राष्ट्रकवि दिनकर के गांव का हाल-बेहाल, किए गए कई वायदे, एक भी नही हुआ पूरा
बेगूसराय : सिमरिया आम गांव नहीं है, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि है। गंगा किनारे बसे इस गांव की हवा में ही आत्मसम्मान का भाव है। जीवंतता और जिद के साथ अपने पूर्वजों की स्मृतियों को सहेजने की भूख भी है। गांव की गलियों से गुजरने पर घरों की दीवारों पर दिनकर की कविताएं लिखी दिख जाएंगी। भारतीय जनमानस के दिलों के साथ-साथ सिमरिया के लोगों के दिलों और दीवारों पर दिनकर आज भी जीवंत हैं, लेकिन हुक्मरानाें के सिर्फ जुबानों पर सिमटकर रह गए हैं राष्ट्रकवि।
1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे सिमरिया आए थे, लेकिन उसके बाद 35 साल में फिर किसी सीएम ने इसकी सुधि नहीं ली। गांव को राष्ट्रीय धरोहर और विलियम शेक्सपियर के गांव की तरह विकसित करने का भी वादा किया गया था। सिर्फ वादा-वादा ही रहा।
यहां आदर्श ग्राम के बोर्ड तो लगे हैं, पर सुविधा के नाम पर सबने छला है। जो कुछ सुविधाएं यहां हैं, वो ग्रामीणों के बलबूते। चाहे दिनकर पुस्तकालय, चाहे उनकी थाती की देखरेख की बात हो। यह सुनकर बड़ी अनहोनी लगती है कि दिनकर के गांव में स्थित प्लस टू स्कूल के बच्चे पिछले 10 सालों से शिक्षक की कमी के कारण बिना पढ़े ही इंटरमीडिएट पास कर रहे हैं। 1974 में लोगों के जन सहयोग से स्थापित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर उच्च विद्यालय में केवल संगीत शिक्षिका कविता कुमारी कार्यरत हैं।
गांव के विकास को लेकर कब-कब क्या-क्या घोषणाएं हुईं
1.1988 में बिहार के तत्कालीन सीएम बिंदेश्वरी दूबे ने दिनकर जयंती के मौके पर सिमरिया को आदर्श ग्राम बनाने की घोषणा की, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ
2. 2006 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ सीपी ठाकुर ने सिमरिया को शेक्सपियर के गांव जैसा बनाने का वादा किया। कोरा आश्वासन साबित हुआ।
3. 2008 में तत्कालीन सूचना एवं प्राद्यौगिकी मंत्री अर्जुन राय ने दिनकर पर डॉक्यूमेंट्री बनाने, इंटरनेट की सुविधा दिलाने की घोषणा की। कुछ नहीं हुआ।
4. 2008 में ही तत्कालीन शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल और मंत्री रामाश्रय सिंह सिमरिया आए। शिक्षा मंत्री श्री पटेल ने दिनकर स्मारक उच्च विद्यालय सिमरिया को प्लस टू बनाने की घोषणा की एवं 2012 में प्लस टू बना।
5. 2013 में तत्कालीन पीएचईडी मंत्री अश्विनी चौबे ने सिमरिया में शुद्ध पेयजलापूर्ति एक महीने में देने का वादा किया था। अब तक शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो सका।
6. 2014 में तत्कालीन सांसद डॉ भोला सिंह ने ग्राम विकास योजना के तहत इसे गोद लिया, पर कुछ भी नहीं हुआ। 7.2017 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पीके शाही ने हाई स्कूल को मॉडल स्कूल बनाने की घोषणा की पर कुछ नहीं हुआ। 8. 2022 में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने प्लस टू स्कूल में शिक्षक देने की बात की, पर अबतक नहीं मिला।
3 करोड़ देने का वादा, मिले तीन रुपए भी नहीं
दिनकर स्मृति विकास समिति के वरीय सदस्य राजेश कुमार सिंह ने बताया कि 2014 में तत्कालीन सांसद डाॅ भोला सिंह ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत सिमरिया को गोद लिया था। विकास के लिए तीन करोड़ देने की घोषणा की थी, लेकिन तीन रुपए भी नहीं मिले। समिति के कोषाध्यक्ष रामनाथ सिंह ने कहा कि आज दिनकर की स्मृति से जुड़ी हुई स्मारकें विलुप्त होती जा रही हैं। एक दालान बचा है। वह भी ध्वस्त होने के कगार पर है।
दिनकर स्मृति विकास समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार शर्मा का कहना है कि सिमरिया के विकास को लेकर समिति मंच पर आए राजनेताओं से मांग पत्र सौंपना वर्षों पहले छोड़ चुका है। वजह अब तक राजनेताओं ने सिमरिया को छलने का काम किया है।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Nov 02 2023, 10:00