दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को फिर ईडी का “बुलावा”, शराब नीति घोटाला केस में भेजा पांचवां समन
#delhi_excise_policy_case_ed_issues_fresh_summons_to_cm_arvind_kejriwal
शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर “बुलावा” भेजा है।जी हां, ईडी ने केजरीवाल को एक और समन भेजा है। ईडी के द्वारा केजरीवाल को भेजा गया यह पांचवां समन है। प्रवर्तन निदेशालय ने 2 फरवरी को केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया है। बता दें कि इससे पहले केजरीवाल को चार समन भेजे गए लेकिन वो ईडी के सामने हाजिर नहीं हुए।
इससे पहले भेजे गए समन पर केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए जवाब में पूछा कि यदि वह आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी नहीं हैं, तो उन्हें समन क्यों जारी किया गया। ईडी द्वारा भेजे गए समन को लेकर अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि राजनीतिक षड्यंत्र के तहत उनको समन भेजे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री का दावा है कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। ईडी को अभी तक सुबूत नहीं मिले हैं, जबकि पिछले दो साल से शराब घोटाले की चर्चा हो रही है और जांच एजेंसी कई रेड मार चुकी है।
2 नवंबर को भेजा गया था पहला समन
केजरीवाल को पहला समन 2 नवंबर 2023 को भेजा गया था जिसे अवैध बताकर वह हाजिर नहीं हुए। इसके बाद दूसरा समन 21 दिसंबर को गया इस पर कोई जवाब नहीं दिया। तीसरा समन 3 जनवरी को समन भेजा गया था। इस समन पर भी वह पूछताछ में शामिल नहीं हुए। चौथा समन फिर 13 जनवरी को भेजा गया। इसके जवाब में सीएम केजरीवाल ने कहा कि राजनीतिक विद्वेष और एजेंडे के कारण समन भेजा जा रहा है।
क्या थी दिल्ली की नई शराब नीति?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया। इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला। विपक्ष का आरोप ये भी है कि इसके एवज में आप के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी।
Jan 31 2024, 18:27