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विकसित कृषि संकल्प अभियान का कल शुभारंभ करेंगे मुख्यमंत्री साय, कृषि मंत्री नेताम ने कहा- एक देश-एक कृषि-एक टीम की अवधारणा को मिलेगी मजबूती…

रायपुर- कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कल 29 मई से शुरू हो रहे विकसित कृषि संकल्प अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि यह कृषि क्षेत्र में प्रधानमंत्री के “लैब टू लैण्ड” मंत्र को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह एक देश-एक कृषि-एक टीम की अवधारणा को मजबूती देगा. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के इस अभियान की छत्तीसगढ़ में शुरुआत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आरंग विधानसभा के भैंसा गांव में करेंगे.

कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने बताया कि कृषि कार्यों हेतु प्रत्येक राज्य की अपनी खरीफ-पूर्व तैयारियाँ होती है. इनसे बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए राज्य की तैयारियों एवं इस अभियान को एकीकृत किया जा रहा है.

इस अभियान के मुख्य उद्देश्यों में “क्षेत्र विशेष में प्रमुख खरीफ फसलों की आधुनिक कृषि पद्धतियों के बारे में किसानों को जागरूक करना”, “किसानों के लिए लाभकारी विभिन्न शासकीय योजनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी प्रसारित करना”, “मृदा स्वास्थ्य कार्ड के उपयोग को प्रचारित करना ताकि सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए किसानों द्वारा उचित निर्णय लिया जा सके”. “रासायनिक उर्वरकों के विवेकपूर्ण और उचित उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाना” तथा “जमीनी स्तर पर नवाचारों के बारे में किसानों से फीडबैक एकत्र कर उसके अनुसार अनुसंधान की प्राथमिकताओं का निर्धारण करना” सम्मिलित हैं.

इस अभियान का कियान्वयन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा राज्य शासन के कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा. यह अभियान छत्तीसगढ़ प्रदेश के समस्त 33 जिलों में चलाया जाएगा, जिसमें कुल 100 दलों द्वारा 2,600 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. प्रत्येक जिले में 3 दलों का गठन होगा, तथा प्रत्येक दल एक दिन में दो स्थानों पर कार्यकम आयेजित करेगा.

प्रत्येक दल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के 3-4 वैज्ञानिक तथा राज्य शासन के कृषि, उद्यानिकी, मछलीपालन एवं पशुपालन विभाग के अधिकारी सम्मिलित रहेंगे, जो जनजातीय, आकांक्षी और भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता देंगे.

कलेक्टर के मर्गदर्शन में कृषि एवं संबद्ध विभाग आपसी समन्वय से अभियान का क्रियान्वयन करेंगे. जिला स्तर पर अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए जिले के उप संचालक कृषि को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. अभियान के क्रियान्वयन के संबंध में राज्य स्तर से जिलों के उप संचालक कृषि को विस्तृत निर्देश जारी किए जा चुके हैं.

अभियान की निगरानी एवं पर्यवेक्षण हेतु राज्य स्तर पर संचालनालय कृषि में तथा जिला स्तर पर कार्यालय उप संचालक कृषि में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जिसमें कृषि के साथ उद्यानिकी, मछलीपालन एवं पशुपालन विभाग के अधिकारी भी सम्मिलित हैं.

प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए करेंगे प्रोत्साहित

अभियान के दौरान विभिन्न स्थानों पर दल जाकर उन्नत तकनीक एवं नई किस्मों के संबंध में किसानों को जागरूक करेंगे, प्राकृतिक खेती तथा जैविक खेती का प्रचार-प्रसार एवं इसे अपनाने किसानों को प्रोत्साहित करेंगे. मृदा के स्वास्थ्य को बनाये रखने जैविक खाद/जैव उर्वरक को प्रोत्साहित करेंगे. वहीं मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) में फसलवार अनुशंसित मात्रा अनुसार संतुलित उर्वरक के उपयोग के लिए किसानो को जागरूक एवं प्रोत्साहित करेंगे.

