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इस बार 'नारी शक्ति' पर केंद्रित होंगी गणतंत्र दिवस की झाकियां, जानिए कर्तव्य पथ पर क्या दिखाएगा आपका राज्य ?

 'विकसित भारत' और 'भारत-लोकतंत्र की मातृका' थीम के साथ, 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर 75वीं गणतंत्र दिवस परेड महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित होगी। विषयों का चयन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों के अनुरूप किया गया है कि 'भारत वास्तव में लोकतंत्र की जननी है'। इस गणतंत्र दिवस पर, झांकियां कर्तव्य पथ पर 'महिला सशक्तिकरण' को प्रदर्शित करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि केंद्र का लक्ष्य 'विकसित भारत' के आदर्श वाक्य के साथ कार्यक्रम को महिला केंद्रित बनाना है।

विशेष रूप से, पहली बार, परेड की शुरुआत भारतीय संगीत वाद्ययंत्र बजाने वाली 100 महिला कलाकारों द्वारा की जाएगी। परेड की शुरुआत महिला कलाकारों द्वारा बजाए जाने वाले शंख, नादस्वरम, नगाड़ा आदि संगीत के साथ होगी। कुल 25 झांकियां, जिनमें 16 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश और नौ मंत्रालय और विभाग शामिल हैं, परेड के दौरान कर्तव्य पथ पर चलेंगे। गणतंत्र दिवस का हिस्सा बनने वाली झांकियाँ अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, मणिपुर, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, लद्दाख, तमिलनाडु, गुजरात, मेघालय, झारखंड, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना से होंगी। 

वहीं, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), वैज्ञानिक और औद्योगिक केंद्र अनुसंधान (CSIR), भारत चुनाव आयोग, और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) की झांकियां भी कर्तव्य पथ पर प्रदर्शन करेंगी।

मणिपुर की झांकी

गणतंत्र दिवस के लिए मणिपुर की झांकी सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करेगी। इसमें महिलाओं को कमल के तने के नाजुक रेशों से पारंपरिक 'चरखे' का उपयोग करके सूत बनाने का काम करते हुए दिखाया जाएगा। झांकी के सामने वाले हिस्से में एक महिला को मणिपुर की लोकतक झील से कमल के डंठल इकट्ठा करते हुए दिखाया जाएगा, जबकि किनारों पर महिलाओं को नावों पर सवार होते हुए और कमल के डंठल इकट्ठा करते हुए दिखाया जाएगा। झांकी में मणिपुर में सदियों पुराने सभी महिलाओं के बाजार 'इमा कीथेल' की प्रतिकृति के साथ-साथ मणिपुरी महिलाओं द्वारा आविष्कार किए गए लोकप्रिय कपड़े और भारत की पहली कमल रेशम निर्माता बिजयशांति टोंगब्रम द्वारा कमल रेशम बनाने की प्रक्रिया भी शामिल होगी।

आंध्र प्रदेश की झांकी

आंध्र प्रदेश की गणतंत्र दिवस की झांकी स्कूली शिक्षा में क्रांति लाने और छात्रों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के लिए तैयार करने के विषय पर केंद्रित होगी। 

लद्दाख की झांकी

दूसरी ओर, लद्दाख की झांकी में भारतीय महिला आइस हॉकी टीम को उजागर किया जाएगा, जिसमें निपुण लद्दाखी महिलाएं शामिल होंगी, जो खेलों में अपनी उपलब्धियों और योगदान को प्रदर्शित करेंगी।

मध्य प्रदेश की झांकी

गणतंत्र दिवस के लिए मध्य प्रदेश की झांकी कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को विकास प्रक्रिया में एकीकृत करने में राज्य की उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगी। झांकी आधुनिक सेवा क्षेत्र, लघु उद्योग और पारंपरिक डोमेन सहित विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को उजागर करेगी। इसमें भारतीय वायु सेना में मध्य प्रदेश की पहली महिला फाइटर पायलट अवनी चतुर्वेदी के साथ एक फाइटर प्लेन का मॉडल भी होगा। झांकी में बर्तनों पर पेंटिंग करती महिला कलाकारों, चंदेरी के बादल महल द्वार और विश्व स्तर पर प्रसिद्ध चंदेरी, महेश्वर और बाग प्रिंट साड़ियों के बुनकरों को भी दर्शाया जाएगा।

