देवघर-फाइलेरिया मुक्त देवघर की प्रतिबद्धता के साथ एमडीए महाअभियान कार्यक्रम की 10 फरवरी से होगी शुरुआत।
देवघर:
फाइलेरिया मुक्त देवघर की प्रतिबद्धता के साथ स्वास्थ्य विभाग, देवघर द्वारा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चलाए जाने वाले सर्वजन दवा सेवन अथवा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अंतर्विभागीय समन्वय के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता, जनप्रतिनिधियों और मीडिया सहयोगियों का भी सहयोग लिया जा रहा है, जो अतिमहत्वपूर्ण है। इस क्रम में आज देवघर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं - विश्व स्वास्थ्य संगठन, पिरामल स्वास्थ्य एवं सीएफएआर व अन्य के साथ समन्वय बनाते हुए मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। फाइलेरिया उन्मूलन के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम हेतु दिसंबर माह में अजय कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव झारखंड सरकार के द्वारा विस्तृत मार्गदर्शिका विभाग सहित संबंधित जिला के उपायुक्त को भेजी जा चुकी है।
इस संदर्भ में अभियान निदेशक, आबू इमरान सहित राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी भीबीडी, झारखण्ड द्वारा भी लगातार कार्यक्रम संबंधित समीक्षा एवं मार्गदर्शन समीक्षा की जा रही है। फाइलेरिया जैसा गंभीर बीमारी से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए आगामी 10 फरवरी से राज्य के फाइलेरिया से प्रभावित 14 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। इसमें 11 जिलों में दो दवा डीईसी और एल्बेंडाजोल एवं तीन जिलों में ट्रिपल ड्रग यानी डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन के साथ यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस हेतु देवघर जिले के लाभूकों को 10 फरवरी के दिन बूथ के माध्यम से और उसके बाद 11 फरवरी से 25 फरवरी तक घर-घर जाकर प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है तथा दवा सेवन के प्रतिकूल प्रभाव या किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु चिकित्सक के नेतृत्व में रैपिड रेस्पान्स टीमें का भी गठन किया गया है।
फाइलेरिया से बचने का एकमात्र उपाय दवा का सेवन करना है। एक बार कोई व्यक्ति इस रोग की चपेट में आ जाता है तो इससे छुटकारा पाना असंभव है। फाइलेरिया की दवा खाने के बाद यदि किसी को सर दर्द, उल्टी, बुखार जैसे एडवर्स इफेक्ट होता है तो यह एक शुभ संकेत है। इसका मतलब है उस व्यक्ति में फाइलेरिया का संक्रमण था। उपरोक्त बातें सिविल सर्जन डॉ जुगल किशोर चौधरी ने शनिवार को मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को लेकर जिला स्तरीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान कही। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया को आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है। यह क्युलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह दूसरी सबसे ज्यादा दिव्यांग एवं कुरूपता करने वाली बीमारी है। इसका संक्रमण अधिकतर बचपन या स्कूल जाने की उम्र में ही हो जाता है। बीमारी का पता चलने में 5 से 15 साल लग जाते हैं। यह बीमारी हाथ, पैर, स्तन और हाइड्रोसील को ज्यादा प्रभावित करती है। उन्होंने बताया कि हाइड्रोसील का इलाज समय पर संभव है लेकिन हाथ, पैर या स्तन में हुआ सूजन लाइलाज है। उन्होंने बताया कि इसके इलाज के लिए दी जाने वाली डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की दवा वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन द्वारा जांची और परखी हुई है। यह पूरी तरह से लाभकारी है। दवा खाने के बाद कभी-कभी सर दर्द, उल्टी, बुखार या खुजली आदि