कृषि-ड्रोन के जरिए तरल उर्वरक छिड़काव का प्रदर्शन

कृषि विज्ञान केन्द्र, आई.सी.ए.आर. संस्थान और इफको द्वारा कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग पर प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा. किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए सूचना एवं प्रसार प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग किया जाएगा. इसके अलावा धान की कतार बोनी (Line Sowing) / DSR मशीन से बोनी, पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई एवं सोयाबीन की फसल में मशीनीकरण (Ridge and furrow प्रणाली, बी.बी.एफ. आदि) जैसी अन्य उन्नत फराल तकनीकी का प्रसार करेंगे.

दलहन-तिलहन के उत्पादन के लिए करेंगे प्रोत्साहित

इसके साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड हेतु किसानों को प्रोत्साहित करेंगे. फसल चक्र परिवर्तन धान के बदले अन्य लाभदायी फसल, जैसे दलहन, तिलहन, मक्का, लघु-धान्य फसलें इत्यादि के उत्पादन हेतु किसानों को प्रोत्साहित करेंगे. सिंचाई संसाधनों के समुचित उपयोग हेतु ड्रिप, स्प्रिंकलर एवं जल संरक्षण / संर्वधन के तकनीकों की जानकारी देंगे. कृषि एवं संबद्ध विभागों में संचालित केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी देंगे.

बस्तर वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची से बाहर, LWE के तहत मिलने वाली सहायता हुई बंद!

रायपुर- देश-प्रदेश को मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य लेकर शासन-प्रशासन और सुरक्षाबलों का सामूहिक प्रयास अब एक नए मुकाम पर पहुंच गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर को लेफ्ट विंग एक्स्ट्रिमिज्म (एलडब्ल्यूई) जिलों की सूची से बाहर कर दिया है. हालांकि, इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) की ओर से अब तक कोई अधिकृत घोषणा नहीं की गई है.

बस्तर को लेफ्ट विंग एक्स्ट्रिमिज्म (LWE) जिलों की सूची से बाहर करने के साथ ही केंद्र सरकार ने अप्रैल से शुरू होने वाले नई वित्त वर्ष से एलडब्ल्यूई के तहत बस्तर जिले को मिलने वाली आर्थिक मदद को भी बंद कर दी है. करोड़ों रुपए का यह फंड जिले में विकास कार्यों व नक्सल उन्मूलन के लिए जारी किया जाता था. मार्च 2025 तक बस्तर जिले को ये राशि जारी की गई, लेकिन अप्रैल 2025 से केंद्र सरकार ने एलडब्ल्यूई फंड पर रोक लगा दी है.

संभाग के 7 में से 2 जिले हुए नक्सलमुक्त

बस्तर संभाग में 7 जिले शामिल हैं, जिनमें बस्तर के अलावा दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव व कांकेर शामिल हैं. इस साल छत्तीसगढ़ के तीन और जिले, राजनांदगांव, कवर्धा और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को केंद्र की एलडब्ल्यूई की सूची से बाहर कर दिया गया.

जिले के ये इलाके भी नक्सलवाद मुक्त

बस्तर जिले का दरभा इलाके का कोलेंग, तुलसीडोंगरी, जगदलपुर से लगे माचकोट, तिरिया, लोहंडीगुड़ा इलाके के मारडूम, ककनार, बारसूर सीमा के इलाके नक्सलवाद से प्रभावित थे. इसके बाद दरभा की झीरम घाटी में दो कैंपों सहित कोलेंग, तुलसीडोंगरी में कैंप खोले गए. मारडूम में कैंप व थाना खोला गया. ककनार व चित्रकोट में चौकी और कैंप खोले गए. लोहंडीगुड़ा में सीआरपीएफ कैंप खोला गया.

