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*सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी ! हर अधिकारी को 1.3 लाख तक के मिलेंगे फोन-लैपटॉप*

डेस्क: केंद्र सरकार में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है. सरकार ने कामकाज के लिए अधिकारियों को करीब डेढ़ लाख रुपये तक की कीमत के मोबाइल फोन, लैपटॉप या अन्य उपकरण देने की घोषणा की है. इसके साथ ही अधिकारी चार साल तक इनका पर्सनल यूज भी कर सकेंगे.

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इसे लेकर ज्ञापन के जरिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. ज्ञापन के मुताबिक, जिन अधिकारियों के लिए यह सुविधा है वे आधिकारिक कामकाज के लिए 1.3 लाख तक की कीमत का मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, फैबलेट, नोटबुक, नोटपैड, अल्ट्रा-बुक, नेट-बुक या अन्य उपकरण ले सकते हैं. 

मिलेंगे 1.3 लाख तक के उपकरण

दिशा निर्देशों में यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार के उप-सचिव और इससे ऊपर के स्तर के सभी अधिकारी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्राप्त करने के पात्र हैं. अनुभाग अधिकारियों और अवर सचिवों के मामले में 50 प्रतिशत अधिकारियों को ऐसे उपकरण जारी किए जा सकते हैं. उपकरणों की कीमत को लेकर ज्ञापन में कहा गया कि इनकी कीमत एक लाख तक हो सकती है, जिसमें टैक्स शामिल नहीं है. वहीं, ऐसे उपकरण जिनमें 40 प्रतिशत से अधिक मेक-इन-इंडिया कलपुर्जों का इस्तेमाल हुआ है, उन उपकरणों के लिए यह सीमा 1.30 लाख रुपये है और यह राशि टैक्स से अलग है.

4 साल तक निजी इस्तेमाल की भी छूट

ज्ञापन में यह भी में कहा गया, "यदि किसी मंत्रालय/विभाग में अधिकारी को पहले से ही एक उपकरण आवंटित हैं, तो उसे चार साल तक नया उपकरण जारी नहीं किया जा सकता." इसमें कहा गया कि अधिकारी चार साल के बाद इस उपकरण को अपने पास रख सकते हैं. इससे पहले मार्च में एक आदेश आया था, जिसमें ऐसे उपकरण के लिए कीमत 80,000 रुपये तय की गई थी और निजी इस्तेमाल की भी कोई बात नहीं कही गई थी.

कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, "संबंधित मंत्रालय/विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपकरण को अधिकारी को रखने के लिए सौंपने से पहले इसमें से पूरा डेटा साफ कर दिया गया है. 21 जुलाई, 2023 के इस कार्यालय ज्ञापन के बाद 27 मार्च, 2020 को जारी आदेश हट जाएगा, जिसमें ऐसे उपकरणों की कीमत 80,000 रुपये तय की गई थी और व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपकरणों को रखने का कोई प्रावधान नहीं था."

ISKCON के संत अमोघ लीला दास ने स्वामी विवेकानंद पर की गई टिप्पणी को लेकर मांगी माफी

डेस्क: इस्कॉन मंदिर के के संत अमोघ लीला दास इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। बीते दिनों उन्होंने स्वामी विवेकानंद पर एक टिप्पणी की थी। इस बयान में उन्होंने स्वामी विवेकानंद के मछली खाने को लेकर बयान जारी दिया था। इस बयान के सामने आने के बाद विवाद शुरू हो गया। इसके बाद अब उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगते हुए कहा है कि उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। बता दें कि अमोघ लीला इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) से जुड़े हुए हैं। विवेकानंद पर उनके बयान के बाद जब विरोध शुरू हुआ तब इस्कॉन ने उनपर महीने भर का प्रतिबंध लगा दिया था। 

