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आप सांसद संजय सिंह गिरफ्तार, शराब घोटाला मामले में 10 घंटे की पूछताछ के बाद ईडी की कार्रवाई

#edarrestedaapmpsanjay_singh

शराब घोटाले में पूछताछ के बाद ईडी ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार सुबह से ही संजय सिंह के आवास पर ईडी की छापेमारी चल रही थी। दोपहर के बाद ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार लिया। करीब 10 घंटे पूछताछ के बाद ईडी ने यह कार्रवाई की है। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शराब घोटाले मामले में पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं। 

ईडी का क्या है आरोप?

दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने आज तड़के छापेमारी शुरू की थी। ईडी ने इस मामले में पहले उनके स्टाफ सदस्यों और उनसे जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ की थी। ईडी ने अपने आरोप पत्र में दिल्ली स्थित व्यवसायी दिनेश अरोड़ा का उल्लेख किया है, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी के रूप में नामित किया गया था। दिनेश अरोड़ा ने सरकारी गवाह बनने की सहमति जताई है। आरोप है कि अरोड़ा ने संजय सिंह की मौजूदगी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनके आवास पर बैठक की। अरोड़ा ने कहा कि एक कार्यक्रम के दौरान उनकी संजय सिंह से मुलाकात हुई थी। संजय सिंह से मुलाकात के बाद वह दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के भी संपर्क में आए। यह कार्यक्रम दिल्ली चुनाव से पहले धन जुटाने के लिए आयोजित किया गया था।

सीएम केजरीवाल ने भाजपा पर कसा तंज

शराब नीति मामले में ईडी की कार्रवाई पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके घर पर कुछ भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि साल 2024 के चुनाव आ रहे हैं। वे जानते हैं कि वे हार जाएंगे। ये उनके हताश प्रयास हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे। ईडी, सीबीआई जैसी सभी एजेंसियां एक्टिंग हो जाएंगी। 

आप के कई नेता जांच एजेंसियों के रडार पर

इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के कई नेता जांच एजेंसियों के रडार पर आए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल मई में आप सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को अरेस्ट किया था। हालांकि अब कोर्ट से उन्हें बीमारी के चलते अंतरिम जमानत मिल गई। इसी साल फरवरी में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति में घोटाले के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। शराब घोटाले में ही बाद में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने अरेस्ट किया था। फिलहाल मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल साल नवंबर 2021 में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-2022 लागू की की थी। इस नीति के आने के बाद राज्य के कारोबारियों ने ग्राहकों को डिस्काउंटेड रेट पर शराब बेचना शुरू किया था।बाद में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई आबकारी नीति पर सरकार से रिपोर्ट मांगी। जब एलजी को मुख्य सचिव ने रिपोर्ट सौंपी गई तो उसमें नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया। दिल्ली सरकार पर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाकर रिश्वत लेने के भी आरोप लगे।

इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई शराब नीति में अनियमितओं को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की।जांच के बाद सीबीआई ने नई आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया और सिसोदिया को मुख्य आरोपी बनाया। बाद में सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में बाद में ईडी ने भी सिसोदिया को अरेस्ट कर लिया। जांच के बीच ही दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस ले लिया।

केमेस्ट्री के नोबेल पुरस्कार का ऐलान, जानें किन्हें और क्यों चुना गया

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केमिस्ट्री (रसायन विज्ञान) में इस साल (2023) के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने रसायन विज्ञान में 2023 का नोबेल पुरस्कार मौंगी जी. बावेंडी, लुईस ई. ब्रूस और एलेक्सी आई. एकिमोव को देने का फैसला किया है। इन लोगों को यह पुरस्कार क्वांटम डॉट्स की खोज और संश्लेषण के लिए के लिए दिया गया है।