“कॉल मी सर्विस” कंपनी पर गंभीर आरोप: प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कहा-

रायपुर- राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा सहित कई संस्थानों में सफाई सेवाएं देने वाली राज बोथरा की कंपनी “कॉल मी सर्विस” एक बार फिर विवादों में है। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कंपनी पर महिला सफाई कर्मचारियों के मानसिक, आर्थिक और शारीरिक शोषण, फर्जीवाड़ा, नौकरी और यूनिफॉर्म के नाम पर अवैध वसूली, और यहां तक कि अस्पताल परिसर को शराब सेवन का अड्डा बनाने तक के गंभीर आरोप लगाते हुए एक पत्र जारी किया है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

बता दें कि हाल ही में पत्रकारों के साथ कंपनी के कथित बाउंसर द्वार मारपीट और दुर्व्यवहार की घटना सामने आई थी जिसके बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने पत्र जारी करते हुए कहा कि कंपनी के मालिक राजकुमार बोथरा के संरक्षण में ये सब कृत्य किए जा रहे हैं। संघ का दावा है कि कर्मचारियों द्वारा इस संबंध में कई बार शिकायत की गई, लेकिन कथित “सेटिंगबाज़ी” और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

शराब का अड्डा बना गार्ड रूम

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ द्वारा जारी पत्र में दावा किया गया है कि मेकाहारा अस्पताल का गार्ड रूम अब शराब सेवन का अड्डा बन चुका है। जब कोई इसका विरोध करता है, तो कंपनी के गुंडे और कथित बाउंसर मारपीट पर उतर आते हैं।

फर्जी अटेंडेंस और सरकारी धन की बर्बादी

संघ के सलाहकार ओपी शर्मा ने बताया कि “कॉल मी सर्विस” कंपनी करीब 30% फर्जी उपस्थिति दिखाकर राज्य सरकार को लाखों-करोड़ों रुपए का चूना लगा रही है। कंपनी द्वारा ठेका लेने के बाद ज़ीरो प्रतिशत प्रॉफिट की शर्त बताकर संचालन दूसरे सुपरवाइजर और बाउंसर्स को सौंप दिया जाता है, जो कर्मचारियों की उपस्थिति में हेराफेरी करते हैं।

नौकरी देने के नाम पर भारी वसूली

कोविड काल के दौरान 100 से अधिक सफाई कर्मचारियों को हटाकर नए कर्मचारियों की भर्ती के नाम पर 40-40 हजार रुपये वसूले गए थे। ड्रेस देने के नाम पर भी 10-10 हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं। ये वसूली केवल मेकाहारा तक सीमित नहीं है, बल्कि दाऊद कल्याण सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जिला अस्पताल पंडरी, रायपुर एम्स समेत कई अन्य सरकारी संस्थानों में भी की जा रही है।

महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार

पत्र में यह भी उल्लेख है कि कंपनी के सुपरवाइजर पर अश्लील वीडियो बनाने और महिला कर्मचारियों से दुर्व्यवहार के मामले में तीन बार जेल जा चुका है। बावजूद इसके कंपनी को बचाया जा रहा है और कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

पत्रकारों से मारपीट की निंदा

हाल ही में मेकाहारा में पत्रकारों के साथ हुई मारपीट और अभद्र व्यवहार की भी छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कड़ी निंदा की है। संघ का कहना है कि जिस तरह से कंपनी खुलेआम गुंडागर्दी कर रही है और पत्रकारों तक को निशाना बना रही है, यह दर्शाता है कि प्रशासनिक स्तर पर मिलीभगत हो सकती है।

संघ की मांग

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि “कॉल मी सर्विस” कंपनी को तत्काल ब्लैकलिस्ट किया जाए, सभी सरकारी संस्थानों से ठेके समाप्त किए जाएं, और इन संस्थानों की जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूहों को दी जाए ताकि अस्पतालों का माहौल सुरक्षित और पारदर्शी बन सके। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के सलाहकार ओपी शर्मा ने कहा कि “लगातार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई न होना प्रशासनिक लापरवाही और सेटिंगबाज़ी को दर्शाता है। अब समय आ गया है कि इस कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

सिस्टम के आगे साष्टांग किसान, समाधान शिविर में एसडीएम से लगाई गुहार, ‘साहब! बंटवारा करा दो’

गरियाबंद- सिस्टम के आगे सब बेबस हैं, फिर किसान क्या चीज है. इसका एक नजारा मंगलवार को देवभोग विकासखंड में निष्ठीगुड़ा में आयोजित अंतिम समाधान शिविर में देखने को मिला, जहां किसान मंच पर मौजूद एसडीएम के सामने साष्टांग हो गया. किसान सिर्फ एक बात ही बात कह रहा था कि साहब! बंटवारा करा दो.

