राहुल गांधी ने आखिरी समय में अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने की रणनीति क्यों बदली
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2024 के लोकसभा चुनाव में अभी वक्त बचा है। हालांकि इससे पहले मंच तैयार किए जाने लगे हैं। इस मानसून सत्र को भी सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक बड़ा मंच मान लिया है। अभी एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि विपक्ष का सेमीफाइनल का मन था और दिल्ली सेवा बिल पर राज्यसभा में हुई वोटिंग एक तरह से सेमीफाइनल था। जिसके नतीजा सबके सामने है। इसी क्रम में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर लोकसभा चुनाव 2024 की लड़ाई को और आक्रामक रूप दे दिया है। जिसके एक खास रणनीति के तरह खेला जा रहा है। मंगलवार को राहुल गांधी का मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा शुरू नहीं करना कांग्रेस की इसी रणनीति का हिस्सा है।
नॉर्थ ईस्ट के लिए बड़ा संदेश दे गई कांग्रेस
दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता बहाली के बाद मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा शुरू करने वाले थे। हालांकि आखिरी समय में इसे बदल दिया गया। लोकसभा की कार्रवाई शुरू होने से ऐन पहले कांग्रेस में इसके लिए तैयारी भी पूरी थी। लोकसभा स्पीकर को नोटिस भी जारी कर दिया गया था। ट्विटर हैंडल से बाकायदा बताया गया था कि राहुल गांधी आज सदन में बोलेंगे। यू-ट्यूब पर भाषण का लिंक शेयर किया गया, लेकिन राहुल गांधी नहीं बोले। जैसे ही चर्चा शुरू होने वाली थी तभी कांग्रेस ने गौरव गोगोई को आगे कर दिया। कांग्रेस ने इसे अपनी रणनीति पर बताया। राहुल गांधी के एक फैसले ने सरकार की पूरी रणनीति फेल कर दी और नॉर्थ ईस्ट के लिए भी एक बड़ा संदेश दे दिया।
कांग्रेस की ओर से गोगोई ने यूं संभाला मोर्चा
मणिपुर के मसले पर होने वाली चर्चा की शुरुआत कांग्रेस की ओर से नॉर्थ ईस्ट से आने वाले एक सांसद ने की। कांग्रेस के युवा सांसद गौरव गोगोई असम से आते हैं। कांग्रेस यह संदेश देने में सफल होती दिखी कि उन्होंने पूर्वोत्तर की आवाज़ को उठाया है। गौरव गोगोई ने भी अपने भाषण में गृह मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पर निशाना साधा, यहां तक कि उनके निशाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी आए। गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौन पर सवाल उठाए और तीन मुख्य बिंदुओं के जरिए मणिपुर मसले पर सरकार की विफलता गिनाई।
राहुल बनाम मोदी की सीधी लड़ाई दिखाने की कोशिश
राहुल गांधी अगर शुरुआत में बोलते तब उसके बाद विपक्ष और सरकार के अन्य सांसदों का भाषण होता, लेकिन सरकार के बड़े मंत्रियों और खुद प्रधानमंत्री का भाषण आखिर में ही होता. ऐसे में इस बड़े गैप को भरने के लिए और राहुल बनाम मोदी की सीधी लड़ाई दिखाने के लिए कांग्रेस ने इसी रणनीति को आगे बढ़ाया।
राहुल गांधी के भाषण ना देने पर बीजेपी की आपत्ति
मोदी सरकार के खिलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जब राहुल गांधी ने मंगलवार को भाषण नहीं दिया तो उस पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस ने सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर एक पत्र दिया, जिसमें कहा गया कि राहुल गांधी बोलेंगे, बहस दोपहर में शुरू हुई, मुझे आश्चर्य है कि पाँच मिनट में ऐसी क्या समस्या आ गई कि उन्होंने भाषण ना देने का फ़ैसला ले लिया।इसके जवाब में कांग्रेस सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि “सत्ता पार्टी के मंत्रियों को लोकसभा स्पीकर के चेंबर में हुई बातों को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं लाना चाहिए।” चेतावनी वाले लहजे में उन्होंने कहा कि “अगर इस तरह स्पीकर से हुई हमारी बात को सामने लाया जा रहा है तो फिर चेंबर में प्रधानमंत्री और स्पीकर के बीच क्या बात हुई है ये भी आपको बताना होगा।”
गोगोई के इस बयान पर गृहमंत्री अमित शाह ग़ुस्से मे अपनी सीट से उठ गए और कहा, “ ये गंभीर आरोप है, आपको बताना चाहिए कि पीएम ने क्या कहा है।” प्रह्लाद जोशी ने स्पीकर से कहा, “आप स्पीकर और प्रधानमंत्री को लेकर ऐसे बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते। यह एक गंभीर मामला है।”इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने गौरव गोगोई से कहा मेरा चेंबर भी लोकसभा का हिस्सा है इसलिए ऐसे कोई बयान मत दीजिए जिसके पीछे सच्चाई ना हो।”
Aug 09 2023, 12:41