राजस्थान की झांकी

गणतंत्र दिवस के लिए राजस्थान की झांकी महिला हस्तशिल्प उद्योगों के विकास और राज्य की उत्सव संस्कृति को प्रदर्शित करेगी। झांकी में राजस्थान का प्रसिद्ध घूमर नृत्य, नर्तक का पुतला और भक्ति और शक्ति की प्रतीक मीरा बाई की मूर्ति होगी। इसके अतिरिक्त, यह राज्य की समृद्ध हस्तशिल्प परंपराओं को उजागर करेगा, जिसमें बंधेज, बगरू प्रिंट और एप्लिक वर्क शामिल हैं।

हरियाणा की झांकी

हरियाणा की गणतंत्र दिवस की झांकी सरकारी कार्यक्रम 'मेरा परिवार - मेरी पहचान' के माध्यम से राज्य में महिला सशक्तिकरण को प्रदर्शित करेगी। झांकी में हरियाणवी महिलाओं को डिजिटल उपकरण पकड़े हुए दिखाया जाएगा, जो डिजिटल इंडिया पहल के प्रभाव का प्रतीक है, जो उन्हें एक क्लिक से सरकारी योजनाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।

ओडिशा की झांकी

ओडिशा की गणतंत्र दिवस की झांकी हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को उजागर करेगी, पारंपरिक कलाओं के संरक्षण और प्रचार में उनकी भूमिका पर जोर देगी।

छत्तीसगढ़ की झांकी

इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर, छत्तीसगढ़ की झांकी में राष्ट्रीय राजधानी के कर्तव्य पथ पर सामुदायिक निर्णय लेने की 600 वर्ष पुरानी आदिवासी परंपरा, बस्तर के 'मुरिया दरबार' को प्रदर्शित किया जाएगा। 'मुरिया दरबार', 600 वर्षों के इतिहास के साथ लोगों की संसद का एक अनूठा रूप है, जो अभी भी हर साल बस्तर दशहरा के समापन पर आदिवासियों को एक साथ लाता है जो कुल 75 दिनों तक चलता है। छत्तीसगढ़ की झांकी का विषय, 'बस्तर की आदिम जन संसद: मुरिया दरबार', इस वर्ष के राष्ट्रीय विषय, 'भारत लोकतंत्र की जननी है' के अनुरूप है। यह झांकी निर्णय लेने में पुरुषों और महिलाओं दोनों की समान भागीदारी को रेखांकित करती है, जो बस्तर आदिवासी समुदाय के महिला-प्रधान पहलू को दर्शाती है। छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर में आदिवासी समुदायों में महिलाओं के प्रभुत्व को प्रदर्शित करेगी, जिसमें उनकी सांस्कृतिक विरासत के प्रतिनिधित्व के रूप में पारंपरिक बेल-धातु और टेराकोटा कलाकृतियाँ शामिल होंगी।

कड़ाके की ठंड पर भारी 'राम' का नाम, अयोध्या में रात 3 बजे से दर्शन के लिए लगी कतारें, भक्तों में जबरदस्त उत्साह

देश भर के भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, अयोध्या में नव-पवित्र राम मंदिर के दरवाजे आज, 23 जनवरी को जनता के लिए खोल दिए गए हैं। भव्य उद्घाटन सोमवार को हुए एक विस्तृत 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के बाद हुआ, जो उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। अयोध्या में राम मंदिर प्रतिदिन दो समय स्लॉट के दौरान आगंतुकों का स्वागत करेगा: सुबह 7 बजे से 11:30 बजे तक और फिर दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक। मैसूर स्थित मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई 51 इंच लंबी राम लला की मूर्ति की स्थापना, सोमवार के उत्सव का केंद्र बिंदु थी। इस कड़ाके की सर्दी के दिन मंदिर परिसर के बाहर भक्तों की भारी भीड़ देखी गई, जिनमें से कई लोग मंदिर में प्रवेश पाने, राम लला की एक झलक पाने और पूजा करने के लिए तड़के 3 बजे से ही कतार में खड़े थे।

