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जातीय गणना को लेकर लालू प्रसाद द्वारा केन्द्र पर लगाए आरोप पर सुशील मोदी ने किया पलटवार, कही यह बात

डेस्क : बिहार में जातीय गणना पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने शनिवार को एक पुस्तक के लोकार्पण के दौरान कहा बीजेपी और केंद्र सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि जातीय गणना में भाजपा और केन्द्र सरकार अडंगा लगा रही है। 

इधर लालू प्रसाद के आरोप पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बिहारी के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बीजेपी के जातीय गणना का समर्थन करने से लालू को क्यों परेशानी हो रही है।

सुशील मोदी ने कहा कि लालू को सिर्फ इस बात से परेशानी है कि बीजेपी जातीय गणना का समर्थन क्यों कर रही है। बिहार में जातीय गणना का निर्णय एनडीए की सरकार में हुआ था। बीजेपी अगर नहीं चाहती तो जातीय गणना कभी नहीं हो सकती थी। जब यह फैसला हुआ उस वक्त एनडीए की सरकार थी और सरकार में बीजेपी के 16 मंत्री थे लेकिन लालू यादव की पार्टी का दूर-दूर तक कोई ठिकाना नहीं था।

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद पहले कांग्रेस साशित राज्यों में तो जातीय गणना करा लें उसके बाद बिहार की बात करें। कर्नाटक की सरकार ने 2015 में जातीय गणना कराई थी लेकिन आजतक उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो सकी। लालू प्रसाद पहले कर्नाटक सरकार की जातीय गणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक कराएं। बिहार में नगर निकाय चुनाव के समय जो अति पिछड़ा आयोग बना था, आजतक उसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं हुई। लालू पहले अति पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक कराएं। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कभी भी जातीय गणना का विरोध नहीं किया। 

वहीं नीतीश कुमार द्वारा लालू को बेचारा कहे जाने पर सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार बिल्कुल ठीक ही कह रहे हैं क्योंकि उन्होंने ही लालू प्रसाद को बेचारा बना दिया। चार चार मामलों में सजायाफ्ता हो गए। नीतीश कुमार और ललन सिंह के कारण सजायाफ्ता हो गए। लालू अब मुखिया का भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। लालू की बीमारी का कोई कारण है तो वह नीतीश कुमार ही हैं, लालू को जेल में सड़ा दिया। अगर नीतीश कुमार में हिम्मत है तो लालू और बिहार की जनता से वे माफी मांगे कि फर्जी कागजातों के आधार पर उन्होंने लालू को फंसाया था।

नीतीश सरकार की मंत्रियों के प्राइवेट पीए को लेकर बड़ी कार्रवाई, अब नहीं कर सकेंगे यह काम

डेस्क : नीतीश सरकार ने अपने मंत्रियों के प्राइवेट पीए को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। अब मंत्रियों के आप्त सचिव किसी भी सरकारी कार्य में बेवजह दखल नहीं दे सकेंगे। प्रदेश के मुख्य सचिव ने आप्त सचिवों के पर कतरते हुए साफ कर दिया है कि प्राइवेट आप्त सचिव किसी भी सरकारी कामकाज में पत्राचार नहीं करेंगे। मौखिक आदेश भी नहीं देंगे। बाहरी आप्त सचिव मंत्री के निजी कार्यों में पत्राचार कर सकें। 

मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के इस आदेश को एक माह पहले हुए शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के बीच हुए विवाद से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने इसको लेकर सभी विभाग के सचिव,प्रधान सचिव,अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया है। जारी निर्देश के अनुसार आप्त सचिव (वाह्य) का पूर्वानुभव एवं ज्ञान सरकारी आप्त सचिव से भिन्न होने के कारण वे मंत्री की यात्रा, भ्रमण कार्यक्रम से संबंधित कार्य, गैर-सरकारी महानुभावों एवं सामान्य जन से साक्षात्कार के लिए समय निर्धारण आदि संबंधी कार्य एवं मंत्री द्वारा सौंपे गए अन्य गैर-सरकारी कार्य करेंगे।लेकिन, आप्त सचिव किसी विभागीय अधिकारी के साथ विभागीय कार्य से संबंधित अपने स्तर पर मौखिक विमर्श, समीक्षा, दिशा निर्देश अथवा लिखित पत्राचार नहीं करेंगे। 

