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इस मानसून आठ साल में सबसे कम बारिश की आंशका, अल नीनो के असर से सितंबर में कम वर्षा की संभावना रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

इस साल मानसून आठ साल में सबसे कमजोर साबित हो सकता है। मौसम के अल नीनो पैटर्न की वजह से सितंबर में भी ज्यादा बारिश नहीं होगी। वहीं, अगस्त पहले से ही सूखा महीना साबित होने की राह पर है। यह आशंका मौसम विभाग के सूत्रों ने जताई है।सूत्रों के अनुसार, अगस्त में अल नीनो की वजह से बारिश कम हुई है। सितंबर में भी इसका नकारात्मक असर हो सकता है। इस वजह से जून से सितंबर के मानसूनी समय में बारिश आठ फीसदी कम हो सकती है। 

यह कमी साल 2015 के बाद सबसे अधिक होगी। मौसम विभाग 31 अगस्त को सितंबर के पूर्वानुमान जारी कर सकता है।दूसरी ओर इस वर्ष मानसूनी बारिश असमान भी रही। यह जून में सामान्य औसत से नौ फीसदी कम तो जुलाई में 13 फीसदी अधिक दर्ज हुई। 17 सितंबर से मानसून की वापसी शुरू हो जाती है। हालांकि, बीते चार साल से सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, क्योंकि मानसून की वापसी देरी से हुई, लेकिन आशंका है कि इस बार इस महीने में पूर्वी और उत्तरी राज्यों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। उल्लेखनीय है कि मानसून के दौरान सालाना औसत की 70 फीसदी बारिश होती है। इसमें कमी से चीनी, दाल, चावल, सब्जियों आदि के दाम बढ़ सकते

G-20 शिखर सम्मेलन: भारत आने वाले हैं दुनियाभर के दिग्गज, केंद्र से लेकर केजरीवाल सरकार ने कसी कमर

#g_20_summit_grand_preparations_in_delhi 

विश्व पटल पर सफलता के नए आयाम गढ़ता भारत देश की राजधानी दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन का मेजबान बनने जा रहा है। यह महत्वपूर्ण समिट दिल्ली के प्रगति मैदान के नव निर्मित स्टेट ऑफ आर्ट कंवेंशन कॉप्लेक्स में 9 और 10 सितंबर को आयोजित होगी।भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता एक ऐतिहासिक पल है।

अगले कुछ दिनों में भारत में दुनियाभर के सबसे शक्तिशाली नेता और राजनयिक जुटेंगे। ये नेता यहां पर जी-20 सम्‍मेलन में शिरकत करने के लिए आ रहे हैं। ये जी20 का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा। इसमें कुल 43 देशों और संगठनों के प्रमुख और उनके प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेंगे। जिसमें जी20 के 19 सदस्य देश और यूरोपीय यूनियन के प्रमुख होंगे। साथ ही अतिथि के तौर पर 9 अन्य देशों के प्रमुखों और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है। 

यह पहली बार है जब भारत को शिखर सम्मेलन की मेजबानी है। भारत की राष्‍ट्रीय राजधानी नई दिल्‍ली में करीब 25 वर्ल्‍ड लीडर्स का हुजूम इकट्ठा होगा। अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन से लेकर चीनी के शी जिनपिंग, तुर्की के रेसेप तैयप एर्दोगन समेत कई शक्तिशाली नेता भारत आने वाले हैं। उनके अलावा ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, अर्जेंटीना के राष्‍ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस, ब्राजील के राष्‍ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांस के इमैनुएल मैंक्रो, जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्‍ज, इंडोनेशिया के राष्‍ट्रपति जोको विडोडो शामिल हैं। इनके अलावा इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, जापान के पीएम फुमियो किशिदा, दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति यून सुक येओल, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और पीएम मोहम्मद बिन सलमान, दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति सिरिल रामफोसा, यूरोपियन काउंस‍िल के यूरोपीय काउंसिल के मुखिया चार्ल्स मिशेल और यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन शामिल हैं।