अयोध्या कल आध्यात्मिक माहौल में डूबी हुई थी क्योंकि ठंड के मौसम ने भक्तों के उच्च उत्साह को कम नहीं किया। हवा 'जय श्री राम' और राम भजनों से गूंज उठी, जबकि भोपाल के लोक नर्तकों और एक धार्मिक मंडली ने 'पालकी यात्रा' के साथ जीवंत माहौल बना दिया। उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (PAC) बैंड ने अयोध्या की सड़कों पर देशभक्ति की धुनें बजाकर इस खुशी के अवसर में योगदान दिया। जैसे ही शाम ढली, निवासियों ने भगवान राम की घर वापसी के लिए दिवाली के त्योहार की याद दिलाते हुए अपने घरों के बाहर दीये जलाए और रात का आकाश आतिशबाजी की चमक से जगमगा उठा।

उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मंदिर में लाखों तीर्थयात्री और पर्यटक आएंगे, जो दिव्य संरचना को देखने और प्रार्थना करने के लिए उत्सुक होंगे। 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में भाग लेने के बाद, पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या में राम लला की मूर्ति की प्रतिष्ठा एक नए युग के आगमन का प्रतीक है और उन्होंने लोगों से राम मंदिर के निर्माण से आगे बढ़कर अगले 1,000 वर्षों का भव्य और दिव्य भारत के लिए एक मजबूत नींव बनाने का आह्वान किया। आलोचकों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर के निर्माण से देश में आग लग जाएगी और प्रधानमंत्री ने उनसे अपने विचारों पर पुनर्विचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि राम अग्नि नहीं बल्कि ऊर्जा हैं, राम विवाद नहीं बल्कि समाधान हैं, राम केवल हमारे नहीं बल्कि सबके हैं और राम न केवल वर्तमान हैं बल्कि शाश्वत भी हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर शांति, धैर्य सद्भाव, और भारतीय समाज में सौहार्द का भी प्रतीक है। 

उन्होंने न्याय करने और कभी विवादित स्थल पर कानून के जरिए मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार भी जताया। अपने भाषण को पूरे देश में सुने जाने के बाद, प्रधान मंत्री ने जनता के साथ भावनात्मक जुड़ाव पैदा करने की कोशिश करते हुए कहा कि "हमारे राम" सदियों के इंतजार, धैर्य और बलिदान के बाद आए हैं। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, "हमारे रामलला अब तंबू में नहीं रहेंगे। हमारे रामलला एक भव्य मंदिर में रहेंगे।"

नहीं थम रहा है शीतलहर और कोहरे का कहर, ठिठुर रहा पूरा उत्तर भारत, अभी राहत के आसार नहीं

#delhi_ncr_up_bihar_punjab_haryana_dense_fog_and_severe_cold 

दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड जारी है और घने कोहरे ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। मौसम विभाग की माने तो अगले एक हफ्ते तक ठंड का सितम इसी तरह जारी रहेगा। ठंड से अभी उत्तर भारत और कांपेगा. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और पश्चिमी राजस्थान में ठंड से राहत मिलने के आसार नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश समेत पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में 25 जनवरी के बाद से कम से कम तीन दिन तक हल्की बारिश और बर्फबारी की भी संभावना है।

आईएमडी ने बताया कि आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तरी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान 3-7 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहेगा। वहीं, इन राज्यों के कुछ इलाकों में तापमान 3 डिग्री से नीचे भी जा सकता है। मौसम विभाग ने बताया है कि अगले 4-5 दिनों के दौरान उत्तर भारत में घने कोहरे की स्थिति जारी रहने की संभावना है। इसके साथ ही अगले 2-3 दिन उत्तर भारत में अधिक ठंड रहेगी। इसके बाद ठंड की तीव्रता में कमी आने की संभावना है। 

आईएमडी ने बताया कि उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में समुद्र तल से 12.6 किमी ऊपर 130-150 समुद्री मील की जेट स्ट्रीम हवाएं चल रही हैं। इससे ठंडी हवाएं नीचे आ रही हैं और उत्तर भारत में ठंडे दिन की स्थिति बढ़ रही है। अगले 3-4 दिनों के दौरान जेट स्ट्रीम की इसी तरह की तीव्रता जारी रहने की संभावना है। ताजा पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से गुरुवार से रविवार तक पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में छिटपुट बारिश/बर्फबारी होने की संभावना है। आईएमडी ने आगे चेतावनी दी है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में शनिवार सुबह तक घना कोहरा छाए रहने की संभावना है।

