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हिंदू पक्ष ने की ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में सर्वे की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

#gyanvapi_mosque_case_hindu_petitioner_files_plea_in_supreme_court 

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में मस्जिद के वजूखाने की सर्वे की मांग की गई है।ज्ञानवापी मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट आने के बाद हिन्दू पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की है।हिंदू पक्ष ने कोर्ट से कहा है कि वह 19 मई 2023 को दिए अपने उस आदेश में बदलाव करे, जिसके तहत परिसर में जिस जगह पर शिवलिंग मिली थी, उस जगह पर वैज्ञानिक सर्वे पर लगी रोक को हटाया जा सके।

हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मौजूद है। सर्वे का आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के निदेशक को देने की मांग की गई है। शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर हिंदू पक्ष ने कहा है कि ये सर्वे बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।याचिका में मांग की गई है कि एएसआई का सर्वे उस क्षेत्र में कराया जाए जो सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में संरक्षित किया था। उस समय वजू खाना एरिया को संरक्षण किया गया था, उसको हटाने की मांग की गई है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि हिंदू वहां पर पूजा करना चाहते हैं क्योंकि कथित तौर पर वहां शिवलिंग है और ऐसी स्थिति में जो संरक्षण का आदेश सुप्रीम कोर्ट में जारी किया था उसे सुप्रीम कोर्ट हटाए। याचिका में कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद के अन्य स्थानों पर एएसआई सर्वे कराया गया था।

इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि सर्वे को परिसर में बनी नई और कृत्रिम दीवारों-छतों को हटाने के बाद ही सर्वे किया जाए। इसके अलावा अन्य सील जगहों पर भी खुदाई और अन्य वैज्ञानिक तरीकों से सर्वे किए जाएं और रिपोर्ट अदालत को दी जाए।

दरअसल, ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सर्वे रिपोर्ट बुधवार को मुकदमे के पक्षकारों ने सार्वजनिक कर दी। सर्वे के दौरान 32 जगह मंदिर से संबंधित प्रमाण मिले हैं। पक्षकारों ने जो सर्वे रिपोर्ट दी है, वह 839 पेज की है।

हेमंत बिस्वा खुद अपना घर देखें, ज्यादा होशियार न बनें', दिग्विजय सिंह ने बोला असम के CM पर हमला

 असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पलटवार किया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब कुछ बोलने को नहीं होता तब इस प्रकार की बात की जाती हैं। हेमंत बिस्वा सरमा स्वयं अपना घर देखें, इस मामले में ज्यादा होशियार न बनें। 

बता दें कि एक दिन पहले हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्हें भाजपा के लिए सबसे बड़ा स्टार प्रचारक बताया था। हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि राहुल गांधी जहां से भी गुजरते हैं, वहां कांग्रेस अपना जनाधार खो देती है। हिमंत बिस्वा के इस बयान पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पलटवार किया है। 

वही दूसरी तरफ बिहार के सीएम नीतीश कुमार एवं गृह मंत्री अमित शाह को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने आड़े हाथों लिया। वे रविवार को इंदौर आए थे। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं की कथनी और करनी में अंतर होता है। वे बोले हमें कभी उम्मीद नहीं थी कि नीतिश कुमार ऐसा कदम उठाएंगे। वे पहले ही कह चुके थे कि किसी हालत में मरते दम तक बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। वे संयोजक बनना चाहते थे तो बना देते, इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं थी।

‘तो फिर स्कूलों में भी पढ़ाई जाए कुरान शरीफ’, उत्तराखंड के मदरसों में श्रीराम की कथा पढ़ाने के आदेश पर इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की मांग

 आम इंसान विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आकिल अहमद ने कहा कि उत्तराखंड की राज्य सरकार ने मदरसों में श्रीराम की कथा पढ़ाने का आदेश दिया है, तो सरकारी व निजी स्कूलों में भी कुरान शरीफ पढ़ाई जानी चाहिए।

