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*राजस्थान में सीएम को लेकर सस्पेंस बरकरार, सियासी उथल-पुथल के बीच दिल्ली पहुंची वसुंधरा राजे*

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राजस्थान में बीजेपी की बंपर जीत की है। हालांकि, चुनाव जीतने के बाद भी अब तक भाजपा में सीएम फेस पर कोई संकेत नहीं मिले हैं। इस कारण भाजपा विधायकों में हलचल तेज हो गई है। सीएम की रेस में कई नाम हैं, लेकिन कुर्सी पर कौन काबिज होगा ये अब तक तय नहीं हुआ है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जयपुर में विधायकों से मुलाकात करने के बाद दिल्ली पहुंची हैं। माना जा रहा है कि वसुंधरा आज यानी गुरुवार को आलाकमान से मुलाकात कर सकती हैं।

दिल्ली रवानगी से पहले राजे का शक्ति प्रदर्शन

राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद सीएम पद के दावेदारों में से एक हैं। दिल्ली आने से पहले वसुंधरा ने जयपुर में 60 नवनिर्वाचित विधायकों से मुलाकात की है। इसे वसुंधरा के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। वसुंधरा राजे जयपुर में शक्ति प्रदर्शन करने के बाद दिल्ली पहुंचीं। बताया जा रहा है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें बुलाया है लिहाजा वह देर रात ही दिल्ली के लिए रवाना हुईं। 

पार्टी लाइन से बाहर नहीं जाएंगी राजे

दिल्ली रवानगी से पहले वसुंधरा राजे ने जयपुर की मीडिया के सामने यह साफ कर दिया है कि पार्टी हाइकमान को जो फैसला होगा, वह उन्हें भी मंजूर होगा। वसुंधरा राजे ने कहा है कि साफ कहा है वह पार्टी लाइन से बाहर नहीं हैं। मीडिया रिपोटर्स के अनुसार विधायकों से मुलाकात के बाद वसुंधरा राजे ने फोन पर बीजेपी हाईकमान से बात की है। इसके बाद उन्होंने कहा कि वो पार्टी की अनुशासित कार्यकर्ता हैं और पार्टी की लाइन से कभी बाहर नहीं जा सकती हैं

राजस्थान में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री का कोई चेहरा सामने नहीं आया है। माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार राजस्थान में इस बार नए चेहरे को बनने का मौका दे सकती है। इस बात के संकेत दिल्ली में बुधवार 6 दिसंबर को मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी दे दिए हैं। मीडिया से बात करते हुए शाह ने कहा कि तीनों राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सीएम को लेकर नाम फाइनल नहीं हुए है। लेकिन इसी सप्ताह सबकुछ तय हो जाएगा। इस दौरान जब मीडिया ने उनसे और कुछ जानने की कोशिश की तो शाह ने मुस्कुराते हुए यह कह दिया है कि 'चेंज होते रहना चाहिए'। अब उनके इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं।

रेवंत रेड्डी का राजतिलकःतेलंगाना में आज सीएम का शपथग्रहण, गांधी परिवार समेत ये नेता होंगे शामिल

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रेवंत रेड्डी आज यानी गुरुवार को तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बनेंगे। वह आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।रेवंत रेड्डी का शपथ ग्रहण समारोह हैदराबाद के एलबी स्टेडियम में दोपहर 1 बजे से आयोजित किया जाएगा।तेलंगाना में रेवंत रेड्डी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और दीपेंद्र एस हुड्डा हैदराबाद पहुंच रहे हैं। 

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी जीत मिली है। जीत के बाद पार्टी ने घोषणा की कि रेवंत रेड्डी तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बनेंगे। तेलंगाना राज्य गठन के बाद कांग्रेस पहली बार सत्ता में आई है। तेलंगाना कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी 10 साल से अधिक समय तक सत्ता पर काबिज रहे चंद्रशेखर राव की जगह लेंगे।

कितने नेता मंत्री पद की शपथ लेंगे?