रसायन विज्ञान में 2023 का नोबेल पुरस्कार विजेता सभी नैनोवर्ल्ड की खोज में अग्रणी रहे हैं। नैनोटेक्नोलॉजी के ये सबसे छोटे घटक अब टेलीविजन और एलईडी लैंप से अपनी रोशनी फैलाते हैं, और कई अन्य चीजों के अलावा ट्यूमर सेल्स को हटाते समय सर्जनों का मार्गदर्शन भी कर सकते हैं।रसायन विज्ञान 2023 में नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने इतने छोटे कण बनाने में सफलता हासिल की है कि उनके गुण क्वांटम घटना से निर्धारित होते हैं। कण, जिन्हें क्वांटम डॉट्स कहा जाता है, अब नैनोटेक्नोलॉजी में बहुत महत्व रखते हैं।

पिछले साल इन्हें मिला था रसायन का नोबेल

2022 में रसायन के नोबेल स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका के कैरोलिन बेरटोजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन (डेनमार्क) के मॉर्टेन मिएलडॉल और अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च सेंटर के के. बैरी शार्पलेस को दिया गया था। पुरस्कार क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास के लिए दिया गया था।

नोबेल पुरस्कार विजेताओं को क्या मिलता है?

नोबेल पुरस्कार जीतने वाले विजेताओं को एक डिप्लोमा, एक मेडल और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोना ( आज के करीब 75764727 रुपये) की नकद राशि प्रदान की जाती है। एक श्रेणी में विजेता अगर एक से ज्यादा हों तो पुरस्कार की राशि उनमें बंट जाती है। ये पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि यानी 10 दिसंबर को विजेताओं को सौंपे जाते हैं।

चुनाव से पहले देश की करीब 10 करोड़ महिलाओं को मोदी सरकार का तोहफा, उज्ज्वला योजना वाले सिलेंडर पर बढ़ी सब्सिडी

#pm_ujjwala_yojana_central_government_increased_subsidy 

इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने देश के करीब 10 करोड़ महिलाओं को बड़ा तोहफा दिया है। केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी को डेढ़ गुणा बढा़ दी है। अब उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 200 रुपये प्रति सिलेंडर के बदले 300 रुप की सब्सिडी मिलेगी।केंद्र सरकार के कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए सब्सिडी राशि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीटिंग के बाद प्रेस कॉनफ्रेंस कर कहा, पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई। हमने रक्षा बंधन और ओणम के अवसर पर रसोई गैस के सिलेंडर में 200 रुपये की कटौती करके की थी। ये कीमत घटकर 1100 से कम होकर 900 रुपये हो गई। उज्जवला योजना के लाभार्थी के 700 रुपये में गैस मिलने लगा था। उज्जवला योजना के लाभार्थी की बहनों की अब 300 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। यानि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को अब गैस सिलेंडर 600 रुपये में मिलेंगे।

बता दें कि अब तक सरकार उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को गैस सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी दे रही थी। अब इसे 100 रुपये और बढ़ा दिया गया है। इसके साथ नई सब्सिडी कुल 300 रुपये की हो गई है।इस तरह से अब सिलेंडर की कीमत 603 रुपये हो गई है। 

बता दें कि उज्ज्वला योजना की शुरुआत मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। येाजना के लाभार्थियों को पहली बार में गैस सिलेंडर और गैस चूल्हा फ्री में दिया जाता है।

राजस्थान में वसुंधरा को “साइडलाइन” करना बीजेपी के लिए कितना जोखिम भरा?

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भारतीय जनता पार्टी को 2003 में ऐतिहासिक जीत दिलाने के बाद से वसुंधरा राजे ने राजस्थान की राजनीति में हमेशा केंद्रीय भूमिका निभाई है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले बीजेपी के दो महत्वपूर्ण चुनाव पैनलों से राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री की एकदम से गैरहाजिरी ने चौतरफा चर्चाओं को जन्म दे दिया है।चर्चाएं तो पहले से तेज़ थीं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दो जनसभाओं में मानो उन पर मुहर लगा दी। वह जिस खुली जीप पर सवार होकर आए, उनके साथ सिर्फ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी थे, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश की प्रभावशाली नेता वसुंधरा राजे नहीं थीं।मंच पर प्रदेश भाजपा की कई महिला नेताएं भी मौजूद थी, लेकिन राजे नहीं।