रविवार को नगर के एक होटल में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि सरकारी व निजी स्कूलों में कुरान शरीफ पढ़ाने का आदेश भी दिए जाएं। उन्होंने कहा उन्होंने उत्तराखंड में पहले भी यूसीसी, लैंड जिहाद, लव जिहाद जैसे मामले का विरोध किया है। इस मौके पर वाहिद इकबाल, महफूज रहमान, पीआर निराला, जगदीश शर्मा आदि लोग मौजूद रहे।

बता दें कि अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अधीन संचालित 117 मदरसों में भी श्रीराम की कथा पढ़ाई जाएगी। वक्फ बोर्ड इसी सत्र से मदरसों के पाठ्यक्रम में यह बदलाव करने जा रहा है। पाठ्यक्रम संचालन को लेकर वक्फ बोर्ड की ओर से मदरसा प्रबंधकों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

बिहार के सीएम नीतीश को लेकर बोले जगद्गुरु रामभद्राचार्य- "जब विभीषण राम के शरण में आ सकता है तो..."

बिहार में बीते तीन दिनों से जारी सियासी ड्रामेबाजी रविवार को समाप्त हो गई और भाजपा के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने 9वीं बार नए सीएम के तौर पर शपथ ग्रहण की। उनके शपथ लेते ही RJD ने हमलावर हो गई। इस दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने राम की शरण में विभीषण के आने का उदाहरण दिया और बताया कि नीतीश को RJD के साथ सम्मान नहीं मिल रहा था।

सूत्रों के अनुसार यूपी के हाथरस में नीतीश कुमार के सीएम पद की शपथ लेने को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है अच्छा है। राजनीति में ये सब होता रहा है। नीतीश कुमार को वहां सम्मान भी नहीं दिया जा रहा था। जब रावण का भाई विभीषण राम के शरण में आ सकता है तो नीतीश कुमार के आने में क्या अंतर पड़ता है।

नीतीश कुमार कैबिनेट की आज पहली बैठक

इधर, नीतीश कुमार के NDA गठबंधन में शामिल होने के बाद आज यानी सोमवार को कैबिनेट की पहली बैठक होने वाली है। नीतीश कुमार की नई कैबिनेट की पहली बैठक मंत्रिमंडल कक्ष में सुबह साढ़े 11 बजे हुई। बिहार विधानसभा का सत्र 5 फरवरी से शुरू होने वाला है। इससे पहले नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार किए जाने का अनुमान है।

नीतीश कुमार के साथ 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। अभी सभी विभाग सीएम नीतीश कुमार के पास ही रहेंगे। नीतीश मंत्रिमंडल का पूर्ण विस्तार होने के उपरांत ही मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किए जाने का अनुमान भी लगाया जा रहा है। 9वीं बार बिहार के सीएम बनने पर नीतीश कुमार ने बोला है कि मुक्ति मिल गई, जहां थे वहीं आ गए। सोमवार को कैबिनेट की पहली बैठक होगी। साथ ही साथ उन्होंने पीएम मोदी को बधाई भी दी।

कैप्टन ने INDIA गठबंधन छोड़ दिया- आचार्य प्रमोद कृष्णम: विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में संयोजक की दौड़ में नीतीश कुमार आगे थे। उन्होंने कांग्रेस से लेकर अधिकतर पार्टियों को एकसाथ लाने का कार्य किया था, लेकिन उन्हें संयोजक नहीं बनाया गया। ये बात नीतीश कुमार को नागवार गुजर गई है। हालांकि उन्होंने कई दफा ये बोला था कि उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है। अब वे NDA के साथ हैं। नीतीश कुमार के NDA में जाने पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बोला है कि कैप्टन ने गठबंधन छोड़ दिया है। यह हमारे लिए बहुत दुखद है।

एमपी के ग्वालियर में बेटे की मौत के बाद माता-पिता ने भी कर ली आत्महत्या, 2 दिनों तक टंगा रहा तीनों का शव

मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शहर के मुरार केंट क्षेत्र में बेटे की आत्महत्या के पश्चात् उसके माता-पिता ने भी फांसी लगाकर जान दे दी। आसपास के लोगों को इसकी खबर तक नहीं लगी और दो दिनों तक तीनों का शव फंदे से टंगा रहा। ग्वालियर के हुरावली ए ब्लॉक में प्रॉपर्टी डीलर एवं उसकी पत्नी ने बेटे की खुदखुशी के कारण अपनी भी जान दे दी। घटना दो दिन पहले की मानी जा रही है किन्तु इसकी खबर पुलिस को रविवार को हुई।

घटना की खबर प्राप्त होते ही पुलिस जब मौके पर पहुंची तो घर के पहले कमरे में लड़के का शव पंखे से लटका मिला तथा अंदर प्रॉपर्टी डीलर और पत्नी का शव सीढ़ियों की रेलिंग से लटका मिला। इसके साथ ही फर्श पर बहुत खून भी पसरा हुआ था। प्रॉपर्टी डीलर जीतू उर्फ जितेंद्र झा (उम्र- 51 साल) पत्नी त्रिवेणी झा (उम्र- 46 साल) जो आर्मी स्कूल की आधिकारिक शाखा शहबाज में प्रिंसीपल के पद पर काम करती थी उन्होंने भी मौत को गले लगा लिया। उनके बेटे अचल की आयु17 साल थी तथा वो 12वीं के छात्र थे। पूरा परिवार सिरोल के ए ब्लॉक कॉलोनी में रहता था। लोगों को इस घटना की खबर तब हुई जब दो दिन से परिवार में कोई भी व्यक्ति फोन नहीं उठा रहा था। 

तत्पश्चात, मृतक जितेंद्र के पास ही रहने वाले ससुर वहां पहुंचे और पुलिस को इसकी खबर दी। पुलिस को बेटे अचल की कॉपी से मिले सुसाइड नोट के आधार पर SSP राजेश सिंह चंदेल और फोरेंसिंक एक्सपर्ट डॉ अखिलेश भार्गव का मानना है कि तीनों ने खुदखुशी की है जिसमें सबसे पहले बेटे ने उसके बाद पत्नी और फिर बाद में जितेंद्र ने पहले अपनी नश काट ली तथा फिर फंदे से लटक गए। कहा जा रहा है कि बेटे की खुदखुशी के बाद पति- पत्नी के बीच झगड़ा भी हुआ था। सुसाइड नोट में प्रॉपर्टी डीलर जितेंद्र ने पूरी घटना की खबर देते हुए बताया कि ये सब बेटे के कारण हुआ। उसमें लिखा गया है कि मेरे बेटे की मौत का जिम्मेदार पार्टनर देवेंद्र पाठक है, उसे सख्त से सख्त सजा दी जाए।

आगे लिखा गया है कि देवेंद्र साक्षी अपार्टमेंट में रहता है वह मेरे बेटे को बहुत परेशान करता था। पुलिस को तहकीकात के चलते मकान के पिछले हिस्से की एक खिड़की टूटी हुई मिली है तथा उसका ग्रिल जमीन पर पड़ा हुआ था। उसके पास हथौड़ा और बाहर की साइड बाल्टी के ऊपर बाल्टी भी रखी हुई थी। पुलिस को शक है कि आखिर यहां से अंदर कौन और क्यों आया था। परिजनों ने बताया कि मृतक कभी इतना परेशान नहीं दिखा कि वह खुदखुशी कर सकता है किन्तु कुछ लोगों का कहना है कि जीतू शराब का बहुत नशा करता था। अब आगे देवेंद्र के बयान के बाद ही खुलासा होगा कि हकीकत क्या है तथा वह किस तरह परेशान करता था।

आचार्य प्रमोद कृष्णम का नीतीश पर तीखा हमला, बोले-“इंडिया” गठबंधन का अंतिम संस्कार कर दिया

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लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन “इंडिया” को बड़ा झटका दिया। कभी “इंडिया” गठबंधन के सूत्रधार रहे नीतीश अब अपने पुराने खेमे में वास लौट गए हैं। नीतीश के इस झटके से विपक्षी गठबंधन कमजोर होती नजर आ रही है।अब तक बंगाल और पंजाब में ही विपक्षी गठबंधन कमजोर पड़ता दिख रहा था, लेकिन नीतीश ने इसे बिहार में पूरी तरह तोड़ दिया। इसको लेकर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने नीतीश पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार ने तो इंडिया गठबंधन का अंतिम संस्कार कर दिया है। 

