अखंड भारत पुरोहित महासभा के बैनर तले आगामी त्योहार को लेकर हुई बैठक, सर्वसम्मित से लिए गए यह निर्णय
मुजफ्फरपुर : आज दिनांक 25 सितंबर को अखंड भारत पुरोहित महासभा के बैनर तले जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर सामूहिक बैठक बाबा चुनेश्वरनाथ महादेव मंदिर सरैयागंज टावर मुजफ्फरपुर मे हुई। इस बैठक की अध्यक्षता महासभा के संयोजक मंदिर के महंत पुजारी राम बालक भारती ने किया।
वही महासभा के अध्यक्ष पंडित हरिशंकर पाठक ने सभी पंचांगों का सम्मान करते हुए सभी आचार्यों का सम्मान करते हुए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। मोबाइल के माध्यम से आध्यात्मिक गुरु आचार्य कमलापति त्रिपाठी एवं बाबा गरीबनाथ धाम के प्रधान पुजारी सह मंदिर प्रशासक पंडित विनय पाठक के द्वारा भी सहमति प्रदान की गई कि दिनांक 5 अक्टूबर 2023 दिन बृहस्पतिवार को नहाए खाए व भोर में सरगही किया जाएगा।
दिनांक 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को जीवित्पुत्रिका व्रत मान दिन और रात होगा। दिनांक 7 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को प्रातः 10:21 के बाद महाव्रत का पारण किया जाएगा। 27 सितंबर 2023 दिन बुधवार को अनंत चतुर्दशी व्रत नहाए खाए किया जाएगा और 28 सितंबर 2023 दिन बृहस्पतिवार को अनंत चतुर्दशी व्रत का मान होगा एवं 29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार को प्रातः पारण किया जाएगा।
बताया गया कि इस बार माता का आगमन एवं गमन फल सप्तमी तिथि को शनिवार होने के कारण देवी का आगमन (तुरंग) अर्थात घोड़े पर होगा। जो छत्र भंग कारक एवं कष्टप्रद है। देवी का गमन महिषा गमने रूज शोककरा का फल प्रदान करेगा।
वही महासभा के अध्यक्ष पंडित हरिशंकर पाठक ने जितिया व्रत के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कि जितिया व्रत का महत्व जितिया व्रत निर्जला होता है और इस व्रत को करने से निसंतान लोगों की गोद भी भर जाती है। वहीं जिन महिलाओं के बच्चे होते हैं, वे इस व्रत को बच्चों की लंबी उम्र और रक्षा के लिए करती हैं। इससे बच्चे चारों दिशाओं में प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।
जितिया व्रत की पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान अश्वत्थामा पिता की मौत का समाचार सुनकर बेहद नाराज हो गए थे। वे मन में बदले की भावना लेकर पांडवों के शिविर में आ गए। शिविर में 5 लोग सो रहे थे, जिसे अश्वत्थामा ने पांडव समझकर मृत्यु लोक पहुंचा दिया था। मारे गए ये पांचों लोग द्रोपदी की संतान कही जाती हैं।
इस घटना के बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्य मणि छीन ली। जिससे क्रोधित होकर अश्वत्थामा ने गर्भ में पल रहे अभिमन्यु के बच्चे को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा की अजन्मी संतान को अपने सभी पुण्य का फल देकर गर्भ में ही जीवित कर दिया। गर्भ में पल रहे इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका का नाम दिया गया। तभी से माताओं द्वारा बच्चे की लंबी उम्र और रक्षा की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखने की परंपरा आरंभ हुई।
इस बैठक में मुख्य रुप से महासभा के सचिव आचार्य संजय तिवारी, महासभा सलाहकार डॉक्टर आचार्य चंदन उपाध्याय, आचार्य अमित तिवारी, आचार्य वशिष्ठ तिवारी, आचार्य सुनील कुमार मिश्रा, आचार्य पवन तिवारी, आचार्य दिवाकर, आचार्य नीलमणि पाठक, आचार्य राजूरंजन मिश्रा, आचार्य अनिल कुमार पांडे, आचार्य आचार्य देवचंद झा, पुजारी हरिकांत पांडे शामिल रहे।
मुजफ्फरपुर से संतोष तिवारी
Sep 25 2023, 17:51