हो जाने पर घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है। वास्तव में जिस व्यक्ति में पूर्व से फाइलेरिया का संक्रमण रहता है उनमें यह लक्षण हो सकते हैं। यह एक प्रकार से शुभ संकेत है। बाद में विकलांगता व कुरुपता झेलने से कहीं ज्यादा अच्छा है कि अभी इस दवा का सेवन कर मामूली प्रतिकूल प्रभाव से निपट कर स्वयं को वह अपने पूरे परिवार को फाइलेरिया से सुरक्षित कर लिया जाए। कार्यशाला में जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अभय कुमार यादव ने कहा कि फाइलेरिया का शत-प्रतिशत उन्मूलन जन आंदोलन से संभव है। उन्होंने कहा कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में देखा गया है कि रेसिडेंशियल अपार्टमेंट या संभ्रांत क्षेत्र में लोग दवा प्रशासक को प्रवेश करने नहीं देते हैं। दवा प्रशासक की मौजूदगी में दवा खाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि विभिन्न आयु वर्ग के लिए अलग-अलग डोज निर्धारित है। यह दवा सभी के लिए अति आवश्यक है। 5 - 6 साल तक वर्ष में एक बार दवा लेने से पूरा समुदाय फाइलेरिया मुक्त हो सकता है। राज्य के 14 जिलों में से देवघर जिला में भी आगामी 10 फरवरी से 25 फरवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अथवा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। अभियान के दौरान 1 से 2 साल तक के बच्चे को सिर्फ एल्बेंडाजोल की आधी गोली (200 एमजी) पानी में घोलकर। 2 से 5 वर्ष तक को डीईसी की एक गोली (100 एमजी), एल्बेंडाजोल की एक गोली (400 एमजी) पानी में घोलकर, 6 वर्ष से 14 वर्ष तक डीईसी की 2 गोली (200 एमजी), एल्बेंडाजोल की एक गोली चबाकर, 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन गोली 300 (एमजी) एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली चबाकर प्रशिक्षित दवा प्रशासकों के दल द्वारा अपने सामने खिलाई जाएगी। इसमें एहतियातन के तौर पर गर्भवती माता और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को इन दवाओं को नहीं खिलाई जाएगी। साथ ही बताया गया कि खाली पेट इस दवा का सेवन नहीं करना है। जिनके शरीर में माइक्रोफाइलेरिया की कृर्मी मौजूद होते हैं उनमें इस दवा से मामूली प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसका सीधा अर्थ है की दवा उनके शरीर में असर कर रहा है और फाइलेरिया के परजीवी (फीता कृमि) शरीर में मर रहे हैं। इसलिए ऐसे किसी भी प्रकार के लक्षण होने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि इन सबको यह ज्ञात हो गया है कि उनके शरीर में माइक्रोफाइलेरिया है, तो उन्हें अपने शरीर से पूर्णतया माइक्रोफाइलेरिया को खत्म करने के लिए और फाइलेरिया रोधी दवाई अलग से 12 दिनों की खुराक खानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हम सब फाइलेरिया मुक्त झारखंड के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। आगे बताया कि देवघर जिला झारखंड में सबसे अधिक फाइलेरिया से प्रभावित जिला है। माइक्रोफाइलेरिया सर्वे रिपोर्ट के अनुसार यहां के 100 लोगों में से तीन से चार लोग फाइलेरिया से पीड़ित है जिनकी संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, जिसमें अब तक फाइलेरिया का कोई स्पष्ट लक्षण देखने को नहीं मिला है। बावजूद इसके उनके शरीर के अंदर माइक्रोफाइलेरिया शांत / निष्क्रिय अवस्था में पड़ा हुआ है जो मच्छरों के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचाया जा रहा है। जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार डॉ गणेश कुमार यादव ने कहा कि देवघर में फाइलेरिया मुक्ति अभियान के अंतर्गत कुल 1710348 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए देवघर जिला में कुल 2576 बूथ बनाए गए हैं