पार्टी के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि कांग्रेस किसी को रोकने की कोशिश नहीं करती, जिसे जाना हो जाओ, कांग्रेस एक महान पार्टी है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनों को नहीं रोकती तो नीतीश जी को क्या रोकती।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, "इंडिया गठबंधन जब से बना तभी से ये गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। शुरुआत से ही इसमें तरह-तरह के वायरस आ गए, फिर ये आईसीयू में चला गया और अंत में वेंटिलेटर पर था। फिर कल नीतीश कुमार ने इसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। अब इंडया गठबंधन का क्या होगा?" आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा नीतीश कुमार सुलझे हुए नेता हैं, उनका इंडिया गठबंधन को छोड़ कर जाना हमारे लिए दुखद है। इंडिया गठबंधन का कैप्टन ही छोड़ कर चला गया।

दरअसल, नीतीश कुमार के विपक्ष के महागठबंधन को छोड़कर एनडीए में शामिल होने की घटना ने सभी विपक्षी दलों को बैकफुट पर ला दिया है। खासतौर पर विपक्षी गठबंधन इंडिया के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं। 2024 लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी गठबंधन एकजुट होकर एनडीए को हराना चाहते थे, लेकिन इसी बीच नीतीश कुमार ने एनडीए का हाथ थाम कर सबको असमंजस में डाल दिया है। 

पूरी कांग्रेस पार्टी पॉलिटिकल टूरिज्म कर रही-कृष्णम

यही नहीं, आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी की नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भी तंज कसा है। कृष्णम ने इसे "राजनीतिक पर्यटन" कहा। उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी में कुछ बहुत महान और बुद्धिमान नेता हैं। जहां एक तरफ सभी राजनीतिक पार्टियां 2024 चुनाव के लिए कमर कस रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पूरी कांग्रेस पार्टी पॉलिटिकल टूरिज्म कर रही है। दरअसल, हम 2024 के बाद पता लगा पाएंगे कि 2024 का चुनाव कैसे जीता जाए। ऐसा लगता है कि हम 2029 के चुनाव के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। अगर हम 2024 की तैयारी कर रहे होते तो ऐसा नहीं होता"।

पीएम मोदी की छात्रों को “रील्स” ना देखने की नसीहत, पेरेंट्स से बोले-बच्चे के ‘रिपोर्ट कार्ड’ को अपना ‘विजिटिंग कार्ड’ मानना ठीक नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा की। यह कार्यक्रम दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ। देशभर से स्टूडेंट्स वर्चुअल माध्यम से भी परीक्षा पे चर्चा से जुड़े और पीएम मोदी से सवाल किए। पीएम नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान बच्‍चों को परीक्षा के तनाव से निकलने की सलाह दी साथ ही कई ऐसे टिप्‍स दिए। इस दौरान पीएम मोदी ने माता पिता से बच्‍चों के परफॉर्मेंस और उसकी रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड’ ना बनाने की सलाह दी।

पीएम ने बताया तनाव को कैसे करें दूर

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का इस साल सातवां सेशन रहा। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने देशभर के छात्रों से बात की। साथ ही अटल इनोवेशन प्रोग्राम के तहत उन्होंने छात्रों के नए अविष्कारों को देखा।छात्रों को मोटिवेट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा स्‍वस्‍थ होनी चाहिए, दोस्‍तों के प्रति ईर्ष्‍या की भावना नहीं रखनी चाहिए। पीएम ने कहा कि दूसरों से नहीं, खुद से प्रतिस्पर्धा करें, जहां आप मजबूत हैं, वहां आप उसकी मदद करें और जिस विषय में वह मजबूत हो, उससे आप मदद लें। इससे दोनों मिलकर परीक्षा के तनाव को दूर कर सकते हैं। 