वीडियो बनाकर मांगी माफी

अमोघ लीला दास ने एक वीडियो शेयर करते हुए विवेकानंद मामले पर माफी मांगी है। अपने वीडियो में उन्होंने कहा कि वह किसी को दुखी नहीं करना चाहते थे और न ही बुरा महसूस करवाना चाहते थे। उनसे एक भक्त द्वारा जब सवाल किया गया तब उन्होंने जवाब दिया जिसपर विवाद शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा बोली गई बातों से जिनकी भी भावनाएं आहत हुई हैं मैं उनसे माफी मांगता हूं। मैं सभी संतों से माफी मांगता हूं। बता दें कि अमोघ लीला दास के बयान के बाद इस्कॉन ने उनसे दूरी बनाते हुए महीने भर का प्रतिबंध लगा दिया था। 

क्या बोले थे अमोघ लीला दास

इस्कॉन ने अमोघ के बयान पर कहा था कि उनका बयान इस्कॉन के मूल्यों और शिक्षा को नहीं दर्शाते हैं। इस्कॉन ने अमोघ लीला दास के बयानों की निंदा की और कहा कि ये न सिर्फ अपमानजनक है बल्कि ज्ञान की कमी को भी दर्शाता है। बता दें कि अपने प्रवचन के दौरान अमोघ लीला दास से एक भक्तजन द्वारा सवाल पूछा गया था जिसपर उन्होंने स्वामी विवेकानंद के मछली खाने पर सवाल उठाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि क्या कोई सदाचारी व्यक्ति मछली खाएगा, मछली को भी दर्द होता है। उन्होंने प्रवचन के दौरान स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस पर भी टिप्पणी की थी।

करगिल युद्ध में देश को बचाया, लेकिन अपने परिवार को नहीं बचा सका

मणिपुर हिंसा के दौरान महिलाओं को नग्न करा परेड कराने वाले आरोपितों के विरूद्ध फूटा एक पीड़िता के पति का दर्द



मेरे सामने पत्नी को निर्वस्त्र कर दिया, घर जला दिया, जंगलों में भटकता रहा... पीड़िता के पति ने बयान किया हॉरर की घटना का आंखों देखा हाल

मणिपुर हिंसा के 80 दिन हो गए हैं। तब से लगभग हर रोज राज्य में हिंसा से जुड़ी खबरें आ रही हैं। चार दिन पहले दो महिलाओं के साथ हैवानियत का वीडियो आने से पूरे देश का खून खौल उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताया और दोषियों को सख्त सजा दिलाने का आश्वासन दिया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राजनीति भी जारी है। इस बीच, हॉरर वीडियो पीड़िता के परिजन ने मीडिया से बातचीत की है।

घटना 4 मई की है। पति ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि वो असम रेजिमेंट में सूबेदार रहे हैं। पति ने बताया कि कैसे पुलिस के सामने उनके घर पर हमला हुआ। उनके सामने उनकी पत्नी के भीड़ ने कपड़े फाड़ दिए। लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी रही। पति कहते हैं कि वो भारतीय सेना का हिस्सा रहे हैं। कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए लड़े. रिटायरमेंट के बाद गांव आया। कहते हैं कि मैंने देश की रक्षा की, लेकिन दुख इस बात का है कि अपना घर, अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर पाया... मैं दुखी और उदास हूं।

'मैंने अपने देश को तो बचा लिया, लेकिन...'

पति का कहना था कि मैंने करगिल युद्ध में देश को बचा लिया, लेकिन अपने परिवार को नहीं बचा सका। पति कहते हैं कि उनके गांव में तनाव की शुरुआत 3 मई को हुई। हम पुलिस के पास पहुंचे लेकिन उन्होंने मदद नहीं की। 4 मई को हजारों की संख्या में लोग जुटे। उनके हाथों में हथियार थे। ये लोग हमारे गांव आए और घरों में आग लगा दी। हम तीन परिवार एक झाड़ी के नीचे छुपे हुए थे।

'मैंने विरोध किया तो जान से मारने की धमकी दी'

