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हेल्थ टिप्स:वजन कम करना चाहते है तो नाश्ते में खाएं ये हेल्दी चीजे,तेजी से घटने लगेगा वजन


ब्रेकफास्ट यानी यानी सुबह का नाश्ता ब्रेकफास्ट को पूरे दिन का सबसे जरूरू मील माना जाता है. सुबह का नाश्ता बॉडी में दिनभर एनर्जी बनाकर रखता है. सुबह का नाश्ता ठीक से न खाने से पूरे दिन बार-बार भूख लगती है. वजन घटाने वाले ज्यादातर लोग अपने ब्रेकफास्ट को स्किप करते हैं. वही, कुछ लोग अपनी डाइट में प्रोटीन लेना शुरू कर देते हैं, जिससे उन्हें बार-बार भूख नहीं लगती और लंबे समय तक पेट भरा रहता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें को प्रोटीन फैट लॉस में बड़ी भूमिका निभाता है. इसके अलावा,ये मेटाबॉलिक रेट को भी हाई रखता है. आज यहां हम आपको कुछ ऐसी डिशेज के बारे में बताने वाले हैं, जो वजन कम करने वाले लोगों के लिए परफेक्ट मील हैं.

दलिया

दलिया को सुपरफूड भी कहा जाता है. ये खाने में जितना हेल्दी होता है, पचने में भी उतना ही आसान ही होता है. इसे खाने से बार-बार भूख नहीं है. सुबह के नाश्ते में दलिया खाकर वजन कम किया जा सकता है. अगर आप मीठा दलिया नहीं खाना चाहते हैं तो नमकीन भी बना सकते हैं.

पोहा

पोहा उत्तर भारत में खूब खाया जाता है. पोहा लो कैलोरी फूड माना जाता है. स्वाद और हेल्थ में पोहा अच्छा माना जाता है. पोहा बनाने के दौरान कई मसालों और सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर को कई सारे न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं.

उपमा

साउथ इंडियन डिश उपमा भी खाने में बेहद टेस्टी लगता है. इसे पचाना भी आसान होता है. उपमा को लाइट नाश्ता माना जाता है, जो वेट लॉस के लिए जाना जाता है. ये कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाता है.

अंडे की भुजिया

प्रोटीन के सबसे रिच सोर्स में अंडे को शामिल किया जाता है. सुबह के हेल्दी ब्रेकफास्ट में अंडे की भुजिया का ऑमलेट को शामिल किया जा सकता है. इसमें आप अपनी मनपसंद की सब्जियां बना सकते हैं.

हजारीबाग सदर विधायक ने कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण, कहा समाज के ज़रूरतमंद वर्गों के असली ठाकुर थे कर्पूरी



हजारीबाग के नूरा में कर्पूरी चौक पहुंचकर बुधवार को हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर के 100वें जयंती समारोह के सुअवसर पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। 

भारतीय नाई समाज द्वारा आयोजित जयंती समारोह को संबोधित करते हुए हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल ने कहा की कर्पूरी ठाकुर समाज के वंचित और ज़रूरतमंद वर्गों के लोगों के लिए असली ठाकुर थे। उनका संपूर्ण जीवन समाज के लिए समर्पित रहा। ऐसे महान विभूति को किसी जाति धर्म के बंधेज में बांधना कतई उचित नहीं है, ऐसे महापुरुषों जाति- धर्म से उपर पूरे राष्ट्र के लिए आदर्श हैं और इन्हें उसी भाव से हम सभी को सम्मान देने की जरूरत है। 

केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का जो निर्णय लिया है वह स्वागत योग्य पहल है। नूरा स्थित कर्पूरी ठाकुर प्रतिमा स्थल के विकास और यहां सामूदायिक भवन निर्माण को लेकर विधायक मनीष जायसवाल ने कहा की हम सभी प्रयास करें तो संभवतः प्रशासनिक अनुमिति मिल जाय। 

अगर यहां भवन निर्माण की अनुमति मिलती है तो हम अपने विधायक निधि की राशि से भव्य सामुदायिक भवन का निर्माण कराएंगे ताकि समाज के जरूरतमंद लोगों के लिए यह भवन कारगर हो सके ।

बीजेपी झारखंड प्रदेश में अहम ज़िम्मेदारी मिलने के बाद प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से मिले विधायक मनीष जायसवाल