केंद्र से लेकर राज्य सरकार तैयारियों में जुटी

8, 9 और 10 सितंबर ये तीन दिन ऐसे होंगे, जब दुनियाभर के नेता और प्रतिनिधि राजधानी दिल्ली में होंगे। ऐसे में दिल्ली में इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारी चल रही है। दिल्ली के अलग-अलग होटल में जी-20 देशों को डेलिगेट्स रुकेंगे, जबकि कुछ अस्पतालों में भी रिजर्व में बेड्स रखे गए हैं। सुरक्षा के लेवल पर भी कई लेयर्स में काम किया जा रहा है, यानी दिल्ली में इन 3 दिनों के लिए पूरी तरह से चीज़ें बदल जाएंगी। यही कारण है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक इसकी तैयारियों में जुटी है।

8 से 10 सिंतबर तक दिल्ली में सार्वजनिक छुट्टी

जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर 8 से 10 सिंतबर तक दिल्ली में सार्वजनिक छुट्टी घोषित की गई है। दिल्ली सरकार ने फ़ैसला किया है कि दिल्ली सरकार और एमसीडी के सभी दफ़्तर 8 से 10 सितंबर तक बंद रहेंगे। सभी स्कूलों में भी 3 दिनों की छुट्टी घोषित की गई है। दिल्ली से सभी निजी और सरकारी दफ़्तर भी इस दौरान बंद रहेंगे। नई दिल्ली ज़िले के तहत आने वाले बैंक और वित्तीय संस्थान भी बंद रहेंगे। साथ ही नई दिल्ली ज़िले में स्थित दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी बंद रखा जाएगा।

तीन दिनों के लिए ट्रैफ़िक एडवाइज़री होगी जारी

इन तीन दिनों के दौरान एक विस्तारित ट्रैफ़िक एडवाइज़री भी जारी की जाएगी। इसमें दिल्ली के कुछ ख़ास इलाक़ों में ख़ास समय के लिए सार्वजनिक ट्रैफ़िक पर बंदिश होगी। ऐसा जाम से बचने और VVIPs की सुरक्षा के मद्देनज़र किया जाएगा। कुछ ख़ास इलाक़ों के शॉपिंग मॉल और बाज़ार को भी बंद रखा जाएगा। वीवीआईपी मूवमेंट वाले इलाक़ों में बसों को या तो बंद रखा जाएगा या वैकल्पिक मार्ग दिया जाएगा। अंतर्राज्यीय बस सेवा को दिल्ली की सीमा के आसपास निर्धारित किया जा सकता है। मेट्रो रेल चलती रहेगी लेकिन नई दिल्ली इलाक़े में पड़ने वाले कुछ ख़ास स्टेशनों को सुरक्षा लिहाज़ से बंद रखा जाएगा। जी20 के इस महाआयोजन के बीच ज़ाहिर सी बात है, अस्पताल और इमरजेंसी सेवा, साथ ही रेल और हवाई यात्रा करने वालों पर कोई असर नहीं पड़े इसका ख़्याल रखा जाएगा।

एयरपोर्ट पर अराइवल और डिपार्चर की व्यवस्था

तीन दिनों के लिए अलग-अलग देशों के जो प्रमुख आएंगे उनके विमानों को दिल्ली एयरपोर्ट, पालम एयरपोर्ट में खड़ा किया जाएगा इनके अलावा कुछ अन्य शहरों का इस्तेमाल हो सकता है। दिल्ली एयरपोर्ट का संचालन करनेवाली संस्था दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) इस सम्मेलन में आनेवाले मेहमानों की सुविधा और उन्हें जरूरी सहायता प्रदान करने के लिए विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय सहित विभिन्न सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम कर रही है। DIAL इन मेहमानों को बेहतर फील प्रदान करने के लिए जी-20 से संबंधित अराइवल और डिपार्चर की व्यवस्था के संचालन की निगरानी करेगी।