मोबाइल की समय सीमा तय करने की सलाह

प्रधानमंत्री मोदी से कुछ अभिभावकों और छात्रों ने सोशल मीडिया और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव बचने के उपाय पूछे। इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती। हम पेट भरने के बाद अपना मनपसंद खाना नहीं खा सकते है ठीक वैसे ही कितनी भी प्रिय चीज क्यों न आ रही हो, लेकिन मोबाइल की समय सीमा तय करनी पड़ेगी। आजकल तो पूरा परिवार मोबाइल में लगा रहता है, घर में बराबर में बैठकर एक दूसरे को मैसेज करते हैं। मोबाइल के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए पूरे परिवार को नियम बनाने होंगे। हम खाने के वक्त कोई गैजेट्स का इस्तेमाल न करें, ऐसा नियम बना सकते हैं। टेक्नोलॉजी से बचने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसका सही उपयोग सीखना बेहद जरूरी है। हमारे मोबाइल पर लगा पासवर्ड परिवार के सभी सदस्यों को पता होगा, तो काफी सुधार हो जाएगा। इसके अलावा हमें स्क्रीन टाइम अलर्ट को मॉनीटर करना चाहिए।

पीएम मोदी ने बताया रील्स देखने के नुकसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के दौरान ज्यादा रील्स देखने के नुकसान भी बताए। उन्होंने कहा कि अगर आप एक के बाद एक रील्स देखते रहेंगे तो काफी समय बर्बाद हो जाएगा, आपकी नींद खराब होगी। जो कुछ आपने पढ़ा है वो याद नहीं रहेगा। अगर आप नींद को कम आंक रहे हैं, तो ये ठीक नहीं है। आधुनिक हेल्थ साइंस भी नींद के महत्व पर जोर देती है। आप नींद आवश्यक लेते हैं या नहीं, यह आपके स्वास्थ्य पर ध्यान देता है। जिस उमर में हैं, उसमें जिन चीजों की जरूरत है वो आहार में है या नहीं यह जानना जरूरी है, हमारे आहार में सुतंलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, फिटनेस के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए, जैसे रोज टूथब्रश करते हैं वसे ही नो कॉम्प्रोमाइज एक्सरसाइज करनी चाहि।

शिक्षकों को भी दी सलाह

पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षक का काम केवल नौकरी करना या नौकरी बदलना नहीं है, उसका काम जिंदगी को संवारना और उसे सामर्थ्य देना है। ऐसे शिक्षक ही परिवर्तन लाते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि टीचर्स को बच्‍चों से घुलना मिलना चाहिए। क्‍लास में सहज माहौल बनाना चाहिए, जिससे बच्‍चे आपमें रूचि लें। पीएम मोदी ने कहा कि आप छात्रों को खेलकूद का पूरा समय दें। इससे संपूर्ण विकास होगा। कोर्स और सिलेबस को ध्यान में रखते हुए छात्रों का पढ़ाएं।

मता-पिता से की ये अपील

छात्रों और शिक्षकों के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने माता-पिता को भी जरूरी सलाह दी। पीएम ने माता पिता से कहा कि आपको किसी बच्चे की तुलना किसी दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उसके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है। पीएम ने कहा कि कुछ माता-पिता अपने बच्चे के ‘रिपोर्ट कार्ड’ को अपना ‘विजिटिंग कार्ड’ मानते हैं, यह ठीक नहीं है।

बार बार पाला बदलने वाले नीतीश 9वीं बार बने सीएम, जानें कब कब मारी पलटी?

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बिहार में पिछले एक दशक की सियासत पर गौर करें तो देखेंगे कि राज्य में हर साल डेढ़ साल में सरकार बदल जाती है, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बदलता। सत्ता के केन्द्र में नीतीशे कुमार का ही नाम होता हैं। इसकी वजह है कि नीतीश एक दशक से कम वक्त में अबतक पांच बार पाला बदल चुके हैं। रविवार को नीतीश कुमार ने ‘महागठबंधन’ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ ली।अब तक पांच पर गठबंधन बदल चुके नीतीश नौवीं बार सीएम बने हैं।