हज़ारीबाग: भारतीय जनता पार्टी (झारखंड प्रदेश) में प्रदेश सह-कोषाध्यक्ष का अहम जिम्मेदारी मिलने के पश्चात बुधवार को हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल ने भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से उनके राजधानी स्थित रांची आवास पर मुलाकात कर आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया। इस दौरान विधायक मनीष जायसवाल ने हर साल की भांति वर्तमान साल भी अपने दूसरे कार्यकाल के चौथे वर्ष के कार्यों की विवरण पुस्तिका "सेवा वर्ष 2023" भी उन्हें भेंट की। बाबूलाल मरांडी ने विधायक मनीष जायसवाल के इस बेहतरीन कार्यकाल के लिए बधाई दिया और भविष्य में भी इसी सिद्दत के साथ जनसेवा में तल्लीन रहने की राय दी ।

मौके पर विधायक मनीष जायसवाल ने बाबूलाल मरांडी से कहा की हमारा हरसंभव प्रयास रहेगा की संगठन के नेतृत्व की आशाओं व आकांक्षाओं पर खरा उतरूं ।

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, जिले की सीमाओं को करना पड़ा सील, उच्च अधिकारियों ने संभाला मोर्चा


अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला का दर्शन करने के लिए मंगलवार को भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने लोगों को किसी तरह संभालने की कोशिश की। इसके बाद भी जब भक्त बेकाबू हुए तो हल्का बल प्रयोग कर किसी तरह उन्हें रोका गया। मामला बिगड़ता देख कमिश्नर, आईजी और एडीजी भी मौके पर पहुंचे और हाथों में लाउडस्पीकर लेकर भक्तों से शांति बनाए रखने की अपील करते रहे। कुछ देर में डीजी प्रशांत कुमार और प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद भी राम मंदिर पहुंच गए हैं। खुद भीड़ को संभालने के लिए मोर्चा संभाल लिया। वहीं, भारी भीड़ को देखते हुए दूसरे जिलों से अयोध्या आने वाले रास्तों पर भी गाड़ियों को रोका जा रहा है। उन्हें अयोध्या में भारी भीड़ होने की जानकारी देकर किसी औऱ दिन आने की अपील की जा रही है।

रामलला दर्शन को जुटे लाखों भक्त, पुलिस हलकान, योगी का हवाई सर्वे

राम मंदिर पर मंगलवार की सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ पहुंच गई थी। मंदिर खुलते ही लोग अंदर जाने को आतुर दिखाई दिए। साढ़े 11 बजे मंदिर बंद हुआ तो भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। दो बजे मंदिर खुला तो रामपथ पर भक्त बेकाबू हो गए। हर कोई जल्द से जल्द दर्शन करने को आतुर दिखाई दिया। इससे पुलिस वालों को उन्हें संभालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने में एसएसबी और आरएएफ के जवान भी अपने आप को असहाय महसूर करने लगे।

जन्मभूमि पथ पर पांच सौ मीटर की दूरी में तीन खंडों में रिट्रैक्टबिल गेट लगाकर श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश की गई। लेकिन भीड़ के दबाव में यह गेट टूट गया। इससे काफी श्रद्धालु ही नहीं पुलिसकर्मी भी चोटहिल हुए। बैरीकेडिंग को पार कर श्रद्धालु अंदर घुसे तो 11.30 बजे आरती के लिए कुछ देर मंदिर में दर्शन बंद किया गया लेकिन भीड़ जमी रही तो दोबारा दर्शन शुरू करा दिया गया।

करीब दो बजे अंदर और बाहर दोनों जगह भक्तों की भारी भीड़ बेकाबू होने लगी तो पुलिस ने लाठियां बरसानी शुरू कर दी। भक्तों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और हवा में लाठियां लहराई। इससे भगदड़ भी मची और कई लोग फिसलकर घायल हो गए। भीड़ में फंसी कुछ बुजुर्ग महिलाओं को किसी तरह पुलिस वालों ने बाहर निकाला। 

मंडलायुक्त, एडीजी और आईजी पहुंचे

लाठियां बरसाने से हुई भगदड़ के बाद मंडलायुक्त और आईजी भी पहुंचे और व्यवस्था का जायजा लिया। जन्मभूमि पथ पर भीड़ का दबाव को देखते हुए श्रद्धालुओं को लाउडस्पीकर से धैर्य रखने को खुध एडीजी जोन पीयूष मोडिया अपील करते रहे। मंडलायुक्त गौरव दयाल और आईजी प्रवीण कुमार मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुंचे। अधिकारयों ने व्यवस्था का जायजा लिया। गेट पर मौजूद जिम्मेदारों को आवश्यक निर्देश दिए। इसके बाद राम भक्तों की भारी भीड़ और व भीड़ के बढ़ते दबाव को देखते हुए मुख्य प्रवेश द्वार से लाइन लगाकर एक-एक भक्त को प्रवेश देने का कार्य शुरू कर दिया गया है। अब एक-एक करके राम भक्तों को भीतर प्रवेश दिया जाने लगा। हालांकि कुछ देर बाद ही यह सिलसिला टूट गया और भक्त बेकाबू होकर एक साथ अंदर घुस गए।

भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने फिर चली उल्टी चाल, चीन के जासूसी जहाज को घुसने की दी इजाजत


 भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने एक बार फिर उल्टी चाल चली है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना मित्र बताने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ नई साजिश रची है। उन्होंने चीन के जासूसी जहाज को अपने क्षेत्र में घुसने की इजाजत दे दी। भारत से तनावपूर्ण संबंधों के बीच मालदीव ने चीनी जहाज के माले आने की पुष्टि करते हुए कहा कि मित्र राष्ट्रों के जहाजों का स्वागत है। चीनी जहाज के कुछ हफ्तों में मालदीव पहुंचने की संभावना है। इसने भारत की चिंता बढ़ा दी है भारत की चिंता इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पिछले साल चीन ने अपने जासूसी जहाज को श्रीलंकाई धरती पर उतारा था, तब भी काफी बवाल हुआ था।

मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से मोहम्मद मुइज़ू के उठाए कदम भारत के खिलाफ ही रहे हैं। मालदीव का सर्वेसर्वा बनने से पहले उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय सेना की आलोचना की थी और जीतने पर भारतीय सेना को देश से बाहर करने का वादा भी किया था। राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने किया भी ऐसा ही। मुइज्जू सरकार ने भारत को सेना के वापस चले जाने के लिए 15 फरवरी तक का वक्त दिया है। इतना ही नहीं मालदीव की परंपरा को तोड़ते हुए मालदीव के राष्ट्रपति भारत न जाकर चीन दौरे पर गए। इसी महीने मुइज्जू ने शी जिनपिंग से मुलाकात की थी, यह उनकी पहली राजकीय यात्रा भी थी। 

एक स्वतंत्र खुफिया शोधकर्ता और ओपन सोर्स डेटा के अनुसार, एक चीनी जासूसी जहाज के जल्द ही मालदीव पहुंचने की संभावना है। बता दें कि चीनी जासूसी जहाज पिछले साल श्रीलंकाई धरती पर उतरा था, जिसके बाद चीनी जहाज पर भारत की जासूसी करने के आरोप भी लगे थे। चीन ने इस बार मालदीव के सहारे भारत पर निशाना साधने की कोशिश की है।

चीन के पास रिसर्च और जासूसी क्षेत्रों में जहाजों का सबसे बड़ा बेड़ा है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह वैज्ञानिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करने में सक्षम है। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी पोत जियांग यांग होंग 03 "हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है और माले की ओर कदम बढ़ा चुका है। उधर, मालदीव ने भी पुष्टि कर दी है कि चीनी जहाज को उसने अपने क्षेत्र में आने की इजाजत दे दी है। मालदीव ने आधिकारिक बयान में कहा कि मित्र राष्ट्र चीन का उसके क्षेत्र में स्वागत है। उधर, हिन्द महासागर में चीन की उपस्थिति ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।

चीनी जहाज कब निकला और कब पहुंचेगा मालदीव

शिपस्पॉटिंग पोर्टल Marinetraffic.com के आंकड़ों के अनुसार , जियांग यांग होंग 03 पोत 16 जनवरी को चीनी बंदरगाह से माले के लिए रवाना हुआ था। वर्तमान में जावा सागर में मंडराते हुए जहाज के 8 फरवरी के आसपास मालदीव पहुंचने की उम्मीद है, हालांकि उम्मीद यह भी है कि जहाज 30 जनवरी तक भी पहुंच सकता है। 

हालांकि इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि भारत ने चीन के जासूसी जहाज की यात्रा पर मालदीव के साथ आपत्ति व्यक्त की है या नहीं, लेकिन नई दिल्ली सरकार ने पहले भी ठोस कदम उठाए थे, जब चीनी जहाज ने पड़ोसी देश श्रीलंका का दौरा किया था। रक्षा सूत्रों का कहना है कि भारतीय नौसेना जहाज की गतिविधि पर नजर रख रही है।

