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Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?*
#assembly_election_result_congress_lost_rahul_gandhi_reaction
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’ हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है। बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता।

राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’

हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।

जम्मू-कश्मीर सरकार बनाने के बाद एनसी-कांग्रेस की नहीं चलने वाली, जानें गेंद किसके पाले?

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जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन की सरकार बनने वाली है।चुनाव के बाद विधानसभा का गठन होगा और वहां मंत्रीपरिषद शपथ लेंगी। आर्टिकल 370 खत्म करके इसका विशेष दर्जा खत्म किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुआ था। मगर ये चुनाव एक राज्य में नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश में कराया गया। तो राज्य में अब सरकार बेशक कांग्रेस और कांफ्रेंस मिलकर बना लें लेकिन असल में सारी ताकत को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास होगी।

वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर की अंतिम राज्य सरकार भंग कर दी गई। वर्ष 1952 से चली आ रही ये सरकार देश की दूसरी राज्य सरकारों की तुलना में ज्यादा अधिकार रखती थी। राज्य को देश में आर्टिकल 370 के तहत स्पेशल दर्जा मिला हुआ था। 2019 में सबकुछ खत्म हो गया। राज्य दो केंद्रशासित टुकड़ों टूट गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। अब जबकि राज्य में चुनाव खत्म हो गया है और परिणाम के बाद राज्य की सत्ता पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस काबिज होने जा रहे हैं तो कहना चाहिए कि अब सबकुछ पिछली राज्य सरकारों जैसा नहीं होगा। नई राज्य सरकार काफी हद तक पॉवरलेस होगी. असल में राज्य में सुपर बॉस तो लेफ्टिनेंट गर्वनर ही होंगे।

जिस तरह दिल्ली में उप राज्यपाल की ताकत निर्वाचित सरकार से ज्यादा है, कुछ वैसा ही जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिलेगा। जम्मू कश्मीर को अभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है और इसीलिए वहां गर्वनर नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश है और इस तरह वहां लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) काम करते रहेंगे और विधानसभा अगर कोई बिल पास करती है तो फिर उसे एलजी की सहमति लेनी होगी। इस तरह एलजी चाहें तो बिल को राष्ट्रपति को भी रेफर कर सकते हैं।

किन मामलों में उपराज्यपाल की चलेगी

कानून और व्यवस्था, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस कामों सहित विभिन्न प्रशासनिक मामलों में केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा। मतलब ये है कि निर्वाचित विधानसभा के बावजूद एलजी दैनिक शासन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विवेक का प्रयोग कर सकते हैं। कानून-व्यवस्था और पुलिस पर कंट्रोल पूरी तरह राज्यपाल के पास रहेगा। चूंकि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को बाहर करने के लिए विधानसभा की विधायी शक्तियों में कटौती की गई है, इसलिए नई सरकार की कार्यकारी शक्तियां और क्षमता गंभीर रूप से कमजोर और समझौतापूर्ण हो जाएगी। ऐसी व्यवस्था केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को सर्वशक्तिमान बना देती है। राज्य में सब कुछ गृह विभाग के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें पुलिस, कानून और व्यवस्था, जेल, बंदीगृह आदि शामिल हैं।

केवल पुलिस जैसा अहम महकमा ही चुनी हुई सरकार के नियंत्रण से बाहर नहीं होगा।. यहां तक की पब्लिक ऑर्डर जिसका दायरा बहुत बड़ा होता है, वह भी सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। समवर्ती सूची में दिए गए मामले यानी वैसे विषय जिस पर केन्द्र और राज्य, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, उस पर भी जम्मू कश्मीर विधानसभा कानून नहीं बना पाएगी। ये सारी शक्तियां एलजी या उसके जरिये केंद्र को दे दी गई हैं।

मंत्रियों के कार्यक्रम या बैठकों के एजेंडे की सूचना एलजी को देनी होगी

जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री बनने वालों के अधिकार का अंदाजा इस से भी लगाया जा सकता है कि मंत्रियों के कार्यक्रम या फिर उनके बैठकों के एजेंडे एलजी ऑफिस को देने होंगे और यह कम से दो दिन पहले जमा करा देना होगा। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए बनी प्रदेश की ताकतवर एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो), जम्मू कश्मीर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी और जेल जैसे अहम विभाग चुनी हुई सरकार के पास न होकर उपराज्यपाल के पास होंगे।

एलजी के फैसले की समीक्षा नहीं हो सकेगी

एलजी के राजनीतिक ताकत का अंदाजा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा 55 से साफ हो जाता है। इसके मुताबिक उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा जम्मू कश्मीर की चुनी गई मंत्रिमंडल नहीं कर सकती। बात यहां तक होती तो भी कोई बात न थी पर एक ओर तो उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा विधानसभा नहीं कर सकती लेकिन इसी के थोड़ा आगे एक प्रावधान ऐसा भी जोड़ दिया गया है जहां एलजी का प्रतिनिधि प्रदेश सरकार की सभी कैबिनेट मीटिंग में बैठेगा।

राज्यपाल करेंगे 5 विधायकों को नोमिनेट

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल के पास विधानसभा में 5 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है, जिनके पास विधायक की पूर्ण विधाई शक्तियां होंगी। ये विधानसभा के भीतर शक्ति संतुलन को बदल सकता है। विधानसभा के मनोनीत सदस्यों को वे सभी अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे, जिनके निर्वाचित सदस्य हकदार होंगे। उन्हें वोट देने का अधिकार है। अब केन्द्र की बीजेपी के सरकार के एलजी अगर किसी को नॉमिनेट करेंगे तो वह वोट किसे करेगा, यह वह भी बता देगा जिससे पूछा न गया हो। इसके अपावा ये पांच विधायक विधानसभा के कामकाज में भाग लेने का अधिकार है और सरकार के गठन में भूमिका का भी।

कश्मीर में खुला आम आदमी पार्टी का खाता, इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को भारी अंतर से हराया

#aamaadmipartywondodaassemblyseat

जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी (आप) का भी खाता खुल गया है। डोडा विधानसभा क्षेत्र से आप पार्टी ने जीत हासिल की है। आप उम्मीदवार मेहराज मलिक ने जीत हासिल की है। मेहराज मलिक ने भाजपा के उम्मीदवार गजय सिंह राणा को हराया है।

