*प्रधान की जी-हुजूरी न करने वाले को दस साल में नहीं आवंटित हुआ आवास*
रायबरेली। खीरों क्षेत्र में विकास विभाग के जिम्मेदारों की मनमानी और कई ग्राम प्रधानों का पक्षपात पूर्ण रवैया बार-बार सामने आता रहा है।
क्षेत्र के दुकनहां गांव में इसी हफ्ता बीत चुके सोमवार-मंगलवार की रात बारिश के दौरान एक गरीब की कच्ची कोठरी ढह गई। गरीब किसान व उसकी पत्नी हादसे के वक्त उसी कोठरी के नीचे सो रहे थे। हादसे से ठीक पहले कोठरी की छत से मिट्टी गिरने लगी। किसी बड़ी घटना का अंदेशा होने से दोनों कोठरी से निकल कर बाहर भागे। ठीक उसी वक्त कोठारी की छत ढह गई।
समझदारी दिखाने की वजह से दोनों बाल-बाल बच गए। हादसे के बाद ग्राम प्रधान व विकास विभाग के जिम्मेदारों की साठ-गांठ से भ्रष्टाचार पूर्ण कार्यशैली, मनमाने रवैये व राजनीतिक द्वेष से प्रेरित होकर कार्य करने की बात सामने आई है। गरीब किसान पिछले दस वर्षों से लगातार आवास की मांग कर रहा था। लेकिन वह एक अदद आवास के लिए अभी तक तरसता रह गया है। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह ग्राम प्रधान की जी हुजूरी नहीं कर सका।
2020-21 की आवास की पात्रता सूची में किसान का नाम था लेकिन ग्राम प्रधान के द्वारा जिम्मेदारों से मिलकर उसका आवास निरस्त करवा दिया गया था। कई बार मामले में पीड़ित किसान द्वारा प्रार्थना पत्र दिए जाने के बाद भी जिम्मेदारों ने कोई सुनवाई नहीं किया था। जब्कि गांव में नियमों को ताक पर रख धन वसूलते हुए नियम के विपरीत अपात्रों को धड़ाधड़ आवास आवंटित किए जाते रहे हैं। हादसे के बाद हल्का लेखपाल और ग्राम विकास अधिकारी अपना बचाव करते हुए गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
दुकनहां गांव के राजकुमार शुक्ला पुत्र स्व. रामसुमेर शुक्ला ने बताया कि सोमवार-मंगलवार की रात वह और उसकी पत्नी सुनीता अपनी कच्ची कोठरी के नीचे सो रहे थे। रुक रुक कर हो रही धीमी बारिश के बीच अचानक कोठरी की कच्ची छत से मिट्टी नीचे गिरने लगी। किसी बड़े हादसे का अंदेशा होने से दोनों पति-पत्नी कोठरी से बाहर भागे। कुछ मिनट के अंदर ही कोठरी की छत ढह गई।
पीड़ित किसान ने बताया कि उसका इकलौता पुत्र अभिषेक शुक्ला उर्फ गोलू हिमाचल प्रदेश में प्राइवेट नौकरी कर परिवार का भरण पोषण करता है। पीड़ित किसान के पास मात्र डेढ़ बीघा जमीन है। किसान ने बताया कि उसके पास मात्र वही एक कच्ची कोठरी थी जो कि ढह चुकी है।
जिसकी वजह से छप्पर के नीचे गुजर बसर करना पद रहा है। गृहस्ती का सामान उसने पड़ोसी के घर में रखा है। पिछले दस वर्षों से किसान लगातार आवास की मांग कर रहा था। जिम्मेदार अधिकारियों ने ग्राम प्रधान के इशारे पर राजनीतिक द्वेष के कारण उसे आवास से वंचित रखा।
किसान की कोठरी ढहने के मामले में जानकारी लेने पर लेखपाल आशीष कुमार सैनी ने बताया कि घटना का मुआयना किया गया है। ग्राम विकास अधिकारी सतीश चंद्र कुशवाहा ने बताया कि आवास फीडिंग की साइट अभी बंद है। आवास की पिछली सूची में किसान के परिवार के किसी भी सदस्य का नाम अंकित नहीं है।
Sep 21 2023, 19:37