के निर्माण का बजट है। यह 2047 के विकतिस भारत की नींव को मजबूत करने की गारंटी है। यह बजट युवा भारत की युवा आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। हमने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। रिसर्च और इनोवेशन पर एक लाख करोड़ रुपए का फंड रखा गया है। बजट में स्टार्ट-अप्स को मिलने वाली टैक्स छूट का विस्तार किया गया है। कैपिटल एक्सपेंडिचर को ऐतिहासिक ऊंचाई दी गई है।

एक लक्ष्य पाने के बाद उससे भी बड़ा लक्ष्य तय करते हैं-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हम एक बड़ा लक्ष्य तय करते हैं, उसे प्राप्त करते हैं और फिर उससे भी बड़ा लक्ष्य अपने लिए तय करते हैं। गांवों और शहरों में गरीबों के लिए हमने 4 करोड़ से अधिक घर बनाए और अब हमने 2 करोड़ और घर बनाने का लक्ष्य रखा है। हमने 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा था, अब इसे बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया है। मैं निर्मला जी और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं।

बजट में आय के नए अवसर बनाने पर जोर-पीएम मोदी

पीएम मोदी के मुताबिक, गरीब और मध्यम वर्ग को सशक्त करने और उनके लिए आय के नए अवसर बनाने पर जोर दिया गया है। बजट में किसानों के लिए बड़े निर्णय लिए गए हैं और किसानों की आय बढ़ाने और खर्च कम करने के उपाय किए गए हैं।

मणिशंकर अय्यर की बेटी ने राम मंदिर के विरोध में रखा था व्रत, अब सोसाइटी ने थमाया नोटिस, कहा-माफी मांगे या घर खाली करें

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी सुरन्या अय्यर ने अयोध्या के श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया थी। 19 जनवरी को की गई इस पोस्ट में सुरन्या ने श्रीराम मंदिर कार्यक्रम के वक़्त तीन दिन का उपवास रखने की बात भी कही थी। राम मंदिर के खिलाफ में बयानबाजी करना और अनशन रखना कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी को महंगा पड़ता दिख रहा है। दरअसल, दिल्ली के जंगपुरा की जिस सोसाइटी में मणिशंकर अय्यर का घर है, अब अब वहाँ की रेजिडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन यानी आरडब्ल्यूए इस बात से ख़फ़ा हो गया। आरडब्ल्यूए ने अय्यर और उनकी बेटी को नोटिस थमा दिया है। जिसमें उनसे माफ़ी मांगने या फिर सोसाइटी छोड़ देने के लिए कहा है।

आरडब्ल्यूए के सदस्यों ने एक नोटिस में दोनों से गुहार की है कि वो ऐसे काम न करें जिससे लोगों की शांति भंग हो या उनके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। आरडब्ल्यूए ने अपने नोटिस में कहा कि हम आपके ऐसे बयानों की कदर नहीं करते, जो मोहल्ले की शांति भंग कर सकते हैं या यहां रहने वालों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं। आगे लिखा गया कि अगर आपको लगता है कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का विरोध करना जायज है, तो हम यह सुझाव देंगे कि आप कृपया ऐसी कॉलोनी में चले जाएं जहां लोग ऐसी नफरत के प्रति आंखें मूंद लेते हैं। लोगों ने दरख्वास्त की है कि दोनों इस घर को छोड़कर कहीं और चले जाएं। 

आरडब्ल्यूए ने सुरन्या अय्यर के पोस्ट का हवाला देते हुए कहा, 'सुश्री अय्यर ने सोशल मीडिया के माध्यम से जो कहा वह एक शिक्षित व्यक्ति के लिए अशोभनीय था, जिसे यह समझना चाहिए था कि राम मंदिर 500 वर्षों के बाद बनाया जा रहा था और वह भी सुप्रीम कोर्ट के 5-0 फैसले के बाद।' इसमें कहा गया, 'आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ ले सकते हैं, लेकिन कृपया याद रखें कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं हो सकती है।