मेहराज मलिक ने बीजेपी के उम्मीदवार को 4548 वोटों से हराया है। चुनाव आयोग के अनुसार, मेहराज मलिक को 22611 वोट मिले हैं। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गजय सिंह राना को 18063 मिले हैं।

केजरीवाल ने दी बधाई

जम्मू कश्मीर में पहली बार आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ी है। पहले ही चुनाव में पार्टी की जीत पर अरविंद केजरीवाल ने बधाई दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अरविंद केजरीवाल ने लिखा, 'डोडा से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मेहराज मलिक द्वारा बीजेपी को हराकर शानदार जीत हासिल करने के लिए बहुत बहुत बधाई। आप बहुत अच्छा चुनाव लड़े हैं।' इसके साथ ही केजरीवाल ने कहा कि पांचवें राज्य में विधायक बनने पर पूरी आम आदमी पार्टी को बधाई।

आप की बड़ी उपलब्धी

इस जीत को आप के लिए एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आप ने दिल्ली, पंजाब और गुजरात के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। इससे पार्टी को झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले आगामी चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने का मौका मिलेगा। हालांकि, हरियाणा चुनावों में आप को कोई फायदा पहुंचता नजर नहीं आ रहा है।

जम्मू-कश्मीर को वापस से राज्य का दर्जा मिलेगा, पीएम मोदी ने किया वादा

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जम्मू-कश्मीर में चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में पहली चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों के उत्साह की तारीफ की। साथ ही पीएम मोदी ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में कहा, हमने देश की संसद में कहा है कि जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा दिलाएंगे। भाजपा ही इसे पूरा करेगी। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि 25 सितंबर को वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। वहीं, उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी पर जमकर प्रहार किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को श्रीनगर में अपनी पहली चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय जम्हूरियत का त्यौहार चल रहा है। लोग इतनी बड़ी तादाद में घर से वोट करने के लिए निकले। सभी ने खुले मन से वोट भी दिया। कई सीटों पर वोटिंग के रिकॉर्ड टूट गए। आप लोगों ने एक नया इतिहास रचा है। एक नया इतिहास जम्मू कश्मीर के लोगों ने रचा है। उन्होंने आगे कहा कि कल ही यहां 7 जिलों में पहले दौर की वोटिंग हुई। पहली बार दहशतगर्दी के साए के बिना ये वोटिंग हुई। हम सभी के लिए यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग वोटिंग के लिए अपने घरों से बाहर निकले।

बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले जब जम्मू-कश्मीर आया था तो कहा था कि यहां की बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार हैं। तब से दिल्ली से लेकर कश्मीर तक ये लोग बोखलाए हुए हैं। तीन खानदानों को लगता है कि इनपर कोई कैसे सवाल उठा सकता है। इन्हें लगता है जैसे तैसे कुर्सी पर कब्जा करना और लोगों को लूटना इनका पैदायशी हक है। जम्मू कश्मीर की आवाम को जायज हक से अलग रखना ही इनका सियासी एजेंडा रहा है। इन्होंने जम्मू कश्मीर को केवल डर और अराजकता ही दी है। पीएम मोदी ने कहा कि इन तीन खानदानों के राज में जम्मू कश्मीर के नौजवानों ने जो भोगा है जो तकलीफ सही वो अक्सर बाहर नहीं पाती है।

बच्चों का भविष्य बर्बाद किया गया- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि आज वादी में जो नौजवान 30 साल का है उनमें से कई पढ़ाई लिखाई से महरूम रह गए। बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें 10वीं-12वीं या कॉलेज पहुंचने में देश के बाकी बच्चों से देर लगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के तीन खानदान फेल हुए है। इन्होंने दशकों तक नफरत का सामान बेचा। कश्मीर में जो स्कूल जलाए गए वो आग भी इनके नफरत के बाजार में बिकती थी। इन्होंने नए स्कूल नहीं बनाए लेकिन स्कूल को आग के हवाले करने वालों को शह देते थे। जो स्कूल कॉलेज बच गए वहां भी कई महीनों तक पढाई नहीं हो पाती थी। हमारे नौजवान पढ़ाई से दूर थे और ये तीन खानदान उनके हाथों में पत्थर थमा कर महफूज रहते थे। इन्होंने अपने फायदे के लिए हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है।

बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर को टेरर से आजाद कराना। साजिश करने वालों को हराना, यहां के नौजवानों को यहीं नौकरी का अवसर दिलाना ये मोदी का वादा है। हमारी एक और पीढ़ी-नस्ल को इन तीन खानदानों के हाथों में तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी इमानदारी से जुटा हूं। देखिए पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज आराम से चल रहे हैं, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब और लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती। आज यहां नए स्कूल-कॉलेज, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़ें लिखें आगे बढ़ें और यहीं पर उनके लिए मौके मिले।

एक और पीढ़ी बर्बाद होने नहीं दूं- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को टेरर से, दहशतगर्दी से आजाद कराना, जम्मू-कश्मीर के खिलाफ साजिश करने वाली हर ताकत को हराना, यहां के नौजवानों को, यहीं पर रोजगार के मौके दिलाना है. ये मोदी का इरादा है, मोदी का वादा है। अमन की बहाली की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारी एक और पीढ़ी को मैं इन 3 खानदानों के हाथों तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी ईमानदारी से जुटा हूं। बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं, बल्कि पेन और किताबे हैं, लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती हैं। आज यहां नए स्कूल, नए कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी ये बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़े-लिखें और ज्यादा काबिल बनें, उनके लिए यहीं पर नए मौके बने।

जम्मू-कश्मीर में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स बोले

पीएम मोदी ने कहा, मैं सिर्फ बीते 5 साल का हिसाब आपको देता हूं। यहां करीब 50 हजार बच्चे ऐसे थे, जिनका स्कूल छूट गया था। जिनकी पढ़ाई छूट गई थी, उन बच्चों का क्या कसूर था। मोदी ने इन 50 हजार बच्चों का फिर से स्कूल में दाखिला कराया। यहां 15 हजार स्कूलों में प्री प्राइमरी क्लासेस शुरू की गईं, इनमें आज डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। आज यहां करीब 250 स्कूलों को पीएम श्री स्कूल्स में अपग्रेड किया जा रहा है। यहां अनेक डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज बने हैं।