वो कहते हैं कि लूटपाट के बाद उन्होंने हमें ढूंढ लिया। वे मेरी पत्नी और एक अन्य लड़की को अपने साथ ले गए। उन्होंने हमारे सामने अपने कपड़े उतार दिए। जैसे ही एक पीड़िता के पिता और भाई ने उसे बचाने की कोशिश की तो उन्होंने दोनों को मार डाला। फिर उन्होंने मेरी आंखों के सामने मेरी पत्नी और उस दूसरी लड़की को निर्वस्त्र कर दिया। मैं कुछ नहीं कर पाया। जिंदगी में इतनी बेबसी कभी नहीं देखी। भीड़ में शामिल लोगों ने मेरी पत्नी और दूसरी लड़की की परेड शुरू कर दी। गांव वालों के सामने दोनों महिलाओं को पगडंडियों से लेकर घुमाते रहे। जब हमने अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश की तो उन्होंने हमें जान से मारने की धमकी दी। मुझसे और लड़की के पिता-भाई से लोगों ने कहा कि मरना नहीं चाहते हो तो यहां से भाग जाओ।

'केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे'

वे लोग दोनों महिलाओं को अपने साथ ले गए। यह भयावह था. पूरा मामला पुलिस की मौजूदगी में हुआ। जब लौटकर गांव आए तो घर जला दिया गया था। अपनी जान बचाने के लिए कई दिन तक जंगलों में भटकते रहे। 18 मई को जब हम पुलिस स्टेशन पहुंचे तब शिकायत दर्ज करवा पाए। लेकिन, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. पत्नी और गांव की लड़की के साथ रेप किया गया है। हम चाहते हैं कि भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और पीड़ित परिवारों को न्याय दे।

'दोषियों को सजा दी जाए'

पूर्व सैन्यकर्मी और पीड़ित महिला के पति ने कहा- पुलिस मौके पर मौजूद थी। मैं चाहता हूं कि उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिले, जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया। मैंने देश के लिए कारगिल में लड़ाई लड़ी। श्रीलंका भी गया. पहले और द्वितीय विश्व युद्ध में हमारे परिवार ने भी हिस्सा लिया है। सोचकर बहुत दुखी हो जाता हूं। ऐसा कभी होने की उम्मीद भी नहीं थी। देश के लिए बॉर्डर पर लड़ाई तो देखी है, लेकिन देश के अंदर आपस में ऐसी लड़ाई नहीं देखी थी।

'करगिल युद्ध लड़ा... लेकिन मैं अपनी पत्नी को नहीं बचा सका', मणिपुर की पीड़ित महिला के पति का छलका दर्द

मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसा

बता दें कि इस दरिंदगी का वीडियो सामने आने के एक दिन बाद यानी गुरुवार को मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मणिपुर पुलिस ने कहा, अन्य दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। राज्य में 3 मई को पहली बार जातीय हिंसा भड़की। उसके बाद से 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। कई लोग घायल हुए हैं। हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया। मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है। वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

महाराष्ट्र के यवतमाल में बाढ़ में फंसे 40 लोगों के लिए बुलाया वायुसेना का हेलिकॉप्टर, ऑरेंज अलर्ट जारी, फंसे 65 लोगों को SDRF और एयरफोर्स ने निक


उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और नेपाल में लगातार हो रही बारिश से जहां एक तरफ मैदानी इलाकों के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में जारी मानसून की बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। यवतमाल जिले में हो रही लगातार बारिश के बाद बाढ़ में कई लोगों के फंसे होने की खबर है, जिनके लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

बाढ़ में फंसे 65 लोग को SDRF और एयरफोर्स ने सुरक्षित निकाला

महाराष्ट्र में यवतमाल जिले के महागांव तहसील में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ में फंसे सभी 65 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि यहां राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) को बचाव कार्य में लगाया गया। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना के दो Mi-17 हेलीकॉप्टर भी बचाव अभियान में शामिल हुए और गांव में बाढ़ के कारण फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया।

कुवैत में नौकरी का झांसा देकर बेरोजगार युवकों से करीब 50 लाख रुपये ठगे, फर्जी वीजा देकर दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर भेजा तब खुला मामला

