मध्यप्रदेश के नए CM ने बदली पूर्व सीएम शिवराज सिंह की परंपरा, बोले- 'राज्य गान में खड़ा होना जरूरी नहीं'
मध्य प्रदेश की जल, जंगल, जमीन एवं गौरवशाली इतिहास को बताने वाला राज्य गान सीएम मोहन यादव के एक बयान के चलते ख़बरों में आ गया। मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को भोपाल में सिविल सर्विसेज में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने एक कार्यक्रम में आए थे। उन्होंने मध्य प्रदेश गान पर खड़े होने से मना कर दिया। साथ ही लोगों को भी इशारे में बैठे रहने को कहा। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश गान आरम्भ होकर बंद हुआ तथा मोहन यादव के इशारे के पश्चात् दोबारा आरम्भ हुआ। इस बार सभी लोग खड़े होने की जगह बैठे रहे। मुख्यमंत्री भी मंच पर कुर्सी पर बैठे रहे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत के वक़्त ही हमें खड़ा होना चाहिए।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि एक परंपरा बन गई है, जैसे हमारा मध्य प्रदेश गान है। अच्छी बात है। लेकिन, कल विश्वविद्यालय गान बनाएगा, कोई कॉलेज का गान बनाएगा, कोई संस्थान अपना गान बनाएगा। फिर नियम बनेगा कि राष्ट्रगान की भांति खड़ा होना है, यह क्या बात हुई। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की व्यवस्था के मुताबिक बाकियों को बराबर नहीं कर सकते। हो सकता है आपको अटपटा लगे कि यह पुरानी परंपरा को तोड़ रहे है, किन्तु पुरानी चीजों में परिवर्तन की आवश्यकता है तो उसमें परिवर्तन भी करते हैं। हमारा लचीलापन हमें अच्छे से और अच्छे की तरफ ले जाता है।
दरअसल, 1 नवंबर 2022 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के 67वें स्थापना दिवस के अवसर पर ऐलान किया था कि मध्य प्रदेश गान को भी राष्ट्रगान की तरह भांति सम्मान दिया जाएगा। लोगों को यह संकल्प भी दिलाया था कि जब भी मध्य प्रदेश गान होगा तो खड़े होकर सम्मान करें। ऐसे में अपने ही पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के फैसले को मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा बदलने पर कोंग्रेस को बीजेपी की सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया।
Jan 28 2024, 16:47