राज्य में रोजगार के अवसरों पर क्या कहा

यहां मेडिकल की करीब 1100 नई सीटें जोड़ी गई हैं। नर्सिंग में 1500, पैरामेडिकल में 1600 से ज्यादा नई सीटें जोड़ी गई हैं। जम्मू-कश्मीर का नौजवान मजबूर नहीं रहा, वो मोदी सरकार में मजबूत हो रहा है। भाजपा ने भी नौजवानों के रोजगार के लिए बड़े ऐलान किए हैं। स्किल डेवलपमेंट हो, बिना धांधली काबिल लोगों को सरकारी नौकरी मिले, ये सारे काम भाजपा यहां पूरे करके दिखाएगी।

कांग्रेस ने जारी की 31 उम्मीदवारों की सूची, लिस्ट में 3 मुस्लिम चेहरे, नूंह दंगे के आरोपी मामन खान को भी टिकट

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हरियाणा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस की लिस्ट में कुल 31 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में विनेश फोगाट को भी मौका मिला है। जुलाना से विनेश फोगाट भी चुनाव लड़ेंगी। तो वहीं लिस्ट में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का भी नाम शामिल है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में लगभग सभी सिटिंग विधायकों को मैदान में उतार दिया है। मुसलमानों के हिस्सेदारी की बात करें तो पहली लिस्ट में सिर्फ तीन मुस्लिम चेहरों को जगह मिली है।

पहली सूची पर मुहर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की मौजूदगी में सीईसी की बैठक में लगी। इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक बार फिर से पार्टी ने गढ़ी सांपला किलोई सीट से टिकट दिया है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को झज्जर (सुरक्षित) सीट से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री और लालू प्रसाद यादव के दामान चिरंजीव राव को रेवाड़ी से फिर उतारा है। इसके पार्टी ने नूंह सीट पर आफताब अहमद को टिकट दिया है।

नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी

अन्य बड़े चेहरों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल (सुरक्षित) सीट से लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ने एनआईटी फरीदाबाद सीट से नीरज शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी ने डबवाली सीट से अमित सिहाग को उतारा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की सीट रह चुकी नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी को टिकट दिया है।

सीएम सैनी के सामने मेवा सिंह

कांग्रेस ने अपनी सूची में घोषित 32 (31+1)कैंडिडेट में लाडवा सीट मौजूदा विधायक मेवा सिंह की टिकट बरकरार रखी है। 2019 में मेवा सिंह ने बीजेपी के सिटिंग विधायक डॉ. पवन सैनी को शिकस्त दी थी। इस बार लाडवा से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उप चुनाव में सीएम सैनी करनाल से जीते थे, लेकिन वह अब लाडवा से बीजेपी कैंडिडेट हैं।

विनेश और बजरंग पुनिया कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हुए, क्या हरियाणा विधानसभा तुनाव में मिलेगा लाभ?

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पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। विनेश के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी “सियासी दंगल” में प्रवेश कर लिया। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं। आज कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही इस पर विराम लग गया।

दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस का हाथ थामने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि भारत से कई खिलाड़ी ओलंपिक में गए हैं लेकिन कांग्रेस ने उनमें से केवल विनेश फोगाट और बजरंग पांजा को ही अधिक महत्व क्यों दिया? इन दोनों पहलवानों के आने से कांग्रेस को इस चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस में इन दोनों खिलाड़ियों के शामिल होने से बीजेपी को कितना झटका लगेगा?

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं। बता दें कि विनेश महिला रेसलरों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ तत्कालीन डब्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के विरोध में लड़ाई लड़कर बीजेपी के विरोध की आवाज बन चुकी है। हरियाणा के चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे पर विनेश फौगाट के बजरंग पूनिया ने जिस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं वो सभी मुद्दों पर भारी पड़ सकता है।

विनेश को ओलंपिक में सफलता मिलने के बाद जिस तरह हाथ से पदक फिसल गए उससे आम लोगों में उनको लेकर जबरदस्त संवेदना है। दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे। विनेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से जाहिर है कि ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद की फिर से हर गली चौक चौबारे पर चर्चा होगी। जो चुनाव परिणाम के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है।जो मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी, जाटों की नाराजगी आदि को और बल प्रदान करेगा।

महिला, खिलाड़ियों, युवाओं को संदेश

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विनेश के कांग्रेस में आने से महिला वोटरों खासकर युवा लड़कियों को भी कांग्रेस की तरफ से एक संदेश जाएगा। पार्टी विनेश और बजरंग के जरिये जाट वोटरों में मजबूती के साथ ही महिलाओं के अलावा युवाओं और खिलाड़ियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब होती दिख रही है। इसका असर चुनाव पर दिखना स्वाभाविक है।

राजनीति में असरदार जाट बिरादरी का मिलेगा साथ!

पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। एनडीए और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा की राजनीति में जाटों की अहम भूमिका है। जाटों की आबादी 22 फीसदी से अधिका है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं। हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं। इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है।

जम्मू-कश्मीर चुनाव: बीजेपी ने नए सिरे से जारी की प्रत्याशियों की लिस्ट, जानें क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

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भाजपा ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए जारी 44 उम्मीदवारों की पहली सूची वापस ले ली है।बीजेपी ने पुरानी लिस्ट में संशोधन के बाद नई लिस्ट जारी की है। पहले बीजेपी ने 44 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी लेकिन कुछ ही देर बाद इसे वापस ले लिया गया। इसमें बदलाव करके बीजेपी ने पहली लिस्ट में सिर्फ 15 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।

इससे पहले, सोमवार को भाजपा ने 44 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। संशोधन से पहले जारी लिस्ट में पहले चरण के 15, दूसरे चरण के दस और तीसरे चरण के 19 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई थी। हालांकि कुछ समय बाद ही इस लिस्ट को वापस ले लिया गया। 

पार्टी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर तीन चरणों के लिए 44 उम्मीदवारों की सूची अपलोड भी कर दिया था। अब इस लिस्ट को वहां से हटा लिया गया है। सिर्फ पहले चरण के 15 उम्मीदवारों के नाम वेबसाइट पर दिख रहे हैं। बाकी उम्मीदवारों के नाम वापस कर लिए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दूसरे और तीसरे चरण के प्रत्याशियों के नाम गलती से सूची में शामिल कर लिए गए थे। सूत्रों की मानी जाय तो दूसरे और तीसरे चरण के उम्मीदवारों पर चर्चा हुई हैं और संभावित उम्मीदवारों के नाम भी तय किए गए हैं लेकिन अभी उसे जारी नहीं किया जाना था।