सरकारी आप्त सचिव प्रशासनिक सेवाओं के पदाधिकारी होते हैं। उन्हें सरकारी नियमों, प्रक्रियाओं आदि की विस्तृत जानकारी एवं कार्यानुभव होता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि मंत्री के आप्त सचिव सरकारी के द्वारा सरकारी संचिकाओं से संबंधी कार्य, मंत्री के आदेशानुसार सरकार के पदाधिकारियों से पत्राचार संबंधी कार्य एवं मंत्री द्वारा सौंपे गये अन्य सरकारी काम करेंगे।

दरअसल, लगभग दो माह पहले शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर के आप्त सचिव और अपर मुख्य सचिव के पाठक के बीच पीत पत्र लिखे जा रहे थे। शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के बाहरी आप्त सचिव डॉ. कृष्ण नंदन यादव ने शिक्षा अपर मुख्य सचिव को पीत पत्र लिख दिया था। 

जिसमें उन्होंने शिक्षा विभाग के काम पर सवाल उठाए थे और लिखा था कि इससे मंत्री जी नाराज हैं। इसके जवाब में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने तीखा पलटवार किया था और आप्त सचिव को कार्यालय में प्रवेश करने पर रोक लगा दिया था।

बिहार में बेखौफ अपराधियों का तांडव, दिनदहाड़े कोर्ट परिसर में दो बंदियों को मारी गोली

डेस्क : बिहार में अपराधी पूरी तरह से बेखौफ हो गए है। उन्हें पुलिस और कानून का कोई भय नहीं रह गया है। आलम यह है कि कोर्ट परिसर जैसे क्षेत्र में भी वे किसी घटना को अंजाम देकर आराम से चलते बन रहे है। एक ऐसी घटना अपराधियों ने समस्तीपुर में अंजाम दिया है। 

समस्तीपुर में बेखौफ बदमाशों ने सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए शनिवार को दिनदहाड़े कोर्ट परिसर में दो बंदियों को गोली मारकर जख्मी कर दिया। वारदात के बाद पिस्तौल लहराते हुए बदमाश पैदल ही भागने में सफल रहे। गोली लगने से घायल दोनों बंदियों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सूचना मिलने पर एसपी विनय तिवारी, सदर डीएसपी संजय पांडेय, नगर थानाध्यक्ष विक्रम आचार्या आदि ने पुलिस बल के साथ कोर्ट परिसर का जायजा लिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जख्मी बंदियों की पहचान कल्याणपुर थाना के नीमा चकहैदर निवासी प्रभात चौधरी और मुफस्सिल थाना क्षेत्र के दुधपुरा निवासी प्रभात तिवारी के रूप में की गयी है। 

जानकारी के अनुसार, प्रभात चौधरी को शराब के मामले में और प्रभात तिवारी को चोरी व गबन के मामले में मंडल कारा से पेशी के लिए लाया गया था। कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस दोनों को कोर्ट परिसर स्थित हाजत ले जा रही थी। इसी दौरान तीन से चार बदमाशों ने प्रभात चौधरी को निशाना बनाते हुए गोली चला दी। उसके बाद दूसरे बदमाशों ने भी गोली चलानी शुरू कर दी। प्रभात चौधरी के बाये जांघ और प्रभात तिवारी के दायें हाथ में गोली लगी है। गोली चलते ही कोर्ट परिसर में भगदड़ मच गयी। लोग जान बचाने के लिए भागने लगे।

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023 का किया एलान, बिहार के इन तीन शिक्षकों का नाम शामिल

डेस्क : केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023 के तहत देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों की घोषणा कर दी है। इसके तहत बिहार के तीन शिक्षक देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों की सूची में शामिल किए गए हैं।

इनमें कैमूर भभुआ के आदर्श गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रामगढ़ के शिक्षक अनिल कुमार सिंह, सीतामढ़ी बाजपट्टी के बनगांव बाजार के मध्य विद्यालय, मधुबन के द्विजेंद्र कुमार और किशनगंज में उच्च विद्यालय सिंघिया की शिक्षक कुमारी गुड्डी शामिल हैं। 

बिहार से 6 शिक्षकों की सूची केंद्र सरकार को भेजी गई थी। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शनिवार को देश के 50 शिक्षकों को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। 