आईएमडी के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के इलाकों में दो दिनों से धूप खिलने से मौसम में कुछ गर्माहट महसूस की जा रही है लेकिन, पंजाब और हरियाणा के ज्यादातर इलाकों में अभी कड़ाके की ठंड की स्थिति बनी हुई है। पंजाब के बठिंडा में सबसे कम 4 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। गुरदासपुर में रात को ज्यादा ठंड महसूस की गई और पारा गिरकर 4.5 डिग्री पर आ गया था। हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी और नारनौल में सबसे ज्यादा ठंड रही। सिरसा और फतेहाबाद प्रत्येक में न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री रहा।

कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का असर ट्रेनों पर पड़ा है। विजिबिलिटी कम होने से मंगलवर को ट्रेनों की रफ्तार धीमी रही तो कहीं पर थम भी गयी। इस वजह से दिल्‍ली पहुंचने वाली 28 ट्रेनें पांच तक देरी से चल रही हैं। चूंकि कई ट्रेनें अभी रास्‍ते पर हैं, इसलिए इनके और विलंब होने संभावना है। उत्‍तर रेलवे के मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार कोहरे की वजह से 28 ट्रेनें एक घंटे से लेकर पांच घंटे तक ट्रेनें विलंब से चल रही हैं। यात्रियों की सुरक्षा रेलवे की प्राथमिकता है, इसलिए ट्रेनें धीमी रफ्तार से चल रही हैं। वहीं, दूसरी ओर ट्रेनों के देरी से चलने की वजह से यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा है।

अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए लगा भक्तों रेला, बढ़ती भीड़ के बीच फिलहाल रोकी गई एंट्री, मुख्य पुजारी ने किया भक्तों से धैर्य रखने का अनुरोध

#ram_mandir_ayodhya_devotees_flood 

अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है और इसके गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है।अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद से भक्त अपने आप को दर्शन करने से रोक नहीं पा रहे हैं। हालत ऐसी है कि हजारों की संख्या में भक्त राम मंदिर के मुख्य द्वार पर इतवने कड़ाके की ठंड में भी सुबह 3 बजे से ही डेरा जमाने पहुंच चुके हैं। भक्त प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह पूजा करने और श्री राम लला के दर्शन करने के लिए सुबह बड़ी संख्या में एकत्र हुए हैं।सुबह 7 बजे शुरू हुए दर्शनों के बाद भीड़ इतनी बढ़ गई कि वह उसे मैनेज कर पाने में दिक्‍कत आ रही थी, नतीजतन पैरा मिलिट्री फोर्स को भी यहां व्‍यवस्‍था में लगाया गया है। करीब पौने नौ बजे मंदिर महतें प्रवेश बंद कर दिया गया, लेकिन बाहर निकलने का रास्‍ता खोला रखा गया। बैरिकेटिंग लगाकर रास्ते को बंद किया गया है। सिर्फ बाहर जाने दिया जा रहा है। फिलहाल अंदर जाने का रास्ता बंद है।

रामलला के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी है। इसको देखते हुए मंदिर में एंट्री को रोक दिया गया है। एडीजी जोन पीयूष मोडिया भारी भीड़ को देखते हुए सड़कों पर उतरे। हाइवे पर वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। एडीजी जोन ने भक्तों से अनुरोध किया है कि भारी भीड़ को लेकर शांति बनाए रखेंगे। रामलला के दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करें। अयोध्या में नो एंट्री पर रोक लगाई गई है। हाइवे पर बैरिकेडिंग कराया गया है। पुलिस बल को सुरक्षा में लगा दिया गया है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्त बड़ी संख्या में अपने आराध्य का दर्शन करने पहुंच गए हैं। रात 10 बजे मंदिर का पट बंद होने के बाद भी लोगों की भीड़ मंदिर परिसर से हटने का नाम नहीं ले रही थी। सुबह 3 बजे से ही लोग दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भक्तों से धैर्य रखने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि अभी अयोध्या में जिस प्रकार की भीड़ है, उसमें एक दिन में सभी भक्तों को रामलला का दर्शन कराना संभव नहीं हो पाएगा।

*अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए लगा भक्तों रेला, बढ़ती भीड़ के बीच फिलहाल रोकी गई एंट्री, मुख्य पुजारी ने किया भक्तों से धैर्य रखने का अनुरो