राजस्थान में विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अभी तक जो संकेत दिए हैं उससे यही लगता है कि राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे किनारे लगाई जा चुकी हैं।इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारे कयासों को दरकिनार करते हुए सोमवार को चित्तौड़गढ़ के सांवरियासेठ में हुई सभा में साफ़ कहा, इस विधानसभा चुनाव में सिर्फ़ एक ही चेहरा है और वह कमल, हमारा उम्मीदवार सिर्फ़ कमल है, इसलिए एकजुटता के साथ कमल को जिताने के लिए भाजपा कार्यकर्ता काम करें।

तकरीबन दो दशकों तक प्रदेश बीजेपी को एक अकेली महिला के पावर हाउस की तरह चलाया, लेकिन 2018 की चुनावी हार के बाद उनके सितारे गर्दिश में आए तो बीजेपी आलाकमान ने भी उन्हें दरकिनार कर दिया। न तो उनको अब संगठन में तवज्जो मिल रही है, न ही पीएम मोदी की रैली में मंच पर। प्रदेश के इस मौजूदा राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अब कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं, भाजपा ने राज्य में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं बनाया है? इसके पीछे क्या वजह है? वसुंधरा राजे की उपेक्षा क्यों हो रही है? क्या ये स्थिति भाजपा के पक्ष में जाएगी? क्या इस स्थिति का भाजपा को नुक़सान हो सकता है?

वसुंधरा को ही राजस्थान बीजेपी में सबसे लोकप्रिय नेता माना जाता है। पार्टी के लिए उनको साइडलाइन करना इतना आसान नहीं है। वंसुधरा राजे को किनारे करना बीजेपी के लिए कितना जोखिम भरा हो सकता है, ये इन पांच कारणों से आसानी से समझा जा सकता हैः-

गहरा सकता है हार जीत का मामूली अंतर

राजस्थान में जीत और हार का अंतर कम रहता है। कांग्रेस भी लगातार पहले अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पिस रही थी। लेकिन अब ये खबरें नहीं सुनने को मिल रही हैं। बीजेपी ने कोई सीएम फेस नहीं किया है। कांग्रेस अपनी नीतियों के सहारे पार पाने की कोशिश कर रही है। लेकिन पिछले चुनाव पर नजर डालें, तो 30 ऐसी सीटें थी, जो सिर्फ 5 फीसदी के कम अंतर से बीजेपी हार गई थी। वहीं, 2003 और 08 में लगभग 42 फीसदी सीटें ऐसी थीं, जिन पर हार जीत का अंतर मामूली रहा था। अगर बीजेपी वसुंधरा को साइडलाइन करती है, तो यहां पार्टी को उनकी कमी खल सकती है। वोट छिटक सकता है।

महिला प्रवासी वोटों पर हो सकती है असर

पिछली बार कांग्रेस जीती जरूर, लेकिन जीत का अंतर बीजेपी की तुलना में 0.5 फीसदी वोट ज्यादा था। इस बार बीजेपी का फोकस महिला प्रवासी वोटों पर है। यानी इनकी आबादी 5 फीसदी है। बीजेपी की सोच है कि जो नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई इससे हो जाएगी। इन महिलाओं में वसुंधरा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। अगर वसुंधरा राजे को तवज्जो नहीं मिलती, तो कहीं न कहीं नुकसान बीजेपी को हो सकता है।

वसुंधरा की अनदेखी से छिटक सकती है महिला वोटर

बीजेपी को महिलाओं का वोट खूब मिलता है। इसका कारण मानी जाती हैं वसुंधरा राजे, जिन्होंने महिलाओं के लिए सीएम रहते काम किए थे। उनका रक्षा सूत्र कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हुआ था। फिलहाल बीजेपी की कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जो हार हुई है, उसका कारण महिला वोटरों का छिटकना माना जा रहा है। राजस्थान में महिलाओं के वोट पुरुषों के मुकाबले बीजेपी के खाते में जाते रहे हैं। 2013 और 18 के आंकड़े कुछ ऐसा ही दिखाते हैं। कांग्रेस पर बीजेपी महिला विरोधी होने के आरोप लगाती रही हैं। अगर वसुंधरा की अनदेखी होती है, तो माइलेज कांग्रेस को मिल सकती है।