पहले चरण के प्रत्याशी

इंजीनियर सैयद शौकत गयूर पांपोर से, अर्शीद भट राजपोरा से, जावेद अहमद कादरी शोपियां से, मोहम्मद रफीक वानी अनंतनाग पश्चिम से चुनाव लड़ेंगे। एडवोकेट सैयद वजाहत अनंतनाग से, शगुन परिहार किश्तवाड़ और गजय सिंह राणा डोडा से चुनाव लड़ेंगे। श्रीगुफवाड़ा बिजबेहरा से सोफी यूसुफ, शानगुस अनंतनाग से वीर सराफ चुनाव मैदान में होंगे। इंदरवल से तारिक कीन, पाडेर नागसेनी सीट से सुनील शर्मा, भदरवाह से दिलीप सिंह परिवार चुनाव मैदान में होंगे। बनिहाल से सलीम भट्ट, रामबन से राकेश ठाकुर और डोडा पश्चिम से शक्ति राज परिहार शामिल हैं। 

पहले फेज में इन 24 सीटों पर वोटिंग

पहले फेज में जिन सीटों पर वोटिंग होगी, उनमें पंपोर, त्राल, पुलवामा, राजपोरा, जैनापोरा, शोपियां, डी.एच. पोरा, कुलगाम, देवसर, दूरू, कोकेरनाग (एसटी), अनंतनाग पश्चिम, अनंतनाग, श्रीगुफवाड़ा, बिजबेहरा, शांगस-अनंतनाग पूर्व, पहलगाम, इंदरवाल, किश्तवाड़, पैड डेर, नागसेनी, भद्रवाह, डोडा, डोडा पश्चिम, रामबन और बनिहाल शामिल हैं।

जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में वोटिंग

90 विधानसभा सीटों वाले जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होने है। पहले चरण के लिए वोटिंग 18 सितंबर को 24 सीटों पर होगी। पहले फेज के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 27 अगस्त है ऐसे में आज जम्मू-कश्मीर पर बीजेपी की पहली लिस्ट आ सकती है। दूसरे चरण की वोटिंग 25 सितंबर को है, उस दिन 26 सीटों पर वोट डाले जाएंगे और तीसरे और आखिरी चरण की वोटिंग एक अक्टूबर को होगी। तीसरे चरण में सबसे ज्यादा 40 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। मतों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।

कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन के बाद भी सीट बंटवारें पर फंसा पेंच, जानें कहां अटक रही बात

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए अक्टूबर में चुनाव होने हैं।इस चुनाव में कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने 22 अगस्त को सभी 90 सीटों पर गठबंधन का ऐलान किया। सीट बंटवारे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है।

सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 52 और कांग्रेस 38 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। दोनों पार्टियों के बीच अभी भी कुछ सीटों को लेकर पेंच फंसा है। इन सीटों में नगरोटा, विजयपुर और हब्बा कदल की सीटें शामिल हैं। इसको लेकर दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के बीच चर्चा चल रही है।

सीटों के बंटवारे पर एनसी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि "ज्यादातर सीटों पर हम सर्वसम्मति बना चुके हैं।कुछ सीटों पर हम अड़े हुए हैं और कुछ सीटों पर कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता अड़े हुए हैं। आज हम फिर चर्चा करेंगे और कोशिश करेंगे कि जहां तक हो सके बाकी सीटों को गठबंधन की सीमा में लाकर अपने उम्मीदवारों का एलान करें।

पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें लड़ेगी

फिलहाल पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें पर लड़ेगी, जिसमें वो घाटी की 4 सीटों पर दावा ठोक रही है। इसमें दो सीटें देवसर और शांगस पर कांग्रेस ने 2014 में जीत हासिल की थी। तीसरी दुरु विधानसभा सीट है, जहां गुलाम अहमद मीर 161 वोट के करीबी मार्जिन से पीडीपी के उम्मीदवार सैयद फारूक अहमद अंदराबी से हार गए थे। वहीं चौथी कोकर नाग विधानसभा सीट है, जहां से कांग्रेस के सीनियर लीडर पीरजादा मोहम्मद सैयद आते हैं। इसलिए यह सीट कांग्रेस मांग रही है। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां से पीडीपी जीत गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 34 प्रतिशत वोट मिला जबकि पीडीपी को 42 प्रतिशत वोट मिला था। पीडीपी के अब्दुल रहीम राथर चुनाव जीत गए थे।कुल मिलाकर कांग्रेस अपनी सिटिंग सीट और पीडीपी की सीटें मांग रही है, जहां से उसके उम्मीदवार रनर अप रहे थे।

आज जारी हो सकती है कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट

वहीं, खबर है कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन के कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट शनिवार (24 अगस्त) को जारी होगी। सूत्रों के मुताबिक, पहली लिस्ट में नेशनल कॉन्फ्रेंस के 13 से 17 और कांग्रेस के 7 से 10 कैंडिडेट के नामों की घोषणा हो सकती है।

2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव

आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को बीजेपी सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?*
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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’ हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है। बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम के बाद राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को हुए नुकसान पर हर तरफ से प्रतिक्रिया आ रही है। यहां तक इंडिया गठबंधन में सहयोगियों ने कांग्रेस की रणनीति और क्षमता पर सवाल उठा दिए हैं। इस बीच राहुल गांधी गायब का ना उनका कोई बयान सामने आया था और ना ही उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था। अब रिजल्ट के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने का पहला रिएक्शन सामने आया है। एक तरफ उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को शुक्रिया कहा। तो दूसरी तरफ, हरियाणा में मिली करारी हार पर को अप्रत्याशित बयाता।

राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया- प्रदेश में INDIA की जीत संविधान की जीत है, लोकतांत्रिक स्वाभिमान की जीत है। हम हरियाणा के अप्रत्याशित नतीजे का विश्लेषण कर रहे हैं। अनेक विधानसभा क्षेत्रों से आ रही शिकायतों से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे। सभी हरियाणा वासियों को उनके समर्थन और हमारे बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को उनके अथक परिश्रम के लिए दिल से धन्यवाद। हक़ का, सामाजिक और आर्थिक न्याय का, सच्चाई का यह संघर्ष जारी रखेंगे, आपकी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।’

