नक्सलियों को पुलिस ने दिया बड़ा झटका : अफीम की खेती से की जा रही कमाई का रोका रास्ता, 10 एकड़ मे तैयार फसल को जेसीबी से रौंदा
औरंगाबाद: अति नक्सल प्रभावित इलाकों में आज भी अफीम की खेती हो रही है। लेकिन इस पर पुलिस की नजर पड़ गई है। इसकी खेती करनेवाले सीधे टारगेट पर हैं। खेती करनेवाले बहुत सारे किसान जानते-समझते भी हैं कि ये खेती अवैध है। फिर भी लालच में उसे उपजाते हैं। पोस्तादाना बताकर इसकी खेती कराई जाती है।
माओवादी इसकी खेती करा रहे हैं। बदलती परिस्थितियों में माओवादियों के लिए ये खेती अपनी अर्थव्यवस्था को ट्रैक पर रखने का रास्ता है। करीब दस साल पहले पुलिस ने पूरा दम लगाकर ये खेती बंद करा दिया था लेकिन अब फिर नक्सल प्रभावित इलाकों में इसकी खेती हो रही है, जिसे बंद कराने के लिए पुलिस ने पहले जैसा ही दम लगा रखा है।
इसी महीने सात तारीख को औरंगाबाद पुलिस ने अरसे के बाद माओवादियों की इस इकोनॉमी पर करारा प्रहार किया था। मदनपुर थाने के सुदूरवर्ती दक्षिणी इलाके में बादम और देव प्रखंड में ढिबरा थाना के छुछिया, ढाबी और महुआ गांव में करीब 10 एकड़ में लगी अफीम की खेती को तहस नहस किया था। बर्बाद की गई अफीम के फसल की कीमत 20 करोड़ आंकी गई थी।
नक्सल इकोनॉमी पर हाल की पहली बड़ी चोट के बाद पुलिस ने रविवार 19 फरवरी को भी दूसरी बड़ी चोट मारी है। इन पर जेसीबी से रौंद दिया गया।
औरंगाबाद की पुलिस अधीक्षक स्वपना गौतम मेश्राम ने बताया कि छुछिया के जंगली इलाके में दो एकड़ में लगी अफीम की फसल नष्ट किया गया। नष्ट की गई फसल तैयार होने पर दो करोड़ की होती।
उन्होंने बताया कि इस मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन अफीम की खेती करने वालों को चिह्नित किया जा रहा है। उनके जरिए उन नक्सलियों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा, जो खेती करा रहे हैं।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र




Feb 20 2023, 20:35
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