1985 में पहली बार विधायक बने

नीतीश ने 1974 के छात्र आंदोलन के जरिये राजनीति में कदम रखा, 1985 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद नीतीश कुमार ने पलटकर नहीं देखा और सियासत में आगे बढ़ते चले गए। लालू प्रसाद यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1994 में नीतीश ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। नीतीश और लालू एक साथ जनता दल में थे, लेकिन राजनीतिक महत्वकांक्षा में दोनों के रिश्ते एक दूसरे से अलग हो गए।साल 1994 में नीतीश ने जनता दल छोड़कर जार्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया। इसके बाद साल 1995 में वामदलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े, लेकिन नतीजे पक्ष में नहीं आए। नीतीश ने लेफ्ट से गठबंधन तोड़ लिया और 1996 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन गए। नीतीश कुमार की राजनीतिक प्रसिद्धि तब बढ़ी जब उन्हें एनडीए सरकार में रेल मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

यहां से नीतीश का 'पलटी' फार्मूला गूंजा

इसके बाद नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ 2013 तक साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे और बिहार में सरकार बनाते रहे। इस दौरान राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा था। यह बात साल 2012 की जब बीजेपी में नरेंद्र मोदी का कद बढ़ने लगा था। मोदी के बढ़ते हुए कद को देखकर नीतीश कुमार एनडीए के अंदर असहज महसूस करने लगे। यही वजह रही कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इस लोकसभा चुनाव का यह परिणाम हुआ कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि जेडीयू को केवल दो सीट ही हासिल हुई थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बने। विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई।

करीब ढाई साल बाद 2017 में नीतीश कुमार ने फिर से चौंकाया। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का आईआरसीटीसी घोटाले में नाम आया। इस घटना के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन समाप्त कर दिया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सीएम पद छोड़ने के तुरंत बाद वो भाजपा में शामिल हो गए। साथ ही गठबंधन करके सरकार बना ली। इसके बाद 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। इस चुनाव में नीतीश की पार्टी जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें हासिल हुईं। भाजपा को 74 और आरजेडी को 75 सीटें हासिल हुईं, लेकिन इन सबके बावजूद मुख्यमंत्री के सिंहासन पर नीतीश कुमार ही विराजमान हुए।

एक बार फिर एनडीए के साथ

इसके दो साल बाद 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारी। नीतीश को अब बीजेपी से दिक्कत होने लगी थी। नीतीश कुमार ने कई कारण बताते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया साथ ही भाजपा से अपना रिश्ता खत्म कर लिया। इसके साथ नीतीश कुमार ने आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिलकर सरकार बना ली और राज्य का डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बनाया। डेढ़ साल के बाद नीतीश कुमार का मन फिर से बदल गया है और अब फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

कल सत्ता से हुए बाहर, आज ईडी ने घेरा, नीतीश के पलटते ही बढ़ी लालू-तेजस्वी की मुश्किलें

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बिहार में एक बार फिर बड़ा उलटफेर हुआ है। नीतीश कुमार पलटी मारते हुए एनडीए खेमे में वापस हो गए हैं। इस बीच लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। लैंड फॉर जॉब्स केस में आज ईडी लालू यादव से पूछताछ कर सकती है। इसके लिए दिल्ली से भी ईडी के अफसर आए हैं। लालू समर्थकों का ईडी ऑफिस और राबड़ी आवास के बाहर जुटना शुरू हो गया है। पटना ईडी ऑफिस में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसके पहले ये खबर थी कि अधिकारी राबड़ी आवास जाकर लालू से पूछताछ करेंगे। हालांकि अभी स्थिति साफ नहीं है कि लालू ईडी ऑफिस आएंगे या अफसर राबड़ी आवास जाएंगे।