सरकार के सुशासन तिहार अभियान में गुहार लगाने के बाद भी काम नहीं बनता देख लाटापारा का कृषक अशोक कुमार कश्यप अपने लंबित मांग को फिर से दोहराने के निष्ठीगुड़ा में आयोजित अंतिम समाधान शिविर में पहुंच गया. इस बार आवेदन देने के साथ मंच में चढ़कर एसडीएम तुलसी दास के समक्ष साष्टांग होकर जमीन बंटवारा के लिए गिड़गिड़ाने लगा. इस बार भी अफसर उसे आश्वासन देकर निराकरण करने का भरोसा दिलाया.

अशोक ने बताया कि लाटापारा हल्का में उनकी पुरखौती जमीन 4.28 एकड़ मौजूद है. जमीन अशोक के नाम पर है, पर कब्जा बड़े भाई का है. साल भर पहले बंटवारा के लिए आवेदन दे चुका है. पूरे अभियान के दरमियान सभी जगह बंटवारा की मांग करते रहा, लेकिन आज तक नहीं सुनवाई हुई. मामले में एसडीएम तुलसी दास ने कहा कि मौके पर रकबा कम है, फिर भी अशोक को उनके हिस्से का कब्जा दिलाया गया था. अगला पक्ष फिर से काबिज हो गया है, जिस पर स्थल निरीक्षण कर अब स्थाई समाधान निकाला जाएगा.

बता दें कि देवभोग के तीनों राजस्व न्यायालय में 93 राजस्व ग्राम में 394 राजस्व मामले लंबित है. निराकरण के पायदान में जिले की स्थिति चौथे नंबर पर है. ऑनलाइन दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, नायब तहसीलदार के समक्ष 129, तहसीलदार न्यायालय में 185 और एसडीएम न्यायालय में 80 मामले लंबित हैं. इन लंबित मामलों में सीमांकन के104, क्षतिपूर्ति के 72 और खाता विभाजन के 31 मामले शामिल हैं।


बंदोबस्त त्रुटि के मामले ज्यादा

तहसीलदार चितेश देवांगन ने बताया कि अशोक के खाते में ही 2 एकड़ जमीन दर्ज है, पुराने रिकॉर्ड के आधार पर दावा भले वह 4 एकड़ का कर रहा है. देवांगन ने बताया कि बंदोबस्त सुधार के 13 मामले दर्ज है, जिसे निराकृत किया जा रहा है. दरअसल, 1991 में अंतिम बंदोबस्त हुआ है,तब की हुई त्रुटि के चलते देवभोग तहसील में जमीन विवाद से जुड़े मामले अक्सर आते हैं.बोनी के समय प्रति वर्ष तहसील और थाने में जमीन विवाद के 20 से ज्यादा मामले पहुंच जाते हैं.जब तक बंदोबस्त प्रकिया दोबारा नहीं किया जाता,जमीन विवाद के मामले आते रहेंगे.

आधे पटवारी पर निर्भर है विभाग

देवभोग तहसील में महज 93 राजस्व ग्राम हैं. प्रशासनिक सेट अप के लिहाज से इतने गांव के लिए एक एसडीएम, एक तहसीलदार पदस्थ हैं. नायब तहसीलदार का पद रिक्त पड़ा है. तीन आरआई सर्कल हैं, लेकिन पदस्थ एक आरआई है. इस तरह से 27 हल्के में महज 14 पटवारी हैं. राजस्व मामले के रीढ़ माने जाने वाले पटवारी की कम संख्या भी लंबित मामले का प्रमुख कारण है.

