दुमका : संथाली भाषा को राजभाषा का दर्ज देने की मांग को लेकर झारखण्ड बंद का मिलाजुला असर, जाम में फंसे कांवरिया
दुमका : संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देने सहित अन्य मांगों को लेकर ओलचिकी हूल वैसी द्वारा मंगलवार को बुलाये गए झारखण्ड बंद का दुमका में मिलाजुला असर रहा। बंद समर्थकों ने दुमका के अलग अलग जगहों पर सड़क जाम कर आवागमन को ठप कर दिया।
बंदी की वजह से आमलोगों के साथ कांवरियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। दुमका के शिकारीपाड़ा, सरैयाहाट और हँसडीहा में पारंपरिक हथियारों एवं ढोल मांदर के साथ सड़क पर उतरे बंद समर्थकों ने कुछ घंटों के लिए आवागमन को पूरी तरफ ठप कर दिया। बंद समर्थकों ने हंसडीहा से भागलपुर मुख्य मार्ग पर महादेव गड़, हंसडीहा से गोड्डा मार्ग पर बारिडिह, हंसडीहा से दुमका मार्ग पर कुरमाहाट और हंसडीहा से देवघर मार्ग पर कोरदाहा सहित दुमका से रामपुरहाट मुख्य मार्ग पर शिकारीपाड़ा में सड़क जाम कर आवागमन को बाधित रखा।
ओलचिकी हूल वैसी के सचिव निलशन सोरेन ने कहा कि सरकार अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है तो आने वाले समय में राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत पूरे देश का आदिवासी समाज ओलचिकी को सम्मान देने के लिए सड़क और रेल मार्ग पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे। कहा कि हमारी मांगों में ओलचिकी लिपि से संथाली भाषा के पाठ्य पुस्तकों का मुद्रण, संताली भाषा को ओलचिकी लिपि से पढ़ाने के लिए शिक्षकों की बहाली, झारखंड में अलग से संथाली एकेडमी का गठन, झारखंड प्रदेश में संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा अविलंब देने आदि शामिल है।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Jul 04 2023, 20:57