एक साथ तीनों जातियों को साधतीं हैं वसुंधरा

वसुंधरा खुद को राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गुर्जरों की समधन कह तीनों जातियों को साधती रही हैं। उनके बेटे ने गुर्जर जाति में विवाह किया है। जिनकी समधन होने की बात कहती हैं। गुर्जरों के वोट अधिकतर बीजेपी और प्रतिस्पर्धा में मीणा के वोट कांग्रेस को जाते रहे हैं। वसुंधरा गुर्जरों से रोटी-बेटी का रिश्ता बता पार्टी के लिए वोट जुटाती रही हैं। अगर वसुंधरा नाराज होती हैं, तो ये वोट कांग्रेस को जा सकते हैं। वहीं, कांग्रेस में गुर्जर नेता सचिन पायलट भी लगातार कांग्रेस के लिए जोर लगा रहे हैं। ऐसे में उनको फायदा मिल सकता है। वहीं, मीणा की अगर बात करें, तो ये लगभग 50 सीटों पर निर्णायक हैं। वसुंधरा खुद जाट जाति में विवाहित हैं। जाट जागीरदारी प्रथा खत्म करने और भू अधिकार मिलने के बाद से कांग्रेस के वोटर माने जाते हैं। जाट लगभग 15 फीसदी विधायक तय करते हैं। 60 सीटों पर निर्णायक की भूमिका में हैं। लेकिन वाजपेयी सरकार में इनको ओबीसी में शामिल किया गया था। 1998 में कांग्रेस ने भी जाट नेता को सीएम नहीं चुना। माना जा रहा है कि इसके बाद से ये लोग वसुंधरा के पीछे वोट देने लगे हैं। वसुंधरा की नाराजगी का कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।

वसुंधरा का 20 से 25 सीटों पर सीधा असर

वसुंधरा राजे का संगठन पर तगड़ा प्रभाव है। हर सीट पर उनके वोटर हैं। वे बीजेपी की लाइन से हटकर भी प्रदेश का दौरा समय-समय पर करती रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि वसुंधरा लगभग 20 से 25 सीटों पर सीधे तौर पर पार्टी को फायदा या नुकसान पहुंचा सकती हैं। उनके इशारे पर पार्टी के खिलाफ समर्थक चुनाव लड़ सकते हैं। जिससे बीजेपी का वोट बंट सकता है और फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। ऐसे में वसुंधरा को पार्टी पूरी तरह से अलग-थलग करना भाजपा के लिए घातक साबित हो सकता है।

साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा 14 को, रात्रि में 08 बजकर 34 मिनट पर शुरू और रात्रि 02 : 25 मिनट पर पूर्ण।

इस बार का सूर्य ग्रहण होगा वलयाकार, नहीं दिखेगा भारत में, इसी दिन पितृ अमावस्या भी 

साल 2023 में पहला सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लग चुका है। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर यानी शनिवार को लगने जा रहा है। इस दिन सर्व पितृ अमावस्या भी है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं में गिना जाता है और यह आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा। चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। 14 अक्टूबर को दूसरा सूर्य ग्रहण रात 08 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और रात 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। संबंधित ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा।

  

साल का दूसरा सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका के क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड , ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना , कोलंबिया , क्यूबा, बारबाडोस, पेरु , उरुग्वे , एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका , हैती , पराग्वे , ब्राजील , डोमिनिका , बहामास आदि जगहों पर दिखाई देगा।

 

सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल में पूजा - पाठ की मनाही होती है। इस अवधि में भगवान की मूर्तियों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। लेकिन सूतक काल केवल तभी मान्य होता है , जब सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान हो। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा यानी भारत में सूतक काल नहीं लगेगा।

चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। वहीं चंद्रमा जब धरती से काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है तो इसे वलयाकार या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता है और धरती से देखने पर सूर्य का बाहरी हिस्सा किसी कंगन की तरह चमकता हुआ दिखाई देता है।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यदि सूर्य ग्रहण दर्शनीय ना हो तब भी इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है। इस दौरान कुछ राशियों को सर्वाधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह राशियां हैं- मेष , कर्क , तुला और मकर। इन राशियों के लोगों को सूर्य ग्रहण की अवधि में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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सिक्किम में ल्होनक झील पर अचानक फटा बादल और बाढ़ में 15 से 20 फीट तक ऊंची लहरें देर तक मचाती रही तबाही, फोटो में देखिए यह भयावह मंजर
सिक्किम में ल्होनक झील पर अचानक फटा बादल और बाढ़ में 15 से 20 फीट तक ऊंची लहरें देर तक मचाती रही तबाही, फोटो में देखिए यह भयावह मंजर


