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मणिपुर मामले पर लोकसभा में बोले अमित शाह- हम तैयार, नहीं पता विपक्ष चर्चा क्यों नहीं चाहता

#amit_shah_said_we_are_ready_to_hold_discussion_on_manipur_violence

मणिपुर के मुद्दे को लेकर सोमवार को भी संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ। इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बयान दिया।मणिपुर मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष को दो टूक जवाब दिया है और कहा है कि मैं तो इस मुद्दे पर सदन में चर्चा के लिए तैयार हूं। मैं विपक्ष से अनुरोध करता हूं कि इस मुद्दे पर चर्चा होने दें।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, ‘मेरा विपक्ष के सभी सदस्यों से आग्रह है, एक संवेदनशील मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के सदस्यों ने चर्चा की मांग की है। मैं सदन में चर्चा के लिए तैयार हूं, विपक्ष चर्चा क्यों नहीं करना चाहता है। मेरी अपील है कि चर्चा होने दे और पूरे देश के सामने सच्चाई जाए यह काफी जरूरी है।

आपको बता दें कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था, जिसपर काफी बवाल हुआ था। 4 मई की इस घटना का वीडियो जुलाई में वायरल हुआ और उसके बाद पुलिस ने 5 लोगों को अरेस्ट किया था। विपक्ष इसी मसले पर चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन जब से मॉनसून सत्र शुरू हुआ है तभी से विपक्षी दलों का हंगामा जारी है।

मणिपुर में बीती तीन मई को कुकी और मैतई समुदाय के बीच आरक्षण की मांग को लेकर जातीय हिंसा भड़की थी। जिसमें अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

'चुनाव में लोगों के घर पहुंचाया था मटन, फिर भी नहीं जीते चुनाव', नितिन गडकरी ने सुनाया किस्सा

#nitin_gadkari_said_election_is_not_won_by_feeding_mutton

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने मुखर अंदाज के लिए जाने जाते हैं। इसी बीच नितिन गडकरी ने एक पुराना किस्सा सुनाते हुए बताया है कि कैसे एक-एक किलो मटन बांटने के बाद भी उनको चुनाव में शिकस्त मिली थी। यही नहीं,गडकरी ने ये भी कहा कि चुनाव के दौरान कोई प्रलोभन दिखाने के बजाय लोगों के दिलों में विश्वास और प्यार पैदा करें।

सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र के नागपुर में शिक्षक परिषद के विद्यार्थी सत्कार कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे। कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, मेरा इस बात पर विश्वास नहीं है कि लोग चुनावों में पोस्टर लगाकर खिला-पिलाकर जीत जाते हैं।मैं कई चुनाव लड़ चुका हूं। सारे एक्सपेरिमेंट कर चुका हूं। मैंने एक बार एक्सपेरिमेंट किया था, जिसमें एक-एक किलो सावजी मटन लोगों के घरों में पहुंचाया था। लेकिन फिर भी मैं चुनाव हार गया था।

केंद्रीय मंत्री सलाह दी कि प्रचार के होर्डिंग्स लगाने या मटन पार्टी देने से कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। जनता का विश्वास और प्यार बनाएं। चुनाव के दौरान कोई प्रलोभन दिखाने के बजाय लोगों के दिलों में विश्वास और प्यार पैदा करें।

गडकरी ने कहा, लोग अकसर कहते हैं कि हमें सांसदी का टिकट दे दो। वह नहीं तो विधायक का टिकट दे दो। नहीं तो एमएलसी या फिर आयोग का टिकट दे दो। इतना भी नहीं तो मेडिकल कॉलेज दे दो। वह भी नहीं तो इंजीनियरिंग या बीएड कॉलेज दे दो। यह भी नहीं तो प्राइमरी स्कूल दे दो, ताकि मास्टर की आधी सैलरी मिल जाए।मगर इससे देश नहीं बदलेगा।

दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, 3 सालों में विज्ञापन पर 1100 करोड़ खर्च कर सकते हैं, तो आरआरटीएस के लिए भी पैसे होंगे

#supreme_court_reprimanded_the_delhi_government

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) में देरी को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार को दो महीने के अंदर 'रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम' (आरआरटीएस) के लिए 415 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है।

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कड़े लहजे में कहा की केजरीवाल की नेतृत्व वाली आप सरकार ने पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, इसका मतलब हुआ कि सरकार के पास फंड की कमी नहीं है तो आप बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को फलीभूत होने के लिए पैसा दे ही सकते हैं।

पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार के वकील ने दो जजों की बेंच को बताया कि धन की कमी है और वित्तीय मदद करने में असमर्थता व्यक्त की थी। इस पर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने आप सरकार को निर्देश दिया था कि वह दो हफ्ते के अंदर फंड्स की गणना की जानकारी के साथ एफिडेविट मुहैया कराएं। पीठ ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने ‘कॉमन प्रोजेक्ट’ के लिए कोष देने में असमर्थता जताई है। चूंकि इस परियोजना में धन की कमी एक बाधा है। इसलिए हम दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं, जिसमें विज्ञापन के लिए खर्च किए गए धन का ब्योरा दिया जाए क्योंकि यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है। इसमें पिछले वित्तीय वर्षों का ब्योरा दिया जाए।

आप सांसद संजय सिंह राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए सस्पेंड, जानें सभापति जगदीप धनखड़ ने क्यों लिया ये फैसला

#aapmpsanjaysinghsuspededformrajyasabhaparilamenmonsoonsession

मणिपुर मामले को लेकर संसद के दोनों सदनों में लगातार हंगामा हो रहा है। सोमवार को राज्यसभा, लोकसभा में भी जमकर बवाल हुआ। सोमवार को राज्यसभा में मणिपुर हिंसा के मसले पर हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने सभापति से संजय सिंह की शिकायत की थी।उनकी शिकायत के आधार पर ही यह फैसला लिया गया है और मॉनसून सत्र के लिए संजय सिंह को राज्यसभा से सस्पेंड कर दिया गया है। इस फैसले के बाद विपक्ष के सभी नेताओं ने राज्यसभा चेयरमैन के साथ बैठक की और फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही।

राघव चड्ढा ने निलंबन को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

आप सांसद राघव चड्ढा ने संजय सिंह के निलंबन पर कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभापति ने संजय सिंह को निलंबित कर दिया। यह सही नहीं है, यह लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है। सदन के स्थगित होने के बाद हमने सभापति से मुलाकात की और उनसे निलंबन वापस लेने की अपील की। सभापति को सभी सांसदों को बुलाकर बात करनी चाहिए और स्वस्थ चर्चा करनी चाहिए। 

सच बोलने पर सस्पेंड हुए तो हमें कोई दुख नहीं

दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर संजय सिंह जनता के हित सच की आवाज उठाते हुए सस्पेंड हुए हैं तो हमें कोई दुख नहीं है। इस माले में आगे क्या कर्रवाई होगी इस बात को संयज सिंह देखेंगे। आम आदमी पार्टी लीगल विंग के लोग इस मसले को आगे बढ़ाएंगे।

बता दें कि मणिपुर में हाल ही में वायरल हुए वीडियो के बाद देशभर में गुस्सा था। वीडियो में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया जा रहा था, उसके बाद उनके साथ यौन शोषण भी किया गया था। विपक्ष की ओर से लगातार मणिपुर मसले पर संसद में हंगामा किया जा रहा है और प्रधानमंत्री के बयान की मांग की जा रही है।सरकार की ओर से मणिपुर मसले पर चर्चा की बात कही गई है, हालांकि सरकार का यह भी कहना है कि संबंधित मंत्रालय इसपर सदन में बयान देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही सदन के बाहर मणिपुर मसले पर बयान दे चुके हैं और अपना रोष व्यक्त कर चुके हैं।

आप सांसद संजय सिंह राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए सस्पेंड, जानें सभापति जगदीप धनखड़ ने क्यों लिया ये फैसला

#aapmpsanjaysinghsuspededformrajyasabhaparilamenmonsoonsession

मणिपुर मामले को लेकर संसद के दोनों सदनों में लगातार हंगामा हो रहा है। सोमवार को राज्यसभा, लोकसभा में भी जमकर बवाल हुआ। सोमवार को राज्यसभा में मणिपुर हिंसा के मसले पर हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने सभापति से संजय सिंह की शिकायत की थी।उनकी शिकायत के आधार पर ही यह फैसला लिया गया है और मॉनसून सत्र के लिए संजय सिंह को राज्यसभा से सस्पेंड कर दिया गया है। इस फैसले के बाद विपक्ष के सभी नेताओं ने राज्यसभा चेयरमैन के साथ बैठक की और फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही।

राघव चड्ढा ने निलंबन को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

आप सांसद राघव चड्ढा ने संजय सिंह के निलंबन पर कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभापति ने संजय सिंह को निलंबित कर दिया। यह सही नहीं है, यह लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है। सदन के स्थगित होने के बाद हमने सभापति से मुलाकात की और उनसे निलंबन वापस लेने की अपील की। सभापति को सभी सांसदों को बुलाकर बात करनी चाहिए और स्वस्थ चर्चा करनी चाहिए।