राज्य सरकार ने इन तीन के अलावा उच्च माध्यमिक विद्यालय मधेपुरा, कटिहार के अर्जुन साहा, कलुआही मधुबनी की संगीता कुमारी और मध्य विद्यालय हरिहरपुर हाजीपुर, वैशाली के प्रधानाध्यापक उमेश कुमार यादव का नाम भेजा था।

पटना पहुंचे चिराग पासवान ने सीएम नीतीश पर साधा जमकर निशाना, चाचा पारस को मिली जान से मारने की धमकी पर कही यह बात

डेस्क : लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यव व जमुई से सांसद चिराग पासवान आज शुक्रवार की शाम पटना पहुंचे। दिल्ली से पटना पहुंचते ही चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब बिहार के लोगों की चिंता करने की फुर्सत नहीं है। नीतीश कुमार तो सिर्फ मुंबई में होने वाली बैठक की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें सिर्फ इस बात की चिंता है कि उनको संयोजक बनाया जा रहा है या नहीं।

चिराग पासवान ने बिहार में बिगड़ते लॉ एंड ऑर्डर पर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इतनी फुर्सत नहीं की बिहार के बारे में सोच सकें। वे मुंबई में होने वाली बैठक को लेकर चिंतित है कि उन्हें संयोजक बनाया जाएगा या नहीं। अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लड़ रहे हैं। 

सीएम नीतीश कुमार पर तंज करते हुए चिराग ने कहा कि इंसान धोखा खाता है तो वह दूसरी बार जरूर सोचता है कि पहली बार उन्होंने भाजपा को धोखा दिया दो-दो बार महागठबंधन को भी धोखा दे चुके हैं। महागठबंधन के लोग भी उनको शक की नजर से देखते हैं। आगे उन्होंने कहा कि उनके सारे प्रकरण में बिहार और बिहारी कहां हैं, बिहार में आए दिन हत्याएं हो रही हैं।

सीबीआई द्वारा लालू प्रसाद की जमानत रद्द करने की मांग पर उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने खुद ही कई बार कहा है कि वे पूरी तरह से फिट हैं और भाजपा को फिट कर देंगे तो यकीनन उसके ऊपर एक रिव्यू जरूर होगा और न्यायालय का जो भी फैसला होगा वह मान्य होगा। 

वहीं चाचा पशुपति कुमार पारस को जान से मारने की मिली धमकी पर कहा कि यह बहुत ही गंभीर विषय है। बिहार में हर व्यक्ति की जान उतनी ही कीमती है जितनी और लोगों की है। बिहार के कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ही खराब हो चुकी है। अगर इस तरह की बातें सामने आ रही हैं तो सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से अपील की है कि इसके पीछे जो कोई भी हो जिसकी जांच हो जो भी दोषी हो उसके खिलाफ सरकार कार्रवाई करें।

वहीं चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग पर बिहार के नेताओं के आ रहे तरह तरह के बयानों पर उन्होंने कहा कि जो नेता हमारे देश की इतनी बड़ी उपलब्धि को नहीं समझ पाए उनके पास जानकारी का काफी अभाव है। ऐसे लोगों को प्रतिनिधित्व का मौका देना उचित नहीं है।

बिहार में निर्भया कांड की हुई पुनरावृति,एक नावालिग लड़की के साथ गैंगरेप के बाद फेंका सड़क पर,72 घंटे बाद आया लड़की को होश,तब इस मामले से पर्दा

समस्तीपुरः बिहार में समस्तीपुर जिले से एक खबर सामने आई जिसमे एक नावालिग लड़की के साथ तीन लोगों ने रातभर दुष्कर्म किया और उसे रोड किनारे फेंक दिया।यह घटना ठीक वैसे ही थी जैसे दरिंदों ने दिल्ली में निर्भया जैसी घटना को अंजाम दिया था।इस घटना के बाद पुलिस ने उस तीनों अपराधी को गिरफ्तार कर लिया है,जिसने अपना जुर्म कबूल लिया।

घटना की जानकारी तब सामने आई, जब तीन दिन बाद अस्पताल में भर्ती पीड़िता को होश आया और उसने पूरी कहानी पुलिस को बताई। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

पीड़िता ने जो कहानी बताई उसके अनुसार 16 अगस्त की रात 1 बजे वे और उसके पिता कोलकाता से समस्तीपुर स्टेशन पर उतरे थे। स्टेशन परिसर में एक बोलेरो खड़ी थी। जिसके चालक से बातचीत करने पर उसने कहा कि वो उन्हें घर पहुंचा देगा।