उत्तरी सिक्किम की साउथ ल्होनक झील में मंगलवार देर रात बादल फटने से तिस्ता नदी में भयानक उफान आया। 15 से 20 फीट ऊंची लहर चली और किनारे तबाही मचाती रही। सिक्कम के तीन जिलों मंगन , गंगटोक और पाक्योंग में तिस्ता के किनारे सड़कें और पुल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सेना के 23 जवान लापता हैं। दो नागरिकों की मौत की खबर आई है। घायलों और मरने वालों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

राज्य के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने स्थिति का जायजा लिया है। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ देर रात करीब डेढ़ बजे शुरू हुई।

  

 गुवाहाटी के रक्षा पीआरओ ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर अचानक बादल फटने से लाचेन घाटी के तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई। घाटी में सेना के जवान प्रभावित हुए हैं। 23 जवान के लापता होने की सूचना है और जवानों के कुछ वाहनों के कीचड़ में डूबने की खबर है। तलाशी अभियान अभी जारी है। 

रक्षा पीआरओ ने बताया कि यह घटना चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण नीचे की ओर 15 - 20 फीट की ऊंचाई तक जल स्तर अचानक बढ़ गया। इसके कारण सिंगतम के पास बारदांग में खड़े सेना के वाहन प्रभावित हो रहे हैं। 

भारतीय सेना की ओर से बताया गया है कि सिंगतम और रंगपो के बीच बरदांग छावनी से 23 जवान और अधिकारी लापता हैं। उनकी तलाश की जा रही है। बरदांग में बड़ी संख्या में सेना के वाहन खड़े थे। उनमें से कई वाहन बह गए हैं। मिल्ली में राष्ट्रीय राजमार्ग 10 का एक हिस्सा बह गया। कई सड़कें बंद है। सिरवानी में जल विद्युत परियोजना के अधिकारियों और कर्मचारियों के लापता होने की भी खबर है। सिक्किम सरकार के मंत्री और अधिकारी इलाके में राहत एवं बचाव कार्य के लिए पहुंचे हैं।

जानकार बताते हैं कि देर रात में अचानक बाढ़ आने की वजह से लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला। मरने वालों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। राष्ट्रीय राजमार्ग समेत कई सड़कों के टूट जाने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य ठीक से नहीं चल पा रहा। सिलीगुड़ी से भी एनडीआरएफ की टीम रवाना हो रही हैं।

 

उल्लेखनीय है कि तिस्ता नदी सिक्किम से बहते हुए बंगाल के दार्जिलिंग - जलपाईगुड़ी तक आती है। बाढ़ की आशंका को देखते हुए जलपाईगुड़ी में नदी के किनारे वाले इलाके से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है। स्थिति भयावह बनी हुई है। दह गए जवानों के घर में सन्नाटा पसर गया है।

बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों के बाद रोहिणी आयोग के रिपोर्ट की सुगबुगाहट शुरू, जानें बीजेपी के लिए कैसे साबित हो सकता है मजबूत “हथियार”?

#modi_government_now_present_the_rohini_commission 

बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसके बाद से ही देशभर में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।बिहार में जाति सर्वेक्षण के आंकडे आने के साथ ही रोहिणी आयोग की रिपोर्ट लागू करने की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि भाजपा इसका उपयोग विपक्ष के 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' के नरेटिव का मुकाबला करने के लिए कर सकती है।यानी बिहार सरकार के जातीय जनगणना के जवाब में मोदी सरकार रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर इसे लागू कर सकती है। 

क्या है रोहिणी आयोग?