रेवंत रेड्डी के साथ एलबी स्टेडियम में कितने नेता मंत्री पद की शपथ लेंगे और कौन-कौन विधायक शपथ लेंगे, इसकी अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई सूची नहीं आई है, लेकिन लगातार चार बार से विधायक बने रहे कांग्रेस के दलित चेहरा मल्लू भट्टी विक्रमार्क के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की संभावना है। इसके अलावा भी कई दूसरे नेताओं के नाम चर्चा में हैं, लेकिन देखना होगा कि रेवंत रेड्डी अपनी कैबिनेट में किसे-किसे जगह देते हैं।सूत्रों की मानें तो 8 से 9 मंत्रियों को सीएम के साथ शपथ दिलाई जा सकती है।

मंत्री के रेस में इन नेताओं के नाम

तेलंगाना में रेवंत रेड्डी की कैबिनेट में शामिल होने वाले नेताओं के नाम अभी भले ही सामने न आए हों, लेकिन कई दिग्गज नेता मंत्री बनने की रेस में हैं। उत्तम कुमार रेड्डी, डी. श्रीधर बाबू, पोन्नम प्रभाकर, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी, पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी, जी. विनोद और सीताक्का जैसे दिग्गज नेताओं के मंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। कांग्रेस के कम्मा विधायक तुम्मला नागेश्वर राव और पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी पूर्ववर्ती खम्मम जिले से प्रमुख दावेदार हैं। वाईएस राजशेखर रेड्डी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे दामोदर राजा नरसिम्हा भी कैबिनेट में एक अहम पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कहा जाता है कि संख्यात्मक रूप से मजबूत गौड़ समुदाय से आने वाले मुखर बीसी नेता पोन्नम प्रभाकर भी दौड़ में हैं।

तेलंगाना कैबिनेट में पहली बार हैदराबाद से नहीं होगा कोई मंत्री

रेवंत रेड्डी की अगुवाई में बनने वाल तेलंगाना की नई सरकार में पहली बार हैदराबाद से कोई भी प्रतिनिधि नहीं होगा। दरअसल, हैदराबाद के तहत 15 विधानसभा सीटें आती हैं और कांग्रेस ने इनमें से एक भी सीट नहीं जीती है। हैदराबाद की 15 सीटों में बीआरएस, एआईएमआईएम और बीजेपी ने जीत दर्ज की है।

नेहरू की गलतियों का कश्मीर ने कई सालों तक खामियाजा भुगता, संसद में बोले अमित शाह

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लोकसभा से जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी मिल गई। बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिए सहानूभूति जताई। उन्होंने कहा 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों हुए जुल्मों पर चर्चा की और विपक्षी दलों पर भी जमकर निशाना साधा। केंद्रीय गृहमंत्री ने लोकसभा में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा।

अमित शाह ने देश के पहले प्रधानमंत्री पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ने जवाहर लाल नेहरू की दो गलतियों की वजह से समस्याओं को झेला है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, जवाहर लाल नेहरू की पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। 

शाह का कहना था कि दूसरा ‘ब्लंडर’ संयुक्त राष्ट्र में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने का था। शाह ने कहा, मेरा मानना है कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाना चाहिए था, लेकिन अगर ले जाना था तो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 51 के तहत ले जाना चाहिए था, लेकिन चार्टर 35 के तहत ले जाया गया। उनके मुताबिक, नेहरू ने खुद माना था कि यह गलती थी, लेकिन मैं मानता हूं कि यह ब्लंडर था। इस बीच बीजू जनता दल के भर्तृहरि ने कहा कि इसके लिए ‘हिमालयन ब्लंडर (विशाल भूल)’ का प्रयोग किया जाता है और गृह मंत्री चाहे तो इसका भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

शाह ने आगे कहा कि यदि जवाहरलाल नेहरू ने सही कदम उठाए होते, तो पीओके हमारा हिस्सा होता। उन्होंने सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों का दर्द समझते हैं तथा एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने पिछड़ों के आंसू पोंछे हैं। अमित शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे और 2026 तक जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा।

*रवि बिश्नोई बने दुनिया के नंबर एक गेंदबाज, अफगानिस्तान के स्टार स्पिनर राशिद खान को पछाड़ कर हासिल किया मुकाम*