जांच एजेंसी के सूत्र के मुताबिक जमीन के बदले नौकरी देने वाले घोटाला मामले में ये पूछताछ की कार्रवाई करेगी। पूछताछ की प्रक्रिया को अंजाम देने से पहले शनिवार 27 जनवरी की देर शाम तक जांच एजेंसी के दिल्ली स्थित मुख्यालय में तैयारी की जा रही थी। इस केस के तफ्तीशकर्ताओं के द्वारा सवालों की फेहरिस्त तैयार की गई है। सवालों की फेहरिस्त के साथ ही अगर एक अन्य महत्वपूर्ण बात करें तो इस मामले में एक चार्जशीट भी दायर हो चुका है और दायर चार्जशीट पर दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट ने 27 जनवरी को संज्ञान ले लिया गया है। हालांकि इस मामले में 9 फरवरी को अगली सुनवाई होगी। 9 फरवरी को उन तमाम आरोपियों को कोर्ट में पेश होना है जिनके खिलाफ जांच एजेंसी ईडी के द्वारा चार्जशीट दाखिल की गई थी।

बता दें कि रविवार को जब बिहार में सियासी उठापटक तेज था तभी दिल्ली हाईकोर्ट ने भी जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू परिवार के कुछ सदस्यों को समन जारी कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी यादव और बेटी हेमा यादव के अलावा कुछ दूसरे लोगों को भी समन जारी किया है। समन में कहा गया है कि वे कोर्ट के सामन अगले महीने की 9 तारीख को मौजूद रहें।

यूपीए की पहली सरकार में हुआ था घोटाला

गौरतलब है कि यह घोटाला तक का है जब लालू प्रसाद यूपीए की पहली सरकार में रेल मंत्री थे। इस दौरान ईडी ने रेलवे में नौकरी के लिए जमीन से जुड़े धन शोधन मामले में आरोपपत्र दाखिल करते हुए लालू यादव की पत्‍नी राबड़ी देवी, उनकी बेटियों राजद सांसद मीसा भारती और हेमा यादव सहित लालू प्रसाद के परिवार के अन्य लोगों को नामजद किया था।

एक हफ्ते में लागू हो जाएगा सीएए? केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर का बड़ा दावा

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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से भुनाने की तैयारी में हैं। इसके अलावा भी पार्टी के पास एक बडा मुद्दा है, नागरिक संशोधन अधिनियम यानी सीएए। पहले ही ये चर्चा थी की तीन पड़ोसी मुस्लिम देशों से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता में सहूलियत देने वाला कानून, सीएए लोकसभा चुनाव से पहले ही लागू हो सकता है।केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के बयान ने इस बात को बल दे दिया है। केन्‍द्रीय मंत्री ने दावा क‍िया है क‍ि देश में अगले एक सप्ताह में सीएए लागू हो जाएगा। अगर शांतनु ठाकुर का दावा सच होता है और सीएए लागू हुआ तो यह लोकसभा चुनाव का भी बड़ा मुद्दा बनेगा। बीजेपी इसे अपने पक्ष में भुनाने का भरपूर प्रयास करेगी।

शांतनु ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक जनसभा में भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं मंच से ये गारंटी दे रहा हूं कि अगले 7 दिनों में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए लागू होगा। उन्होंने इस कानून को लेकर पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस भाषण का भी जिक्र किया जिसमें अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को 'देश का कानून' बताया था और कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है।

शाह ने हाल ही में दिए थे संकेत

बता दें कि बीते साल दिसंबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को 'देश का कानून' बताते हुए कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीएए को लेकर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया था। शाह ने कहा था, "कभी-कभी वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश करती हैं कि देश में सीएए लागू होगा या नहीं। इस पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सीएए देश का कानून है और कोई भी इसको लागू करने से नहीं रोक सकता है। यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।

क्या है सीएए कानून

केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार यह कानून लेकर आई थी। इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी। यह कानून दिसंबर 2019 में संसद से पास हुआ था। संसद से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। इसके बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हुआ था। दिल्ली में भी कई महीनों तक इसे लेकर धरना प्रदर्शन चला था।

सीएए के विरोध में सुलग गया था देश

कानून पारित होने के तुरंत बाद देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मुसलमानों, सिविल सोसाइटी के तबके और कुछ संगठनों ने सीएए का यह कहकर विरोध किया कि इसमें मुसलमानों को बाहर रखा गया है। लंबे समय तक चले विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर कानून लागू करने के लिए सरकार ने नियम ही नहीं बनाए और इसके लिए बार-बार समय बढ़ाने का अनुरोध करती रही।