माओवादी करा रहे थे अफीम की खेती, पुलिस ने तोड़ी कमर, नष्ट कर दी 10 एकड़ में लगी 20 करोड़ की फसल*
औरंगाबाद : अति नक्सल प्रभावित औरंगाबाद जिले में पुलिस ने लंबे अरसे के बाद माओवादियों की इकोनॉमी पर करारा प्रहार किया है। इस प्रहार से नक्सलियों को तगड़ा झटका लगा है।
आमदनी के एक प्रमुख स्त्रोत पर पुलिस के सधे प्रहार से नक्सलियों की आर्थिक रूप से कमर टूटी है। इस प्रहार से नक्सली बिलबिला से उठे है।
पुलिस ने मदनपुर थाना के सुदूरवर्ती दक्षिणी इलाके में बादम और देव प्रखंड में ढ़िबरा थाना के छुछिया, ढाबी एवं महुआ गांव में करीब 10 एकड़ में हो रही अफीम की खेती को तहस नहस किया है।
पुलिस ने करोड़ों की अफीम की फसल को नष्ट कर दिया है। पुलिस द्वारा बर्बाद की गई अफीम के फसल की कीमत 20 करोड़ आंकी जा रही है। फसल के तैयार होने पर इससे भी अधिक आमदनी हो सकती थी। मौके से पुलिस ने ग्रीन अफीम भी बरामद किया है।
पुलिस अधीक्षक स्वप्ना गौतम मेश्राम ने आज मंगलवार की शाम प्रेसवार्ता में बताया कि मदनपुर थाना के बादम और देव प्रखंड में ढ़िबरा थाना के छुछिया, ढाबी एवं महुआ गांव के जंगली इलाके में अफीम की खेती किये जाने की खुफिया जानकारी मिली। इस सूचना की सत्यता का मुखबिरों से पता लगाया गया।
तब जाकर पता चला कि इन इलाकों में जंगली-पहाड़ी इलाके में करीब 10 एकड़ में अत्यधिक नशीले पदार्थ अफीम की खेती हो रही है।
अफीम की खेती को लोगों के नजर में नही आने देने के लिए अफीम की फसल के चारो ओर कुछ दूरी तक वैसी फसले लगाई गई है, जिनकी उंचाई अधिक होती है। इसके बाद पुलिस की दो अलग-अलग टीम गठित की गई।
मदनपुर पुलिस की टीम ने थानाध्यक्ष शशि कुमार राणा के नेतृत्व में बादम गांव पहुंची। पुलिस ने करीब तीन एकड़ खेतों में लगी अफीम की फसल को तहस नहस कर दिया।
वही दूसरी टीम ने देव प्रखंड में ढ़िबरा थाना के छुछिया, ढाबी एवं महुआ गांव के जंगली इलाके में 7 एकड़ में हो रही अफीम की खेती को पूरी तरह नष्ट कर दिया।
उन्होने बताया कि अफीम की फसल को चारो ओर से मक्का व अरहर की फसल से छिपा कर रखा गया था। इन फसलों के बीच अफीम की फसल बोई गयी थी। खेत में अफीम की फसल लहलहा रही थी। फसल में मोटी-मोटी अफीम की गांठे उभर आई थी, जो शीघ्र ही तैयार होनेवाली थी।
अफीम की फसल के इन्ही गांठों में चीरा लगाया गया था। इन्ही चीरों वाली गांठ से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ को जमा कर अफीम तैयार किया जाता है।
उन्होंने बताया कि मादक पदार्थ अफीम की खेती करनेवालो को चिन्हित किया जा रहा है। इस तरह की खेती करनेवालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कहा कि माओवादियों द्वारा अफीम की खेती कराने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। इन इलाके में पहले भी माओवादियों द्वारा अफीम की खेती कराने के कई मामले प्रकाश में आ चुके है। पुलिस ने पहले भी अफीम की खेती को नष्ट कर नक्सलियों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ने का काम किया है।
नक्सली मादक पदार्थों की खेती से होनेवाली भारी आमदनी का इस्तेमाल अपने संगठन और व्यक्तिगत हित में करते रहे है। फिलहाल मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
दो साल से हो रही थी अफीम की खेती, लहलहा रही थी फसल
बादम के ग्रामीण इलाके के ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि इस क्षेत्र में पिछले दो सालो से अफीम की यह खेती हो रही थी।
ग्रामीणों की माने तो बादम, पिछुलिया, पिपरगढ़ी सहित अन्य इलाको में चोरी छिपे अफीम की खेती हो रही है। वही कुछ ग्रामीणों ने कहा कि हमें यह नही मालूम था कि यह फसल अफीम की है। उन्हें बताया गया था कि पोस्ता दाना की खेती की जा रही है।
ग्रामीणों के मुताबिक इस इलाके में लगभग पांच एकड़ में अफीम की खेती की गई थी। यदि अफीम की फसल को बर्बाद नहीं किया जाता तो इससे खेती करने कराने वालो को करोड़ों की आमदनी होती।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Feb 08 2023, 17:09