हरियाणा में वोटिंग के बाद नतीजों से पहले यह लग रहा था कि कांग्रेस चुनाव जीत रही है। लेकिन जब रिजल्ट आए तो एकदम उल्टा हुआ। कांग्रेस चुनाव हार गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस की हार के पीछे प्रमुख वजह है पार्टी के अंदर गुटबाजी। वहीं सीट बंटवारे में गड़बड़ी भी एक वजह रही। कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलती को भी हार की वजह माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा ने न सिर्फ सारे एग्जिट पोल्स को झूठा साबित कर दिया, बल्कि अपने विरोधियों को भी चौंका दिया है। इसके बाद से ही कांग्रेस अपने साथियों के निशाने पर है। हालांकि, कांग्रेस इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उसने नतीजों में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव में 48 सीट जीतकर भाजपा सत्ता बरकरार रखने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने दो सीटें जीतीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीट मिलीं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और AAP दोनों को चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत मत मिले, जबकि कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत मत मिले।

जम्मू-कश्मीर सरकार बनाने के बाद एनसी-कांग्रेस की नहीं चलने वाली, जानें गेंद किसके पाले?

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जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन की सरकार बनने वाली है।चुनाव के बाद विधानसभा का गठन होगा और वहां मंत्रीपरिषद शपथ लेंगी। आर्टिकल 370 खत्म करके इसका विशेष दर्जा खत्म किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुआ था। मगर ये चुनाव एक राज्य में नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश में कराया गया। तो राज्य में अब सरकार बेशक कांग्रेस और कांफ्रेंस मिलकर बना लें लेकिन असल में सारी ताकत को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास होगी।

वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर की अंतिम राज्य सरकार भंग कर दी गई। वर्ष 1952 से चली आ रही ये सरकार देश की दूसरी राज्य सरकारों की तुलना में ज्यादा अधिकार रखती थी। राज्य को देश में आर्टिकल 370 के तहत स्पेशल दर्जा मिला हुआ था। 2019 में सबकुछ खत्म हो गया। राज्य दो केंद्रशासित टुकड़ों टूट गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। अब जबकि राज्य में चुनाव खत्म हो गया है और परिणाम के बाद राज्य की सत्ता पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस काबिज होने जा रहे हैं तो कहना चाहिए कि अब सबकुछ पिछली राज्य सरकारों जैसा नहीं होगा। नई राज्य सरकार काफी हद तक पॉवरलेस होगी. असल में राज्य में सुपर बॉस तो लेफ्टिनेंट गर्वनर ही होंगे।

जिस तरह दिल्ली में उप राज्यपाल की ताकत निर्वाचित सरकार से ज्यादा है, कुछ वैसा ही जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिलेगा। जम्मू कश्मीर को अभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है और इसीलिए वहां गर्वनर नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश है और इस तरह वहां लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) काम करते रहेंगे और विधानसभा अगर कोई बिल पास करती है तो फिर उसे एलजी की सहमति लेनी होगी। इस तरह एलजी चाहें तो बिल को राष्ट्रपति को भी रेफर कर सकते हैं।

किन मामलों में उपराज्यपाल की चलेगी

कानून और व्यवस्था, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस कामों सहित विभिन्न प्रशासनिक मामलों में केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा। मतलब ये है कि निर्वाचित विधानसभा के बावजूद एलजी दैनिक शासन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विवेक का प्रयोग कर सकते हैं। कानून-व्यवस्था और पुलिस पर कंट्रोल पूरी तरह राज्यपाल के पास रहेगा। चूंकि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को बाहर करने के लिए विधानसभा की विधायी शक्तियों में कटौती की गई है, इसलिए नई सरकार की कार्यकारी शक्तियां और क्षमता गंभीर रूप से कमजोर और समझौतापूर्ण हो जाएगी। ऐसी व्यवस्था केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को सर्वशक्तिमान बना देती है। राज्य में सब कुछ गृह विभाग के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें पुलिस, कानून और व्यवस्था, जेल, बंदीगृह आदि शामिल हैं।

केवल पुलिस जैसा अहम महकमा ही चुनी हुई सरकार के नियंत्रण से बाहर नहीं होगा।. यहां तक की पब्लिक ऑर्डर जिसका दायरा बहुत बड़ा होता है, वह भी सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। समवर्ती सूची में दिए गए मामले यानी वैसे विषय जिस पर केन्द्र और राज्य, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, उस पर भी जम्मू कश्मीर विधानसभा कानून नहीं बना पाएगी। ये सारी शक्तियां एलजी या उसके जरिये केंद्र को दे दी गई हैं।

मंत्रियों के कार्यक्रम या बैठकों के एजेंडे की सूचना एलजी को देनी होगी

जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री बनने वालों के अधिकार का अंदाजा इस से भी लगाया जा सकता है कि मंत्रियों के कार्यक्रम या फिर उनके बैठकों के एजेंडे एलजी ऑफिस को देने होंगे और यह कम से दो दिन पहले जमा करा देना होगा। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए बनी प्रदेश की ताकतवर एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो), जम्मू कश्मीर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी और जेल जैसे अहम विभाग चुनी हुई सरकार के पास न होकर उपराज्यपाल के पास होंगे।

एलजी के फैसले की समीक्षा नहीं हो सकेगी

एलजी के राजनीतिक ताकत का अंदाजा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा 55 से साफ हो जाता है। इसके मुताबिक उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा जम्मू कश्मीर की चुनी गई मंत्रिमंडल नहीं कर सकती। बात यहां तक होती तो भी कोई बात न थी पर एक ओर तो उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा विधानसभा नहीं कर सकती लेकिन इसी के थोड़ा आगे एक प्रावधान ऐसा भी जोड़ दिया गया है जहां एलजी का प्रतिनिधि प्रदेश सरकार की सभी कैबिनेट मीटिंग में बैठेगा।

राज्यपाल करेंगे 5 विधायकों को नोमिनेट

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल के पास विधानसभा में 5 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है, जिनके पास विधायक की पूर्ण विधाई शक्तियां होंगी। ये विधानसभा के भीतर शक्ति संतुलन को बदल सकता है। विधानसभा के मनोनीत सदस्यों को वे सभी अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे, जिनके निर्वाचित सदस्य हकदार होंगे। उन्हें वोट देने का अधिकार है। अब केन्द्र की बीजेपी के सरकार के एलजी अगर किसी को नॉमिनेट करेंगे तो वह वोट किसे करेगा, यह वह भी बता देगा जिससे पूछा न गया हो। इसके अपावा ये पांच विधायक विधानसभा के कामकाज में भाग लेने का अधिकार है और सरकार के गठन में भूमिका का भी।