बिहार की राजधानी पटना के कोतवाली थाना क्षेत्र में एक प्लेसमेंट एजेंसी ने कुवैत में नौकरी का झांसा देकर बेरोजगार युवकों से करीब 50 लाख रुपये ठग लिए। वीजा और नौकरी के नाम पर रुपये लिए गए थे। उन्हें फर्जी वीजा देकर यात्रा के लिए दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर भेज दिया। वहां जाने पर पता चला कि वीजा फर्जी है। वापस पटना लौटकर पीड़ितों ने ठगी की शिकायत कोतवाली थाने में की। थानेदार संजीत कुमार ने बताया कि मामले की छानबीन की जा रही है। एजेंसी संचालक और अन्य की भूमिका की जांच की जा रही है।

कुवैत में दिया नौकरी का झांसा

एसपी वर्मा रोड स्थित करपुरा हाउस में सनसाइन इंटरप्राइजेज नाम से प्लेसमेंट एजेंसी का कार्यालय था। एजेंसी ने गत दिनों सोशल मीडिया पर विदेश में नौकरी का विज्ञापन दिया था। इसमें कुवैत में फीडर, प्लंबर, हेल्पर, इलेक्ट्रिकल और तकनीशियन जैसे पदों पर नौकरी दिलाने का दावा किया गया था। प्रतिमाह आकर्षक तनख्वाह देने की बात कही गई थी। विज्ञापन देख कई युवा झांसे में आ गए। ऑनलाइन आवेदन करने पर ठगों ने युवकों ने पासपोर्ट के साथ कार्यालय में बुलाया। वहां दो दर्जन युवकों से हवाई टिकट के अलावा चरित्र प्रमाणपत्र आदि के बदले मोटी रकम के अलावा वीजा के नाम पर 40 से 45 हजार रुपये ले लिए गए। ये वे लोग हैं जिन्होंने थाने में शिकायत दी है। पीड़ितों की संख्या 50 से ज्यादा बताई जा रही है।

हवाई टिकट, वीजा के नाम पर लिए पैसे 

रुपये लेकर प्लेसमेंट संचालक ने युवकों को फर्जी वीजा देकर उन्हें दिल्ली भेज दिया। युवकों को बताया गया कि सभी का कुवैत का हवाई टिकट करा दिया गया है। संबंधित विमानन कंपनी के काउंटर पर सभी लोगों को टिकट मिल जाएगा। वहां पहुंचने पर पता चला कि उनका कोई टिकट ही नहीं बना है और वीजा भी फर्जी है। ठगी का पता चलने के बाद सभी पीड़ित पटना आ गए और करपुरा हाउस गए। 

एजेंसी पर लटका ताला

वहां पहुंचने पर पाया कि एजेंसी के कार्यालय पर ताला लटका हुआ है। फोन करने पर पता चला कि एजेंसी संचालक सहित अन्य कर्मियों के मोबाइल बंद आ रहे है। इसके बाद पीड़ित शिकायत लेकर कोतवाली थाने पहुंचे। गौरतलब है कि इससे पहले भी कोतवाली और एसके पुरी थाने में विदेश भेजने के नाम पर ठगी की शिकायत की जा चुकी है। मुकदमा दर्ज होने के बावजूद किसी भी मामले में अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।

बीड़ी पीने की शौकीन है सीमा हैदर! सचिन के मना करने पर भी नहीं सुनती बात, मकान मालिक का बड़ा खुलासा, राष्ट्रपति के पास लगाई यहां रहने देने की अर्जी


 सीमा हैदर अब भारत में अपना भविष्य तलाशने में जुट गई है। उसका कहना है कि पाकिस्तान में गैरत के नाम पर लोगों को मार दिया जाता है। 

पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर जब से भारत आई है, तब से वह लगातार दावा कर रही है कि अपने भारतीय प्रेमी सचिन मीना से वह बेहद प्यार करती है। इस बीच सीमा और सचिन के रिश्तों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है कि दोनों के बीच रिश्ता सिर्फ प्यार का नहीं, बल्कि दोनों के बीच टकराव भी होते रहते थे। यह दावा नोएडा के अंबेडकर नगर में किराए के मकान में रह रहे सीमा-सचिन के मकान मालिक ने किया है। उन्होंने यह भी बताया कि सचिन सीमा को पीटता भी था।