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टी-20 क्रिकेट में टीम इंडिया के नए सेंसेशन रवि बिश्नोई आईसीसी रैंकिंग में टॉप पर पहुंच गए हैं।उन्होंने इस दौरान अफगानिस्तान के स्टार स्पिनर राशिद खान को पीछे छोड़कर ये मुकाम हिसाल किया है। सिर्फ 23 साल की उम्र में रवि बिश्नोई ने ये मुकाम हासिल किया है। उन्होंने भारत के लिए 21 टी-20 मैच खेले हैं, जिसमें उनके नाम 34 विकेट हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई टी-20 सीरीज़ के बाद अब आईसीसी ने ताज़ा रैंकिंग जारी की है। 23 साल के रवि बिश्नोई जो इस सीरीज़ में स्टार रहे थे, उन्हें इस रैंकिंग में बंपर फायदा हुआ है।

बिश्नोई के खाते में अब 699 अंक

रवि बिश्नोई के खाते में अब 699 अंक हो गए हैं। वह राशिद खान (692) से 7 रेटिंग पॉइंट आगे निकल गए हैं। इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर श्रीलंका के वानिदु हसरंगा (679), चौछे नंबर पर आदिल रशिद (679) और पांचवें पायदान पर महीष तीक्षणा (677) हैं। यानी टी20 इंटरनेशनल गेंदबाजों की रैंकिंग्स में टॉप-5 स्थानों पर स्पिनर्स का कब्जा है।

5 पायदान की छलांग लगाई

रवि बिश्नोई इसके साथ ही जसप्रीत बुमराह के क्लब में शामिल हो गए हैं। बुमराह भी टी20 रैंकिंग में नंबर वन गेंदबाज रह चुके है। इस तरह टी20 में भारतीय खिलाड़ियों का जलवा है। गेंदबाजों की रैंकिंग में सूर्यकुमार यादव पहले नंबर पर बने हुए हैं। आईपीएल में लखनऊ सुपर जॉयंट्रस की ओर से खेलने वाले रवि बिश्नोई पिछले सप्ताह 5वें नंबर पर थे। उन्होंने 5 पायदान की छलांग लगाते हुए नंबर वन की कुर्सी हासिल की है।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैचों का इनाम

भारतीय क्रिकेट टीम के लेग स्पिनर रवि बिश्ननोई को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 मैचों की टी20 सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन का इनाम मिला है। रवि बिश्नोई को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल ही में संपन्न हुई पांच मैचों की टी20 सीरीज से जबरदस्त फायदा हुआ है। इस सीरीज में बिश्नोई ने धारदार गेंदबाजी करते हुए 5 मैचों में 9 विकेट चटकाए। खास बात यह कि इस सीरीज में जमकर हुई रनों की बरसात के बीच वह नियमित तौर पर विकेट निकालने में सफल रहे। इस प्रदर्शन के लिए वह 'प्लेयर ऑफ दी सीरीज' भी चुने गए।

iPhone के साथ Apple की बैटरी भी बनाएगा भारत, हरियाणा में प्लांट लगाने आ रही जापान की कंपनी, बढ़ेगा रोज़गार


भारत में अपने विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए Apple के क्यूपर्टिनो-आधारित तकनीकी दिग्गज अपने वैश्विक लिथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी निर्माता, TDK कॉर्पोरेशन को भारत में ला रहा है। सूत्रों ने बताया कि जापान की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक घटक और उपकरण निर्माता देश में असेंबल किए गए iPhones को पावर देने के लिए भारत में बैटरी के लिए सेल का निर्माण करेगी। निर्मित सेल की आपूर्ति ऐप्पल के ली-आयन बैटरी असेंबलर सनवोडा इलेक्ट्रॉनिक्स को की जाएगी, जो विभिन्न वैश्विक बाजारों से सेल आयात करता है।