बोलेरो में उसके साथ एक और व्यक्ति भी बैठा था । ड्राइवर ने बताया कि यह भी सवारी है और उसी ओर जाना है। उसके बाद दोनों पिता पुत्री उस गाड़ी में बैठ गये।

मुक्तापुर के पास उस व्यक्ति ने दोनों बाप-बेटी को कोल्ड ड्रिंक पीने को दिया। कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद वो दोनों बेहोश हो गए।

इसके आगे की कहानी गिरफ्तार आरोपियों ने बताई।उन्होंने बताया कि पिता पुत्री के बेहोश होने के बाद उन्होंने उनके पास से रुपये और मोबाइल ले लिए। लड़की के पिता को बेहोशी हालत में पूसा रोड इलाके में सड़क के किनारे फेंक दिया। 

उसके बाद चालक समेत तीन लोगों ने चलती गाड़ी में बारी-बारी से लड़की के साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म की घटना के बाद अपराधियों ने मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र में लड़की को बेहोशी की हालत में अर्धनग्न अवस्था में फेंक दिया।

वहीं, सुबह आस-पास के लोगों ने जब लड़की को देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी गयी. सकरा और पूसा थाने की पुलिस ने दोनों पिता पुत्री को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। पीड़िता को 72 घंटे बाद जब होश आया तो 23 अगस्त को उसने महिला थाने में एक लिखित आवेदन दिया।

जिसके बाद जिला पुलिस कप्तान विनय तिवारी ने एक टीम गठित कर जांच के लिए लगाया। टीम ने कार्रवाई करते हुए मामले में तीन अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया. बोलोरो भी जब्त कर लिया गया।

जेल भेजे गए तीनों अपराधी 

इस मामले में गिरफ्तार अपराधियों ने इस घटना में अपनी संलिप्त स्वीकार कर ली है। अपराधियों की पहचान वैशाली के रहने वाले मोहम्मद सलाउद्दीन, मुजफ्फरपुर के मोहम्मद अलाउद्दीन और सकरा के यशवंत कुमार के रूप में की गयी। गिरफ्तार अपराधियों से पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।

तीन अपराधियों को बोलेरो के साथ गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। ये लोग समस्तीपुर, पटना, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर के स्टेशनों पर यात्रियों को निशाना बनाते थे। उन्हें नशीली दवा देकर लूट लेते थे।

पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने राज्य सरकार से किया सवाल, कांग्रेस शासित राज्यों में क्यों नहीं हुई जातीय गणना

डेस्क : जातीय गणना को लेकर सियासत जारी है। अब बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी के राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि कांग्रेस-शासित राज्यों में जातीय गणना क्यों नहीं हुई। कर्नाटक की सिद्धरमैया सरकार ने जातीय गणना करायी भी, तो उसकी रिपोर्ट जारी क्यों नहीं की गई?

सुशील मोदी ने यह भी सवाल किया कि राज्य सरकार ने 2022 के नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के लिए आनन-फानन में आयोग बनाकर जो रिपोर्ट बनवायी, उसे अब तक जारी क्यों नहीं किया गया? अब क्या गारंटी है कि सरकार जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक कर देगी? 

उन्होंने कहा कि बिहार में जातीय सर्वेक्षण कराने के निर्णय में भाजपा शामिल थी। विधानमंडल में दो बार समर्थन किया व प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल थी। 

राजद को इसी बात का दर्द है कि भाजपा ने जातीय गणना (सर्वे) का समर्थन क्यों किया और अब इसे पिछड़ा-विरोधी कैसे साबित करें।

प्रदेश के पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी खबर : डयूटी के दौरान मौत होने पर परिजनों को मिलेगा अब इतने लाख अनुदान

राज्य के पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के दौरान मौत होने पर उनके परिजनों को तत्काल 25 लाख रुपये का आर्थिक अनुदान दिया जाएगा। इसके दायरे में बिहार पुलिस के सिपाही से लेकर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) स्तर के अधिकारी भी आएंगे। राशि चेक के माध्यम से या संबंधित व्यक्ति के बैंक खाता में सीधे भुगतान किया जाएगा।

बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजविंदर सिंह भट्टी की अध्यक्षता में संपन्न बिहार पुलिस केंद्रीय प्रशासी समिति की मंगलवार करे हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। 