इन होटलों में ठहरेंगे मेहमान

दुनिया के शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों की मेजबानी के लिए फाइव स्टॉर होटलों में व्यवस्था की गई है। इनमें ताज महल, शांगरी-ला, मौर्या शेरेटन, ताज पैलेस, ली मेरिडियन, ओबेरॉय और लीला होटल शामिल हैं। सभी होटल अपने सेवा मानकों के अलावा भी अपनी भोजन व्यवस्था में और भी सुधार कर रहे हैं। इसके अलावा कई अस्पताल भी कुछ विशेष भर्तियां इस शिखर सम्मेलन के मद्देनजर कर रहे हैं।

'अनुच्छेद 35ए ने जम्मू-कश्मीर में गैर निवासियों के मौलिक अधिकार छीने', 370 मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई की अहम टिप्पणी

#article_35_took_away_many_fundamental_rights_of_citizens_said_cji

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि अनुच्छेद 35-A ने नागरिकों के कई मौलिक अधिकारों को छीन लिया है। सीजेआ ने कहा अवसर की समानता, राज्य सरकार में रोजगार और जमीन खरीदने का अधिकार-यह सब चीजें, ये अनुच्छेद नागरिकों से छीन लेता है। क्योंकि, जम्मू-कश्मीर के निवासियों के पास विशेष अधिकार थे और गैर-निवासियों को बाहर रखा गया था।

सीजेआ डीवाई चंद्रचूड़ ने ये बातें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के 11वें दिन कहीं।पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने चल रही सुनवाई के दौरान सोमवार को सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 1954 का आदेश देखें। इसने भारतीय संविधान के संपूर्ण भाग तीन (मौलिक अधिकार) को लागू किया है और इसके जरिये अनुच्छेद-16 व 19 जम्मू-कश्मीर पर लागू हुआ। बाद में अनुच्छेद 35ए लाया गया, जिसने राज्य सरकार के तहत रोजगार, अचल संपत्तियों के अधिग्रहण और राज्य में बसने जैसे मौलिक अधिकारों को अपवाद बना दिया। इसलिए जहां अनुच्छेद 16(1) सुरक्षित रहा, वहीं ये तीन मौलिक अधिकार और इनकी न्यायिक समीक्षा का अधिकार अनुच्छेद 35ए ने छीन लिया।

सीजेआई ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारतीय संविधान के विवादास्पद प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता है और यह भेदभावपूर्ण है। तत्कालीन राज्य के मुख्यधारा के दो राजनीतिक दलों का नाम लिये बिना, केंद्र ने सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि नागरिकों को गुमराह किया गया है कि जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान "भेदभाव नहीं बल्कि विशेषाधिकार" थे। सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को बताया, "आज भी दो राजनीतिक दल इस अदालत के समक्ष अनुच्छेद 370 और 35ए का बचाव कर रहे हैं।"

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनुच्छेद 370 खत्म करने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा, जम्मू-कश्मीर पर अब पूरा संविधान लागू होता है। यहां के वासियों को देश के उनके बाकी भाइयों व बहनों के बराबरी पर लाया गया है। 35ए जाने के बाद लोगों को मौलिक अधिकार मिल गए। यह भी संभव हुआ कि सभी कल्याणकारी कानून वहां लागू हों। अब 35ए नहीं है, तो निवेश आ रहा है। केंद्र के साथ पुलिसिंग, पर्यटन शुरू हो गया है। पहले बड़े उद्योग नहीं थे, छोटे उद्योग थे, कुटीर उद्योग थे। मेहता ने यह भी कहा, विधानसभा की अनुपस्थिति में संविधान सभा शब्द का प्रयोग पर्यायवाची रूप में किया जाता था, क्योंकि दोनों जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में सह-समान अंग हैं।

नूंह हिंसा में आतंकी संगठन आईएसआईएस की एंट्री, अपनी 'वॉयस ऑफ खुरासान' मैगजीन के जरिए जिहाद के लिए उकसाया

#haryana_nuh_violence_islamic_state_threat 

हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई की हिंसा में कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) की एंट्री हो गई है। इस्लामिक स्टेट ने अपनी मैगजीन वॉइस ऑफ खुरसान का नया संस्करण जारी किया है। खुरासान नाम के प्रोपगंडा मैगजीन के इस संस्करण में आईएस ने नूंह हिंसा और ज्ञानवापी मस्जिद केस मामले में लेख लिखकर भारत के मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाने की कोशिश की है। इतना ही नहीं, हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज को मैगजीन में धमकाया भी गया है। इसके साथ ही उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया है।।