TDK कॉरपोरेशन आईफोन बैटरी के लिए उक्त सेल के निर्माण के लिए हरियाणा के मानेसर में 180 एकड़ की सुविधा स्थापित करेगा। यह सुविधा चीन में Apple की अन्य मेगाफैक्ट्रीज़ के समान डिज़ाइन की होगी, जहाँ विनिर्माण संयंत्रों के साथ-साथ श्रमिकों के आवासीय क्वार्टर बनाए जाते हैं। उम्मीद है कि प्लांट अगले 12-18 महीनों के भीतर सेल का निर्माण शुरू कर देगा। अनुमान के मुताबिक, TDK मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट सहित अन्य में उपयोग की जाने वाली ली-आयन बैटरी कोशिकाओं के वैश्विक बाजार के 60% से अधिक को नियंत्रित करता है। जापानी कंपनी ने 2005 में हांगकांग स्थित एम्पेरेक्स टेक्नोलॉजी का अधिग्रहण करने के बाद ली-आयन बैटरी सेल बनाने के लिए एक इकाई की स्थापना की है।

रिपोर्ट के अनुसार, Apple के साथ अनुबंध के परिणामस्वरूप 8,000-10,000 प्रत्यक्ष नौकरियां और 25,000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हो सकती हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक्स पर एक पोस्ट में विकास की पुष्टि की है। उन्होंने लिखा है कि, 'TDK, Apple को सेल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता, बैटरी के लिए सेल बनाने के लिए मानेसर, हरियाणा में 180 एकड़ की सुविधा स्थापित कर रहा है।” iPhones में इस्तेमाल किया जाएगा।' 

यह घटनाक्रम कॉर्पोरेट अधिकारी और टीडीके कॉर्पोरेशन की नेतृत्व टीम के सदस्य फुमियो सशिदा के अक्टूबर के मध्य में भारत में होने के महीनों बाद आया है, जब उन्होंने सौदे पर चर्चा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी। वर्तमान में, Apple भारत में iPhones को असेंबल करने के लिए चीन से बैटरी सेल आयात करता है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक, भारत में डिवाइस निर्माता सेल आयात करने के लिए हर साल 25,500 करोड़ रुपये तक विदेशी मुद्रा का भुगतान करते हैं। जैसे, क्यूपर्टिनो-आधारित तकनीकी दिग्गज स्थानीय सेल विनिर्माण के माध्यम से iPhones के घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) को बढ़ाने में मूल्य देखता है। संदर्भ के लिए, ये सेल ली-आयन बैटरी की लागत का 70% हिस्सा हैं। जबकि iPhone पर ली-आयन बैटरी DVA का 4% हिस्सा है, सेल 3% हिस्सा है। वर्तमान में, भारत में असेंबल किए गए iPhone का कुल मूल्यवर्धन मॉडल के आधार पर 12% से 15% के बीच है।

यह विकास टाटा समूह द्वारा ताइवानी फर्म विस्ट्रॉन की iPhone विनिर्माण इकाई को 125 मिलियन डॉलर में खरीदने के कुछ सप्ताह बाद आया है। टाटा ने iPhone 14 को असेंबल करने के लिए विस्ट्रॉन के कर्नाटक प्लांट का अधिग्रहण किया, जिसमें लगभग 10,000 लोग कार्यरत हैं। नमक से सॉफ्टवेयर समूह अपनी तमिलनाडु इकाई की उत्पादन क्षमता का विस्तार करना चाहता है। चीन में COVID-19 महामारी प्रतिबंध और बीजिंग और वाशिंगटन के बीच बढ़ते तनाव के कारण अपनी आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बीच Apple ने 2021 में भारत में उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया।

तब से, भारत तेजी से ऐप्पल की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है, जो वैश्विक स्तर पर उत्पादित कुल आईफोन का लगभग 7% है। इसके अलावा भारत एप्पल के लिए भी एक महत्वपूर्ण बाजार है। हाल ही में, Apple के सीईओ टिम कुक ने अपने नवीनतम कमाई कॉल के दौरान भारत को एक 'रोमांचक बाजार' कहा। उन्होंने कहा कि, “हमारे पास भारत में सर्वकालिक राजस्व रिकॉर्ड था। हम दोहरे अंकों में बहुत मजबूत हुए। यह हमारे लिए अविश्वसनीय रूप से रोमांचक बाज़ार है और हमारा प्रमुख फोकस है। एक बड़े बाजार (भारत) में हमारी हिस्सेदारी कम है, और इसलिए ऐसा लगता है कि वहां बहुत अधिक गुंजाइश है।''