मकान मालिक ने बताया, बीड़ी पीने की वजह से सीमा को मारता था सचिन

मकान मालिक ने बताया कि दोनों के बीच कभी-कभी बहुत झगड़े भी होते थे। उन्होंने बताया कि सीमा बीड़ी पीती थी और सचिन के मना करने पर भी नहीं मानती थी। इसी वजह से सचिन उसको पीटता था।

पाकिस्तान वापस जाने को तैयार नहीं सीमा

उधर, सीमा हैदर बार-बार सचिन के लिए अपने सच्चे प्यार का दावा कर रही है और किसी भी सूरत में पाकिस्तान जाने को तैयार नहीं है। सीमा हैदर अब भारत में अपना भविष्य तलाशने में जुट गई है। उसका कहना है, "पाकिस्तान में मेरा कोई भविष्य नहीं है। वहां गैरत के नाम पर लोगों को मार दिया जाता है। मैं बलोच कबीले से हूं वो मुझे तो छोड़ेंगे नहीं।

राष्ट्रपति मुर्मू को भेजी 38 पेजों की दया याचिका

सीमा ने तो भारत की नागरिकता पाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 38 पेज की दया याचिका भी भेजी है। इसमें उसने बच्चों के साथ भारत में रहने की इजाजत मांगी है। पुलिस की मौजूदगी में सीमा ने कहा, मैं अब भारत की बहू हूं और मैं यहीं पर रहना चाहती हूं। मेरा पाकिस्तान से कोई मतलब नहीं है।

सीमा ने सचिन के लिए घर छोड़ा, पति छोड़ा, यहां तक की देश भी छोड़ दिया। अब वह सचिन के साथ ही अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती है और वापस पाकिस्तान नहीं जाना चाहती। हालांकि, उसको पाकिस्तान भेजने की मांग लगातार उठ रही है।

दो गुटों में तनाव ! एकनाथ शिंदे का अचानक दिल्ली दौरा, महाराष्ट्र की सियासत में हड़कंप, अटकलों-अफवाहों का दौर तेज

 महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार की एंट्री होने के साथ ही शिवसेना (शिंदे गुट) में नाराजगी की खबरों के बीच सीएम एकनाथ शिंदे की अचानक दिल्ली यात्रा से नई अफवाहें उड़ने लगीं हैं। सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शनिवार को दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। शिंदे की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ‘अचानक’ यात्रा ने नई अटकलों को जन्म दे दिया है क्योंकि इस महीने की शुरुआत में एनसीपी (NCP) के अजित पवार के सरकार में शामिल होने को लेकर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में मतभेद की खबरें मिलीं थीं।

इससे पहले जुलाई में सीएम एकनाथ शिंदे ने उन अटकलों को खारिज कर दिया था कि उनके गुट के नेता अजित पवार की एनसीपी के सरकार में शामिल होने से नाखुश थे। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार में पवार के शामिल होने से उनकी सरकार में कोई भी नाखुश नहीं है। शिंदे ने इसे ‘विपक्ष द्वारा फैलाई गई अफवाहें’ बताया। जिसका मानना है कि अजित पवार और आठ अन्य एनसीपी विधायकों के उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद उनकी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। गौरतलब है कि एनसीपी नेता अजीत पवार ने लगभग 30 एनसीपी विधायकों के समर्थन से 2 जुलाई को महाराष्ट्र के दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। जिनमें से आठ सीएम एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए थे।

बहरहाल इस तरह की खबरें तब सामने आईं, जब कुछ शिवसेना विधायकों ने अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के राज्य सरकार में शामिल होने पर चिंता जाहिर की थी।

 हालांकि शिंदे ने बाद में शिवसेना विधायकों, एमएलसी और सांसदों के साथ एक बैठक की। मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताने वाली पवार की टिप्पणी के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। इस टिप्पणी से शिंदे गुट अपने विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के इंतजार को देखते हुए घबरा गया। हालांकि मतभेद की खबरों के बीच महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने शिंदे के इस्तीफे की अफवाहों को खारिज कर दिया था और उन्हें ‘झूठ’ करार दिया था।

