दुमका : सरकार की नियोजन नीति के खिलाफ छात्रों में उबाल, 31 को मशाल जुलूस, 1 अप्रैल को संथाल परगना में बंदी का आह्वान
दुमका : खतियान आधारित नियोजन नीति बनाने और 60:40 आधारित नियोजन नीति को रद्द करने की मांग को लेकर छात्र समन्वय समिति ने एक अप्रैल को संथाल परगना में एक दिन का बंद का आह्वान किया है।
समिति द्वारा 31 मार्च को मशाल जुलूस निकाला जाएगा। एक दिवसीय संथाल परगना बंदी को सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गयी है। मंगलवार को एसपी कॉलेज परिसर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में समिति ने बंदी की घोषणा की।
छात्र समन्वय सीमित ने कहा कि सिदो कान्हू चौक से 31 मार्च को संवैधानिक तरीके से मशाल जुलूस निकाला जाएगा और सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया जाएगा। समिति ने संताल परगना प्रमंडल के सभी युवक व युवतियों, मोटर वाहन यूनियन, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, बस मालिको, सभी प्राईवेट स्कूल के संचालक, सभी गैर सरकारी संगठनों को मशाल जुलूस और एक अप्रैल को बुलायी गयी बंदी में शामिल होकर बंद को सफल बनाने की अपील की है। छात्र नेताओं ने कहा कि हेमंत सरकार एवं सरकार की सहयोगी कांग्रेस द्वारा बनाई गई कई गलत नीतियों के कारण जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुँचा है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या झारखंड इसी दिन के लिए बना था कि यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटके। उन्हें अपने ही राज्य में हक अधिकार के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़े और पुलिस की लाठी खानी पड़े।
छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड के हेमंत सरकार को यह बात समझ में आना चाहिए 1951 के बाद केंद्र के विभिन्न सरकारी उपक्रमों में झारखंड में आए विभिन्न राज्यों के लोग एवं उनके परिवार बस गए है। सवाल उठता है कि झारखंड के स्थानीय खाता धारियों का क्या होगा। इस हालात में क्या हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के साथ धोखा नहीं किया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि झारखंड सरकार 1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनायी। 1932 शब्द के साथ अंतिम सर्वे सेटेलमेंट शब्द को क्यों नहीं जोडा गया है। क्या झारखंड में बाहर से आए लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है या फिर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव बढ़ गया।
राजेंद्र मुर्मू ने कहा कि आज बाहरी लोग जो यहां रोजगार की तलाश में आए उन्होंने अपना वोटर कार्ड यहां बनवाया और वोट भी देते हैं क्या यह दोहरी नागरिकता नहीं है, ऐसे लोगों को चिन्हित कर सरकार क्यों कार्रवाई नहीं करती है। आज पीजीटी में बहाली के लिए रिक्तियों के विरोध आवेदन मांगा जा रहा है। जिसमें आवेदन में साफ लिखा हुआ है कि पात्रता भारत की नागरिक हो। क्या ऐसे में झारखंड के युवाओं का हक नहीं मारा जा रहा है।
राजीव बास्की ने कहा कि झारखंड सरकार को जवाब देना चाहिए कि बिहार में भी प्लस टू विद्यालयों के लिए बहाली निकाली गई, जिसमें प्रिंट मीडिया साफ तौर पर कहती है कि 40,506 पदों पर नौकरी बिहारियों के लिए है। लेकिन झारखंड में पात्रता पूरे भारत को माना जा रहा है जबकि दोनों राज्यों की डोमिसाइल एक ही है। झारखंड सिर्फ एक चारागाह बनकर रह गया है। सरकार की गलत नीतियों में एक शिक्षा नीति भी है जिसमें सरकार ने विश्वविद्यालय में सीयूईटी के तहत नामांकन अनिवार्य कर दिया है। संताल परगना के छात्र इसका विरोध करते है।
इस आंदोलन के बाद भी सरकार झारखण्ड के छात्र छात्राओं के हित में कुछ निर्णय नहीं लेती है तो समिति पूरे झारखंड में अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी करने को मजबूर होंगे। मौके पर छात्र नायक शिवलाल मरांडी, वेंसिंट हांसदा, विजय, राजेंद्र मुर्मू, भीमसेंट सोरेन, सोकोल हेम्ब्रम, जियोनधन हांसदा, बिमल टुडू, सुलिस सोरेन, मैनुअल हेम्ब्रम,बबीता मरांडी, अर्चना टुडू, सोनी सोरेन, प्रेमलता टुडू, कैटरीना सोरेन, सावित्री सोरेन, मैनुअल हेम्ब्रम, मनोज मुर्मू, प्रेम मुर्मू सहित बीएड, एमएड एवं संताल परगना महाविद्यालय के कई छात्र -छात्राएं उपस्थित थे।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Mar 29 2023, 19:01