विश्व की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल हुईं निर्मला सीतारमण, Forbes ने जारी की लिस्ट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फोर्ब्स (Forbes) की दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में 32वें स्थान पर जगह पाई है, जिसमें अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और संगीतकार टेलर स्विफ्ट भी शामिल हैं। सूची में नामित तीन अन्य भारतीय महिलाएं HCL कॉर्पोरेशन की SEO रोशनी नादर मल्होत्रा (रैंक 60), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन सोमा मंडल (रैंक 70), और बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार-शॉ (रैंक 76) हैं।

यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन इस सूची में शीर्ष पर हैं, उनके बाद यूरोपीय सेंट्रल बैंक की बॉस क्रिस्टीन लेगार्ड दूसरे स्थान पर और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमल हैरिस तीसरे स्थान पर हैं। निर्मला सीतारमण मई 2019 में भारत की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री बनीं और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की भी प्रमुख हैं। फोर्ब्स ने कहा कि राजनीति में आने से पहले उन्होंने यूके के एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स एसोसिएशन और BBC वर्ल्ड सर्विस में भूमिकाएँ निभाईं। वह राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं।

मल्होत्रा HCL के संस्थापक और उद्योगपति शिव नादर की बेटी हैं। फोर्ब्स ने कहा कि एचसीएल टेक्नोलॉजीज की अध्यक्ष के रूप में, वह कंपनी के सभी रणनीतिक निर्णयों के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने जुलाई 2020 में अपने पिता से यह पद संभाला। फोर्ब्स के अनुसार, सुश्री मंडल सरकारी स्वामित्व वाली स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) की पहली महिला अध्यक्ष हैं। 2021 में भूमिका संभालने के बाद, उन्होंने स्टील निर्माता को वित्तीय वृद्धि दर्ज करने के लिए प्रेरित किया, जैसा कि उनके प्रोफ़ाइल में पढ़ा गया था, क्योंकि उनके नेतृत्व के पहले वर्ष में फर्म का मुनाफा तीन गुना बढ़ गया था।

फोर्ब्स ने बताया कि सुश्री मजूमदार-शॉ भारत की सबसे अमीर स्व-निर्मित महिलाओं में से एक हैं। उन्होंने 1978 में बायोफार्मास्युटिकल फर्म बायोकॉन की स्थापना की थी, जिसकी मलेशिया के जोहोर क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी इंसुलिन फैक्ट्री है।

“जिनकी 70 साल तक अनदेखी की गई, उन्हें मिलेगा न्याय”, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पर बोले अमित शाह

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मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर में कश्मीरियों को इंसाफ देने की पहल शुरू कर दी है। इसके लिए संसद में 2 विधेयक पेश किए हैं।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर जवाब दिया।विधेयक पर बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये बिल लोगों को न्याय दिलाने के लिए है। मैं जो विधेयक लेकर आया हूं, वह बिल 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने का बिल है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये बिल 70 सालों में जिनके साथ अन्नाय हुआ उनको आगे बढ़ाने का बिल है। जो लोग अपने ही देश में विस्तापित हुए ये बिल उनको सम्मान और नेतृत्व देने का है।सदन को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, कश्मीरी में जारी आतंकवाद की वजह से घाटी में 46631 परिवार विस्थापित हुए। ये बिल उनको अधिकार देने का है, प्रतिनिधित्व देने का है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि किसी ने इस बिल का विरोध नहीं किया। छह घंटे की चर्चा चली।

लोकसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा, विपक्षी दल पिछड़े वर्ग- पिछड़े वर्ग की रट लगाए रखते हैं लेकिन सच बात ये है कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने का काम कांग्रेस ने कभी नहीं किया बल्कि केवल मोदी सरकार ने किया. बैकवर्ड क्लास का सबसे बड़ा विरोध और उन्हें रोकने का काम किसी ने किया है तो वो कांग्रेस पार्टी ने किया है।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नाम के साथ सम्मान जुड़ा है, इसे वही लोग देख पाते हैं, जो अपने से पीछे रह गए लोगों की अंगुली पकड़ कर संवेदना के साथ उन्हें आगे बढ़ाना चाहते हैं। वो लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं। नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं।