सबसे पहले जानते हैं रोहिणी आयोग क्या है ? दरअसल केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2017 में जस्टिस जी रोहिणी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय आयोग का गठन किया था। आयोग को इस बात का पता लगाना था कि 27 प्रतिशत मंडल आरक्षण का लाभ सभी पिछड़ी जातियों को समरूप ढंग से मिल रहा है या नहीं। न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाले आयोग ने 11 अक्टूबर 2017 को काम शुरू कर दिया था। तब से ओबीसी का उप-श्रेणीकरण करने वाले सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों के साथ चर्चा की गई। आयोग ने अपने कार्यकाल को 31 जुलाई, 2020 तक बढ़ाने की मांग की थी। हालांकि, कोविड-19 महामारी के चलते देश भर में लागू लॉकडाउन और यात्रा पर बंदिशों के चलते आयोग उसे मिले काम को पूरा करने में नाकाम रहा। इसलिए, आयोग के कार्यकाल में 14 बार विस्तार किया गया। अंततः रोहिणी आयोग ने 31 जुलाई 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। हालांकि, रिपोर्ट में सामने आए सुधारों और सिफारिशों को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। 

क्या कहती है रोहिणी आयोग की रिपोर्ट?

मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है कि जांच के बाद आयोग ने यह पाया कि केंद्रीय सूची में शामिल 2633 पिछड़ी जातियों में से करीब 1000 जातियों को आज तक मंडल आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला। आरक्षण का अधिक लाभ मजबूत पिछड़ी जातियों को ही मिलता रहा है। आयोग ने यह भी पाया कि जॉब्स और प्रवेश में से 24.95 प्रतिशत हिस्सा केवल 10 प्रतिशत लोगों को मिला और 983 जातियों का नौकरियों और प्रवेश में प्रतिनिधित्व शून्य रहा। अध्ययन का एक हिस्सा यह भी कहता है कि नौकरियों और प्रवेश में 994 ओबीसी उपजातियों का कुल प्रतिनिधित्व केवल 2.68 प्रतिशत ही है। वैसे भी 27 में से कुल मिलाकर सिर्फ 19 प्रतिशत सीटें ही अभी भर पाती हैं। पता चला है कि आयोग ने मंडल आरक्षण के तहत निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण को चार भागों में बांट देने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है।

बीजेपी के लिए साबित हो सकता है तुरूप का इक्का!

केंद्र सरकार अब तक जातीय जनगणना कराने से इनकार करती आ रही है लेकिन यह माना जा रहा है कि ओबीसी के वोटों के चक्कर में मोदी सरकार इस मसले पर दबाव में है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि मोदी सरकार जातीय जनगणना की हवा निकालने की कोशिश करेगी। विश्लेषण मानते हैं कि बिहार की जातिगत गणना के बाद विपक्ष जिस तरह से ओबीसी की गोलबंदी करने की कोशिश कर रहा है भाजपा को उसकी काट इस रिपोर्ट से मिल सकती है। अगर ऐसा होता है कि मोदी सरकार के लिए रोहिणी कमीशन से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। भाजपा इसका उपयोग विपक्ष के 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' की नरेटिव का मुकाबला करने के लिए कर सकती है और ओबीसी वर्ग की अति पिछड़ी जातियों के बीच अपने समर्थन को और मजबूत कर सकती है।

भारत-कनाडा विवाद पर अमेरिका की अहम टिप्पणी, जानें ओटावा के नरम पड़ते तेवर के बीच यूएस ने क्या कहा?

# hardeep_singh_nijjar_murder_case_america_is_showing_closeness_to_canada 

खालिस्तान गैंगस्टर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच चल रहे विवाद पर अमेरिका ने एक बार फिर बयान दिया है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई संसद में बिना किसी साक्ष्य के भारत सरकार पर आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप लगाया। भारत ने कनाडा के पीएम को उनके गैर जिम्मेदाराना बयान पर करारा जवाब दिया है। इसी बीच कनाडा से करीबी दिखाते हुए अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह कनाडा के साथ निज्जर हत्याकांड की जांच में सहयोग करे। हालांकि शुरुआत में अमेरिका ने ट्रूडो के बयान को नकारते हुए यही कहा था कि जांच पूरा होने तक आरोप लगाना सही नहीं। अब एक बार फिर कनाडा से करीबी दिखाते हुए अमेरिका ने भारत से जांच में सहयोग देने की बात कही है। 

अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, हम अपने कनाडाई सहयोगियों के साथ निकट समन्वय में हैं। मिलर ने कहा, हमने भारत सरकार से बातचीत की है और उनसे कनाडा की जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है।मैथ्यू मिलर ने सोमवार को अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा,उन्होंने तब भी स्पष्ट किया था और अब मैं इसे दोहरा रहा हूं कि हम इस मामले पर कनाडा में अपने सहयोगियों के साथ निकटता से समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हमने कई मौकों पर भारत सरकार से बातचीत में कनाडा की जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है। (अमेरिका के) विदेश मंत्री को शुक्रवार को अपने भारतीय समकक्ष के साथ अपनी बैठक में ऐसा करने का अवसर मिला।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत कनाडा के साथ सहयोग करने के लिए सहमत हो गया है, इस पर मिलर ने कहा कि इसका जवाब नई दिल्ली को देना है। उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि भारत सरकार इस पर स्वयं अपनी बात रखे। मैं अमेरिका सरकार की ओर से बात करूंगा और हम सहयोग का आग्रह करते हैं।

बता दें कि इसी साल 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2020 में भारत ने निज्जर को आतंकी घोषित किया था। 18 सितंबर को पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर इसका आरोप लगाया था। कनाडा की संसद में पीएम ट्रूडो ने कहा था कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ हो सकता है। भारत ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। भारत ने कहा था कि कनाडा का बयान राजनीति से प्रेरित है। भारत ने पीएम ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताया था। ट्रूडो के इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास आ गई है।

आप सांसद संजय सिंह के दरवाजे पर ईडी की दस्तक, शराब घोटाले मामले में छापा

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आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के दिल्ली स्थित आवास पर बुधवार की सुबह-सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा।दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संजय सिंह के परिसरों पर छापे मारे गए हैं। बताया गया है कि ईडी ने संजय के स्टाफ और उनसे जुड़े कई लोगों से पूछताछ भी की है। 

ईडी की टीम सुबह करीब सात बजे दिल्ली स्थित उनके आवास पहुंची। इस दौरान बाहर सीआरपीएफ के जवान भी तैनात थे।आज सोशल मीडिया पर संजय सिंह की एक तस्वीर वायरल हो रही है। कुछ समय पहले संजय सिंह ने अपने घर पर यह पोस्टर लगवाया था, जिसमें लिखा था- फक्कड़ हाउस में ईडी का स्वागत है। आज सच में ईडी की टीम उनके घर पहुंच गई। सुबह 8-9 लोगों की ईडी टीम आप सांसद के नार्थ एवेन्यू स्थित सरकारी आवास में घुसी।

बता दें कि आप सांसद संजय सिंह का शराब घोटाले में दाखिल चार्जशीट में नाम शामिल था। संजय सिंह के करीबियों से भी पूछताछ की जा चुकी है।इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के कई नेता जांच एजेंसियों के रडार पर आए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल मई में आप सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को अरेस्ट किया था। हालांकि अब कोर्ट से उन्हें बीमारी के चलते अंतरिम जमानत मिल गई। इसी साल फरवरी में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति में घोटाले के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। शराब घोटाले में ही बाद में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने अरेस्ट किया था। फिलहाल मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल साल नवंबर 2021 में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-2022 लागू की की थी। इस नीति के आने के बाद राज्य के कारोबारियों ने ग्राहकों को डिस्काउंटेड रेट पर शराब बेचना शुरू किया था।बाद में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई आबकारी नीति पर सरकार से रिपोर्ट मांगी। जब एलजी को मुख्य सचिव ने रिपोर्ट सौंपी गई तो उसमें नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया। दिल्ली सरकार पर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाकर रिश्वत लेने के भी आरोप लगे।

इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई शराब नीति में अनियमितओं को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की।जांच के बाद सीबीआई ने नई आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया और सिसोदिया को मुख्य आरोपी बनाया। बाद में सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में बाद में ईडी ने भी सिसोदिया को अरेस्ट कर लिया। जांच के बीच ही दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस ले लिया।