सच बोलने पर सस्पेंड हुए तो हमें कोई दुख नहीं

दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर संजय सिंह जनता के हित सच की आवाज उठाते हुए सस्पेंड हुए हैं तो हमें कोई दुख नहीं है। इस माले में आगे क्या कर्रवाई होगी इस बात को संयज सिंह देखेंगे। आम आदमी पार्टी लीगल विंग के लोग इस मसले को आगे बढ़ाएंगे।

बता दें कि मणिपुर में हाल ही में वायरल हुए वीडियो के बाद देशभर में गुस्सा था। वीडियो में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया जा रहा था, उसके बाद उनके साथ यौन शोषण भी किया गया था। विपक्ष की ओर से लगातार मणिपुर मसले पर संसद में हंगामा किया जा रहा है और प्रधानमंत्री के बयान की मांग की जा रही है।सरकार की ओर से मणिपुर मसले पर चर्चा की बात कही गई है, हालांकि सरकार का यह भी कहना है कि संबंधित मंत्रालय इसपर सदन में बयान देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही सदन के बाहर मणिपुर मसले पर बयान दे चुके हैं और अपना रोष व्यक्त कर चुके हैं।

राजस्थान विधानसभा में बवाल, लाल डायरी लहराते अध्यक्ष के पास पहुंचे गुढ़ा, हंगामा हुआ तो मार्शल ने बाहर निकाल

#rajasthanassemblyuproaroverlaldiaryissuerajendragudha

राजस्थान में लाल डायरी को लेकर बवाल मचा है। एक मंत्री की छुट्टी हो चुकी है और अब विधानसभा में इस मसले पर जमकर हंगामा भी हो रहा है।राजस्थान के पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा को राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बर्खास्त कर दिया है। इस मामले पर अब भाजपा सरकार कांग्रेस की आलोचना कर रही है। इस बीच राजेंद्र गुढ़ा आज विधानसभा पहुंचे थे। उनके हाथ में लाल डायरी भी थी जिसका जिक्र उन्होंने रविवार के दिन किया था। राजेंद्र राठौड़ ने सदन में जब लाल डायरी का मुद्दा उठाया तो सदन में हंगामा शुरू हो गया।हंगामा हुआ तो मार्शल ने उन्हें बाहर निकाल दिया।राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा के बाहर दावा किया कि सदन में उनके साथ मारपीट की है।

दरअसल, सोमवार को जब विधानसभा का सत्र शुरू हुआ, तब राजेंद्र गुढ़ा ने लाल डायरी को पेश करने की कोशिश की और बिना स्पीकर की इजाजत के वह सदन में बोलने लगे। इस दौरान उनकी विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के साथ तीखी बहस हुई।डायरी लहराते हुए गुढ़ा ने कहा कि मुझे बोलने दिया जाए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी उनसे बार-बार कहते रहे 'कम टू माय चेंबर' यहां सदन में नहीं बोलने दिया जाएगा, आप मुझे डिक्टेट नहीं कर सकते। आप चेंबर में आइए। इस पर गुढ़ा तैयार नहीं हुए तो जोशी ने उनसे कहा कि दादागिरी करनी है क्या?

मार्शल धक्के देकर सदन से बाहर ले गए

इस बीच सदन में हो रही गहमा-गहमी में राजेंद्र गुढ़ा और शांति धारिवाल के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई। कांग्रेस विधायक रफीक खान ने बीच-बचाव करने का प्रयास किया।इसके बाद बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश के बाद मार्शल धक्के देकर सदन से बाहर ले गए। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को स्थगित कर दिया।

'मुझ पर 50 लोगों ने हमला किया' भावुक हुए राजेंद्र गुढ़ा

सदन के बाहर आकर राजेंद्र गुढ़ा मीडिया के सामने रो पड़े। उन्होंने दावा किया कि सदन के भीतर उनके साथ मारपीट हुई है और सरकार के मंत्रियों ने जबरन उन्हें बाहर निकाल दिया। राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि लगभग 50 लोगों ने मुझ पर हमला किया, मुझे मुक्का मारा। लात मारी और कांग्रेस नेताओं ने मुझे विधानसभा से खींचकर बाहर निकाल दिया। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने मुझे बोलने तक नहीं दिया। मेरे ऊपर आरोप लगे कि मैं बीजेपी के साथ हूं। मैं जानना चाहता हूं कि मेरी गलती क्या है? इस दौरान वो भावुक दिखे, आंखों में आंसू तक आ गए।