“प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहती थीं सोनिया गांधी”, पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने अपनी किताब में किया दावा

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी नई किताब में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर कई रहस्योदघाटन किए हैं।शर्मिष्ठा मुखर्जी के मुताबिक उनके पिता प्रणब मुखर्जी राहुल गांधी को परिपक्व राजनेता नहीं मानते थे।शर्मिष्ठा ने अपनी किताब ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में अपने पिता के राजनीतिक सफर के साथ ही कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर किया है. उन्होंने बताया कि 2004 में पूर्ण बहुमत से केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई थी. इस दौरान उनके पिता का नाम भी पीएम पद की रेस में था लेकिन पिता को पहले ही एहसास हो चुका था कि सोनिया गांधी उन्हें पीएम नहीं बनाएंगी।शर्मिष्ठा मुखर्जी की पुस्तक में छपे अंश ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। 

शर्मिष्ठा की आने वाली किताब का नाम ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ है जिसमें उन्होंने पिता के साथ अपनी बातों को भी साझा किया है। पुस्तक में छपे अंश के मुताबिक, जब शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि नहीं, सोनिया गांधी मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगी। 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने वाली सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी और उन्हें गठबंधन सहयोगियों का पूरा समर्थन प्राप्त था। लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का दावा छोड़ दिया था, जिसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। 

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पुस्तक में लिखा, इस पद के लिए शीर्ष दावेदारों के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह और प्रणब के नामों पर चर्चा हो रही थी। मुझे कुछ दिनों तक बाबा से मिलने का मौका नहीं मिला क्योंकि वह बहुत व्यस्त थे, लेकिन मैंने उनसे फोन पर बात की। मैंने उनसे उत्साहित होकर पूछा कि क्या वह पीएम बनने जा रहे हैं। उनका दो टूक जवाब था, नहीं, वह मुझे पीएम नहीं बनाएंगी। वह मनमोहन सिंह होंगे। उन्होंने आगे कहा, लेकिन उन्हें जल्द इसकी घोषणा करनी चाहिए। यह अनिश्चितता देश के लिए अच्छी नहीं है।

किताब में पूर्व राष्ट्रपति और आजीवन कांग्रेसी की डायरी में लिखी बातों को भी आधार बनाया गया है। अपने निधन से ठीक एक महीने पहले 28 जुलाई 2020 को प्रणब मुखर्जी ने निजी नोट बुक में क्या लिखा इसका एक नमूना देखें, ‘कांग्रेस को गांधी-नेहरू परिवार के लिए संरक्षित खेल का मैदान बनाकर, कांग्रेस ने अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो दिया, जिसने देश की राजनीति को प्रभावित किया। आजादी के बाद अगर एक ही परिवार के 5 सदस्यों का कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 37 साल तक कब्जा रहा, तो यह लोकतंत्र के सबसे खराब रूप का प्रमाण है। परिवार आज संगठन को शक्ति प्रदान नहीं कर रहा है बल्कि उसकी ताकत को खत्म कर रहा है। 2004 के बाद से सोनिया गांधी और राहुल ने 2001-2003 में अर्जित आधार को आंशिक रूप से भी खो दिया है। वे बस किसी भी तरह अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने में रुचि रखते हैं।

इस किताब में राहुल और सोनिया गांधी पर तीखे हमले किए गए हैं। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखा, राहुल गांधी अक्सर राष्ट्रपति भवन में उनके पिता प्रणब मुखर्जी से मिलने जाया करते थे। एक बार प्रणब दा ने उन्हें सलाह दी कि वे देश के भावी नेता हैं। उन्हें सरकार चलाने के लिए कुछ अनुभव हासिल करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल हो जाने का सुझाव दिया लेकिन राहुल गांधी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में विशेष रूप से राहुल की आलोचना करते हुए उन्हें राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताया। 2013 में जब राहुल ने उस अध्यादेश को खारिज कर दिया था, जिसमें दोषी राजनेताओं को बचाने की मांग की गई थी, तब तक मुखर्जी राष्ट्रपति भवन चले गए थे। उस रात, प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में लिखा, ‘राहुल गांधी ने अजय माकन की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को हाईजैक कर लिया और कैबिनेट के फैसले को ‘बकवास’ बताया। यह पूरी तरह से अनावश्यक है। उनके पास कोई राजनीतिक कौशल नहीं बल्कि अपने गांधी-नेहरू वंश का पूरा अहंकार है।