बजरंग दल और विहिप के लिए कहे गए अपशब्द

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसआईए ने अपनी मैगजीन वॉइस ऑफ खुरसान के नए संस्करण में भारत के मुसलमानों को उकसाने वाले कई लेख लिखे हैं। इसके ताजा संस्करण में नूंह हिंसा का जिक्र है। इसके अलावा बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के बारे में भी इस मैगजीन में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

मैगजीन में बदला लेने की धमकी

इस मैगजीन के कवर पेज पर बुलडोजर का फोटो लगाया गया है, जो नूंह में चलाया गया था। मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी का जिक्र करते हुए मैगजीन में धमकी भी दी गई है। इसमें लिखा गया कि इन लोगों के भड़काऊ वीडियो की वजह से मुसलमानों के 500 घर तोड़े और जलाए गए, जिसका समर्थन हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भी किया था। इसके आगे मैगजीन में बदला लेने के बारे में कहा गया है।

गौरतलब है कि खुरासान एक प्रोपेगैंडा मैगजीन है। टेलीग्राम समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भारत में सर्कुलेट होने वाली आईएस मैगजीन के कंटेट पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की लगातार नजर भी रहती है।

क्या हुआ ता नूंह में ?

हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई, 2023 को बृजमंडल यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। इस घटना में दो होमगार्ड सहित छह लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हुए थे। घटना के मुताबिक, नूंह में 31 जुलाई को बृजमंडल यात्रा निकाली जा रही थी। इस यात्रा में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे। यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने यात्रा पर पथराव कर दिया। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसा शुरू हो गई।

अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, फिर अरुणाचल और अक्‍साई चिन पर जताया हक, नया मैप जारी कर किया दावा

#china_claims_on_2_states_of_india_arunachal_pradesh_and_aksai_chin

चीन अपनी चालबाजियों से अक्सर अपने पड़ोसियों के लिए नई परेशानियां पैदा करता रहा है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत पड़ोसी देशों की सीमाओं को नजरें गड़ाए रहता है। ड्रैगन की इन हरकतों ने भारत के लिए हमेसा से परेशानियां खड़ी की है। इसी बीच चीन ने सोमवार को आधिकारिक तौर पर अपने 'मानक मानचित्र' के 2023 संस्करण को जारी किया जिसमें उसने भारत के दो राज्यों- अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र पर अपना दावा किया है। इतना ही नहीं, चीन ने अपने मानक मानचित्र में ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर पर भी दावा किया है।

चीन के सरकारी न्यूज पेपर ग्लोबल टाइम्स ने एक्स (जो पहले ट्विटर था) पर नया मैप पोस्ट किया है। ग्लोबल टाइम्स ने एक्स पर लिखा, ‘‘चीन के मानक मानचित्र का 2023 संस्करण आधिकारिक तौर पर सोमवार को जारी किया गया और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के स्वामित्व वाली मानक मानचित्र सेवा की वेबसाइट पर इसे जारी किया गया। यह मानचित्र चीन और दुनिया के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय सीमाओं की रेखांकन विधि के आधार पर संकलित किया गया है।’’ 

प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय की ओर से होस्ट की जाने वाली स्टैंडर्ड मैप सर्विस की वेबसाइट पर भी नया मैप लॉन्च किया गया है। यह मैप चीन और दुनिया के विभिन्न देशों की सीमाओं की ड्रॉइंग पद्धति के आधार पर तैयार किया गया है।जिसमें चीन के सभी हिस्सों को दर्शाया गया है। इस मैप पर भारत के दो राज्यों को भी चीन के मैप में दिखाया गया है।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक सोमवार को चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने 11 नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी। यह सभी इलाके जेंगनेन (चीन के दक्षिण राज्य शिजियांग का हिस्सा) में आते हैं। इनमें से 4 रिहायशी इलाके हैं। इनमें से एक इलाका अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के बेहद करीब है। 5 पहाड़ी क्षेत्र और दो नदियां हैं। चीन ने इन इलाकों के नाम मन्दारिन और तिब्बती भाषा में रखे हैं।

