1300 किमी. की पदयात्रा पर निकले दक्षिण कोरिया के बौद्ध भिक्षुओ के दल का रफीगंज में हुआ भव्य स्वागत, भंते ने कहा-विश्व में हो सर्वत्र हो शांति, फिर से न आए कोरोना यही है प्रार्थना
औरंगाबाद : बुद्ध के जीवनकाल के दौरान उनके पदचिह्नों की खोज करने निकले दक्षिण कोरिया के पदयात्री 108 बौद्ध भिक्षुओं की टीम महात्मा बुद्ध के हजारों साल पुराने अस्थि कलश के साथ रविवार को बिहार के औरंगाबाद के रफीगंज पहुंची।
यहां स्थानीय नागरिको के साथ रफीगंज थानाध्यक्ष राम इकबाल यादव, उप प्रमुख प्रतिनिधि कमलेश यादव, वार्ड पार्षद रवींद्र प्रसाद, मुखिया राजेश पासवान, समाजसेवी ख्वाजा अतीक रज्जा, सुनील कुमार दीप, मनोज कुमार मधुकर, जितेंद्र नारायण, अनिल कुमार एवं मुकेश कुमार समेत हसनपुर, फीता बिगहा, हाजीपुर, तिवारी बिगहा तथा चरकावा के सैकड़ो ग्रामीणों ने बौद्ध भिक्षुओं का ताली बजाकर स्वागत किया।
स्वागत से कोरियाई बौद्ध भिक्षुओं का समूह अभिभूत एवं प्रसन्न दिखे।
गौरतलब है कि यह पदयात्रा 9 फरवरी को उत्तर प्रदेश के सारनाथ से शुरू हुई है। इसके बाद बिहार में प्रवेश कर यह पदयात्रा कैमूर और रोहतास होते औरंगाबाद जिले में 17 फरवरी की शाम बारूण पहुंची।
रात्रि विश्राम के बाद पदयात्रा 18 फरवरी को रफीगंज के लिए रवाना हुई और आज यानी 19 फरवरी को रफीगंज पहुंची। यहां के के बाद यह पदयात्रा बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, कुशीनगर से होते हुए नेपाल के लुंबिनी तक जाएगी।
इसके बाद वापसी में वहां से पुनः उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती तक जाएगी। पदयात्री प्रत्येक दिन 25 किलोमीटर तक चलने के बाद विश्राम कर रहे है।
जिस रास्ते से पदयात्रा गुजर रही है, उस रास्ते में पड़नेवाले स्थानीय प्रखंड एवं थाना के शासनिक-प्रशासनिक अधिकारियों की टीम पदयात्रियों की सुरक्षा, सुख सुविधा एवं मेडिकल आदि सुविधा उपलब्ध कराते हुए विधि व्यवस्था संधारित कर रही है।
रफीगंज में भी पदयात्रा के दौरान स्थानीय शासन-प्रशासन की टीम पूरी तरह मुस्तैद रही। पदयात्री बुद्ध के उपदेशों को साथ लेकर चल रहे हैं। बौद्ध भिक्षुओ की पदयात्रा का उदेश्य विश्व शांति, मानव कल्याण एवं कोविड-19 महामारी का पुनर्जन्म न हो आदि है।
इसी भावना को मन में अंतनिर्हित कामना के रुप में लेकर कोरियाई बौद्ध भिक्षु पदयात्रा कर रहे हैं।
पदयात्रा का सफर लगभग 1200 किलोमीटर है, जो 43 दिनों में आगामी 23 मार्च को नेपाल के लुंबिनी में पूरी होगी।
पदयात्रा में 108 बौद्ध भिक्षुओं सहित 30 भारतीय व्यवस्थापक, विदेशी मीडिया एवं मेडिकल टीम साथ चल रही है। सभी पदयात्रियों को कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है।
भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा के अनुसार भारत और दक्षिण कोरिया आपसी राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 साल पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं।
तीर्थयात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग को बढ़ाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन भारत में बौद्ध पर्यटन सर्किट को दुनिया भर में प्रचारित किया जाना है।
इस सर्किट का उद्देश्य पर्यटकों को भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में जानने में मदद करना और बुद्ध के जीवनकाल के दौरान उनके पदचिह्नों की खोज करना है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Feb 21 2023, 11:38