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संविधान बचाओ यात्रा पर मंत्री रामविचार नेताम ने कसा तंज, कहा- कांग्रेस को बचाने के लिए निकाल रहे यात्रा…

रायपुर- कांग्रेस के संविधान बचाओ यात्रा को मंत्री रामविचार नेताम ने तंज कसते हुए इसे कांग्रेस बचाओ यात्रा करार दिया. उन्होंने कहा कि कैसे कांग्रेस को बचाया जाए, इसके लिए यात्रा निकाल रही है.

मंत्री रामविचार नेताम ने जातिगत जनगणना के प्रारूप की मांग को लेकर कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर कहा कि कांग्रेस ने घूम-घूम कर देश को गुमराह करने का काम किया. कांग्रेस पार्टी अनर्गल बातें करते रहती है, उनका मुद्दा छीन गया. पीएम मोदी जो कहते हैं, वह करके भी दिखाते हैं. पीएम मोदी शिलान्यास भी करते हैं, और उद्घाटन भी करते हैं. इसलिए कांग्रेस को सब्र करना चाहिए.

वहीं बस्तर जिला के नक्सलमुक्त होने पर मंत्री राम विचार नेताम ने कहा कि देश के पीएम और केंद्रीय गृह मंत्री की सोच और परिकल्पना रही. हमारी सरकार और जवानों ने निर्णायक लड़ाई लड़ी. मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे की परिकल्पना रही. आगे बढ़ते हुए बस्तर नक्सल क्षेत्र को नक्सली मुक्त कर दिया गया है, कहीं कुछ बचे होंगे तो अगले मार्च तक पूरी तरीके से सफाया हो जाएगा. छत्तीसगढ़ नक्सलमुक्त प्रदेश के तौर पर देश में जाना जाएगा.

युक्तियुक्तकरण को क्लियर समझना होगा

वहीं शिक्षक संघों के युक्तियुक्तकरण के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर मंत्री राम विचार नेताम ने कहा कि लोगों को युक्तियुक्तकरण को क्लियर समझना होगा. लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है. शिक्षक बच्चों की भविष्य को संभालने के लिए हैं. एक कैंपस में दो-दो, तीन-तीन स्कूल चल रही हैं. अनावश्यक रूप से शिक्षकों को संलग्न किया गया है.

शिक्षा व्यवस्था में सुधार चाहती है सरकार

उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं. हमारी सरकार शिक्षा की व्यवस्था को सुधारना चाहती है, पिछली सरकार ने शिक्षा के प्रति कोई जोर नहीं दिया. उन्हें सिर्फ नाम कमाने और हाइलाइट होने का ध्यान था. शिक्षक विहीन होकर सैकड़ों स्कूल बंद हुई.

5 साल की मासूम के साथ नाबालिग ने किया अनैतिक कृत्य, घर में अकेली पाकर वारदात को दिया अंजाम…

कोरबा- छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से रिश्ते और मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. एक 5 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ उसके नाबालिग चाचा ने घिनौने कृत्य को अंजाम दिया है. वारदात के दौरान जब मासूम की मां घर लौटी तो बेटी की बिलखती आवाज सुनी और ढूंढते हुए अंदर पहुंची, जहां आरोपी के साथ अपनी मासूम बच्ची को देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई.

जानकारी के मुताबिक, आरोपी एक 14 साल का किशोर है, जो मासूम बच्ची का दूर का रिश्तेदार है. दोनों के घर आस-पास ही हैं. मासूम के पिता अपने काम पर निकल गए थे और मां भी बच्ची को घर में खेलने के लिए अकेली छोड़कर किसी काम से बाहर गई हुई थी. इसी बीच आरोपी ने बच्ची को घर में अकेला पाकर इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया है. यह पूरी घटना कटघोरा थाना अंतर्गत ग्रामीण इलाके की है.

घटना के बाद परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. वहीं मासूम को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है. इस घटना ने बेटियों की सुरक्षा को लेकर लोगों में चिंता बढ़ा दी है.

क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर गाड़ी में डलवाया 55 हजार का फ्यूल, पेमेंट के नाम पर दिया चेक हुआ बाउंस

बिलासपुर- न्यायधानी में ठगी का बड़ा मामला आया है. क्राइम ब्रांच अधिकारी बताकर आरोपी ने पेट्रोल पंप संचालक को 55 हजार का चेक थमाया, जो बाद में बाउंस हो गया. मामले की शिकायत मिलने के बाद सिविल लाइन पुलिस जांच में जुट गई है.