#ram_mandir_ayodhya_devotees_flood 

अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है और इसके गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है।अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद से भक्त अपने आप को दर्शन करने से रोक नहीं पा रहे हैं। हालत ऐसी है कि हजारों की संख्या में भक्त राम मंदिर के मुख्य द्वार पर इतवने कड़ाके की ठंड में भी सुबह 3 बजे से ही डेरा जमाने पहुंच चुके हैं। भक्त प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह पूजा करने और श्री राम लला के दर्शन करने के लिए सुबह बड़ी संख्या में एकत्र हुए हैं।सुबह 7 बजे शुरू हुए दर्शनों के बाद भीड़ इतनी बढ़ गई कि वह उसे मैनेज कर पाने में दिक्‍कत आ रही थी, नतीजतन पैरा मिलिट्री फोर्स को भी यहां व्‍यवस्‍था में लगाया गया है। करीब पौने नौ बजे मंदिर महतें प्रवेश बंद कर दिया गया, लेकिन बाहर निकलने का रास्‍ता खोला रखा गया। बैरिकेटिंग लगाकर रास्ते को बंद किया गया है। सिर्फ बाहर जाने दिया जा रहा है। फिलहाल अंदर जाने का रास्ता बंद है।

रामलला के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी है। इसको देखते हुए मंदिर में एंट्री को रोक दिया गया है। एडीजी जोन पीयूष मोडिया भारी भीड़ को देखते हुए सड़कों पर उतरे। हाइवे पर वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। एडीजी जोन ने भक्तों से अनुरोध किया है कि भारी भीड़ को लेकर शांति बनाए रखेंगे। रामलला के दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करें। अयोध्या में नो एंट्री पर रोक लगाई गई है। हाइवे पर बैरिकेडिंग कराया गया है। पुलिस बल को सुरक्षा में लगा दिया गया है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्त बड़ी संख्या में अपने आराध्य का दर्शन करने पहुंच गए हैं। रात 10 बजे मंदिर का पट बंद होने के बाद भी लोगों की भीड़ मंदिर परिसर से हटने का नाम नहीं ले रही थी। सुबह 3 बजे से ही लोग दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भक्तों से धैर्य रखने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि अभी अयोध्या में जिस प्रकार की भीड़ है, उसमें एक दिन में सभी भक्तों को रामलला का दर्शन कराना संभव नहीं हो पाएगा।

एलन मस्क ने की संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्‍थायी सदस्‍यता की वकालत, बोले-ताकतवर देश नहीं चाहते पावर छोड़ना

#elon_musk_supported_india_permanent_membership_in_unsc 

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की कवायद में काफी समय से जुटा है। कई वैश्विक नेता भी भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने के पक्ष में हैं। इसी बीच दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने भी भारत की वकालत की है। टेस्‍ला और स्‍पेसएक्‍स कंपनी के मालिक मस्‍क ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है और उसे संयुक्‍त राष्‍ट्र में स्‍थायी सदस्‍यता न देना हास्‍यास्‍पद है। 

अफ्रीका को संयुक्‍त राष्‍ट्र की स्‍थायी सदस्‍यता देने की मांग को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस के एक ट्वीट के जवाब में पूछे गए एक सवाल के जवाब में एलन मस्‍क ने यह बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने कहा कि हमें संयुक्‍त राष्‍ट्र के निकायों में समीक्षा की जरूरत है। इतना ही नहीं, उन्होंने स्थायी सदस्यों को भी फटकार लगाई।

टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने अपने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की आवश्यकता है। समस्या यह है कि जिनके पास अधिक शक्ति है वे इसे छोड़ना नहीं चाहते। धरती पर सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट न मिलना बेतुका है। मेरे विचार में अफ्रीका को सामूहिक रूप से एक स्थायी सीट भी मिलनी चाहिए।

एलन मस्क का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष भारत आए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस अभी पांच दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए कदम उठाने को लेकर इस दौरान उन पर दबाव बनाएगा।

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता को लेकर बड़ा बयान दिया था। जयशंकर ने कहा था, 'दुनिया कोई भी चीज आसानी से नहीं देती है, कभी कभी लेना भी पड़ता है।'

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेष आज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?