लोकसभा चुनाव से पहले फिर बढ़ सकता है भाजपा का कुनबा, बिहार और यूपी से दो और दल आ सकते हैं साथ

लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का कुनबा बढ़ा रही है। दो और दलों के शामिल होने की संभावना है। इनमें एक पार्टी बिहार से और दूसरी उत्तर प्रदेश से एनडीए में शामिल हो सकती है। बिहार में बीजेपी की चर्चा मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और उत्तर प्रदेश में महान दल से हो रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, "बिहार बीजेपी के दो नेता मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली वीआईपी के साथ बातचीत कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी ने भी महान दल से भी संपर्क किया है।"

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास भारी वोट शेयर है और बिहार में भी अच्छा मत प्रतिशत है, लेकिन दोनों राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधन को मजबूत करने के लिए क्षत्रपों को जगह दे रही है।

आपको बता दें कि फिलहाल एनडीए में 38 पार्टियां हैं, लेकिन उनमें से कई ने अपनी स्थापना के बाद से एक भी लोकसभा सीट नहीं जीती है। इनमें 10 पार्टियां ऐसी हैं, जिन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। 15 दलों ने चुनाव लड़ने के बावजूद संसद के किसी भी सदन में कोई सांसद नहीं बना पाया। 

26 विपक्षी दलों ने जब एक संयुक्त मोर्चे का ऐलान किया, इसके बाद एनडीए का भी विस्तार हुआ है। बीजेपी ने एनडीए की बैठक बुलाई। पिछले कुछ सालों में संस्थापक सदस्यों शिरोमणि अकाली दल और शिव सेना जैसे दलों ने साथ छोड़ दिया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2024 का चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी दलों के एक साथ आने के बाद भाजपा को एनडीए को फिर से जीवंत करने की आवश्यकता का एहसास हुआ। उन्हें इस बात का संदेह है कि जिस तरह से एनडीए का विस्तार हुआ है उसी तरह से वोट प्रतिशत में भी इजाफा होगा।

अकाली दल और टीडीपी में एनडीएम में वापसी की सुगबुगाहट हुई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस बात सामने नहीं आई है। इस बीच जेडीएस ने कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है।

राज्य सरकार की मनाही के बाद भी मणिपुर दौरे पर रवाना हुईं दिल्ली महिला आयोग की चीफ स्वाति मालीवाल, CM से भी मांगा मिलने का समय

दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल हिंसा प्रभावित मणिपुर के लिए रवाना हो गई हैं। इससे पहले मणिपुर सरकार ने उन्हें हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

वह दोपहर 12 बजे इंफाल पहुंचेंगी। मणिपुर रवाना होने से पहले मालीवाल ने कहा कि वह मणिपुर जाएंगी और यौन हिंसा पीड़ित लोगों से मिलेंगी। इससे पहले मणिपुर सरकार ने उन्हें हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। सरकार ने इसके पीछे कानून-व्यवस्था का हवाला दिया था।

यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से मिलेंगी स्वाति

मणिपुर रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए स्वाति मालीवाल ने कहा, मैंने मणिपुर सरकार को लिखा है कि मैं राज्य का दौरा करना चाहती हूं और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से मिलना चाहती हूं। मुझे मणिपुर सरकार से एक पत्र मिला है जिसमें राज्य सरकार द्वारा मुझे अपनी यात्रा स्थगित करने का सुझाव दिया है क्योंकि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है। मैं केवल पीड़ितों की मदद के लिए मणिपुर जाना चाहती हूं। मैं राज्य सरकार से अपील कर रही हूं कि वह मुझे मणिपुर जाने की अनुमति दें और उन राहत शिविरों में मेरी यात्रा की व्यवस्था करें जहां ये पीड़ित रह रहे हैं।

मालीवाल ने कहा कि मैं महिलाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर मणिपुर के मुख्यमंत्री से बात करना चाहती हूं, इसलिए मैंने उनसे समय भी मांगा है।