आखिर लाल डायरी है क्या

राजेंद्र गुढ़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने एक लाल डायरी का जिक्र किया है। उनका दावा है कि जो डायरी उनके पास है। उस डायरी में अशोक गहलोत के कारनामे लिखे हैं। गुढा ने दावा किया कि अगर वे इस डायरी का खुलासा कर देते तो अशोक गहलोत मुख्यमंत्री ना होकर जेल में होते। इस डायरी का जिक्र गुढा ने दो महीने पहले ही किया था। तब उन्होंने कहा कि जुलाई 2020 में सियासी संकट के समय सरकार बचाने के लिए अशोक गहलोत ने बीजेपी के किस किस विधायक को कितने कितने रुपए में खरीदा। इसके सारे सबूत उनके पास डायरी में लिखे हैं। गुढ़ा ने जल्द ही इस डायरी के राज खोलने की बात कही। इसी बीच बीजेपी के सदस्यों ने इस डायरी के राज खोलने की मांग करते हुए सदन में भारी हंगामा कर दिया

ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक, मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट जाने का आदेश

#supremecourtongyanvapimasjidasisurvey

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है। इस दौरान मस्जिद कमेटी को हाई कोर्ट जाने का मौका दिया गया है। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन कमेटी ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के लिए वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया।

ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई के सर्वे पर 26 जुलाई शाम पांच बजे तक रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि ज्ञानवापी मस्जिद में क्या हो रहा है? इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद में खुदाई नहीं हो रही है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में एक सप्ताह तक खुदाई का काम नहीं कराने की बात कही। फोटोग्राफी और राडार इमेजिंग के जरिए सर्वे कराने की बात कही गई। एएसआई की ओर से कहा गया कि हम लोग केवल सर्वे का काम कर रहे हैं। 

मुस्लिम पक्ष को राहत

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि मुस्लिम पक्ष मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट जाए। इसके बाद एएसआई के सर्वे पर कोर्ट ने 26 जुलाई तक रोक लगाने का आदेश दिया। हाई कोर्ट को स्टे खत्म होने से पहले फैसला देने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ जिला कोर्ट के एएसआई सर्वे पर भी रोक लगा दी है। इसे मुस्लिम पक्ष को राहत के रूप में देखा जा रहा है।

21 जुलाई को सर्वे का दिया था आदेश

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते 21 जुलाई को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य हिस्से का एएसआई वैज्ञानिक जांच करे। साथ ही रिपोर्ट बनाकर चार अगस्त तक दे और बताए कि क्या मंदिर तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है।

यूपीः वाराणसी में गंगा का रौद्र रूप, सभी घाट डूबे, नावों के संचालन पर रोक, विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का स्थान बदलकर दशाश्वमेध घाट से 40 फीट पीछे किया गया



 यूपी के काशी में गंगा का रौद्र रूप दिखने लगा है। सभी घाट जलमग्न हो गए हैं। बनारस की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का स्थान बदलकर दशाश्वमेध घाट से 40 फीट पीछे कर दिया गया है। पर्यटन भी बुरी तरह प्रभावित हो गया है।

गंगा का पानी वरुणा नदी में भी प्रवेश करने लगा है। जिससे तटीय इलाकों में बने घरों पर खतरा मंडराने लगा है। गंगा 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं। जलस्तर 66 मीटर तक पहुंच गया है। पानी बढ़ने से गंगा में नावों का संचालन रोक दिया गया है।

मणिकर्णिका घाट डूबने से अंतिम संस्कार में दिक्कत

काशी का महाश्मशान कहे जाने वाला मणिकर्णिका घाट भी डूब गया है। अंतिम संस्कार में लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध और सिंधिया घाट भी गंगा की आगोश में समा गया है। वाराणसी के सभी 84 घाटों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। गंगा किनारे रहने वाले लोगों को जिला प्रशासन ने चेतावनी दे दी है और उन्हें सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए कह दिया गया है।

फर्रुखाबाद में काशीराम कॉलोनी डूबी, दो सौ परिवार भागे

फर्रुखाबादः जिले में गंगा के बढ़ते जलस्तर ने 10 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। काशीराम कॉलोनी हैबतपुर गढ़िया में बाढ़ ने तबाही मचा दी है। गंगा खतरे के निशान से 20 सेमी ऊपर बह रही है। नरौरा बांध से 1 लाख 32 हजार क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया है।