सोसाइटी की नोटिस पर सुरन्या का बयान

सोसाइटी के एक्शन पर सुरन्या फेसबुक पर अपना बयान जारी किया है और कहा, ‘यह बयान मेरे फास्ट के बारे में एक टेलीविजन कहानी के संबंध में है। सबसे पहले संबंधित रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) जिस कॉलोनी से है, वहां मैं रहती ही नहीं हूं। दूसरा, मैंने फिलहाल मीडिया से बात न करने का फैसला किया है, क्योंकि अभी भारत में मीडिया केवल जहर और भ्रम फैला रहा है। आप सब मुझे जानते हैं। मैंने भारत में अब तक अपनी सारी ज़िंदगी (लगभग 50 वर्ष) के दौरान सभी राजनीतिक दृष्टिकोण के लोगों के साथ बड़ी हुई हूं, पढ़ी हूं, काम किया है और ऐक्टिविज़म किया है। फिलहाल मैं अपनी बातें अपने फेसबुक और यू-ट्यूब पेजों पर ही छोड़ूंगी ताकि आप स्वयं, शांति से, इसके बारे में सोच सकें। मैं मीडिया सर्कस से बचने की कोशिश कर रही हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि भारत में हमें एक बेहतर प्रकार के सार्वजनिक संवाद की आवश्यकता है। आइए हम गाली-गलौच के बजाय, कुछ सोचने का प्रयास करें. जय हिन्द!’ 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सुरन्या अय्यर ने मंदिर के अभिषेक के विरोध में 20 से 23 जनवरी तक तीन दिवसीय उपवास किया, मुसलमानों के साथ एकजुटता व्यक्त की और हिंदू धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर किए गए कृत्यों की निंदा की थी। सुरन्या ने 19 जनवरी को फ़ेसबुक पर वीडियो पोस्ट कर कहा था, ''अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम से पहले दिल्ली का माहौल, जो पहले से ही प्रदूषित है, अब आध्यात्मिक रूप से ज़हरीला, हिंदू अंधराष्ट्रवाद, द्वेष, बदमाशी के साथ और ज़्यादा दूषित हुआ है। एक भारतीय और हिंदू होने के नाते मैं बहुत व्यथित हूँ। काफ़ी सोचने के बाद मैंने फ़ैसला किया है कि मैं 20 से 23 जनवरी तक अयोध्या में कार्यक्रम ख़त्म होने तक उपवास पर रहूंगी।'' सुरन्या ने कहा था, ''मैं ये उपवास सबसे पहले और महत्वपूर्ण रूप से भारत के अपने साथी मुसलमान नागरिकों के प्रति अपने प्यार और दुख के इज़हार के रूप में कर रही हूँ। मैं इस पल में ज़ोर शोर से ये कहे बिना नहीं रह सकती हूं कि मुसलमान भाइयों और बहनों, मुझे आपसे प्रेम है और हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के नाम पर जो अयोध्या में हो रहा है, मैं उसकी निंदा और ख़ारिज करती हूँ।''

Budget 2024 Live: 40 हजार रेलवे डिब्बों को वंदे भारत में बदला जाएगा

नई संसद में आज आम चुनाव से पहले मोदी सरकार 2.0 का आखिरी बजट पेश किया जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का छठा बजट पेश कर रही है। ये अंतरिम बजट है, लेकिन आम आदमी को इस मिनी बजट में भी सरकार की ओर से कई बड़े ऐलान होने की उम्मीद है। इस बजट में अर्थव्यवस्था, किसानों, महिलाओं और युवाओं को बड़ा तोहफा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे एक दिन पहले यानी 31 जनवरी 2024 को संसद में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का अभिभाषण हुआ था और उन्होंने मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया था। 

बजट में वित्त मंत्री ने क्या क्या ऐलान किए

40 हजार रेलवे डिब्बों को वंदे भारत में बदला जाएगा

3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य- मत्स्य संपदा योजना से 55 लाख को नया रोजगार मिला। 5 इंटीग्रेटेड एक्वापार्क स्थापित किए जाएंगे। करीब 1 करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बनीं। अब 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा ऐलान- अगले 5 साल में बनाए जाएंगे 2 करोड़ घर

वित्त मंत्री ने कहा- 80 करोड़ लोगों की भूख की चिंता को हमारी

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा- 'गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता की आकांक्षाएं अहम'

- स्किल इंडिया मिशन में 1.4 करोड़ युवाओं को ट्रेंड किया गया। 3000 नए आईटीआई बनाए गए।

हम सबका साथ, सबका विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। हमारा काम में सेक्युलिज्म रखने पर जोर है। हमारा गरीब को एम्पॉवर्ड करने पर जोर है।

- बीते सालो में सरकार 25 करोड़ लोगों की गरीबी दूर करने में कामयाब रही है। हमारी सरकार का उद्देश्य सामाजिक न्याय कायम करना है। सरकार सर्वांगीण और सर्वसमावेशी विकास के लिए काम कर रही है।

- पीएम मुद्रा योजना के तहत 22.5 लाख करोड़ मूल्य के 43 करोड़ लोन मंजूर किए गए। महिला उद्यमियों को 30 करोड़ मुद्रा योजना ऋण दिए गए। 11.8 करोड़ किसानों को वित्तीय सहायता दी गई।

- सरकार ने 20 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। गरीब कल्याण योजना में ₹ 34 लाख करोड़ खातों में भेजे।