पिछले 60 साल में सबसे शांत रहा 2022, दंगों पर NCRB ने जारी किए आंकड़े, यहां जानिए कहां बढ़े और कहां घटे

 पिछले 6 दशकों में, किसी भी कैलेंडर वर्ष में दंगों की कुल घटनाओं के मामले में 2022 देश के लिए सबसे शांतिपूर्ण वर्ष रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, इंदिरा गांधी के देश की प्रधानमंत्री बनने के बाद से 2022 तक, पिछले साल देश भर में सबसे कम दंगे दर्ज किए गए। साल 2022 में देशभर में दंगों की करीब 37,816 घटनाएं दर्ज की गईं थी।

पिछले पांच वर्षों में, दंगों की कुल घटनाएं साल-दर-साल आधार पर कम हो रही हैं। गौरतलब है कि इसी अवधि में इसमें 35% से अधिक की गिरावट आई है। उससे एक साल पहले दर्ज की गई घटनाओं की तुलना में 2022 में दंगे की घटनाओं में 9.5% की कमी आई थी। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में देश में दंगों की कुल 41,954 घटनाएं दर्ज की गईं थी। आश्चर्यजनक रूप से, NCRB डेटा से पता चलता है कि जहां भाजपा शासित राज्यों ने दंगों को कम करने और कानून व्यवस्था को मजबूत करने में अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं कांग्रेस शासित राज्य इसमें फिसड्डी साबित हुए हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्य पिछले पांच वर्षों में दंगों को कम करने में सफल रहे हैं। संयोग से, राज्य में निवर्तमान कांग्रेस सरकार के शासन में छत्तीसगढ़ में दंगों के मामले बढ़ गए थे।

उत्तर प्रदेश, गुजरात और असम ने पिछले पांच वर्षों में दंगों को कम करने में सबसे बड़ी सफलता हासिल की है। 2018 के मुकाबले 2022 में दंगों के मामलों का NCRB डेटा बताता है कि गुजरात और असम में दंगों की संख्या में क्रमशः 90% और 80% की कमी आई है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में दंगों को 50% तक कम करने में सफलता मिली है। इसके विपरीत, वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता संभालने के बाद कांग्रेस सरकार के तहत दंगों में इजाफा हुआ। वर्ष 2018 में, भूपेश बघेल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में दंगों की 665 घटनाएं दर्ज की गईं और वर्ष 2022 तक यह 30% बढ़कर 961 हो गईं। चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद, राज्य में अब सत्ता परिवर्तन देखने को मिलेगा क्योंकि भाजपा ने 54 सीटें हासिल कीं है, जबकि निवर्तमान सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने 35 सीटें जीतीं हैं।

गौरतलब है कि भाजपा शासित राज्यों में, जहां दंगे की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जमींदोज कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अपराधियों की संपत्ति लगातार जब्त की गई है और दंगाइयों की तस्वीरें जनता के बीच प्रदर्शित की गई हैं। देश में दंगों के मामलों का एक सांख्यिकीय विश्लेषण इस बात पर प्रकाश डालता है कि आजादी के बाद से देश में दंगों में लगातार वृद्धि हुई है। साल 1981 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तो यह आंकड़ा 1.10 लाख को पार कर गया था। देश में दंगों की घटनाओं में पहली तेज गिरावट पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में दर्ज की गई थी।

 UPA सरकार के दौरान देश में दंगों की घटनाएं एक बार फिर बढ़ गईं। 2014 में प्रधान मंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद से, देश में दंगों की संख्या लगातार कम हो रही है, जिससे हर नया साल देश का सबसे शांतिपूर्ण वर्ष बन गया है। 2013 में, कांग्रेस के शासन के आखिरी पूर्ण वर्ष में, देश में दंगों की संख्या 72,126 थी, जो पीएम मोदी के कार्यकाल में घटकर लगभग आधी रह गई है। इस प्रकार, नरेंद्र मोदी सरकार में देश में दंगों की घटनाओं में लगभग 48 प्रतिशत की कमी आई है।