#subhashchandrabosebirthanniversary 

क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

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प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने की प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा, 1 करोड़ घरों पर लगेगा रूफटॉप सोलर

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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पीएम मोदी दिल्ली वापस आ गए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” का ऐलान किया, जिसके अंतर्गत 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर लगाए जाएंगे। पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

अयोध्या के राम मंदिर में अभूतपूर्व आयोजन के बाद दिल्ली लौटते ही पीएम मोदी ने पहले बड़े फैसले की जानकारी सोशल मीडिया पर दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबों के घरों को रोशन करने के लिए प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के तहत एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगवाने का निर्णय लिया है। इससे गरीब और मध्यम वर्ग का बिजली बिल तो कम होगा ही, साथ ही भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनेगा।

उन्होंने लिखा, “सूर्यवंशी भगवान श्री राम के आलोक से विश्व के सभी भक्तगण सदैव ऊर्जा प्राप्त करते हैं। आज अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर मेरा ये संकल्प और प्रशस्त हुआ कि भारतवासियों के घर की छत पर उनका अपना सोलर रूफ टॉप सिस्टम हो।

इससे पहले पीएम मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को एक नए युग के आगमन का प्रतीक करार दिया है और लोगों से अगले 1000 वर्षों के मजबूत, भव्य और दिव्य भारत की नींव बनाने का आह्वान किया। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद ‘सियावर रामचंद्र की जय’ और ‘जय श्री राम’ के उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अवसर केवल जीत का नहीं बल्कि विनम्रता का है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर समृद्ध और विकसित भारत के उदय का गवाह बनेगा। प्रधानमंत्री ने संतों, नेताओं, उद्योगपतियों, फिल्मी सितारों, कवियों, साहित्यकारों और खिलाड़ियों की एक चुनिंदा सभा को संबोधित करते हुए कहा, हमें आज से, इस पवित्र समय से अगले 1,000 साल के भारत की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर हम सभी देशवासी इस पल से समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं।

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बीच कोलकाता में ममता बनर्जी की सद्भावना रैली, बोलीं किसी कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं

#mamata_banerjee_to_hold_interfaith_rally_on_ayodhya_ram_mandir_event_day 

अयोध्या में भव्य मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की देशभर में धूम रही।वहीं, कोलकाता में अलग-अलग रंग देखने को मिला। जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में सद्भावना रैली निकाली गई।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महानगर में सर्वधर्म सद्भाव रैली का नेतृत्व किया। विभिन्न धर्मगुरुओं और पार्टी नेताओं के साथ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने हाजरा मोड़ से संगति मार्च निकाला। सफेद और नीली बॉर्डर वाली सूती साड़ी पहने और गले में शॉल लपेटे ममता बनर्जी को सडक़ के दोनों ओर खड़े लोगों का हाथ जोडक़र अभिवादन करते देखा गया। 

मुख्यमंत्री ने शहर के कालीघाट मंदिर में पूजा अर्चना के बाद रैली शुरू की।अपनी ट्रेडमार्क सफेद, नीली बॉर्डर वाली सूती साड़ी और गले में शॉल लपेटे ममता सड़क के दोनों ओर हाथ जोड़कर लोगों और दर्शकों का अभिवादन करती चलीं। ममता इस रास्ते पर पड़ने वाले मस्जिदों, चर्चों और गुरुद्वारों सहित विभिन्न धार्मिक स्थानों पर पहुंचीं। उन्होंने मस्जिदों, गिरिजाघरों, गुरुद्वारे सहित विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न पूजा स्थलों को अपनी रैली में शामिल किया।

सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन कर बीजेपी वोट जुटाने की चाल चल रही है। उन्होंने कहा था कि मैं ऐसे उत्सवों का समर्थन नहीं करती हूं, जो दूसरे समुदाय को शामिल ना करें। 

बता दें कि ममता अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं। तृणमूल कांग्रेस की ओर से कार्यक्रम में किसी ने शिरकत नहीं की। तृणमूल कांग्रेस के नेता रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को पॉलिटिकल इवेंट कहा है। उनका मानना है कि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान के लिए राममंदिर को एक स्प्रिंगबोर्ड की तरह इस्तेमाल करना चाहती है। इसीलिए पार्टी ने इस इवेंट से दूरी बनाई है।