दुमका : 60:40 आधारित नियोजन नीति का विरोध, सीएम व विधायकों का निकाला शव यात्रा, फूंका पुतला
दुमका :- झारखण्ड के हेमंत सरकार के नियोजन नीति के खिलाफ शुक्रवार को कई छात्र सड़क पर उतर गए। खतियान आधारित नियोजन नीति बनाने और 60:40 आधारित नियोजन नीति रद्द करने की मांग को लेकर छात्र समन्वय समिति के नेतृत्व में छात्रों ने छात्र अधिकार महारैली के तहत मुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष के सभी विधायकों (दो विधायक को छोड़कर) का विशाल शव यात्रा निकाला और पुतला फूंका।
सरकार के मौजूदा 60:40 आधारित नियोजन नीति का विरोध कर रहे छात्रों ने ढोल-मांदर और पारंपरिक हथियारों के साथ एसपी कॉलेज से शव यात्रा निकाला और विवेकानंद चौक पर पुतला फूंका।
छात्र-छात्राओं ने हेमंत सरकार एवं उनके सहयोगी कांग्रेस के तमाम विधायकों का विरोध किया। छात्रों ने कहा कि हेमंत सरकार एवं उसके सहयोगी कांग्रेस के द्वारा बनाई गई कई गलत नीतियों ने जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है।
छात्रों ने सवाल उठाया कि क्या झारखंड इसी दिन के लिए बना था कि यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटके। उन्हें अपने ही राज्य में हक अधिकार के लिए सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़े।
आज हालात यह है कि अधिकार और न्याय की मांग में छात्रों को पुलिस से लाठी खाना पड़ रहा है। उन्हें बेवजह झूठे केस का शिकार होना पड़ रहा है। जहां उन्हें रोजगार मिलना चाहिए वहां केस और पुलिस की लाठी मिल रही है।
छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड के हेमंत सरकार को यह बात समझ में आना चाहिए कि 1951 के बाद केंद्र के विभिन्न सरकारी उपक्रमों में झारखंड में आए विभिन्न राज्यों के लोग एवं उनके परिवार बस गए है। सवाल उठता है कि झारखंड के स्थानीय खाता धारियों का क्या होगा? इस हालात में क्या हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के साथ धोखा नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार 1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनाया? 1932 शब्द के साथ अंतिम सर्वे सेटेलमेंट शब्द को क्यों नहीं जोडा गया है। क्या झारखंड में बाहर से आए लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है या फिर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव बढ़ गया।
उन्होंने कहा कि अगर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव है तो क्यों है यह बात हेमंत सरकार को समझने की जरूरत है। कहा कि आज बाहरी लोग जो यहां रोजगार की तलाश में आए उन्होंने अपना वोटर कार्ड यहां बनवाया और वोट भी देते हैं क्या यह दोहरी नागरिकता नहीं है ऐसे लोगों को चिन्हित कर सरकार क्यों कार्रवाई नहीं करती है।
बिहार बिहारियों के लिए, बंगाल बंगालियों के लिए, तो क्या झारखंड झारखंडियों के लिए नहीं हो सकता है ? उन्होंने कहा कि क्या झारखंड सरकार का नियोजन नीति 60-40 का अनुपात उन लोगों के हित में नहीं बनाया जा रहा है जो झारखंड में बाहर से आए है और विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों यथा सीसीएल, बीसीसीएल बीटीपीएस पीटीपीएस एवं एस.ए.आई. एल इत्यादि में काम कर रहे है।
उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या झारखंड को एक चारागाह बनकर रह गया है। सरकार की गलत नीतियों में एक शिक्षा नीति भी है। जिसमें सरकार ने विश्वविद्यालय में सीयूईटी के तहत नामांकन अनिवार्य कर दिया है। संताल परगना के छात्र इसका विरोध करते है।
उन्होंने कहा कि मांगे पूरी नहीं की जाने की स्थिति में छात्र समन्वय समिति आंदोलन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए एक अप्रैल को संताल परगना में एक दिवसीय बंदी का आह्वान करने के लिए बाध्य हो जायेगी। जिसकी जिम्मेवारी सरकार को होगी।
मौके पर विवेक हांसदा, सोकोल हेम्ब्रम, सुकदेव बेसरा, राली किस्कू, कोरलेलिस किस्कू, मुनिलाल हंसदाक, प्रवीण मुर्मू, बाबूराम सोरेन, लाटूवा किस्कू, अलीशा, पुष्पलता, होपोन टी, मार्टीना, बबीता मरांडी, अर्चना टुडू, सोनी सोरेन, प्रेमलता टुडू, कटरीना सोरेन, सावित्री हांसदा, सेबस्तियान हेम्ब्रम, फ्रांसिस सोरेन, श्याम देव हेम्ब्रम, मनोज मुर्मू, बाबूधन टुडू,, नरेश सोरेन, रविन्द्र मरांडी, सुलिश सोरेन बिमल राजेंद्र, मनुएल, सैमुएल सहित कई छात्र उपस्थित थे।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Mar 26 2023, 17:44