केन्या भारत का भरोसेमंद साझेदार, हमारा साझा अतीत और भविष्य..', राष्ट्रपति विलियम समोई से मिलकर बोले पीएम मोदी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को कहा कि केन्या भारत का एक "भरोसेमंद और प्रतिबद्ध" विकास भागीदार है। उन्होंने कहा कि उन्होंने और केन्या के राष्ट्रपति विलियम समोई रुटो ने दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए कई नई पहलों की पहचान की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और केन्या ने पिछली शताब्दी में उपनिवेशवाद का विरोध किया था और वे ऐसे देश हैं जिनका साझा "अतीत और भविष्य" है।

पीएम मोदी ने कहा कि, 'हमने (भारत-केन्या) साथ मिलकर पिछली सदी में उपनिवेशवाद का विरोध किया था। भारत और केन्या ऐसे देश हैं जिनका अतीत और भविष्य साझा है। प्रगतिशील भविष्य की नींव रखते हुए, हमने हर क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया और कई नए क्षेत्रों की पहचान की पहल की है। भारत और केन्या के बीच व्यापार और निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है। अपने आर्थिक सहयोग की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए, हम नए अवसरों की तलाश जारी रखेंगे। भारत के लिए, केन्या एक भरोसेमंद और प्रतिबद्ध विकास भागीदार रहा है।''

पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीकी देश केन्या के कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए 250 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन की घोषणा की। उन्होंने कहा है कि दोनों देश अपने अनुभव साझा करते हैं, क्योंकि वे एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था हैं। पीएम मोदी ने कहा कि, 'आधुनिक समय की जरूरतों के अनुसार, हम नवाचार में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना सहयोग बढ़ा रहे हैं। डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में, हम केन्या के साथ भारत की उपलब्धियों को साझा करने के लिए तैयार हैं...स्वच्छ ऊर्जा दोनों देशों की मुख्य प्राथमिकता है।' 

प्रधानमंत्री मोदी ने केन्या की अफ्रीका जलवायु शिखर सम्मेलन की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि, "मुझे खुशी है कि केन्या ने ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस और इंटरनेशनल सोलर अलायंस में शामिल होने का फैसला किया है। केन्या के इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस में शामिल होने के फैसले से, हम बड़ी बिल्लियों को बचाने के लिए वैश्विक प्रयास करने में सक्षम होंगे।" पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश भारत-केन्या आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए नए अवसर तलाशते रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि, "भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत और केन्या के बीच घनिष्ठ सहयोग आम प्रयासों को आगे बढ़ाएगा।"

प्रेस को संबोधित करते हुए, केन्या के राष्ट्रपति विलियम सामोई रुतो ने पीएम नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनकी प्रतिबद्धता थी, अफ्रीकी संघ अब G20 का सदस्य है। "हमने उन सभी मुद्दों पर व्यापक बातचीत और जुड़ाव किया है जो हमारे दोनों देशों के बीच पारस्परिक महत्व और महत्व के हैं। मैंने G20 की सफलतापूर्वक मेजबानी करने और अफ्रीकी लोगों के हितों का सफलतापूर्वक समर्थन करने के लिए पीएम मोदी को बधाई दी है। आज, पीएम मोदी के कारण सगाई, अफ्रीकी संघ अब G20 का सदस्य है।" 

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है और उनकी यात्रा के साथ, उन्होंने उस रिश्ते को मजबूत किया है और अपनी सरकारों के बीच जुड़ाव का दायरा बढ़ाया है। वहीं केन्या के राष्ट्रपति ने कहा कि, "हमने चर्चा की है कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण बैंक हमारे कृषि वित्त निगम के साथ किसानों को ऋण की सहायता देने के क्षेत्र में कैसे काम करेगा ताकि हम खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपट सकें। विशेष रूप से केन्या गणतंत्र में भोजन उगाना।"

 राष्ट्रपति रुतो ने कहा कि, मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं। हमारा शानदार स्वागत हुआ। हमने आपसी महत्व और महत्त्व की व्यापक बातचीत की है।'