अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन का हुआ लोकार्पण
गया : अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में चल रहे ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के दौरान गैर सरकारी संगठन प्रयास जुवेनाइल ऐड सेंटर ने गया जिले के बोधगया प्रखंड के शेखवारा एवं अन्य कई जगहों में भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन :टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’का लोकार्पण किया।
प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा की लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के प्रखर अधिवक्ता भुवन ऋभु महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के सलाहकार भी हैं। इस अभियान का लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह का पूरी तरह खात्मा और इस तरह हर साल 15 लाख बच्चियों को बाल विवाह से बचाना है। अभियान खास तौर से देश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा सरकारी नीतियों और
कानूनों के क्रियान्वयन पर है केंद्रित
इस किताब का लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बोधगया बाल विकास परियोजना अधिकारी श्रीमती जय श्री दास ने किया। इस मौके पर शेखवारा पंचायत के मुखिया श्रीमती रूबी देवी, मध्य विद्यालय के शिक्षकगण, संस्था के जिला प्रभारी देवेन्द्र मिश्रा, कार्यकर्त्ता गौतम परमार, मोनिका कुमारी, अजीत कुमार, ओमप्रकाश कुमार के अलावा अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथी ने कहा कि बाल विवाह कि चुनौती का सामना करने के रास्ते में उल्लेखनीय प्रगति हुई है लेकिन बहुत कुछ बाकी है क्योंकि देश अभी उस टिपिंग प्वाइंट यानी उस बिंदु पर नहीं पहुंच पाया है जहां छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.3 प्रतिशत है और यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर पिछले दस साल से हुई प्रगति जारी रही तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। यह एक परेशान करने वाला आंकड़ा है और इसका मतलब है कि 2023 से लेकर 2050 के बीच सात पीढ़ियों तक बाल विवाह का दंश बच्चों से उनका बचपन छीनता रहेगा।
‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ सुझाती है कि 2030 तक राष्ट्रीय बाल विवाह दर को 5.5 प्रतिशत तक लाना संभव है- ये संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी। भुवन ऋभु अपनी किताब में लिखते हैं, “जरूरत है बस समस्या की गंभीरता को समझते हुए दृढ़ संकल्प के साथ यह कहने की कि, ‘अब और नहीं। पैदा होते ही मां को खो देने, बेचे जाने, बलात्कार का शिकार होने का मतलब एक बच्चे का बार-बार मरना है।
गैर सरकारी संगठन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन देश के कोने-कोने के 288 जिलों में कार्यरत 160 संगठनों के साथ मिल कर स्थानीय और जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहा है। ये सभी संगठन 16 अक्तूबर 2023 बाल विवाह मुक्त भारत दिवस की तैयारियों में जुटे हैं। इस दिन देश के हजारों गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, बाल विवाह के खिलाफ प्रतिज्ञाओं, कार्यशालाओं, मशाल जुलूस और तमाम अन्य गतिविधियों के माध्यम से संदेश दिया जाएगा कि बाल विवाह हर हाल में खत्म होना चाहिए। गया जिले के 5 प्रखंड के 150 गांव में संस्था द्वारा जन जन तक बाल विवाह से होने वाले हानि से अवगत कराया जा रहा है।
गया से मनीष कुमार
Oct 11 2023, 19:24