तथा 5892 दवा प्रशासक लगाए गए हैं। जिसका पर्यवेक्षण करने के लिए कुल 541 दवा पर्यवेक्षकों को लगाया गया है साथ ही 77 प्रखंड सुपरवाइजर एवं 48 चिकित्सकों के दल को एमडीए कार्यक्रम के अनुश्रवण एवं मूल्यांकन हेतु लगाया गया है। इसके अतिरिक्त जिला स्तर पर भी कुल 10 मॉनिटर को सिविल सर्जन द्वारा लगाया गया है। जो विभिन्न प्रखंडों में गुणवत्तापूर्ण एमडीए कार्यक्रम का संचालन हेतु पर्यवेक्षण, निरीक्षण, अनुश्रवन एवं मूल्यांकन कर उसका त्वरित समाधान करेंगे। इसके अलावा जिले में इससे संबंधित हाई रिस्क एरिया को भी चिन्हित कर लिया गया है जहां पर विशेष पर्यवेक्षण के साथ यह कार्यक्रम को चलाए जाएंगे। आवश्यकता अनुसार ट्रांजिट टीम एवं मोबाइल टीम बनाकर भी दवा खिलाने की योजना जिला एवं प्रखंड स्तर द्वारा तैयार है। कार्यक्रम के दौरान इसकी गुणवत्ता व खामियों की आंकलन सुनिश्चित करने तथा दैनिक कवरेज प्रतिवेदन आदि का अद्यतन स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रतिदिन शाम में पहले प्रखंड स्तर पर एवं बाद में जिला स्तर पर जिला भीबीडी पदाधिकारी एवं आवश्यकतानुसार सिविल सर्जन की अध्यक्षता में इवनिंग ब्रीफिंग भी किया जाएगा। सभी जगहों पर दवा डीईसी (42370464) एवं अल्बेंडाजोल (1692000), आवश्यकतानुसार फींगर-मार्किंग पेन, गेरू मिट्टी, चॉक, प्रपत्र व सभी आवश्यक प्रचार-प्रसार सामग्री आपूर्ति कर दिया गया है। आगे कहा कि जिनके शरीर में माइक्रोफाइलेरिया है उनमें दवा के प्रतिकूल प्रभाव से तत्काल निपटने के लिए सभी दवा पर्यवेक्षकों को आवश्यक दवा देकर तैयार रहने के लिए प्रशिक्षित कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त विशेष परिस्थिति से निपटने के लिए सदर अस्पताल, देवघर, शहरी स्वास्थ्य केंद्र, एनयूएचएम एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर आवश्यकता अनुसार दो से चार त्वरित चिकित्सा दल (आर.आर.टी.) भी ऑन व्हील तैयार रखा गया है। जिला स्वास्थ्य विभाग के तरफ से फाइलेरिया मुक्ति हेतु एमडीए अभियान की सफलता हेतु जागरूकता के लिए अपने स्तर से विभिन्न तैयारी में ग्राम गोष्टी, रात्रि चौपाल, रैली आदि के साथ पोस्टर, बैनर, होर्डिंग, फ्लेक्स, ओपीडी/आईपीडी पर्ची पर मुहर, आदि लगाया गया है और जारी भी है। इसके साथ माइकिंग एवं नुक्कड़ नाटक आदि भी कराते हुए जन-जागरूकता कर देवघर को फाइलेरिया मुक्त बनाने का सफल प्रयास किया जा रहा है। विशेष कर जिला समाज कल्याण विभाग, जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग तथा आप मीडिया बंधुओं के साथ शिक्षा विभाग, जेएसएलपीएस, नगर विकास विभाग सह देवघर नगर निगम, आइएमए आदि के सहयोग सबसे अधिक आवश्यकता पर बल दिया गया। देवघर नगर निगम द्वारा कचरा गाड़ी के माध्यम से मोहल्ले-मोहल्ले में फाइलेरिया जागरूकता का संदेश प्रसारित जा रहा है। जेएसएलपीएस आईसीडीएस एवं शिक्षा विभाग द्वारा गांव-गांव में फाइलेरिया जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसमें जन समुदाय को भ्रामक न्यूज़ से सचेत रहते हुए दवा सेवन करने को सुरक्षित बताया गया। जिला मुख्यालय के साथ-साथ सदर अस्पताल, एवं सभी सीएचसी में एक-एक फाइलेरिया कंट्रोल रूम बनाया गया है। एम्स देवघर में भी एमडीए के दौरान दवा खिलाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. जुगल किशोर चौधरी, जिला भीबीडी पदाधिकारी डॉ. अभय कुमार यादव, जिला भीबीडी सलाहकार डॉ. गणेश कुमार यादव, सहायक जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रोहित विद्यार्थी, एफएलए रवि सिन्हा, डीईओ कांग्रेस मंडल सहित पीरामल फाउंडेशन से संजय गुप्ता, विजय प्रकाश पाण्डेय एवं अन्य तथा देवघर के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि आदि मौजूद थे।
Feb 09 2025, 19:12