जानकारी के अनुसार, आरोपी राजेन्द्र उर्फ अभिराज सिंह ने जरहाभाठा चौक स्थित जियो पेट्रोल पंप से नवम्बर 2024 से मार्च 2025 तक फ्यूल डलवाया. इसके बाद आरोपी युवक ने पेमेंट के नाम पर चेक थमाया, जो बाउंस हो गया. मामले की मिली शिकायत के बाद सिविल लाइन पुलिस जांच में जुट गई है.

छत्तीसगढ़ में रैकबैंक करेगा 1000 करोड़ का निवेश: नवा रायपुर में बनने जा रहा भारत का पहला एआई-केंद्रित स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन

रायपुर- भारत का पहला एआई-केन्द्रित स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) अब छत्तीसगढ़ की राजधानी नवा रायपुर में बनने जा रहा है। यह एक ऐसा विशेष क्षेत्र होगा, जिसे केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कंप्यूटर डेटा से जुड़ी तकनीकों के विकास और संचालन के लिए तैयार किया जा रहा है। यहाँ अत्याधुनिक कंप्यूटर सिस्टम और सर्वर होंगे, जो सोचने जैसी क्षमता वाले एआई सिस्टम को चलाएंगे और दुनिया की बड़ी कंपनियाँ यहीं से अपने डिजिटल काम करेंगी। सरकार ने इस SEZ को टैक्स और अन्य कानूनी छूट दी है ताकि नई तकनीकों को तेजी से विकसित किया जा सके। यह पहली बार है जब भारत में ऐसा कोई क्षेत्र पूरी तरह एआई पर केंद्रित बनाया जा रहा है, जिससे नवा रायपुर देश का अगला डिजिटल और तकनीकी हब बनकर उभरेगा। इस परियोजना के ज़रिए भारत को वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी लीडर बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग मानी जा रही है।

छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में भारत का पहला एआई-आधारित रैकबैंक डेटा सेंटर एसईजेड बनाया जाएगा। यह स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन पूरी तरह से कंप्यूटर, इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ा होगा। इस परियोजना का विकास रैकबैंक डेटा सेंटर्स प्राइवेट लिमिटेड कर रही है, जिसमें करीब ₹1000 करोड़ का निवेश होगा।

यह एसईजेड लगभग 6 एकड़ क्षेत्र में विस्तृत होगा और इसमें आधुनिक तकनीक से लैस 1.5 लाख वर्ग फीट का डेटा सेंटर तैयार होगा। भविष्य में चार हाई-डेंसिटी डेटा सेंटर बनाने की योजना है, जिनकी कुल क्षमता 80 मेगावाट होगी, जो कई राज्यों के डिजिटल नेटवर्क को संभाल सकेगी। यह परियोजना छत्तीसगढ़ को देश के तकनीकी मानचित्र पर एक नया मुकाम देगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे नवा छत्तीसगढ़ की नई शुरुआत बताया है और कहा है कि यह निवेश युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर और राज्य के लिए तकनीकी पहचान लाएगा। साथ ही, यह योजना डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के विज़न को आगे बढ़ाएगी।

रैकबैंक के सीईओ नरेंद्र सेन ने बताया कि डेटा सेंटर में आईटी इंजीनियर, डेटा विशेषज्ञ, साइबर सुरक्षा अधिकारी, नेटवर्क मैनेजर और कई अन्य पद होंगे। कंपनी छत्तीसगढ़ के आईटीआई, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों के साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएगी, जिससे छात्र इंडस्ट्री के लिए तैयार हो सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि आज की दुनिया में एआई केवल कंप्यूटरों तक सीमित नहीं है। यह हमारी भाषा, सोच, शिक्षा, स्वास्थ्य और यहाँ तक कि खेती की दिशा भी तय कर रही है। रायपुर में बन रहा यह डेटा सेंटर ठीक इन सेवाओं का केंद्र बनेगा। यहाँ गूगल, ओपनएआई, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी कंपनियों की एआई सेवाएँ चलेंगी। भारत पहली बार इन सेवाओं का केवल उपभोक्ता नहीं, एक आत्मनिर्भर निर्माता और होस्ट भी बनेगा।

