*न INDIA में न NDA, इन 8 दलों ने नहीं दिखाई किसी भी गठबंधन में दिलचस्पी
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देश की दो बड़ी पार्टियां- बीजेपी और कांग्रेस किसी चुंबक की तरह सहयोगी खींचने में लग गई हैं।इसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिली है। बीजेपी के हाथ में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की कमान है। तो वहीं, कांग्रेस नए-नवेले गठबंधन “NDIA” इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस का हिस्सा है।विपक्षी पार्टियों के गठबंधन “NDIA” में 26 दल शामिल हैं। वहीं, मंगलवार को दिल्ली में हुई एनडीए की बैठक में 38 पार्टियों ने अपना दम दिखाया। इस तरह पक्ष और विपक्ष को मिलाकर देश की कल 64 राजनीतिक दल सत्ता की रस्साकशी में लगे हुए हैं। जबकि इनके बीच देश में कुल आठ दल ऐसे भी हैं जो इन दोनों से दूरी बनाए हुए हैं।
बेंगलुरु और दिल्ली में हुए बैठकों के कुल 64 पार्टी हिस्सा बने, लेकिन कुछ क्षेत्रीय दल इस दोनों बैठकों में नहीं दिखे। इन आठ दलों में बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस, जेडीएस, अकाली दल, बसपा, एआईएमआईएम और एआईयूडीएफ शामिल हैं। इनमें कुछ दल तो ऐसे हैं जो कई राज्यों में अपने दम पर सत्ता में हैं जबकि कुछ ऐसे हैं जो पहले या तो कांग्रेस या फिर एनडीए के साथ रह चुके हैं। इसके बाद भी आगामी चुनाव को लेकर ये दल अभी तक किसी भी फैसले पर नहीं पहुंच पाए हैं।
ओडिशा की बीजू जनता दल
इन दलों की सियासी वर्चस्व की बात करें तो ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार है और पार्टी के मुखिया नवीन पटनायक खुद मुख्यमंत्री हैं। ओडिशा में पटनायक का वोट बैंक और उनकी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। पांच बार अपने दम पर सरकार बना चुके हैं। 2019 में हुए विधानसभा में 147 सीटों में 112 सीटों पर जीत हासिल की है। राज्य में लोकसभा की कुल 21 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा में बीजद के खाते में 12 सीटें गई थी जबकि बीजेपी 8 सीट और कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब रही थी।
जनता दल (सेक्युलर)
देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस पहले कांग्रेस और भाजपा के साथ गठबंधन का हिस्सा रही है, लेकिन मंगलवार को यह तस्वीर में कहीं नहीं थी। वैचारिक रूप से जद (एस) खुद को कांग्रेस और वाम दलों करीब मानी जाती है। पार्टी को मुसलमानों का भी समर्थन प्राप्त है और माना जाता है कि उसका भाजपा के साथ कोई तालमेल नहीं है।
भारत राष्ट्र समिति और वाईएसआरसीपी
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाले बीआरएस की बैठर में अनुपस्थिति रही। वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी ने राज्य स्तर पर भाजपा से कुछ दूरी बनाए रखी है, हालांकि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ उसके संबंध सौहार्दपूर्ण बने हुए हैं।
अकाली दल और बसपा
अकाली दल जो कभी एनडीए का हिस्सा था, लेकिन फिलहाल दूर है। हालांकि, अकाली दल को लेकर चर्चा है कि उसकी एनडीए में वापसी होगी, लेकिन कब होगी इसे लेकर अभी तक कयासों का दौर ही चल रहा है।वहीं, मायावाती की बसपा भी अभी तक अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाई है।
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन
बात असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की तो यह मुख्य रूप से तेलंगाना से आती है। असदुद्दीन ओवैसी पार्टी के इकलौते सांसद हैं। ओवैसी भी न तो सत्ता पक्ष की तरफ है और नहीं विपक्ष के साथ। कुल मिलाकर अपने-अपने राज्यों में इन राजनीतिक दलों का अपना वोट बैंक और राज्य की राजनीति में इनकी अहम भूमिका भी रहती है इसके बाद भी अभी अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाए।
Jul 19 2023, 17:37