4 मई को क्या हुआ था

दरअसल, 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र सड़क पर घुमाया गया था। भीड़ ने न सिर्फ महिलाओं को सड़क पर घुमाया था, बल्कि उनके साथ अभद्रता और यौन उत्पीड़न भी किया था। इस घटना का वीडियो बुधवार को वायरल हुआ। इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी हुइरेम हेरादास समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। बाकी लोगों की वीडियो से पहचान कर तलाश की जा रही है। इस घटना के बाद राज्य में तनाव और बढ़ गया।

पुलिस पर लग रहे लापरवाही के आरोप 

मणिपुर की इस घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, ये मामला 4 मई का है। इसकी शिकायत 18 मई को दी गई थी। लेकिन पुलिस ने 49 दिन बाद 21 जून को FIR दर्ज की। इतना ही नहीं FIR दर्ज होने के ढाई महीने बाद जब देशभर में बवाल हुआ, तब पहली गिरफ्तारी हुई।

उन्मादी भीड़, निर्वस्त्र परेड, गैंगरेप और मर्डर

मणिपुर में ढाई महीने से हिंसा

मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। हिंसा की शुरुआत तक हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया। मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है। वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

सीआईए चीफ का बड़ा दावा, “पुतिन हर हालत में वैगनर प्रमुख प्रिगोझिन से बदला लेकर रहेंगे, कर रहे मौके का इंतजार”

#putin_may_still_seek_revenge_on_wagner_boss_prighozin_cia_chief_claims

अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स ने रूस में हुए वैगनर विद्रोह पर बड़ा दावा किया है।बर्न्स ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वैगनर प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन के पिछले महीने के अल्पकालिक विद्रोह के खिलाफ बदला लेने से पहले समय का इंतजार कर रहे हैं।विलियम बर्न्स ने आगे कहा कि भाड़े के समूह के विद्रोह ने मास्को की कमजोरियों को सबके सामने लाया है।

विलियम बर्न्स ने एस्पेन सिक्योरिटी फोरम को बताया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अभी भी प्रिगोझिन से बदला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम जो देश रहे हैं, वह एक बहुत उलझा हुआ मामला है। प्रिगोझिन किसी अज्ञात स्थान पर चले गए हैं। लेकिन, हाल में ही उन्हें बेलारूस की राजधानी मिन्स्क और रूस की राजधानी मॉस्को में देखा गया है। बर्न्स ने यह भी कहा कि पुतिन संभवत वैगनर समूह के नेता के साथ सबसे अच्छा सलूक करने के लिए समय निकालने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि, वैगनर समूह अफ्रीका के कई देशों में रूस के लिए अब भी महत्वपूर्ण है, इसलिए संभावना है कि पुतिन उस समूह को प्रिगोझिन से अलग करने की कोशिश करेंगे।

सीआईए प्रमुख ने कहा कि पुतिन बदला लेने के लिए इंतजार कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि पुतिन वो हैं जिन्हें लगता है कि बदला लेना है तो पहले मामले को ठंडा करना जरूरी है। बर्न्स कहते हैं- पुतिन बदला लेने में माहिर हैं, अगर प्रिगोजिन बगावत के बावजूद बच जाते हैं तो ये उनके लिए काफी हैरानी की बात होगी।

बर्न्स ने बताया कि उन्हें प्रिगोजिन की बगावत के बारे में पहले से पता था। उन्होंने कहा कि रूस के आर्मी जनरल सर्गेई सुरोविकिन को भी प्रिगोजिन के विद्रोह की पहले से जानकारी थी। रूस में अब उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा रही है।

वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोझिन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक दूसरे के लिए खास हुआ करते थे। यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में प्रिगोझिन के लड़ाकों मे रूसी सेना की मदद की लेकिन जब रूसी सेना के मिसाइल हमले में वैगनर लड़ाके मारे गए तो दोनों के बीच अविश्वास पनपा। प्रिगोझिन वैसे तो सीधे तौर पुतिन के खिलाफ आरोप नहीं लगाए लेकिन वो रक्षा मंत्री पर जरूर भड़के। प्रिगोझिन ने साफ तौर पर कहा कि रूसी रक्षा मंत्री के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और उस क्रम में 23 जून को वैगनर ग्रुप ने रूस के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की थी।