पहले भी कर चुका है ऐसी हरकत

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह से नक्शा जारी कर इन हिस्‍सों पर अपना अधिकार जताया है। वह पहले भी इस तरह से नक्‍शा जारी कर चुका है। इससे पहले चीन ने इसी साल अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम ही बदल दिए थे। चीन ने पिछले पांच साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे। हर बार भारत की तरफ से उसके सामने विरोध दर्ज कराया गया है।

पिछली सरकारों को इसरो पर नहीं था भरोसा”, बीजेपी ने वैज्ञानिक नंबी नारायण का इंटरव्यू शेयर कर कांग्रेस को घेरा

#nambinarayananclaimscongressgovernmentnofaithinisro

चंद्रयान-3 के जरिए भारत अपने मिशन मून में सफल रहा है।चांद पर भारत के पहुंचने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र यानी इसरो की पूरी दुनिया मे चर्चा हो रही है। इस बीच चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद राजनीतिक गलियारों में सियासत भी तेज हो गई है। इसका श्रेय लेने की होड़ मचती दिख रही है। एक तरफ सत्ताधारी पार्टी इसे मौजूदा सरकार की उपलब्धि से जोड़कर पेश कर रही है, वहीं विपक्ष इसका श्रेय इसरो की स्थापना करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को दे रहा है।अब भाजपा ने नंबी के एक इंटरव्यू का हिस्सा शेयर कर सियासी जगत में खलबली मचा दी है।

इस इंटरव्यू में नंबी कहते हैं कि इसरो के शुरुआती वर्षों में पिछली सरकारों (कांग्रेस) ने पर्याप्त फंड का आवंटन नहीं किया। उन्होंने यहां तक कह दिया सरकार को तब इसरो पर भरोसा ही नहीं था।इस इंटरव्यू में नंबी नारायणन कहते हैं कि जब इसरो ने अपनी विश्वसनीयता स्थापित की तब स्पेस एजेंसी को पर्याप्त फंडिंग मिलने लगी। उन्होंने कहा, तब हमारे पास जीप नहीं होती थी। हमारे पास एक कार नहीं थी। हमारे पास कुछ नहीं था... हमारे लिए कोई बजट आवंटन नहीं था। यह शुरुआती दौर की बात है।

नंबी के वीडियो से कांग्रेस पर निशाना

नंबी नारायण का वीडियो शेयर करते हुए भाजपा ने कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है। बीजेपी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो शेयर कर कहा कि इसका श्रेय पीएम मोदी को जाना चाहिए। पीएम मोदी के कार्यकाल में इसरो की क्षमता और ताकत बढ़ी है। कहा कि मोदी सरकार ने इसरो का बजट बढ़ाया है। मौजूदा सरकार वैज्ञानिकों के साथ उनकी सफलता और विफलता में साथ खड़ी रही है। नंबी नारायणन ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय इसरो प्रमुख एस सोमनाथ को मिला है। साथ ही प्रधानमंत्री को भी इसका श्रेय जाएगा। एक नेशनल प्रोजेक्ट का श्रेय प्रधानमंत्री को नहीं जाएगा तो किसे जाएगा? 

कौन हैं नंबी नारायणन?