शमसाबाद, अमृतपुर, राजेपुर क्षेत्र के 150 से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। काशीराम कॉलोनी हैबतपुर गढ़िया में बाढ़ का पानी 5 से 6 फीट तक भरा है। जिसकी वजह से करीब 200 परिवार काशीराम कॉलोनी से पलायन कर चुके हैं। हजारों एकड़ फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद कूनो नेशनल पार्क में चीतों को खुले जंगल से पकड़कर बाड़े में किया गय शिफ्ट, 6 चीतों के रेडियो काॅलर हटाए गए

 सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को खुले जंगल से पकड़कर बाड़े में शिफ्ट किया गया है। वहीं 6 चीतों के रेडियो काॅलर हटाए जा चुके हैं। कूनो में वन विभाग की टीम नामीबिया और साउथ अफ्रीका से आए एक्सपर्ट के साथ चीतों की जांच कर रही है। फिलहाल 11 बाड़े में अभी कुल 11 चीते हैं। चीतों को मानसून सीजन तक बाड़े में ही रखा जा सकता है।

कोर्ट ने लगाई थी फटकार

बता दें कि 3 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट चीतों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि राजनीति से ऊपर उठकर कूनो से कुछ चीतों को राजस्थान या अन्य जगह शिफ्ट करने का विचार करना चाहिए। आपको राजस्थान में क्या दिक्कत है? सिर्फ इसलिए कि राजस्थान में विपक्षी दल की सत्ता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप चीतों के लिए कुछ सोचना ही बंद कर देंगे।

गर्दन से हटाए जा रहे रेडियो काॅलर

कोर्ट ने आगे कहा कि नामीबिया से जितने चीते लाए गए थे, उनमें से 40 फीसदी की मौत हो चुकी है। जबकि इन्हें यहां लाए अभी एक साल भी नहीं हुआ है। बता दें कि रेडियो काॅलर से नर चीते तेजस और सूरज की गर्दन पर घाव के निशान मिले हैं। इसके बाद इनको हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इससे पहले अधिकारियों ने रेडियो काॅलर से चीतों की मौत होने को नकार दिया था।

प्रोजेक्ट ‘चीता’ के तहत लाए गए थे भारत

उल्लेखनीय है कि चीतों को दक्षिण अफ्रीका से एक समझौते के तहत भारत लाया गया था। कूनो पार्क में लाए जाने के बाद चीतों अलग-अलग रखा गया था। नामीबिया से लाए गए चीतों को पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर 2022 को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इस अवसर पर सीएम शिवराज सिंह चैहान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद थे।

बता दें कि नामीबिया से कुल 8 चीते भारत लाए गए थे। जबकि दक्षिण अफी्रका से 12 चीते भारत लाए गए थे। इनमें 10 नर और 10 मादा चीता शामिल थे। इनमें से अब तक 9 चीतों की मौत हो चुकी हैं। जबकि 11 चीतों को बचाने के लिए वन विभाग के विशेषज्ञ कवायद में जुटे हैं।

हंगामे की भेंट चढ़ता दिख रहा संसद का मानसून सत्र, मणिपुर-राजस्थान को लेकर जमकर हंगामा

#parliament_monsoon_session

संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ता दिख रहा है।मणिपुर हिंसा मामले में संसद के दोनों सदनों में बवाल जारी है। मणिपुर पर पीएम मोदी के दोनों सदनों में बयान देने की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने संसद में विरोध प्रदर्शन किया। वहीं सरकार भी विपक्ष के आगे अपना तेवर नरम करने की मूड में नजर नहीं आ रही है। 

सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा भी शुरू हो गया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा है कि सदन चर्चा के लिए तैयार है। नारेबाजी और तख्तियां लाने से समाधान नहीं निकलेगा। जनता ने आपको यहां तख्तियों और नारेबाजी के लिए नहीं भेजा। हालांकि इसके बाद भी विपक्ष लगातार नारेबाजी करते रहे।

मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष खासा हमलावर रुख अपनाए हुए है। विपक्षी सांसदों ने सोमवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले मणिपुर की घटना को लेकर धरना प्रदर्शन किया। विपक्षी सांसदों ने इस दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रधानमंत्री से घटना को लेकर संसद में बयान देने की मांग की। 

राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'हम भी चर्चा के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री इस मामले पर अपनी बात रखें। अगर 140 करोड़ का नेता बाहर प्रेस से बात करता है और 140 करोड़ जनता के प्रतिनिधि अंदर बैठे हैं, तो आप (प्रधानमंत्री) पहले अंदर अपना बयान दीजिए। उसके बाद हम एक निर्णय लेंगे।