कश्मीर में खुला आम आदमी पार्टी का खाता, इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को भारी अंतर से हराया

#aamaadmipartywondodaassemblyseat

जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी (आप) का भी खाता खुल गया है। डोडा विधानसभा क्षेत्र से आप पार्टी ने जीत हासिल की है। आप उम्मीदवार मेहराज मलिक ने जीत हासिल की है। मेहराज मलिक ने भाजपा के उम्मीदवार गजय सिंह राणा को हराया है।

मेहराज मलिक ने बीजेपी के उम्मीदवार को 4548 वोटों से हराया है। चुनाव आयोग के अनुसार, मेहराज मलिक को 22611 वोट मिले हैं। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गजय सिंह राना को 18063 मिले हैं।

केजरीवाल ने दी बधाई

जम्मू कश्मीर में पहली बार आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ी है। पहले ही चुनाव में पार्टी की जीत पर अरविंद केजरीवाल ने बधाई दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अरविंद केजरीवाल ने लिखा, 'डोडा से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मेहराज मलिक द्वारा बीजेपी को हराकर शानदार जीत हासिल करने के लिए बहुत बहुत बधाई। आप बहुत अच्छा चुनाव लड़े हैं।' इसके साथ ही केजरीवाल ने कहा कि पांचवें राज्य में विधायक बनने पर पूरी आम आदमी पार्टी को बधाई।

आप की बड़ी उपलब्धी

इस जीत को आप के लिए एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आप ने दिल्ली, पंजाब और गुजरात के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। इससे पार्टी को झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले आगामी चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने का मौका मिलेगा। हालांकि, हरियाणा चुनावों में आप को कोई फायदा पहुंचता नजर नहीं आ रहा है।

जम्मू-कश्मीर को वापस से राज्य का दर्जा मिलेगा, पीएम मोदी ने किया वादा

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जम्मू-कश्मीर में चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में पहली चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों के उत्साह की तारीफ की। साथ ही पीएम मोदी ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में कहा, हमने देश की संसद में कहा है कि जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा दिलाएंगे। भाजपा ही इसे पूरा करेगी। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि 25 सितंबर को वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। वहीं, उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी पर जमकर प्रहार किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को श्रीनगर में अपनी पहली चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस समय जम्हूरियत का त्यौहार चल रहा है। लोग इतनी बड़ी तादाद में घर से वोट करने के लिए निकले। सभी ने खुले मन से वोट भी दिया। कई सीटों पर वोटिंग के रिकॉर्ड टूट गए। आप लोगों ने एक नया इतिहास रचा है। एक नया इतिहास जम्मू कश्मीर के लोगों ने रचा है। उन्होंने आगे कहा कि कल ही यहां 7 जिलों में पहले दौर की वोटिंग हुई। पहली बार दहशतगर्दी के साए के बिना ये वोटिंग हुई। हम सभी के लिए यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग वोटिंग के लिए अपने घरों से बाहर निकले।

बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले जब जम्मू-कश्मीर आया था तो कहा था कि यहां की बर्बादी के लिए तीन खानदान जिम्मेदार हैं। तब से दिल्ली से लेकर कश्मीर तक ये लोग बोखलाए हुए हैं। तीन खानदानों को लगता है कि इनपर कोई कैसे सवाल उठा सकता है। इन्हें लगता है जैसे तैसे कुर्सी पर कब्जा करना और लोगों को लूटना इनका पैदायशी हक है। जम्मू कश्मीर की आवाम को जायज हक से अलग रखना ही इनका सियासी एजेंडा रहा है। इन्होंने जम्मू कश्मीर को केवल डर और अराजकता ही दी है। पीएम मोदी ने कहा कि इन तीन खानदानों के राज में जम्मू कश्मीर के नौजवानों ने जो भोगा है जो तकलीफ सही वो अक्सर बाहर नहीं पाती है।

बच्चों का भविष्य बर्बाद किया गया- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि आज वादी में जो नौजवान 30 साल का है उनमें से कई पढ़ाई लिखाई से महरूम रह गए। बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें 10वीं-12वीं या कॉलेज पहुंचने में देश के बाकी बच्चों से देर लगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस, एनसी और पीडीपी के तीन खानदान फेल हुए है। इन्होंने दशकों तक नफरत का सामान बेचा। कश्मीर में जो स्कूल जलाए गए वो आग भी इनके नफरत के बाजार में बिकती थी। इन्होंने नए स्कूल नहीं बनाए लेकिन स्कूल को आग के हवाले करने वालों को शह देते थे। जो स्कूल कॉलेज बच गए वहां भी कई महीनों तक पढाई नहीं हो पाती थी। हमारे नौजवान पढ़ाई से दूर थे और ये तीन खानदान उनके हाथों में पत्थर थमा कर महफूज रहते थे। इन्होंने अपने फायदे के लिए हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद किया है।

बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर को टेरर से आजाद कराना। साजिश करने वालों को हराना, यहां के नौजवानों को यहीं नौकरी का अवसर दिलाना ये मोदी का वादा है। हमारी एक और पीढ़ी-नस्ल को इन तीन खानदानों के हाथों में तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी इमानदारी से जुटा हूं। देखिए पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज आराम से चल रहे हैं, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं बल्कि पेन-किताब और लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती। आज यहां नए स्कूल-कॉलेज, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़ें लिखें आगे बढ़ें और यहीं पर उनके लिए मौके मिले।

एक और पीढ़ी बर्बाद होने नहीं दूं- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को टेरर से, दहशतगर्दी से आजाद कराना, जम्मू-कश्मीर के खिलाफ साजिश करने वाली हर ताकत को हराना, यहां के नौजवानों को, यहीं पर रोजगार के मौके दिलाना है. ये मोदी का इरादा है, मोदी का वादा है। अमन की बहाली की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारी एक और पीढ़ी को मैं इन 3 खानदानों के हाथों तबाह नहीं होने दूंगा। यहां अमन की बहाली के लिए मैं पूरी ईमानदारी से जुटा हूं। बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं, बल्कि पेन और किताबे हैं, लैपटॉप हैं। आज स्कूलों में आग लगने की खबरें नहीं आती हैं। आज यहां नए स्कूल, नए कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी ये बनने की खबरें आ रही हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे पढ़े-लिखें और ज्यादा काबिल बनें, उनके लिए यहीं पर नए मौके बने।