बता दें कि नंबी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर थे। जिन्हें जासूसी के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया था।हालांकि, बाद में उन पर लगाए गए सारे आरोप झूठे साबित हुए और सरकार को उन्हें हर्जाना भी देना पड़ा था।सितंबर 2018 में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण पूरी तरह बेदाग निकले। 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि साइंटिस्ट नारायणन को केरल पुलिस ने बेवजह अरेस्ट किया और मानसिक प्रताड़ना दी। साइंटिस्ट को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश आया। नंबी ने इसरो में अपने कार्यकाल के दौरान पीसएलवी में इस्तेमाल किए किए जाने वाले इंजन को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। वह एयरोस्पेस इंजीनियर थे। आज पूरा देश उनके योगदान को समझता है और उन्हें सम्मान की नजरों से देखता है। 2019 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

चांद पर रोवर के सामने आया पहला “रोड़ा”, प्रज्ञान ने ऐसे पार की पहली रूकावट

#pragyanroverfirstissuedmoon_isro

चंद्रयान-3 के जरिए भेजे गए विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने के बाद रोवर प्रज्ञान साउथ पोल पर चहलकदमी कर रहा है।प्रज्ञान रोवर लैंडर के आस-पास घूमकर चंद्रमा की सतह के नमूने ले रहा है और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) को डेटा भेज रहा है। विक्रम लैंडर अपने कैमरे से रोवर की चहलकदमी की तस्वीरें भी भेज रहा है।जब रोवर चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के आस-पास घूम रहा था तभी उसके सामने एक बड़ी चुनौती आ गई। रोवर का सामना चार मीटर व्यास गहरे गड्ढे से हुआ। इसके बाद रोवर को निर्देश भेजे गए। रोवर ने अपना रास्ता बदला और खतरे से बचते हुए नई दिशा में आगे बढ़ गया।इसरो ने ये जानकारी दी है।

इसरो ने सोमवार को रोवर प्रज्ञान की और भी तस्वीरें जारी की। इसरो ने इससे जुड़ी दो तस्वीरें भी जारी की हैं। पहली तस्वीर में नेविगेशन कैमरे के जरिए यह दिखाई दे रहा है कि रोवर प्रज्ञान की राह में कैसे आगे की तरफ एक बड़ा गड्ढा मौजूद है। रोवर जब अपने स्थान से तीन मीटर आगे चला, तब वहां यह गड्ढा मौजूद था। दूसरी तस्वीर में नेविगेशन कैमरा बता रहा है कि कैसे रोवर ने बाद में रास्ता बदला और अब वह नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

इसरो ने बताया, " चंद्रयान 3 मिशन का रोवर प्रज्ञान 27 अगस्त को अपने स्थान से 3 मीटर आगे एक 4 मीटर व्यास वाले गड्ढे (क्रेटर) के पास पहुंचा। इसके बाद रोवर को वापस लौटने की कमांड दी गई। अब ये सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।"

चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल ने समझाया कि चांद पर प्रज्ञान रोवर जो चहलकदमी कर रहा है, उसके लिए निर्देश इसरो से ही जाते हैं। यहां सेंटर से चांद की परिस्थिति को परखा जाता है और फिर प्रज्ञान रोवर को निर्देश भेजे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर प्रज्ञान रोवर को एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट पर भेजा जाता है, तो उसके लिए वहां का ग्राउंड, रोशनी, तापमान और बाकी सभी चीज़ों को परखना पड़ता है।

चंद्रमा पर तापमान तो लेकर मिली जानकारी

इससे पहले चंद्रयान-3 के 'विक्रम' लैंडर में लगे चास्टे उपकरण ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ी पहली जानकारी भेजी थी। इसके अनुसार चंद्रमा पर अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। चंद्र सतह जहां करीब 50 डिग्री सेल्सियस जितनी गर्म है, वहीं सतह से महज 80 मिमी नीचे जाने पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। चंद्रमा की सतह एक ऊष्मारोधी दीवार जैसी है, जो सूर्य के भीषण ताप के असर को सतह के भीतर पहुंचने से रोकने की क्षमता रखती है।

भारत बना चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश

अगर चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो 14 जुलाई को इसे लॉन्च किया गया था, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी हिस्से पर सफलतम लैंडिंग हुई। भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना है, जबकि चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश है। इस हिस्से को भारत ने ‘शिवशक्ति प्वाइंट’ नाम दिया है। 23 अगस्त के बाद से ही विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर ने काम शुरू किया, अभी के हिसाब से 2 सितंबर तक इनकी लाइफलाइन है।

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ने बसपा से किया संपर्क, मायावती ने रखी ये शर्त