पूर्व में ड्यूटी के दौरान मौत पर दो लाख रुपये का भुगतान किया जाता था। इस बात की जानकारी गुरुवार को सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कल्याण) विशाल शर्मा ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।

समस्तीपुर के शहीद ओपी प्रभारी से राशि देने की शुरुआत

श्री शर्मा ने बताया कि प्रशासी समिति की बैठक में हुए निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। 25 लाख रुपये आर्थिक अनुदान देने की शुरुआत समस्तीपुर के मोहनपुर ओपी थाना अध्यक्ष शहीद नंदकिशोर यादव के परिजनों को राशि देकर की जाएगी।

विश्वविद्यालय व कॉलेजों में छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य, राज्यपाल ने सभी कुलपतियों को भेजा निर्देश

डेस्क : विश्वविद्यालय व कॉलेजों में पठन-पाठन का बेहतर वातावरण निर्माण को लेकर शिक्षा विभाग और राजभवन की ओर से हाल के महीने में कई कदम उठाये गए हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर लगातार कॉलेजों और विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान सभी कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति कम मिल रही थी। पिछले दिनों उच्च शिक्षा की निदेशक रेखा कुमारी ने भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को उपस्थिति बढ़ाने का निर्देश दिया था। कॉलेजों में उपस्थिति की रिपोर्ट राजभवन को भी भेजी जा रही थी।

राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी। राजभवन की ओर से इस बाबत बुधवार की रात सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश जारी किए गए हैं। 75 प्रतिशत उपस्थिति नहीं होने पर विद्यार्थियों को परीक्षा फॉर्म भरने नहीं दिया जाएगा। उन्हें परीक्षा में किसी सूरत में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा।

छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालयों के स्तर से भी प्रयास शुरू किए गए हैं। फिर भी अधिकतर कॉलेजों में यह संतोषजनक नहीं है। इस बीच 75 फीसदी उपस्थिति नहीं होने के बावजूद विश्वविद्यालय और कॉलेजों में परीक्षा फॉर्म भराए जाने के मामले में सामने आ रहे थे। इसी वजह से राजभवन ने छात्रों की उपस्थिति को 75 प्रतिशत करने का निर्देश दिया गया है।

राजभवन ने 75 फीसदी उपस्थिति नहीं होने के बावजूद परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति देने पर नाराजगी जताई है। राजभवन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि कम उपस्थिति के बाद भी छात्र-छात्राओं का परीक्षा फॉर्म भरवा कर उन्हें परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। 

राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू की ओर से सभी कुलपतियों को लिखे गए पत्र में 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा है कि उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम है तो परीक्षा में शामिल होने के लिए फॉर्म जमा नहीं कराएं। यदि कोई उचित कारण नहीं है तो ऐसे छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की इजाजत न दें। राजभवन की ओर से विश्वविद्यालयों को इस आदेश का पालन हर हाल में सुनिश्चित करने को कहा गया है।

प्रदेश के पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी खबर : डयूटी के दौरान मौत होने पर परिजनों को मिलेगा अब इतने लाख अनुदान

राज्य के पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के दौरान मौत होने पर उनके परिजनों को तत्काल 25 लाख रुपये का आर्थिक अनुदान दिया जाएगा। इसके दायरे में बिहार पुलिस के सिपाही से लेकर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) स्तर के अधिकारी भी आएंगे। राशि चेक के माध्यम से या संबंधित व्यक्ति के बैंक खाता में सीधे भुगतान किया जाएगा।

बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजविंदर सिंह भट्टी की अध्यक्षता में संपन्न बिहार पुलिस केंद्रीय प्रशासी समिति की मंगलवार करे हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। 

पूर्व में ड्यूटी के दौरान मौत पर दो लाख रुपये का भुगतान किया जाता था। इस बात की जानकारी गुरुवार को सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कल्याण) विशाल शर्मा ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।

समस्तीपुर के शहीद ओपी प्रभारी से राशि देने की शुरुआत

श्री शर्मा ने बताया कि प्रशासी समिति की बैठक में हुए निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। 25 लाख रुपये आर्थिक अनुदान देने की शुरुआत समस्तीपुर के मोहनपुर ओपी थाना अध्यक्ष शहीद नंदकिशोर यादव के परिजनों को राशि देकर की जाएगी।