उपायुक्त ने दी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि देकर श्रद्धांजलि


हज़ारीबाग ; नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उपायुक्त ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए एवं उनके योगदानों को याद किया

23 जनवरी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के अवसर पर उपायुक्त नैंसी सहाय ने अपने आवासीय कार्यालय में नेताजी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।

माल्यार्पण के पश्चात उपायुक्त ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस में देशभक्ति, राष्ट्र भक्ति और आजादी के लिए समर्पण की भावना थी। युवाओं को नेता जी के आदर्शों पर चलना चाहिए। उनके विचारों को आगे बढ़ाना चाहिए। नेता जी के संघर्ष एवं बलिदान को यूं ही नहीं भुलाया जा सकता है। देश की आजादी में उनका योगदान अविस्मरणीय है।

माण्डू विधायक जेपी भाई पटेल के पहल से गरीबों एवं असहाय लोगों को क्या गया कम्बल वितरण


हजारीबाग जिला के चुरचू प्रखण्ड अंतर्गत पंचायत बहेरा के ग्राम मयूर नचवा कजरी में झारखण्ड विधानसभा के सचेतक (विरोधी दल) सह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सह माण्डू के लोकप्रिय विधायक माननीय श्री जय प्रकाश भाई पटेल जी के पहल से CSR मद से भरी ठंड को देखते हुए। 

अल्पसंख्यक जिला मंत्री सह विधायक प्रतिनिधि आरीफ अंसारी वा अल्पसंख्यक मंडल अध्यक्ष मोहम्मद आफताब के हांथों द्वारा गरीबों असहाय एवं जरूरत मन्द लोगों के बीच कम्बल वितरण किया गया।। 

मुख्य रूप से अल्पसंख्यक जिला मंत्री सह विधायक प्रतिनिधि आरीफ अंसारी, अल्पसंख्यक मंडल अध्यक्ष एमडी, सरफराज अंसारी,अफरोज अंसारी,यदि लोग सामिल थें।।

दिल की सेहत का रखना चाहते है ख्याल तो अपने डायट में शामिल करे ये चार चीजे


आज कल के बेतरतीब जीवनशैली में हार्ट की बीमारी आम हो गई है। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगो को बस काम की चिंता होती है, काम के प्रेशर के कारण लोग अपनी सेहत को नजर अंदाज कर देते है। अपने खान पान का ठीक से ख्याल नहीं रखते। जिस कारण कम आयु के युवा वर्ग को भी हार्ट अटैक,हार्ट फेल का खतरा बढ़ गया हैं।

दिल को हेल्दी रखने के लिए वर्कआउट के साथ-साथ सही डाइट का भी अहम रोल होता है. हेल्दी डाइट शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ रोगों से लड़ने की क्षमता देता है।

रिसर्च के मुताबिक जो लोग हेल्दी डाइट फॉलो करते हैं, उनमें दिल की बीमारियों का खतरा 31 फीसदी तक कम होता है.आइए जानते है,दिल की सेहत को स्वस्थ रखने के लिए कौन-कौन से फूड खाने चाहिए।

अखरोट

अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है. ये हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करता है. रोजाना अखरोट खाने से धमनियों की सूजन को कम किया जा सकता है. अखरोट के हेल्दी फैट्स से दिल भी स्वस्थ रहता है.

संतरा

हाई ब्लड प्रेशर भी दिल की बीमारियों का संकेत हो सकता है. हाई बीपी की शिकायत रहने पर संतरा काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसमें विटामिन सी के अलावा पेक्टिन फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. इसे नियमित खाने से हाई बीपी की समस्या भी दूर रहती है.

अलसी

अलसी भी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. अलसी को डाइट में शामिल करने ब्लड का फ्लो ठीक रहता है. बॉडी में फाइबर और फाइटोकेमिकल्स की कमी को पूरा करने वाली अलसी को भून कर और दूसरी रेसिपीज में एड करके खा सकते हैं.

हरे रंग की सब्जियां

हरे रंग की सब्जियों में विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा, इनमें नाइट्रेट भी पाया जाता है. दिल को स्वस्थ रखने के लिए पालक, बीन्स, सरसों का सार और मेथी को डाइट में शामिल करना चाहिए. इन्हें खाने से शरीर में आयरन की कमी भी दूर होती है. हरी सब्जियां खाने से ऑक्सीजन रिच ब्लड आपके हार्ट तक आसानी से पहुंच पाता है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़


प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषःआज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?


क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।