#mayawati_condition_before_india_alliance

मुंबई मीटिंग से पहले 26 दलों के विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. अपनाकुनबा और बड़ा करने के प्रयास में है। बताया जा रहा है कि विपक्षी दलों के महागठबंधन में नई पार्टियों को शामिल करने पर भी विचार किया जा रहा है। उत्तरप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी को भी I.N.D.I.A. में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए बीएसपी प्रमुख मायावती से संपर्क साधा गया है। ऐसे में मायावती ने विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में शामिल होने के लिए एक बड़ी शर्त रख दी है।अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर बसपा की शर्तों पर सहमति बनती है तो फिर मायावती विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होंगी?

सूत्रों की मानें तो विपक्षी गठबंधन के सामने मायावती ने यूपी में 40 लोकसभा सीटें देने वाली शर्त विपक्षी गठबंधन के सामने रख दी है।मायावती ने यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 40 सीटों की डिमांड रखी है।सूबे की आधी सीटें बसपा मांग रही है, जिसे लेकर विचार-विमर्श के बाद ही उसे लेकर फैसला किया जाएगा। गठबंधन की ओर से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने मायावती से बात की है, इसी दौरान मायावती ने पार्टी का रुख उनके सामने रखा और अपनी डिमांड भी बताई। सूत्रों के मुताबिक, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर पूर्व को छोड़कर देशभर से लगभग 450 लोकसभा सीटों की पहचान हो चुकी है, जहां इंडिया गठबंधन से सिंगल कैंडिडेट लोकसभा चुनाव में उतारे जाएंगे।

दरअसल, मायावती लगातार यह बात कह रही हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। बसपा न ही एनडीए का और न ही INDIA का हिस्सा होगी बल्कि अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी। मायावती भले ही गठबंधन से इंकार कर रही हों, लेकिन उनकी पार्टी के नेता और कई मौजूदा सांसद दबी जुबान से गठबंधन के पक्ष में बयानबाजी कर चुके हैं। इसकी वजह यह है कि बसपा के अकेले चुनाव लड़ने का हश्र सभी सांसद, विधायक 2014 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में देख चुके हैं।

सूत्रों का कहना है कि मायावती उत्तरप्रदेश में अपने खिसकते जनाधार को गठबंधन के सहारे संभालना चाहती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था। 2019 लोकसभा चुनाव में बीएसपी को कुल 10 सीटें मिली थीं। समाजवादी पार्टी को गठबंधन के बावजूद 5 सीटों से संतोष करना पड़ा था। उसके बाद हुए यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बीएसपी को मात्र एक सीट पर जीत मिली थी। ऐसे हालात में बीएसपी को लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन की जरूरत है। हालांकि मायावती आधिकारिक तौर से गठबंधन से इनकार करती रही हैं। चर्चा है कि मायावती ने इंडिया में शामिल होने की शर्त रखी है। वह यूपी की कुल 80 सीटों में से 45 पर चुनाव लड़ना चाहती हैं। इंडिया की मुंबई बैठक में सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा होगी,इसलिए यह इससे पहले उन्होंने अपना इरादा साफ कर दिया है।

उत्तराखंड में प्रमुख तीर्थ गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 11 अक्टूबर को शीतकाल के लिए होंगे बंद, ट्रस्टियों की बैठक में लिया गया निर्णय

सिखों के प्रमुख तीर्थ तथा उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में पहचान रखने वाले गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 11 अक्टूबर 2023 को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने इस संबंध में जानकारी दी।

बिंद्रा ने बताया कि 20 मई को श्री हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे। अब तक 2,27,500 श्रद्धालुओं ने गुरु दरबार साहिब में हाजिरी भरी व माथा टेका।

ट्रस्टियों की बैठक में हेमकुंड साहिब के कपाट को बंद करने का निर्णय

उन्होंने बताया कि कपाट खुलने के बाद जून माह तक हेमकुंड साहिब में तीर्थ यात्रियों की संख्या अच्छी रही। जबकि जुलाई व अगस्त माह में तीर्थ यात्राओं की संख्या में कमी आई है। उन्होंने बताया कि विगत दिवस ट्रस्टियों की बैठक में निर्णय लिया गया कि हेमकुंड साहिब के कपाट 11 अक्टूबर 2023 को बंद किए जाएंगे।