जम्मू-कश्मीर में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स बोले

पीएम मोदी ने कहा, मैं सिर्फ बीते 5 साल का हिसाब आपको देता हूं। यहां करीब 50 हजार बच्चे ऐसे थे, जिनका स्कूल छूट गया था। जिनकी पढ़ाई छूट गई थी, उन बच्चों का क्या कसूर था। मोदी ने इन 50 हजार बच्चों का फिर से स्कूल में दाखिला कराया। यहां 15 हजार स्कूलों में प्री प्राइमरी क्लासेस शुरू की गईं, इनमें आज डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। आज यहां करीब 250 स्कूलों को पीएम श्री स्कूल्स में अपग्रेड किया जा रहा है। यहां अनेक डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज बने हैं।

राज्य में रोजगार के अवसरों पर क्या कहा

यहां मेडिकल की करीब 1100 नई सीटें जोड़ी गई हैं। नर्सिंग में 1500, पैरामेडिकल में 1600 से ज्यादा नई सीटें जोड़ी गई हैं। जम्मू-कश्मीर का नौजवान मजबूर नहीं रहा, वो मोदी सरकार में मजबूत हो रहा है। भाजपा ने भी नौजवानों के रोजगार के लिए बड़े ऐलान किए हैं। स्किल डेवलपमेंट हो, बिना धांधली काबिल लोगों को सरकारी नौकरी मिले, ये सारे काम भाजपा यहां पूरे करके दिखाएगी।

कांग्रेस ने जारी की 31 उम्मीदवारों की सूची, लिस्ट में 3 मुस्लिम चेहरे, नूंह दंगे के आरोपी मामन खान को भी टिकट

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हरियाणा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस की लिस्ट में कुल 31 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में विनेश फोगाट को भी मौका मिला है। जुलाना से विनेश फोगाट भी चुनाव लड़ेंगी। तो वहीं लिस्ट में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का भी नाम शामिल है। कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में लगभग सभी सिटिंग विधायकों को मैदान में उतार दिया है। मुसलमानों के हिस्सेदारी की बात करें तो पहली लिस्ट में सिर्फ तीन मुस्लिम चेहरों को जगह मिली है।

पहली सूची पर मुहर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की मौजूदगी में सीईसी की बैठक में लगी। इसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक बार फिर से पार्टी ने गढ़ी सांपला किलोई सीट से टिकट दिया है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को झज्जर (सुरक्षित) सीट से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री और लालू प्रसाद यादव के दामान चिरंजीव राव को रेवाड़ी से फिर उतारा है। इसके पार्टी ने नूंह सीट पर आफताब अहमद को टिकट दिया है।

नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी

अन्य बड़े चेहरों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान होडल (सुरक्षित) सीट से लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ने एनआईटी फरीदाबाद सीट से नीरज शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी ने डबवाली सीट से अमित सिहाग को उतारा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की सीट रह चुकी नारायणगढ़ से कांग्रेस ने शैली चौधरी को टिकट दिया है।

सीएम सैनी के सामने मेवा सिंह

कांग्रेस ने अपनी सूची में घोषित 32 (31+1)कैंडिडेट में लाडवा सीट मौजूदा विधायक मेवा सिंह की टिकट बरकरार रखी है। 2019 में मेवा सिंह ने बीजेपी के सिटिंग विधायक डॉ. पवन सैनी को शिकस्त दी थी। इस बार लाडवा से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उप चुनाव में सीएम सैनी करनाल से जीते थे, लेकिन वह अब लाडवा से बीजेपी कैंडिडेट हैं।

विनेश और बजरंग पुनिया कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हुए, क्या हरियाणा विधानसभा तुनाव में मिलेगा लाभ?

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पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। विनेश के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी “सियासी दंगल” में प्रवेश कर लिया। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं। आज कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही इस पर विराम लग गया।

दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस का हाथ थामने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि भारत से कई खिलाड़ी ओलंपिक में गए हैं लेकिन कांग्रेस ने उनमें से केवल विनेश फोगाट और बजरंग पांजा को ही अधिक महत्व क्यों दिया? इन दोनों पहलवानों के आने से कांग्रेस को इस चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस में इन दोनों खिलाड़ियों के शामिल होने से बीजेपी को कितना झटका लगेगा?

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं। बता दें कि विनेश महिला रेसलरों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ तत्कालीन डब्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के विरोध में लड़ाई लड़कर बीजेपी के विरोध की आवाज बन चुकी है। हरियाणा के चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे पर विनेश फौगाट के बजरंग पूनिया ने जिस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं वो सभी मुद्दों पर भारी पड़ सकता है।

विनेश को ओलंपिक में सफलता मिलने के बाद जिस तरह हाथ से पदक फिसल गए उससे आम लोगों में उनको लेकर जबरदस्त संवेदना है। दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे। विनेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से जाहिर है कि ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद की फिर से हर गली चौक चौबारे पर चर्चा होगी। जो चुनाव परिणाम के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है।जो मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी, जाटों की नाराजगी आदि को और बल प्रदान करेगा।

महिला, खिलाड़ियों, युवाओं को संदेश

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विनेश के कांग्रेस में आने से महिला वोटरों खासकर युवा लड़कियों को भी कांग्रेस की तरफ से एक संदेश जाएगा। पार्टी विनेश और बजरंग के जरिये जाट वोटरों में मजबूती के साथ ही महिलाओं के अलावा युवाओं और खिलाड़ियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब होती दिख रही है। इसका असर चुनाव पर दिखना स्वाभाविक है।

राजनीति में असरदार जाट बिरादरी का मिलेगा साथ!

पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। एनडीए और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा की राजनीति में जाटों की अहम भूमिका है। जाटों की आबादी 22 फीसदी से अधिका है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं। हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं। इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है।

जम्मू-कश्मीर चुनाव: बीजेपी ने नए सिरे से जारी की प्रत्याशियों की लिस्ट, जानें क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

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भाजपा ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए जारी 44 उम्मीदवारों की पहली सूची वापस ले ली है।बीजेपी ने पुरानी लिस्ट में संशोधन के बाद नई लिस्ट जारी की है। पहले बीजेपी ने 44 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी लेकिन कुछ ही देर बाद इसे वापस ले लिया गया। इसमें बदलाव करके बीजेपी ने पहली लिस्ट में सिर्फ 15 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।

इससे पहले, सोमवार को भाजपा ने 44 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। संशोधन से पहले जारी लिस्ट में पहले चरण के 15, दूसरे चरण के दस और तीसरे चरण के 19 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई थी। हालांकि कुछ समय बाद ही इस लिस्ट को वापस ले लिया गया। 

पार्टी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर तीन चरणों के लिए 44 उम्मीदवारों की सूची अपलोड भी कर दिया था। अब इस लिस्ट को वहां से हटा लिया गया है। सिर्फ पहले चरण के 15 उम्मीदवारों के नाम वेबसाइट पर दिख रहे हैं। बाकी उम्मीदवारों के नाम वापस कर लिए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दूसरे और तीसरे चरण के प्रत्याशियों के नाम गलती से सूची में शामिल कर लिए गए थे। सूत्रों की मानी जाय तो दूसरे और तीसरे चरण के उम्मीदवारों पर चर्चा हुई हैं और संभावित उम्मीदवारों के नाम भी तय किए गए हैं लेकिन अभी उसे जारी नहीं किया जाना था।

पहले चरण के प्रत्याशी

इंजीनियर सैयद शौकत गयूर पांपोर से, अर्शीद भट राजपोरा से, जावेद अहमद कादरी शोपियां से, मोहम्मद रफीक वानी अनंतनाग पश्चिम से चुनाव लड़ेंगे। एडवोकेट सैयद वजाहत अनंतनाग से, शगुन परिहार किश्तवाड़ और गजय सिंह राणा डोडा से चुनाव लड़ेंगे। श्रीगुफवाड़ा बिजबेहरा से सोफी यूसुफ, शानगुस अनंतनाग से वीर सराफ चुनाव मैदान में होंगे। इंदरवल से तारिक कीन, पाडेर नागसेनी सीट से सुनील शर्मा, भदरवाह से दिलीप सिंह परिवार चुनाव मैदान में होंगे। बनिहाल से सलीम भट्ट, रामबन से राकेश ठाकुर और डोडा पश्चिम से शक्ति राज परिहार शामिल हैं। 

पहले फेज में इन 24 सीटों पर वोटिंग

पहले फेज में जिन सीटों पर वोटिंग होगी, उनमें पंपोर, त्राल, पुलवामा, राजपोरा, जैनापोरा, शोपियां, डी.एच. पोरा, कुलगाम, देवसर, दूरू, कोकेरनाग (एसटी), अनंतनाग पश्चिम, अनंतनाग, श्रीगुफवाड़ा, बिजबेहरा, शांगस-अनंतनाग पूर्व, पहलगाम, इंदरवाल, किश्तवाड़, पैड डेर, नागसेनी, भद्रवाह, डोडा, डोडा पश्चिम, रामबन और बनिहाल शामिल हैं।

जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में वोटिंग

90 विधानसभा सीटों वाले जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होने है। पहले चरण के लिए वोटिंग 18 सितंबर को 24 सीटों पर होगी। पहले फेज के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 27 अगस्त है ऐसे में आज जम्मू-कश्मीर पर बीजेपी की पहली लिस्ट आ सकती है। दूसरे चरण की वोटिंग 25 सितंबर को है, उस दिन 26 सीटों पर वोट डाले जाएंगे और तीसरे और आखिरी चरण की वोटिंग एक अक्टूबर को होगी। तीसरे चरण में सबसे ज्यादा 40 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। मतों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।

कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन के बाद भी सीट बंटवारें पर फंसा पेंच, जानें कहां अटक रही बात

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए अक्टूबर में चुनाव होने हैं।इस चुनाव में कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने 22 अगस्त को सभी 90 सीटों पर गठबंधन का ऐलान किया। सीट बंटवारे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है।

सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 52 और कांग्रेस 38 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। दोनों पार्टियों के बीच अभी भी कुछ सीटों को लेकर पेंच फंसा है। इन सीटों में नगरोटा, विजयपुर और हब्बा कदल की सीटें शामिल हैं। इसको लेकर दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के बीच चर्चा चल रही है।

सीटों के बंटवारे पर एनसी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि "ज्यादातर सीटों पर हम सर्वसम्मति बना चुके हैं।कुछ सीटों पर हम अड़े हुए हैं और कुछ सीटों पर कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता अड़े हुए हैं। आज हम फिर चर्चा करेंगे और कोशिश करेंगे कि जहां तक हो सके बाकी सीटों को गठबंधन की सीमा में लाकर अपने उम्मीदवारों का एलान करें।

पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें लड़ेगी

फिलहाल पहले चरण की 24 सीटों में कांग्रेस 9 या 10 सीटें पर लड़ेगी, जिसमें वो घाटी की 4 सीटों पर दावा ठोक रही है। इसमें दो सीटें देवसर और शांगस पर कांग्रेस ने 2014 में जीत हासिल की थी। तीसरी दुरु विधानसभा सीट है, जहां गुलाम अहमद मीर 161 वोट के करीबी मार्जिन से पीडीपी के उम्मीदवार सैयद फारूक अहमद अंदराबी से हार गए थे। वहीं चौथी कोकर नाग विधानसभा सीट है, जहां से कांग्रेस के सीनियर लीडर पीरजादा मोहम्मद सैयद आते हैं। इसलिए यह सीट कांग्रेस मांग रही है। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां से पीडीपी जीत गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 34 प्रतिशत वोट मिला जबकि पीडीपी को 42 प्रतिशत वोट मिला था। पीडीपी के अब्दुल रहीम राथर चुनाव जीत गए थे।कुल मिलाकर कांग्रेस अपनी सिटिंग सीट और पीडीपी की सीटें मांग रही है, जहां से उसके उम्मीदवार रनर अप रहे थे।

आज जारी हो सकती है कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट

वहीं, खबर है कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन के कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट शनिवार (24 अगस्त) को जारी होगी। सूत्रों के मुताबिक, पहली लिस्ट में नेशनल कॉन्फ्रेंस के 13 से 17 और कांग्रेस के 7 से 10 कैंडिडेट के नामों की घोषणा हो सकती है।

2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव

आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को बीजेपी सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।