इस पूरी परियोजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह केवल तकनीकी बातों तक सीमित नहीं है। इसका असर गांवों और छोटे शहरों तक पहुँचेगा। अब कांकेर, सुकमा, बिलासपुर या दंतेवाड़ा जैसे जिलों के छात्र भी यहीं रायपुर में रहकर ग्लोबल कंपनियों के साथ काम कर सकेंगे। उन्हें ना बेंगलुरु जाना पड़ेगा, ना विदेश।

यह डेटा सेंटर पूरी तरह ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन के मानकों पर आधारित होगा और इसमें सौर ऊर्जा, जल संरक्षण और ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।

अस्पताल में अव्यवस्था देख भड़के कलेक्टर : प्रभारी चिकित्सक को हटाया, दो डॉक्टरों को थमाया शोकॉज नोटिस

मुंगेली- सरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्था पर कलेक्टर भड़क उठे। दरअसल, कलेक्टर कुंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल अचानक निरीक्षण पर पहुंचे। इस दौरान अस्पताल में गंदगी, अव्यवस्था और स्टाफ की लापरवाही सामने आई, जिससे अधिकारियों ने गहरी नाराज़गी जताई।

निरीक्षण के समय प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. शबाना परवीन ड्यूटी से अनुपस्थित पाई गईं, जबकि डॉ. सत्येंद्र जायसवाल अस्पताल में मौजूद थे। अस्पताल के पुरुष, महिला, इमरजेंसी और लेबर वार्ड सहित फार्मेसी तक फैली अव्यवस्था ने अधिकारियों को चौंका दिया।

स्थिति को गंभीर मानते हुए कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से डॉ. शबाना परवीन को प्रभारी पद से हटाने और डॉ. सत्येंद्र जायसवाल को जिम्मेदारी सौंपने के निर्देश दिए। साथ ही, दोनों डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने मरीजों से बातचीत कर स्वास्थ्य सेवाओं और इलाज की स्थिति के बारे में फीडबैक लिया। उन्होंने मौजूद अधिकारियों को निर्देशित किया कि अस्पताल की व्यवस्था में तुरंत सुधार लाया जाए ताकि मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि और स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बदहाली पर हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, सरकार से पूछा – शहरों में कब तक शुरू होगी ई-बसें

बिलासपुर- हाईकोर्ट ने शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बदहाली और सिटी बस शुरू नहीं होने को लेकर स्वतः संज्ञान लिया है। आज मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने ट्रांसपोर्टिंग व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश देते हुए सरकार से जवाब मांगा कि ई-बस शहरों में कब तक शुरू होगी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खटारा बसें चलने पर वाहनों के फिटनेस और यात्री सुविधा का मुद्दा भी उठाया। निगम और शासन की ओर से बताया गया कि सिटी बस खरीदी प्रक्रिया जारी है। इसके बाद सुविधायुक्त सिटी बसें चलने लगेगी। कोर्ट ने शपथपत्र में यह बताने कहा कि सिटी बसें कब तक शुरू हो जाएगी। इस मामले में अगली सुनवाई जून में होगी।

बिलासपुर में 50 में से 18 सिटी बसें ही चल रही

बता दें कि बिलासपुर में 50 में से 18 सिटी बसें ही चल रही है। साल 2016 में बिलासपुर को 25 करोड़ की लागत से सर्वसुविधायुक्त 50 नई सिटी बसें केंद्र सरकार की योजना के अंतर्गत प्रदान की गई थी। संचालन में लापरवाही के चलते अधिकांश बसें कबाड़ हो चुकी है। हालांकि प्रदूषण रहित इलेक्ट्रिक सिटी बसें चलाने के लिए प्रक्रिया जारी है, पर अब तक यह सेवा शुरू नहीं हो सकी है।