20 मई से शुरू हुई थी यात्रा

बता दें इस साल श्री हेमकुंड साहिब धाम की यात्रा 20 मई से शुरू हुई थी। हर साल की तरह इस बार भी हेमकुंड साहिब यात्रा के शुरू होने के बाद बर्फबारी के चलते कई बार यात्रा बाधित हुई।

हर साल लाखों की संख्या में आते हैं श्रद्धालु

प्रतिवर्ष श्री हेमकुण्ड साहिब में बर्फ अधिक मात्रा में होती है उसको हटाने की सेवा भारतीय सेना के जवान करते हैं। श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा एवं गुरु महाराज के सम्मुख मत्था टेकने के लिये प्रतिवर्ष देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रृद्धालु आते हैं।

इस दौरान श्रृद्धालुओं की अन्य सुख-सुविधाओं जैसे कि लंगर पानी, चिकित्सा सहायता आदि का भी विशेष ध्यान रखा गया। गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट, यात्रा प्रबंधन का जिम्मा संभाले हुआ था। ट्रस्ट गुरुद्वारा ने किसी तरह की अफवाहों में आए बिना ट्रस्ट से संपर्क करके यात्रा संबंधी जानकारी प्राप्त करने के निर्देश भी दिए।

मुकेश अंबानी ने जियो एयर फाइबर का किया ऐलान, गणेश चतुर्थी के अवसर पर होगा लॉन्च

#jio_air_fiber_will_be_launched_on_ganesh_chaturthi 

रिलायंस इंडस्ट्रीज की 46वीं एजीएम के दौरान चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कई बड़े ऐलान किए। मुकेश अंबानी ने सूचना दी कि रिलायंस के निदेशक मंडल में ईशा अंबानी, आकाश अंबानी और अनंत अंबानी को शामिल किया गया है। रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इस दौरान रिलायंस जियो के मोस्ट अवेटेड डिवाइस Jio Air Fiber का इंतजार कर रहे लोगों को खुशखबरी भी दी।रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने आज रिलायंस इंडस्ट्रीज की 46वीं सालाना मीटिंग के दौरान जियो एयर फाइबर के लॉन्च डेट की घोषणा की। जियो एयर फाइबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर लॉन्च किया जाएगा।

आपको बता दें कि आज रिलायंस जियो ने जियो एयर फाइबर में कई बेहतरीन फीचर्स उपलब्ध कराएं हैं। जैसा की नाम से ही पता चलता है आप इसकी मदद से बिना किसी तार के इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठा पाएंगे। एयर फाइबर में ऑप्टिकल फाइबर की जरूरत नहीं होगी। यह एक 5G वाई-फाई सर्विस है। इसमें एक 5G नेटवर्क रिसीवर होता है, जिससे वाई-फाई सेटअप कनेक्ट होता है। 

मुकेश अंबानी ने कहा कि देश में लाखों ऐसी जगहें हैं जहां पर वॉयर के जरिए इंटरनेट की कनेक्टिविटी देना संभव नहीं है ऐसी जगहों पर जियो एयर फाइबर इंटरनेट की कमी को पूरा करेगा। उन्होंने बताया कि जियो एयर फाइबर के जरिए हम करीब 20 करोड़ घरों में इंटरनेट पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके लॉन्च होने के बाद हर दिन करीब 1.5 लाख कनेक्शन्स लगेंगे। इससे इंटरनेट की दुनिया में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा। 

बता दें कि जियो के ऑप्टिकल फाइबर भारत में करीब 15 लाख किमी तक फैला हुआ है और इससे ग्राहक जुड़े यूजर्स प्रतिमाह 280GB से ज्यादा डेटा का उपयोग करते हैं। यह जियो के प्रति यूजर्स मोबाइल डेटा से करीब 10 गुना अधिक है।