आजादी के 75 साल बाद भी आमस के हटवरिया गांव में नहीं बन पाई सड़क
गया/आमस। एक तरफ देशभर में आजादी के 75वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। वहीं आज भी जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के वाशिंदे समस्याओं से जकड़े हुए हैं। यहां सड़क- विद्यालय, नाली गली, नल जल जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच सकी हैं। ऐसा ही गांव हटवरिया है।
इस गांव के लोग विकास से कोसों दूर हैं। यह गांव तहसील मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर ग्राम पंचायत महुआवां के अंतर्गत हटवरिया गांव के लोग वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हें सुलभ जीवन यापन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें मताधिकार तो मिला है लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वालों तक सीमित है। चुनाव जीतने के बाद मुखिया से लेकर विधायक-सांसदों को इस गांव की बेहतरी के लिए समय नहीं मिला।
ये हालात यकायक नहीं बने, बल्कि आजादी के बाद से ही उपेक्षा का दंश इस गांव के लोग भोगते आ रहे हैं। ग्रामीणों मनोज कुमार यादव, महादेव यादव, वासुदेव यादव, अवधेश यादव, सुरेंद्र यादव, विनय यादव,वर्तमान सरपंच अनिल कुमार यादव ने बताया की इस गांव में न तो पेयजल की उपलब्धता के लिए कोई सरकारी योजना संचालित है, न विद्यालय और नहीं गांव से शहर की ओर जाने के लिए पक्का मार्ग ही यहां निर्मित हो सका है। इससे उनका जीवन नरक समान है। यदि किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए तो यहां पर एंबुलेंस आदि का आना नामुमकिन है।गर्मी के मौसम में तो किसी मध्यम से चले जाते है लेकिन वर्षा मौसम में ग्रामीण ही अपने बीमार स्वजन को चारपाई पर लेटाकर उसे कांधे पर रखकर शहर की ओर भागते हैं। उनके अनुसार देश की आजादी को भले ही 75 साल से अधिक का वक्त हो गया हो लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला है।
वे आज भी समस्या रूपी गुलामी में जीने को विवश हैं। उनका कहना है कि बिहार सरकार द्वारा दर्जनों योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। ग्राम विकास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इसका लाभ हटवरिया के लोगों को नहीं मिला है। वर्तमान में भीषण गर्मी के चलते यहां पर पेयजल संकट बना हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों से लेकर विधायक सांसद तक के जिम्मेदारों को यहां के हालातों के बारे में पता है। इसे लेकर कई बार शिकायतें की गईं, राहत मांगी गई लेकिन हुआ गया, कुछ नहीं। प्रशासनिक अधिकारी समस्याओं पर तमाशबीन बने हुए हैं। जनप्रतिनिधियों की तरह अधिकारी भी सिवाय कोरी घोषणाएं करने के अलावा कोई राहत नहीं दे सके हैं।
यहां करीब एक सौ घर हटवरिया गांव में 1947 की आजादी के बाद से अमृत महोत्सव के दौर तक ग्रामीण एक अदद सड़क के लिए तरस रहे हैं। एनएच दो से हटवरिया गांव की दूरी मात्र 6 किमी की है।यहां पर करीब एक सौ घर बसे हैं। जिसकी शत-प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग की है। जिनका व्यवसाय खेती करना व मवेशियों का पालन-पोषण है। ग्रामीण बताते हैं कि सड़क नहीं होने से यहां गर्भवती महिलाओं से लेकर किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए तो उसकी खैरियत का सहारा सिर्फ ईश्वरीय प्रार्थना है। गांव के फोटू यादव ने बताया की 26 जनवरी को एसडीओ साहब हटवरिया आए थे उन्होंने हमलोग से आश्वासन दिए थे कि जल्द ही यहां के सड़क निर्माण करवा दिया जाएगा, लेकिन चार माह गुजर गए पर अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने कहा हम सभी अनुमंडलीय प्रशासन से इस गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
रिपोर्ट: धनंजय कुमार यादव
Apr 27 2023, 11:47